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वर्षांत समीक्षा-2022: CSIR

  • 28 Dec 2022
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), प्रमुख उपलब्धियाँ

मेन्स के लिये:

CSIR की प्रमुख उपलब्धियाँ, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की वर्षांत समीक्षा जारी की गई।

CSIR की प्रमुख उपलब्धियाँ: 

  • पहली जैव ईंधन-संचालित उड़ान:
    • CSIR ने देहरादून से दिल्ली के लिये जैव ईंधन से संचालित पहली उड़ान को हरी झंडी दिखाते हुए भारत की पहली जैव ईंधन-संचालित उड़ान की सुविधा प्रदान की।
      • जैव-विमानन ईंधन का उत्पादन CSIR- भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (IIP) द्वारा जेट्रोफा ईंधन से स्वदेशी रूप से तैयार किया गया और यह संस्थान की पेटेंट तकनीक पर आधारित था।
  • अरोमा मिशन:
    • CSIR ने वर्ष 2016 में CSIR-अरोमा मिशन शुरू किया था, जो सुगंध उद्योग के विकास और ग्रामीण रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये कृषि, प्रसंस्करण और उत्पाद विकास में हस्तक्षेप के माध्यम से सुगंध क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव लाने का प्रयास करता है।
  • स्वदेशी आटोक्लेव प्रौद्योगिकी:
    • CSIR-राष्‍ट्रीय वैमानिकी प्रयोगशाला (NAL) ने उन्नत हल्के वज़न वाले कंपोजिट के प्रसंस्करण के लिये अत्याधुनिक स्वदेशी आटोक्लेव प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक विकास किया है जो आधुनिक दौर के नागरिक एवं सैन्य एयरफ्रेम के अभिन्न अंग हैं।
  • प्लास्टिक का डीज़ल में परिवर्तन:
    • CSIR-IIP और गेल (पेट्रोलियम व्यापार कंपनी) ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो 1 टन प्लास्टिक अपशिष्ट और अन्य पॉलीओलेफिन उत्पादों को 850 लीटर के सबसे स्वच्छ ग्रेड डीज़ल में परिवर्तित कर सकती है
  • एनारोबिक गैस लिफ्ट रिएक्टर (AGR):
    • CSIR- भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT) ने पोल्ट्री अपशिष्ट, खाद्य अपशिष्ट, प्रेस मिट्टी, मवेशी खाद, नगर निगम ठोस अपशिष्ट के जैविक अंश (OFMSW), सीवेज अपशिष्ट आदि जैसे जैविक ठोस अपशिष्ट से बायोगैस और जैव खाद के उत्पादन के लिये एनारोबिक गैस लिफ्ट रिएक्टर (AGR) के रूप में जानी जाने वाली एक उच्च दर बायोमिथेनेशन तकनीक का विकास करते हुए इसका पेटेंट कराया है। 
  • RENEU प्रौद्योगिकी: 
    • CSIR-पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) ने आर्द्रभूमि के निर्माण के लिये  पारिस्थितिक इकाइयों के साथ-साथ नालों का जीर्णोद्धार (Restoration of Nallah with Ecological Units- RENEU) प्रौद्योगिकी विकसित की है जो अपशिष्ट जल उपचार की स्थायी प्रक्रियाएँ हैं। पवित्र धार्मिक त्योंहार के दौरान तीर्थयात्रियों के लिये गंगा को स्वच्छ रखने के राष्ट्रीय मिशन के हिस्से के रूप में RENEU को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया था।
  • दृष्टि ट्रांसमिसोमीटर:
    • CSIR-NAL ने दृष्टि ट्रांसमिसोमीटर की तकनीक को विकसित और स्थानांतरित किया है जिसे भारत के कई हवाई अड्डों पर स्थापित किया गया है। ट्रांसमिसियोमीटर एक दृश्यता मापने की प्रणाली है, जो हवाई अड्डे के सुरक्षित संचालन और लैंडिंग के लिये उपयोगी है।  
  • हेड-अप डिस्प्ले (HUD):
    • CSIR-केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (CSIO), चंडीगढ़ और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के बीच वाणिज्यिक उत्पादन के संबंध में तेजस लड़ाकू विमान के लिये हेड-अप डिस्प्ले (HUD) के एक नए संस्करण के निर्माण हेतु एक हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
  • भारतीय निर्देशक द्रव्य:
    • भारतीय निर्देशक द्रव्य (BND 420) भारत का पहला स्वदेशी उच्च शुद्धता वाला स्वर्ण संदर्भ मानक है जिसे भारत सरकार टकसाल (IGM), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), CSIR-NPL और सामग्रियों की संरचनागत विशेषता के लिये राष्ट्रीय केंद्र के सहयोग से विकसित किया गया है। .
  • शेल गैस:
    • CSIR-CIMFR ने मध्य भारत में गोंडवाना बेसिन और गोदावरी बेसिन में दो क्षेत्रों में शेल गैस की खोज की है। इन दो बेसिनों में देश में अब तक खोजी गई कुल शेल गैस लगभग 63 ट्रिलियन क्यूबिक फीट (TCF) होने का अनुमान है।
      • इसे गैर-पारंपरिक प्राकृतिक गैस के सर्वोत्तम स्रोतों में से एक माना जाता है। 
  • पोर्टेबल रीडिंग मशीन (PRM):
    • CSIR-CSIO द्वारा विकसित एक रीडिंग डिवाइस पाठ को ज़ोर से पढ़कर नेत्रहीन दिव्यांगों की मदद करता है। "दिव्य नयन" नाम की उन्नत रीडिंग मशीन एक स्टैंड-अलोन, पोर्टेबल रीडिंग मशीन है। 
  • डाइमिथाइल ईथर:
    • CSIR-NCL ने मेथनॉल से डाइमिथाइल ईथर (Dimethyl Ether- DME) बनाने के लिये एक स्वदेशी प्रक्रिया प्रौद्योगिकी स्थापित की है। 
  • भूकंप चेतावनी प्रणाली:
    • CSIR-CSIO द्वारा अपनी तरह की पहली भूकंप चेतावनी प्रणाली विकसित की गई है। यह प्रणाली भूकंप के झटके को महसूस कर सकती है, उन्हें रिकॉर्ड कर सकती है और वास्तविक समय में संबंधित कार्रवाई बिंदुओं पर एक SMS तैयार कर सकती है।  
  • सिंधु साधना: 
    • हिंद महासागर में सूक्ष्मजीवों के जीनोम मैपिंग के लिये नमूने एकत्र करने हेतु पहला स्वदेश निर्मित अनुसंधान पोत सिंधु साधना राष्ट्र को समर्पित किया गया था।।
  • हरित पटाखे:
    • CSIR-NEERI ने वायु प्रदूषण को रोकने के लिये हरित पटाखे विकसित किये। नकली पटाखों के निर्माण और बिक्री पर नजर रखने हेतु एक ग्रीन लोगो (Green Logo) और क्यूआर कोडिंग प्रणाली भी शुरू की गई।
  • हींग की खेती: 
  • किसान सभा एप:
    • किसानों को आपूर्ति शृंखला और माल परिवहन प्रबंधन प्रणाली से जोड़ने के लिये CSIR- केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) द्वारा किसान सभा एप विकसित किया गया है।
      • यह पोर्टल किसानों, ट्रांसपोर्टरों और कृषि उद्योग से जुड़ी अन्य संस्थाओं के लिये वन-स्टॉप समाधान के रूप में कार्य करता है। 
  • क्षीर स्कैनर:
    • CSIR ने मिलावटी दूध का पता लगाने के लिये एक कम लागत और पोर्टेबल क्षीर स्कैनर विकसित किया है।
  • चावल की किस्म:
    • हैदराबाद में भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान के सहयोग से CSIR-कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (Centre for Cellular and Molecular Biology -CCMB) ने चावल की एक नई किस्म जारी की है जो कीटों का प्रतिरोध करती है और मधुमेह से ग्रस्त लोगों के लिये लाभकारी है।
      • नई उन्नत सांबा मसूरी (ISM) चावल की किस्म बैक्टीरियल ब्लाइट (BB) के लिये प्रतिरोधी है।
  • जिज्ञासा: 
    • CSIR द्वारा स्कूली छात्रों को वैज्ञानिकों से जोड़कर CSIR के वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व (SSR) को व्यापक और गहरा करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर CSIR द्वारा की गई प्रमुख पहलों में से एक है।
  • बैंगनी क्रांति: 
    • CSIR ने जम्मू और कश्मीर में कृषक परिवारों को लाभान्वित करते हुए लैवेंडर की खेती शुरू करके प्रसिद्ध बैंगनी क्रांति को सक्षम किया। भारत कुछ वर्ष पूर्व तक लेमनग्रास आवश्यक तेल के आयातकों में से एक था, अब दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक बन गया है।
      • फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत ट्यूलिप बल्ब उत्पादन के स्वदेशी विकास ने रोपण सामग्री के आयात को कम करने में मदद की।
  •  गाँव का पानी गाँव में:
    • CSIR ने चयनित गाँवों में जल संसाधन बढ़ाने के लिये ग्राम स्तरीय जल प्रबंधन (VLWM) योजनाओं के विकास हेतु एक मिशन मोड परियोजना का नेतृत्व किया है। 
      • जल जीवन मिशन के तहत जल शक्ति मंत्रालय के सहयोग से उत्तर-पश्चिमी भारत के शुष्क क्षेत्रों में उच्च-रिज़ॉल्यूशन एक्विफर मैपिंग और प्रबंधन पर मिशन का शुभारंभ और इसे कार्यान्वित भी किया गया है। 
  •  भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित हाइड्रोजन ईंधन सेल बस:
    • बस बिजली पैदा करने के लिये हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं और वायु का उपयोग करती है और बिना रुके 600 किमी. तक चल सकती है। बस से निकलने वाला एकमात्र उत्सर्जन पानी है, इस प्रकार यह परिवहन का सबसे पर्यावरण अनुकूल तरीका है।
  • पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL): 
    • हाल ही में मंत्रिमंडल ने पेटेंट कार्यालयों के अलावा उपयोगकर्त्ताओं के लिये TKDL डेटाबेस की व्यापक पहुँच को मंज़ूरी दी, उपयोगकर्त्ताओं के लिये TKDL डेटाबेस के खुलने से विभिन्न क्षेत्रों में भारत की मूल्यवान विरासत के आधार पर अनुसंधान और विकास एवं नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
  • स्टील स्लैग सड़क:
    • CSIR ने अपशिष्ट स्टील स्लैग को सड़क बनाने वाले समुच्चय के रूप में परिवर्तित करने के लिये स्टील स्लैग वेलोराइजेशन तकनीक विकसित की। अपशिष्ट स्टील स्लैग के माध्यम से विकसित प्रसंस्कृत स्टील स्लैग समुच्चय का सूरत में भारत के पहले स्टील स्लैग रोड के निर्माण में सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है।
  • हंसा एनजी की पहली उड़ान:
    • CSIR-NAL ने हंसा एनजी विमान को डिज़ाइन और विकसित किया, जो भारत में फ्लाइंग क्लबों के लिये प्रारंभिक उड़ान प्रशिक्षण विमान के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला एक समग्र दो सीटों वाला हल्का ट्रेनर विमान है, एक प्रशिक्षक विमान के रूप में इसे और अधिक उपयोगी बनाने के लिये हंसा 3 विमान में महत्त्वपूर्ण संशोधन किये गए हैं।  
      • HANSA-NG ‘हंसा’ का उन्नत संस्करण है, जिसने वर्ष 1993 में पहली उड़ान भरी थी और इसे वर्ष 2000 में प्रमाणित किया गया था।
  • 3D-मुद्रित रोगी-विशिष्ट चिकित्सा प्रत्यारोपण:
    • CSIR-CSIO ने मानव शरीर के कई अंगों के लिये रोगी-विशिष्ट चिकित्सा प्रत्यारोपण के निर्माण के लिये एक तकनीक विकसित की है। उत्पाद के वाणिज्यिक उत्पादन और विपणन के लिये प्रौद्योगिकी को उद्योग को हस्तांतरित कर दिया गया है। 
  • डिजिटल मोड पर वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को जोड़ना:
    • CSIR ने सामाजिक चुनौतियों/समस्याओं का संयुक्त रूप से समाधान निकालने के लिये वैश्विक भारतीय एस एंड टी डायस्पोरा से जुड़ने के लिये एक आभासी मंच- प्रभास (प्रवासी भारतीय अकादमिक और वैज्ञानिक संपर्क) पोर्टल विकसित किया है। 
  • CSIR 'स्किल इंडिया पहल':  
    • इस पहल का उद्देश्य CSIR प्रयोगशालाओं के संपर्क के माध्यम से युवा पीढ़ी को आवश्यक तकनीकी कौशल से लैस करना है। इस पहल के तहत 2 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है।

स्रोत: पी.आई.बी

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