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अफगानिस्तान में प्राचीन बौद्ध स्थल
- 25 Apr 2025
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स्रोत: द हिंदू
तालिबान, जो वर्ष 2001 में बामियान बुद्ध जैसी ऐतिहासिक शिल्पकृतियों को नष्ट करने के लिये कुख्यात था, वर्तमान में अफगानिस्तान के प्राचीन विरासत स्थलों के संरक्षण का समर्थन करने का दावा करता है।
प्रमुख बौद्ध स्थल
- मेस अयनाक: मेस अयनाक (लोगर प्रांत) वर्ष 1963 में खोजा गया एक प्रमुख बौद्ध पुरातात्त्विक स्थल है। पहली शताब्दी ईसा पूर्व से 10वीं शताब्दी ईस्वी तक वासित इस स्थल से मठ, स्तूप, एक पारसी अग्नि मंदिर, एक टकसाल, ताँबा प्रगलन की कार्यशालाएँ और 1,000 से अधिक बौद्ध मूर्तियाँ, भित्तिचित्र तथा सिक्के प्राप्त हुए।
- इसकी कला में हेलेनिस्टिक, भारतीय, फारसी और चीनी संस्कृति का प्रभाव है। सिल्क रोड पर स्थित इस नगर की भारत से चीन तक बौद्ध धर्म के प्रसार में अहम भूमिका रही।
- शेवाकी स्तूप: काबुल के शेवाकी स्तूप की चौड़ाई 20 मीटर से अधिक है और यह पहली से तीसरी शताब्दी ईस्वी का एक प्रमुख बौद्ध युगीन स्मारक है।
- इसमें कुषाण और हेलेनिस्टिक स्थापत्य शैली (यूनानी संस्कृति से प्रभावित) दोनों का सम्मिश्रण है और इसका निर्माण फील्ड स्टोन, मृदा और प्लास्टर से किया गया है।
- यह स्तूप, जो एक पूर्व में एक समय एक प्रमुख धार्मिक और कारवाँ स्थल था, का पहली बार उत्खनन पुरातत्त्वविदों द्वारा वर्ष 1820 में किया गया था।
- बामियान बुद्ध: 6वीं शताब्दी की बामियान बुद्ध दो विशाल प्रतिमाएँ थीं, जो मध्य अफगानिस्तान में बलुआ पत्थर की चट्टानों को उत्कीर्ण करके निर्मित की गईं थीं।
- ये प्रतिमाएँ गांधार बौद्ध कला से संबंधित हैं और पहली से 13वीं शताब्दी तक बौद्ध धर्म के सांस्कृतिक प्रभाव को प्रतिबिंबित करते हैं।
- कुषाण युगीन अभिलेख: लघमन प्रांत में पुरातत्त्वविदों ने 2,000 वर्ष प्राचीन कुषाण कालीन शैल-आले (Rock Niches), ब्राह्मी अभिलेख और मदिरा बनाने के उपकरणों की खोज की है, जो गोबी मरुस्थल से गंगा घाटी तक साम्राज्य के बृहद विस्तार पर प्रकाश डालते हैं।
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