भारतीय कृषि को डिजिटल समाधानों द्वारा उन्नत बनाना | 01 Nov 2024
यह संपादकीय 27/10/2024 को बिज़नेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित “Farm to fork goes digital: Indian agri on the cusp of a tech revolution” पर आधारित है। लेख में चर्चा की गई है कि 2,817 करोड़ रुपए के बजट वाले डिजिटल कृषि मिशन का उद्देश्य बेहतर डिजिटल बुनियादी ढाँचे के माध्यम से किसानों के कल्याण और उत्पादकता को बढ़ाना है। ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते मोबाइल और इंटरनेट के उपयोग से खेती में प्रौद्योगिकी अपनाने और निर्णय लेने में तेज़ी आ रही है।
प्रिलिम्स के लिये:डिजिटल कृषि मिशन, किसान सुविधा ऐप, एग्री-स्टैक, किसानों की आय दोगुनी करने संबंधी समिति (DFI), परिशुद्ध कृषि (PA), राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (ENAM), पीएम-किसान, डिजिटल कृषि मिशन, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, भारतनेट, नमो (न्यू एग्रीकल्चर मार्केट ऑर्डर) ड्रोन दीदी योजना, किसान कॉल सेंटर, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), किसान उत्पादक संगठन (FPO)। मेन्स के लिये:भारत में समावेशी और सतत् कृषि को बढ़ावा देने में कृषि के डिजिटलीकरण का महत्त्व। |
भारतीय कृषि क्षेत्र डिजिटल परिवर्तन के अवसर के कगार पर है, सरकार ने हाल ही में डिजिटल कृषि मिशन के लिये 2,817 करोड़ रुपए के परिव्यय को मंज़ूरी दी है। इस पहल का उद्देश्य व्यापक सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढाँचा स्थापित करना, किसानों को विशेषज्ञ सलाह, वास्तविक समय समाधान और बेहतर कृषि कौशल के लिये आईसीटी-आधारित उपकरणों से सशक्त बनाना है। डिजिटल उपकरणों से भूमि रिकॉर्ड, वित्तीय लेनदेन और खरीद को सुव्यवस्थित करने, विवादों, कदाचारों को कम करने और नीति दक्षता को बढ़ावा देने की उम्मीद है।
किसान सुविधा ऐप से लेकर उपग्रह आधारित फसल निगरानी और ड्रोन तकनीक तक अन्य सरकारी पहलों ने कृषि के डिजिटलीकरण का मार्ग प्रशस्त किया है।
डिजिटल कृषि क्या है?
- डिजिटल कृषि: कृषि पद्धतियों को बढ़ाने के लिये सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) और डेटा पारिस्थितिकी तंत्र को एकीकृत करता है।
- इसका लक्ष्य समय पर लक्षित जानकारी और सेवाएँ प्रदान करना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि खेती लाभदायक, सतत् हो और सभी के लिये सुरक्षित, पौष्टिक और किफायती भोजन उपलब्ध कराने में सक्षम हो।
- किसानों की आय दोगुनी करने संबंधी समिति (DFI) ने रिमोट सेंसिंग, GIS (भौगोलिक सूचना प्रणाली), डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT), रोबोटिक्स, ड्रोन और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए डिजिटल कृषि पहलों को बढ़ाने की सिफारिश की।
भारतीय कृषि को डिजिटल बनाने की आवश्यकता क्यों है?
- उत्पादकता में वृद्धि: परिशुद्ध कृषि (PA) उर्वरकों, पानी और कीटनाशकों के अनुप्रयोग की अनुमति देती है, जिससे संसाधनों का संरक्षण करते हुए फसल की उत्पादकता को अधिकतम किया जा सकता है।
- मौसम निगरानी प्रणालियाँ और उपग्रह डेटा किसानों को सूचित निर्णय लेने में मदद करते हैं, जिससे उत्पादकता और दक्षता में सुधार होता है।
- IoT-आधारित सेंसर नेटवर्क पर्यावरणीय स्थितियों की वास्तविक समय निगरानी में सुधार करते हैं, तथा फसलों को प्रभावित करने वाले तनावों का शीघ्र पता लगाने में सहायता करते हैं।
- लागत में कमी: डिजिटल समाधान पारंपरिक प्रथाओं पर निर्भरता को कम करते हैं, बेहतर संसाधन प्रबंधन के माध्यम से इनपुट लागत को कम करते हैं।
- मृदा सेंसर और डिजिटल सलाहकार प्लेटफॉर्म जैसे आईसीटी-आधारित उपकरण कृषि रसायनों पर अनावश्यक खर्च को कम करते हैं।
- मृदा एवं जल संरक्षण में वृद्धि: मृदा मानचित्रण और सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकियाँ मृदा स्वास्थ्य और जल उपलब्धता की निगरानी में सक्षम बनाती हैं, जो सतत् कृषि के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- डिजिटलीकरण जल-कुशल प्रथाओं का समर्थन करता है, जो जल-कमी वाले क्षेत्रों के लिये आवश्यक है।
- सामाजिक-आर्थिक उत्थान: बढ़ी हुई आय और बाज़ार तक पहुँच से किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। मोबाइल एप्लीकेशन और डिजिटल मार्केट प्लेटफॉर्म ग्रामीण उत्पादकों को सीधे खरीदारों से जोड़ते हैं।
- उदाहरण के लिये, राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (e-NAM) मंच पूरे भारत में 1,000 से अधिक मंडियों को जोड़ता है, जो वर्ष 2023 तक 1.7 करोड़ से अधिक किसानों को मूल्य की जानकारी और बाज़ार के रुझान प्रदान करता है।
- ज्ञान प्रसार से ग्रामीण समुदायों को सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने में मदद मिलती है, जिससे उपज की गुणवत्ता और आर्थिक सुरक्षा दोनों में वृद्धि होती है ।
- वित्तीय समावेशन: डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ किसानों की ऋण, बीमा और अन्य वित्तीय सेवाओं तक पहुँच बढ़ाती हैं।
- उदाहरण के लिये पीएम-किसान योजना के तहत, भारत सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से 11 करोड़ से अधिक किसानों को 3.24 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि वितरित की है।
- ट्रेसेबिलिटी और गुणवत्ता मानकों में सुधार: ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी और एग्रीस्टैक कृषि आपूर्ति शृंखला में ट्रेसेबिलिटी सुनिश्चित करते हैं, फसल-पश्चात नुकसान को कम करते हैं तथा खाद्य सुरक्षा मानकों को बढ़ाते हैं।
- बेहतर आँकड़े किसान-केंद्रित नीतियों को सक्षम बनाते हैं, तथा कृषि पद्धतियों में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देते हैं।
- डेटा संग्रहण: उन्नत उपकरणों ने डेटा संग्रहण में क्रांति ला दी है, जिसे वैज्ञानिक , भू-संदर्भित , जीनोमिक और सामाजिक-आर्थिक डेटा में वर्गीकृत किया गया है ।
- ड्रोन और उपग्रह इमेजरी जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग वास्तविक समय डेटा संग्रह के लिए किया जाता है, जो सटीक कृषि पद्धतियों के लिए आवश्यक है।
- मॉडलिंग और डेटा एनालिटिक्स : एकीकृत मॉडलिंग और डेटा एनालिटिक्स कृषि प्रक्रियाओं के अनुकूलन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। फसल मॉडल (जैसे, DSSAT-CSM) जैसे उपकरण फसल की वृद्धि और पैदावार का पूर्वानुमान लगाते हैं।
- मशीन लर्निंग तकनीकें, विशेष रूप से डीप लर्निंग मॉडल, उपज अनुमान को बढ़ाती हैं और विभिन्न डेटा स्रोतों को शामिल करती हैं।
- वितरण और नियंत्रण: डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ कीट पहचान, सिंचाई निगरानी और उपज पूर्वानुमान सहित कुशल कृषि प्रबंधन की सुविधा प्रदान करती हैं।
- इन उन्नतियों से कृषि पद्धतियों में सुधार होता है, प्रदूषण कम होता है, तथा किसानों को बाज़ार संबंधी जानकारी तथा वित्तीय सेवाओं तक पहुँच प्राप्त होती है ।
डिजिटल कृषि मिशन क्या है?
- डिजिटल कृषि मिशन: डिजिटल कृषि मिशन को सितंबर, 2024 में 2817 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था, ताकि कृषि के लिये डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) स्थापित की जा सके, जैसा कि वर्ष 2023-24 और वर्ष 2024-25 के बजट में घोषणा की गई थी।
- राज्य सहयोग: भारत सरकार ने इन DPI के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिये 19 राज्यों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
- एग्री स्टैक: किसानों को आधार के समान एक डिजिटल पहचान (किसान ID) प्राप्त होगी, जिसमें फसलों के आँकड़े मोबाइल आधारित सर्वेक्षणों के माध्यम से एकत्र किये जाएंगे।
- इसका लक्ष्य वर्ष 2026-27 तक 11 करोड़ किसानों के लिये डिजिटल पहचान बनाना है, तथा दो वर्षों के भीतर राष्ट्रव्यापी फसल सर्वेक्षण शुरू करना है।
- कृषि निर्णय सहायता प्रणाली: अगस्त, 2024 में लॉन्च की जाने वाली यह प्रणाली फसलों, मिट्टी और मौसम पर रिमोट सेंसिंग डेटा को एकीकृत करेगी, जिसका लक्ष्य 142 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि के लिये मृदा प्रोफाइल मानचित्र तैयार करना है।
- डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (DGCIS): यह पहल अनुमानित उपज प्रदान करेगी तथा 2024-25 से देश भर में लागू होगी।
- कृषि सखियाँ: वर्ष 2023 में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन कृषि सखियों की पहल को बढ़ावा देगा, महिलाओं को कृषि पद्धतियों का प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
- कृषि सखियों को कृषि-पारिस्थितिक तकनीकों में प्रशिक्षित किया जाता है तथा उन्हें प्राकृतिक खेती और मृदा स्वास्थ्य पर पुनश्चर्या पाठ्यक्रम प्रदान किये जाते हैं।
- प्रवीणता परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्हें पैरा-एक्सटेंशन वर्कर के रूप में प्रमाणित किया जाएगा।
- यह अनुमान लगाया गया है कि प्रमाणित कृषि सखियाँ सालाना 50,000 रुपए से अधिक कमा सकती हैं, जिससे ग्रामीण कृषि को समर्थन देने में उनकी भूमिका बढ़ जाएगी।
डिजिटल कृषि को बढ़ावा देने के लिये सरकार की अन्य पहल क्या हैं?
- कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (NEGP-A): वर्ष 2010-11 में शुरू की गई यह योजना कृषि में ICT को बढ़ावा देती है, सूचना तक पहुँच को सुगम बनाती है तथा ग्रामीण समुदायों में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देती है।
- देश भर में विस्तारित इस योजना में डिजिटल परिवर्तन के माध्यम से किसानों का मार्गदर्शन करने के लिये सहायता सेवाओं का ई-विस्तार भी शामिल है ।
- साइट तैयार करने, कंप्यूटर प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की खरीद, बैकअप बिज़ली व्यवस्था, राज्य परियोजना प्रबंधन इकाइयों (SPMU) की स्थापना और हार्डवेयर प्रतिष्ठानों के लिये कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिये धन आवंटित किया गया।
- एकीकृत किसान सेवा मंच (UFSP): UFSP एक केंद्रीय एजेंसी के रूप में कार्य करता है, जो बुनियादी ढाँचे, डेटा, अनुप्रयोगों और उपकरणों को समेकित कर सार्वजनिक और निजी कृषि आईटी प्रणालियों के बीच अंतर-संचालन को सुविधाजनक बनाता है।
- UFSP सेवा प्रदाताओं के लिये पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाता है, जिससे किसानों को त्वरित सेवा वितरण सुनिश्चित होता है।
- किसान डेटाबेस: किसान डेटाबेस का उद्देश्य भूमि अभिलेखों से जुड़ा एक राष्ट्रव्यापी रिकॉर्ड बनाना, कृषि नियोजन और नीति-निर्माण को बढ़ाना है। यह विभिन्न योजनाओं से मिलने वाले लाभों को ट्रैक करने के लिये विशिष्ट किसान आईडी (FID) प्रदान करता है।
- यह केंद्रीकृत डेटाबेस मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने, फसल सलाह, परिशुद्ध कृषि और सब्सिडी प्रबंधन में सहायता करता है ।
- भारतनेट: यह भारत की ग्रामीण ब्रॉडबैंड पहल है, जिसका लक्ष्य 250,000 से अधिक ग्राम पंचायतों को उच्च गति वाले ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ना है।
- कृषि में, भारतनेट मौसम पूर्वानुमान, बाज़ार मूल्यों और आधुनिक कृषि तकनीकों तक डिजिटल पहुँच को सक्षम बनाता है, जिससे ग्रामीण किसानों को सूचित निर्णय लेने, उत्पादकता बढ़ाने और बेहतर आय के लिये व्यापक बाज़ारों से जुड़ने हेतु सशक्त बनाता है।
- नमो ड्रोन दीदी योजना: नमो (न्यू एग्रीकल्चर मार्केट ऑर्डर) ड्रोन दीदी योजना ड्रोन तकनीक में विशेष प्रशिक्षण प्रदान करती है, जो महिलाओं को आधुनिक कृषि के लिये आवश्यक कौशल प्रदान करती है।
- यह पहल कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने के दृष्टिकोण के साथ ड्रोन पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को बढ़ावा देती है, जिससे कृषि के डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिलता है।
- भारतनेट: यह भारत की ग्रामीण ब्रॉडबैंड पहल है, जिसका लक्ष्य 250,000 से अधिक ग्राम पंचायतों को उच्च गति वाले ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ना है।
- अन्य सहायक पहल: किसान सुविधा ऐप, किसान कॉल सेंटर और कृषि बाज़ार ऐप किसानों को बाज़ार दरों, मौसम पूर्वानुमान और तकनीकी सलाह तक पहुँच प्रदान करते हैं ।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मृदा स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और फसल हानि के लिये बीमा कवरेज़ प्रदान करने के लिये डिजिटल उपकरणों का लाभ उठाते हैं।
भारतीय कृषि में डिजिटलीकरण के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?
- उच्च प्रारंभिक पूंजी आवश्यकताएँ: ड्रोन, उपग्रह इमेज़री और सेंसर-आधारित प्रणालियों जैसी प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिये महत्त्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होती है, जो छोटे किसानों के लिये मुश्किल है।
- कई किसान सरकारी सब्सिडी और वित्तीय योजनाओं पर निर्भर रहते हैं, जो अक्सर बड़े पैमाने पर अपनाने के लिये अपर्याप्त होती हैं।
- छोटी भूमि जोत: NSO द्वारा आयोजित कृषि परिवारों की स्थिति आकलन सर्वेक्षण (SAS) के अनुसार, 89.4% कृषि परिवारों के पास दो हेक्टेयर से कम भूमि है, जो स्केलेबल डिजिटल समाधानों के कार्यान्वयन को जटिल बनाता है।
- छोटे फार्म हमेशा डिजिटलीकरण की लागत को उचित नहीं ठहरा सकते, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में इसे अपनाने की दर कम है।
- डिजिटल साक्षरता संबंधी बाधाएँ: ग्रामीण निरक्षरता और डिजिटल उपकरणों की सीमित समझ कई किसानों को उन्नत आईसीटी समाधानों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने से रोकती है।
- मार्च, 2024 तक शहरी टेली-डेंसिटी (किसी भौगोलिक क्षेत्र में प्रति 100 व्यक्तियों पर टेलीफोन कनेक्शन) 133.72 % और ग्रामीण टेली-डेंसिटी 59.19% के साथ टेली-डेंसिटी में असमानता, भारत में कृषि के डिजिटलीकरण के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती पेश करती है, जिससे ग्रामीण किसानों की आवश्यक डिजिटल उपकरणों तक पहुँच सीमित हो जाती है।
- प्रशिक्षण कार्यक्रमों की कमी से मृदा सेंसर और उपज निगरानी ऐप जैसे बुनियादी डिजिटल उपकरणों को अपनाने में भी बाधा आती है।
- अपर्याप्त ग्रामीण बुनियादी ढाँचा: ग्रामीण क्षेत्रों में असंगत इंटरनेट कनेक्टिविटी और विद्युत् आपूर्ति की समस्याएँ डिजिटल उपकरणों को अपनाने में देरी करती हैं।
- दूरदराज के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड पहुँच और मोबाइल टावर जैसी बुनियादी सुविधाएँ सीमित हैं, जिससे डिजिटल विभाजन उत्पन्न हो रहा है।
- ऋण और वित्तपोषण तक सीमित पहुँच: कई छोटे किसानों के पास खराब ऋण-योग्यता या संपार्श्विक के अभाव के कारण औपचारिक ऋण तक पहुँच नहीं है, जिससे डिजिटलीकरण में निवेश करना मुश्किल हो जाता है।
- औपचारिक बैंकिंग क्षेत्र को प्रौद्योगिकी अपनाने में सहायता के लिये किसान-अनुकूल वित्तीय उत्पाद विकसित करने की आवश्यकता है।
- डेटा ट्रस्ट और सुरक्षा: डेटा ट्रस्ट, गोपनीयता, सुरक्षा, सत्यापन और भंडारण सुनिश्चित करना डिजिटल कृषि में एक महत्त्वपूर्ण बाधा बनी हुई है।
- कृषि डेटा प्रबंधन को बढ़ाने तथा प्रभावी समाधान के लिये IoT प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिये शोधकर्त्ताओं और आईटी विशेषज्ञों के बीच सहयोगात्मक प्रयास आवश्यक हैं।
- डेटा संग्रहण में जटिलता: फसलों, जलवायु क्षेत्रों और मिट्टी की स्थितियों की विविधता के कारण इन चरों को एकीकृत डिजिटल ढाँचे के अंतर्गत एकीकृत करना एक चुनौती है।
- यह जटिलता डिजिटल कृषि समाधानों को व्यापक रूप से अपनाने में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
भारत में कृषि के डिजिटलीकरण के लिये आगे की राह:
- डिजिटल बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना: ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल पहुँच का विस्तार करने के लिये ब्रॉडबैंड इंटरनेट का उपयोग, मोबाइल टावर और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम आवश्यक हैं।
- उपग्रह इमेजिंग, मृदा स्वास्थ्य सूचना प्रणाली और भूमि मानचित्रण में निवेश से डेटा की सटीकता में सुधार होगा, जिससे डेटा-संचालित निर्णय सशक्त होंगे।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना: तकनीकी स्टार्टअप, किसान उत्पादक संगठनों (FPO) और निजी कृषि-तकनीक फर्मों के साथ सहयोग से डिजिटल उपकरणों को तेजी से अपनाने में मदद मिल सकती है।
- FPO छोटे किसानों के लिये डिजिटल संसाधनों की सामूहिक खरीद की सुविधा प्रदान कर सकते हैं, जिससे लागत कम होगी और अपनाने की दर बढ़ेगी।
- वित्तीय पहुँच में सुधार: बैंकों को विशेष रूप से डिजिटल कृषि निवेश के लिये कम ब्याज दर पर ऋण, सब्सिडी और माइक्रोफाइनेंसिंग उपलब्ध करानी चाहिये।
- अनुकूल ऋण विकल्प और डिजिटल उपकरण अपनाने के लिये प्रोत्साहन देने से किसानों की वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार होगा।
- किसानों की क्षमता और डिजिटल साक्षरता बढ़ाना: सरकार के नेतृत्व वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम और जागरूकता अभियान डिजिटल साक्षरता के अंतर को कम कर सकते हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि ग्रामीण समुदाय डिजिटल उपकरणों का प्रभावी ढंग से लाभ उठा सकें।
- विस्तार कार्यकर्त्ताओं को ICT समाधानों के उपयोग में किसानों की सहायता करने के लिये प्रशिक्षित किया जाना चाहिये, ताकि व्यावहारिक मार्गदर्शन सुनिश्चित हो सके।
- डेटा सुरक्षा और गोपनीयता उपाय: एग्रीस्टैक जैसी पहलों के माध्यम से डेटा पर बढ़ती निर्भरता के साथ, किसानों की व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा हेतु मज़बूत डेटा सुरक्षा नीतियाँ आवश्यक हैं।
- डेटा की अखंडता की रक्षा के लिये डेटा उपयोग, पारदर्शिता और किसान सहमति पर स्पष्ट दिशा-निर्देश स्थापित किये जाने चाहिये।
निष्कर्ष:
डिजिटल कृषि भारतीय खेती में क्रांति ला रही है, जिससे दक्षता, उत्पादकता और स्थिरता बढ़ रही है। डिजिटल कृषि मिशन, एग्री-स्टैक और कृषि निर्णय सहायता प्रणाली जैसी पहल किसानों को वास्तविक समय के डेटा , विशेषज्ञ सलाह एवं प्रत्यक्ष लाभ के साथ सशक्त बनाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट का बढ़ता उपयोग तकनीक-संचालित संस्कृति को बढ़ावा देता है, उत्पादकता में सुधार करता है, लागत कम करता है तथा सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाता है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी, नीति समर्थन एवं प्रशिक्षण महत्त्वपूर्ण हैं, जो भारतीय कृषि को आत्मनिर्भरता तथा वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा के लिये तैयार करते हैं।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत में डिजिटल कृषि मिशन के उद्देश्यों और अपेक्षित परिणामों पर चर्चा कीजिये। इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में किस प्रकार बदलाव लाना है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रारंभिक:प्रश्न: 'राष्ट्रीय कृषि बाज़ार' योजना को लागू करने के क्या लाभ हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) मुख्य:प्रश्न: विज्ञान हमारे जीवन में गहराई तक कैसे गुथा हुआ है? विज्ञान-आधारित प्रौद्योगिकियों द्वारा कृषि में उत्पन्न हुए महत्त्वपूर्ण परिवर्तन क्या हैं? (2020) |