भारत-UAE रणनीतिक सहयोग | 13 Feb 2024

यह एडिटोरियल 12/02/2024 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “A privileged strategic partnership, without a gulf” लेख पर आधारित है। इसमें पड़ताल की गई है कि भारत के रणनीतिक साझेदारी समझौते, विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात के साथ, सभी स्तरों पर उच्च स्तर के अभिसरण एवं पारस्परिक सम्मान को किस प्रकार प्रदर्शित करते हैं।

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-UAE संबंध, मुक्त व्यापार समझौते (FTA), व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA), विश्व व्यापार संगठन (WTO), अंतरिम व्यापार समझौता, खाड़ी सहयोग परिषद (GCC)

मेन्स के लिये:

भारत-UAE संबंध - आर्थिक और सामरिक महत्त्व, द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के उपाय।

समय के साथ संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ भारत का संबंध इसके सबसे प्रमुख द्विपक्षीय संबंधों में से एक के रूप में उभरा है। UAE न केवल एक रणनीतिक साझेदार के रूप में कार्य करता है, बल्कि खाड़ी क्षेत्र में भारत की संलग्नता में भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह दोनों देशों के प्रमुख नेताओं के बीच घनिष्ठ संबंध को भी उजागर करता है।

फरवरी 2024 में भारतीय प्रधानमंत्री की संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा इस दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है कि वह अबू धाबी में बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण द्वारा निर्मित एक मंदिर का उद्घाटन करने के लिये वहाँ गए हैं। यह वर्ष 2015 के बाद से भारतीय प्रधानमंत्री की सातवीं यात्रा है, जो द्विपक्षीय संबंधों के बढ़ते महत्त्व को दर्शाती है।

UAE के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध:

  • परिचय:
    • भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच वर्ष 1972 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए।
    • द्विपक्षीय संबंधों को तब अधिक बल मिला जब अगस्त 2015 में भारत के प्रधानमंत्री की संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा से दोनों देशों के बीच एक नई रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत हुई।
    • इसके अलावा, जनवरी 2017 में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अबू धाबी के क्राउन प्रिंस की भारत यात्रा के दौरान यह सहमति बनी कि द्विपक्षीय संबंधों को आगे ले जाते हुए एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी का निर्माण किया जाएगा।
    • इसने भारत-UAE व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (India-UAE comprehensive economic partnership agreement) के लिये वार्ता शुरू करने को गति प्रदान की।
  • आर्थिक संबंध:
    • भारत और UAE के बीच आर्थिक साझेदारी फली-फूली है, जहाँ वर्ष 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार 85 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। UAE भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है।
      • अगले पाँच वर्षों में द्विपक्षीय माल व्यापार को 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक करने और सेवा व्यापार को 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
    • एक व्यापार समझौता दोतरफा निवेश प्रवाह को भी सक्षम बनाता है। भारत में UAE का निवेश लगभग 11.67 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो इसे भारत में नौवाँ सबसे बड़ा निवेशक बनाता है।
    • कई भारतीय कंपनियों ने सीमेंट, भवन निर्माण सामग्री, कपड़ा, इंजीनियरिंग उत्पाद, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स आदि के लिये संयुक्त अरब अमीरात में संयुक्त उद्यम के रूप में या विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) में विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित की हैं। 
      • कई भारतीय कंपनियों ने पर्यटन, आतिथ्य, खानपान, स्वास्थ्य, खुदरा और शिक्षा क्षेत्रों में भी निवेश किया है।
    • भारत की संशोधित FTA रणनीति के तहत, सरकार ने कम से कम छह देशों/क्षेत्रों को प्राथमिकता प्रदान की है, जिसमें अर्ली हार्वेस्ट डील (या अंतरिम व्यापार समझौते) के लिये संयुक्त अरब अमीरात सूची में शीर्ष पर है। UK, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इज़राइल और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के देशों का एक समूह कुछ अन्य ऐसे देश/क्षेत्र हैं।
      • UAE ने भी इससे पूर्व भारत और सात अन्य देशों (UK, तुर्की, दक्षिण कोरिया, इथियोपिया, इंडोनेशिया, इज़राइल और केन्या) के साथ द्विपक्षीय आर्थिक समझौतों को आगे बढ़ाने की अपनी मंशा की घोषणा की थी।

  • सांस्कृतिक संबंध:
    • संयुक्त अरब अमीरात में 3.3 मिलियन से अधिक भारतीय प्रवासी रहते हैं और अमीराती भारतीय संस्कृति से पर्याप्त परिचित तथा इसके प्रति ग्रहणशील हैं। भारत ने अबू धाबी अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला 2019 में सम्मानित अतिथि देश के रूप में भाग लिया था।
    • UAE में भारतीय सिनेमा/टीवी/रेडियो चैनल आदि सुगमता से उपलब्ध हैं और इनकी दर्शक संख्या अच्छी है; संयुक्त अरब अमीरात के प्रमुख थिएटर/सिनेमा हॉल व्यावसायिक हिंदी, मलयालम और तमिल फ़िल्मों का प्रदर्शन करते हैं।
    • अमीराती समुदाय हमारे वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रमों में भी भाग लेता रहा है और संयुक्त अरब अमीरात में योग एवं ध्यान केंद्रों के कई स्कूल सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं।
  • फिनटेक सहयोग:
    • भारत और UAE फिनटेक क्षेत्र (Fintech sector) में भी सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं। अगस्त 2019 से UAE में रुपे कार्ड (RuPay card) की स्वीकृति और रुपया-दिरहम निपटान प्रणाली के संचालन जैसी पहलें डिजिटल भुगतान प्रणालियों में पारस्परिक अभिसरण को प्रदर्शित करती हैं।
    • भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच लेनदेन के लिये स्थानीय मुद्राओं के उपयोग का फ्रेमवर्क स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली (Local Currency Settlement System- LCSS) स्थापित करने का लक्ष्य रखता है।
    • RBI के अनुसार, LCSS की स्थापना से निर्यातकों एवं आयातकों को अपनी संबंधित घरेलू मुद्राओं में चालान एवं भुगतान की सक्षमता प्राप्त होगी, जो फिर एक INR-NED विदेशी मुद्रा बाज़ार के विकास को सक्षम करेगा।
  • ऊर्जा सुरक्षा सहयोग:
    • संयुक्त अरब अमीरात भारत की ऊर्जा सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जहाँ भारत में सामरिक तेल भंडार संग्रहित हैं। मंगलुरु में स्थित रणनीतिक कच्चे तेल भंडारण सुविधा में निवेश जैसे समझौते इस महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में सहयोग की गहराई को रेखांकित करते हैं।
  • रणनीतिक क्षेत्रीय सहभागिता:

भारत-UAE संबंधों में विद्यमान विभिन्न चुनौतियाँ:

  • भारतीय निर्यात को प्रभावित करने वाली व्यापार बाधाएँ:
    • सैनिटरी एंड फाइटोसैनिटरी (SPS) उपाय और टेक्निकल बैरियर्स ऑफ ट्रेड (TBT) जैसी नॉन-टैरिफ बाधाएँ (NTBs), विशेष रूप से अनिवार्य हलाल प्रमाणीकरण, ने भारतीय निर्यात को विशेष रूप से पोल्ट्री, मांस एवं प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ जैसे क्षेत्रों में बाधित किया है।
      • भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार इन बाधाओं के कारण हाल के वर्षों में संयुक्त अरब अमीरात को भारतीय प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात में लगभग 30% की उल्लेखनीय गिरावट आई है।
  • संयुक्त अरब अमीरात में चीन का आर्थिक प्रभाव:
    • चीन की ‘चेक बुक डिप्लोमेसी’—जो निम्न-ब्याज ऋण के रूप में चिह्नित होती है, ने संयुक्त अरब अमीरात और व्यापक मध्य पूर्व में भारतीय आर्थिक प्रयासों को प्रभावित किया है।
      • अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के चाइना ग्लोबल इन्वेस्टमेंट ट्रैकर के डेटा से पता चलता है कि वर्ष 2005 और 2020 के बीच UAE में चीन का निवेश और अनुबंध 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया, जो इस भूभाग में भारतीय उद्यमों से काफी अधिक है।
  • कफाला प्रणाली की चुनौतियाँ:
    • संयुक्त अरब अमीरात में कफाला प्रणाली (Kafala System), जो नियोक्ताओं को अप्रवासी श्रमिकों (विशेषकर कम वेतन वाली नौकरियों से संलग्न श्रमिकों) पर व्यापक अधिकार प्रदान करती है, जो मानवाधिकार संबंधी उल्लेखनीय चिंताएँ उत्पन्न करती है।
      • पासपोर्ट जब्त करने, वेतन में देरी और खराब रहने की स्थिति जैसे विषय इस प्रणाली के तहत प्रवासी श्रमिकों के समक्ष मौजूद चुनौतियों को रेखांकित करते हैं।
  • पाकिस्तान को संयुक्त अरब अमीरात की वित्तीय सहायता को लेकर चिंताएँ:
    • भारत के विरुद्ध सीमा-पार आतंकवाद को प्रायोजित करने के पाकिस्तान के इतिहास को देखते हुए, पाकिस्तान को UAE द्वारा पर्याप्त वित्तीय सहायता देना इस धन के संभावित दुरुपयोग के बारे में आशंका उत्पन्न करता है।
      • उदाहरण के लिये, वर्ष 2019 में संयुक्त अरब अमीरात ने पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार को सुदृढ़ करने के लिये 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर देने का वादा किया, जिससे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये हानिकारक गतिविधियों में धन के इस्तेमाल को लेकर चिंता बढ़ गई।
  • क्षेत्रीय संघर्षों के बीच राजनयिक संतुलन:
    • ईरान और अरब देशों (विशेषकर संयुक्त अरब अमीरात) के बीच चल रहे संघर्ष के कारण भारत स्वयं को एक नाजुक राजनयिक स्थिति में पाता है। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने ईरान से तेल आयात करना जारी रखा, जो उसके कुल तेल आयात का लगभग 10% था। यह भारत की ईरान और अरब दुनिया दोनों के साथ अपने संबंधों को सावधानीपूर्वक आगे बढ़ाने की आवश्यकता को उजागर करता है।
    • इज़राइल और हमास के बीच हाल ही में छिड़े युद्ध ने चुनौतियों को और बढ़ा दिया है क्योंकि इससे प्रस्तावित IMEC संकट में पड़ गया है।

चुनौतियों पर काबू पाने के लिये कौन-से कदम उठाने होंगे?

  • GCC के साथ बेहतर संबंधों का मार्ग प्रशस्त करना:
    • संयुक्त अरब अमीरात GCC के देशों सहित कई क्षेत्रीय और द्विपक्षीय FTAs का एक पक्षकार है।
    • GCC के अंग के रूप में UAE के सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और ओमान के साथ मज़बूत आर्थिक संबंध हैं तथा इन देशों के साथ एक साझा बाज़ार एवं कस्टम यूनियन साझा करता है।
    • ग्रेटर अरब फ्री ट्रेड एरिया (GAFTA) समझौते के तहत, UAE को सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, क़तर, ओमान, जॉर्डन, मिस्र, इराक़, लेबनान, मोरक्को, ट्यूनीशिया, फ़िलिस्तीन, सीरिया, लीबिया और यमन तक मुक्त व्यापार पहुंच प्राप्त है। 
      • संयुक्त अरब अमीरात के इस पहलू का प्रभावी ढंग से लाभ उठाया जाना चाहिये जिससे भारत के लिये संयुक्त अरब अमीरात के रणनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने का मार्ग प्रशस्त होगा और अफ्रीका के बाज़ार एवं इसके विभिन्न व्यापार भागीदारों तक अपेक्षाकृत आसान पहुंच प्राप्त होगी, जो भारत को विशेष रूप से हथकरघा, हस्तशिल्प, कपड़ा एवं फार्मा के क्षेत्र में आपूर्ति शृंखला का अंग बनने में मदद कर सकती है। 
  • UAE के NTBs का अनुपालन:
    • UAE की टैरिफ संरचना GCC (जहाँ लागू औसत टैरिफ दर 5% है) से बंधी है, इसलिये NTBs को संबोधित करने का दायरा बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसका अनुपालन भारतीय निर्यातकों के लिये एक चुनौती है।
      • FTA समझौते को NTBs के उपयोग में अधिक पारदर्शिता एवं पूर्वानुमेयता लाने का प्रयास करना चाहिये ताकि उनका अनुपालन कम बोझिल हो।
      • इसमें लेबलिंग आवश्यकताओं, लाइसेंसिंग प्रोटोकॉल, परमिट एवं आयात निगरानी के संबंध में लगातार अपडेट करना और सूचना का आदान-प्रदान करना शामिल है। इस तरह की पारदर्शिता से, विशेष रूप से इन बाधाओं से प्रभावित क्षेत्रों में, व्यापार संबंधों को सहज बनाने में मदद मिलेगी।
  • 2+2 वार्ता की राह पर आगे बढ़ना:
    • अमेरिका और रूस जैसे देशों के साथ भारत की 2+2 वार्ता की तरह संयुक्त अरब अमीरात के साथ समान उच्च स्तरीय वार्ता की शुरुआत करना लाभप्रद सिद्ध होगी।
    • ऐसा एक मंच रणनीतिक, रक्षा और राजनीतिक मामलों को प्रभावी ढंग से संबोधित कर सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय समझ एवं सहयोग में वृद्धि होगी।
  • UAE के ‘विज़न 21’ के साथ एकीकरण:
    • तेल पर निर्भरता कम करने और अर्थव्यवस्था में विविधता लाने पर लक्षित UAE के ‘विज़न 2021’ में भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण अवसर मौजूद हैं।
    • नवीकरणीय ऊर्जा, टेक्नोलॉजी स्टार्ट-अप, फिनटेक और अन्य उभरते उद्योग जैसे क्षेत्रों में UAE के साथ सहयोग से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मज़बूत किया जा सकता है, जो पारंपरिक तेल-केंद्रित मॉडल से परे आर्थिक विविधीकरण के UAE के दृष्टिकोण के अनुरूप भी होगा।
  • कफाला प्रणाली को संबोधित करना:
    • कफाला श्रम प्रणाली में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिये भारत को संयुक्त अरब अमीरात के साथ कूटनीतिक रूप से संलग्न होना चाहिये। भारत के पास संयुक्त अरब अमीरात में प्रवासी श्रमिकों के कल्याण की वृद्धि के लिये पर्याप्त प्रभाव डालने की क्षमता है और इस क्रम में क़तर के उदाहरण पर आगे बढ़ा जा सकता है जहाँ भारतीय पैरोकारी से आवश्यक सुधार किए गए।

निष्कर्ष:

भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा संयुक्त अरब अमीरात की आगामी यात्रा दोनों देशों के बीच गहरे एवं बहुमुखी संबंधों को रेखांकित करती है। धार्मिक स्थलों से परे, इस संबंध में मज़बूत आर्थिक साझेदारी शामिल है, जिसकी पुष्टि बढ़ते व्यापार और महत्त्वपूर्ण निवेश से होती है। इसके अलावा, फिनटेक और ऊर्जा सुरक्षा में सहयोगी उद्यम उनके सहयोग की व्यापकता को रेखांकित करते हैं। चूँकि भारत और संयुक्त अरब अमीरात अपनी असाधारण रणनीतिक साझेदारी के साथ आगे बढ़ रहे हैं, वे अभिसरण और पारस्परिक सम्मान के एक मॉडल का संकेत देते हैं जिसका भविष्य में और सुदृढ़ होना तय है।

अभ्यास प्रश्न: भारत-संयुक्त अरब अमीरात संबंधों के संदर्भ में, हाल के विकास एवं भविष्य की संभावनाओं पर बल देते हुए रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आयामों का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन 'खाड़ी सहयोग परिषद' का सदस्य नहीं है? (2016)

(a) ईरान
(b) ओमान
(c) सऊदी अरब
(d) कुवैत

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न: डिजिटल मीडिया के माध्यम से धार्मिक मतारोपण का परिणाम भारतीय युवकों का आई. एस. आई. एस. में शामिल हो जाना रहा है। आई.एस.आई.एस. क्या है और उसका ध्येय (लक्ष्य) क्या है? आई. एस. आई. एस. हमारे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिये किस प्रकार खतरनाक हो सकता है? (2015)

प्रश्न: भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिये। (2017)