भारत में निर्धनता में कमी-SBI | 07 Jan 2025

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

चर्चा में क्यों?

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक हालिया शोध रिपोर्ट में ग्रामीण तथा शहरी भारत में गरीबी दर में आने वाली उल्लेखनीय गिरावट पर प्रकाश डाला गया है।  

  • इस रिपोर्ट में इस गिरावट का श्रेय लक्षित सरकारी हस्तक्षेप, उन्नत ग्रामीण बुनियादी ढाँचे तथा निम्न आय वर्ग के बीच बेहतर उपभोग पैटर्न को दिया गया है।

SBI रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं? 

  • गरीबी दर में कमी: 
    • ग्रामीण गरीबी: यह वर्ष 2011-12 के 25.7% से घटकर वित्त वर्ष 24 में 4.86% रह गई।
    • शहरी गरीबी: यह वित्त वर्ष 2024 में लगभग 4.09% (जो 2011-12 में 13.7% थी) थी।  

  • सरकारी हस्तक्षेप का प्रभाव: प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT), बुनियादी ढाँचे के विकास तथा किसान-केंद्रित पहलों से ग्रामीण आजीविका में सुधार होने के साथ उपभोग असमानता में कमी आई है।
    • आय सहायता और सामाजिक सुरक्षा से संबंधित लक्षित कार्यक्रमों से कम आय वर्ग के लोगों को काफी लाभ पहुँचा है। 
  • ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर उपभोग: ग्रामीण उपभोग में तीव्र वृद्धि हो रही है और यह शहरी उपभोग के बराबर पहुँच रही है। ग्रामीण मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (MPCE) यानी शहरी और ग्रामीण खपत के बीच का अंतर (जिसे ग्रामीण खपत के प्रतिशत के रूप में मापा जाता है) कम हो रहा है। 
    • यह वर्ष 2004-05 के 88.2% से घटकर वर्ष 2023-24 में 69.7% हो गया जो ग्रामीण एवं शहरी खर्च के बीच कम होते अंतर को दर्शाता है।

 

  • नवीनतम घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (अगस्त 2023-जुलाई 2024) के आँकड़ों से भी इसकी पुष्टि हुई है जिसमें शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के बीच MPCE में अंतर में कमी आने का संकेत दिया गया है, जो वर्ष 2011-12 के 84% से घटकर वर्ष 2022-23 में 71% तथा 2023-24 में 70% हो गया। 
  • गरीबी रेखा की परिभाषा: मुद्रास्फीति और आरोपण कारकों के समायोजन के बाद वित्त वर्ष 24 में अनुमानित गरीबी रेखा, ग्रामीण क्षेत्रों के लिये 1,632 रुपए तथा शहरी क्षेत्रों के लिये 1,944 रुपए है। 
    • इससे पहले वर्ष 2011-12 में तेंदुलकर समिति ने ग्रामीण क्षेत्रों के लिये गरीबी की सीमा 816 रुपए और शहरी क्षेत्रों के लिये 1,000 रुपए निर्धारित की थी। 

  • राज्यवार बचत: राज्यवार बचत दर का अनुमान MPCE और प्रति व्यक्ति आय का उपयोग करके लगाया गया, जिसमें ग्रामीण तथा शहरी जनसंख्या वितरण को शामिल किया गया। 
  • उच्च आय वाले राज्यों की बचत दर, राष्ट्रीय औसत 31% से अधिक है, जो मज़बूत वित्तीय स्थिरता का संकेत है।
  • उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे कम आय वाले राज्यों में बचत दर कम है, जिसका कारण संभवतः उच्च बाह्य प्रवास है जिससे आय एवं उपभोग पैटर्न प्रभावित होता है।
    • बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है जिसकी बचत दर नकारात्मक -6% है।
      • उच्चतम (गोवा: 49%) और निम्नतम (बिहार: -6%) बचत दरों के बीच महत्त्वपूर्ण असमानता है।

  • मुद्रास्फीति का प्रभाव:
    • उपभोग मांग की लोच:
      • उपभोग मांग लोचदार है (|e| > 1), जिसका अर्थ है कि खाद्य कीमतों में परिवर्तन खाद्य व्यय सहित समग्र व्यय को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। 
      • खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण MPCE में कमी आती है, तथा निम्न और उच्च आय वाले दोनों राज्यों में नकारात्मक लोच यह दर्शाती है कि उच्च खाद्य मुद्रास्फीति, मांग के नियम के अनुरूप, उपभोग को कम करती है।
        •  निम्न आय वाले राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र बढ़ती खाद्य कीमतों से अधिक प्रभावित हैं, जो उनकी अधिक संवेदनशीलता को दर्शाता है।
    • इसके विपरीत, कम खाद्य मुद्रास्फीति मध्यम आय वाले राज्यों में MPCE को बढ़ाती है, जहाँ सकारात्मक लोच यह दर्शाती है कि कम खाद्य मुद्रास्फीति से उपभोग बढ़ता है और मांग बनी रहती है।
      • मध्यम आय वाले राज्यों के शहरी क्षेत्रों में खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट के साथ MPCE में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
  • क्षेत्रीय असमानताएँ:
    • ग्रामीण-शहरी अंतर का प्रभाव निम्न आय वाले राज्यों में कम है, लेकिन उच्च आय वाले राज्यों में यह अधिक स्पष्ट है। 
    • इससे पता चलता है कि निम्न आय वाले राज्यों के ग्रामीण लोग उच्च आय वाले राज्यों की तुलना में जोखिम लेने के प्रति अधिक सतर्क हैं।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स

प्रश्न. निरपेक्ष तथा प्रति व्यक्ति वास्तविक GNP में वृद्धि आर्थिक विकास की ऊँची स्तर का संकेत नहीं करती, यदि: (2018)

(a) औद्योगिक उत्पादन कृषि उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रह जाता है।
(b) कृषि उत्पादन औद्योगिक उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रह जाता है।
(c) निर्धनता और बेरोज़गारी में वृद्धि होती है।
(d) निर्यात की अपेक्षा आयात तेज़ी से बढ़ता है।

उत्तर: (c)

प्रश्न. किसी दिये गए वर्ष में भारत के कुछ राज्यों में आधिकारिक गरीबी रेखाएँ अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतर हैं क्योंकि: (2019)

(a) गरीबी की दर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।
(b) कीमत- स्तर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है।
(c) सकल राज्य उत्पाद अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है।
(d) सार्वजनिक वितरण की गुणवत्ता अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।

उत्तर: (b)

प्रश्न. UNDP के समर्थन से ‘ऑक्सफोर्ड निर्धनता एवं मानव विकास नेतृत्व’ द्वारा विकसित ‘बहुआयामी निर्धनता सूचकांक’ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से सम्मिलित है/हैं? (2012)

  1. पारिवारिक स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, संपत्ति और सेवाओं से वंचन  
  2. राष्ट्रीय स्तर पर क्रय शक्ति समता  
  3. राष्ट्रीय स्तर पर बजट घाटे की मात्रा और GDP की विकास दर 

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)