विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट | 25 Oct 2024

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व आर्थिक परिदृश्य (WEO), पेंट-अप डिमांड, हेडलाइन मुद्रास्फीति, वैश्विक मंदी, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), मौद्रिक नीति समिति (MPC), उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में सख्त मौद्रिक नीतियाँ, वैश्विक मुख्य मुद्रास्फीति 

मेन्स के लिये:

भारत के आर्थिक अनुमानों, मुद्रास्फीति के रुझान और भारत की आर्थिक वृद्धि में वैश्विक विकास गतिशीलता का महत्त्व।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अक्तूबर, 2024 के लिये अपनी विश्व आर्थिक परिदृश्य (WEO) रिपोर्ट जारी की है।

  • इसके अनुसार भारत की आर्थिक संवृद्धि दर वर्ष 2024 में 7% और वर्ष 2025 में 6.5% रहने का अनुमान है।

विश्व आर्थिक परिदृश्य

  • परिचय: WEO अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा तैयार की जाने वाली एक प्रमुख रिपोर्ट है, जो अप्रैल और अक्टूबर में अर्द्धवार्षिक रूप से प्रकाशित होती है।
    • फोकस: इसके द्वारा वैश्विक अर्थव्यवस्था और अलग-अलग देशों के लिये विश्लेषण और अनुमान निर्धारित होते हैं।
    • उद्देश्य: आर्थिक विकास का आकलन करना, प्रवृत्तियों की पहचान करना और नीतिगत सिफारिशें प्रस्तुत करना।
  • पहलू:
    • आर्थिक विकास अनुमान: वैश्विक और क्षेत्रीय आर्थिक प्रदर्शन के लिये पूर्वानुमान।
    • मुद्रास्फीति के रुझान: मुद्रास्फीति दरों और उनके निहितार्थों पर अंतर्दृष्टि।
    • वित्तीय स्थिरता मूल्यांकन: वित्तीय प्रणालियों और बाज़ारों के लिये जोखिमों का मूल्यांकन।
  • महत्त्व:
    • यह रिपोर्ट नीति निर्माताओं, शोधकर्त्ताओं और निवेशकों के लिये आर्थिक परिदृश्य को समझने और उसमें मार्गदर्शन करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करती है।

WEO रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या हैं?

  • भारत विशिष्ट निष्कर्ष:
    • विकास अनुमान: इसने चालू वित्त वर्ष के लिये भारत में 7% की संवृद्धि का अनुमान लगाया, जो वित्त वर्ष 2023-24 के 8.2% से कम है।
      • इस गिरावट का कारण महामारी के बाद मांग में कमी आना है
    • मुद्रास्फीति: भारत में हेडलाइन मुद्रास्फीति (किसी अर्थव्यवस्था में कुल मुद्रास्फीति दर, जिसमें सभी श्रेणियों की वस्तुएँ और सेवाएँ शामिल हैं) में कमी आने की उम्मीद है, जिसके वित्त वर्ष 2024-25 में 4.4% और वित्त वर्ष 2025-26 में 4.1% रहने का अनुमान है। 
      • यह महामारी के दौरान चरम पर पहुँचने के बाद मुद्रास्फीति में कमी आने के वैश्विक रुझान के अनुरूप है।
    • घरेलू मांग: वैश्विक मंदी के बावजूद, भारत की खपत और निवेश की गति मज़बूत बनी हुई है, जिसे घरेलू नीतियों और अनुकूल निवेश माहौल का समर्थन प्राप्त है। 
      • हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मज़बूत घरेलू मांग के कारण चालू वित्त वर्ष के लिये अपने संवृद्धि अनुमान को 7.2% पर बनाए रखा है।
      • ये कारक बाह्य असंतुलन के माध्यम से भारत की विकास गति को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
  • वैश्विक संवृद्धि अनुमान: 
    • वर्ष 2024 और 2025 में वैश्विक संवृद्धि 3.2% पर स्थिर रहने का अनुमान है। 
      • IMF के अनुसार अमेरिकी अर्थव्यवस्था की संवृद्धि दर वर्ष 2024 में 2.8% और वर्ष 2025 में 2.2% रहेगी जबकि चीन की अर्थव्यवस्था वर्ष 2024 में 4.8% और वर्ष 2025 में 4.5% बढ़ने की उम्मीद है।
    • क्षेत्रीय बदलाव: महामारी के कारण वस्तुओं की कीमतें सेवाओं की तुलना में अधिक बनी हुई हैं और वैश्विक स्तर पर सेवाओं की मांग में बदलाव की उम्मीद है।
      • वैश्विक ऑटोमोटिव उद्योग में परिवर्तन हो रहा है क्योंकि यह इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की ओर रुख कर रहा है, जिससे उत्सर्जन में कमी आएगी। लेकिन इससे पूंजी-गहन विनिर्माण क्षेत्रों में रोज़गार का नुकसान हो सकता है।

IMF क्या है?

  • परिचय:
    • अंतर्राष्ट्रीय संगठन: वैश्विक आर्थिक विकास और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देता है।
    • यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करने के साथ गरीबी कम करने पर केंद्रित है।
    • स्थापना: वर्ष 1944 में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के बाद।
  • प्राथमिक लक्ष्य:
    • प्रारंभ में इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक समन्वय को बढ़ावा देना था ताकि निर्यात को बढ़ावा देने के लिये देशों को मुद्रा अवमूल्यन करने से रोका जा सके।
  • विकास:
    • गंभीर मुद्रा संकट का सामना कर रहे देशों के लिये अंतिम उपाय के रूप में ऋण प्रदान करना
  • IMF की रिपोर्ट:
    • वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट
    • विश्व आर्थिक परिदृश्य

WEO रिपोर्ट में किन चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है?

  • वैश्विक आर्थिक मंदी: वृद्ध होती आबादी, कमजोर निवेश और धीमी उत्पादकता वृद्धि के कारण मध्यम अवधि के वैश्विक विकास अनुमान कमज़ोर बने हुए हैं।
    • भू-आर्थिक विखंडन और व्यापार तनाव से वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं और बाज़ार दक्षता के समक्ष जोखिम पैदा होते हैं।
  • सुधारों के प्रति सामाजिक प्रतिरोध: आवश्यक संरचनात्मक सुधारों के लिये भी अक्सर सार्वजनिक प्रतिरोध देखने को मिलता है, जो आमतौर पर आर्थिक चिंताओं के बजाय अविश्वास, गलत सूचना और व्यवहार संबंधी कारकों से उत्पन्न होता है।
  • राजकोषीय बाधाएँ और ऋण: ऊँचे ऋण स्तरों (विशेष रूप से निम्न आय वाले और उभरते बाज़ार वाले देशों में) के आलोक में राजकोषीय संकट से बचने के लिये बेहतर ऋण प्रबंधन की आवश्यकता है।
  • जलवायु और ऊर्जा परिवर्तन: स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तन आवश्यक है लेकिन इसके लिये पर्याप्त निवेश और समर्थन की आवश्यकता है, जो राजकोषीय का सामना कर रही कई अर्थव्यवस्थाओं के लिये चुनौतीपूर्ण है।

WEO रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें क्या हैं?

  • संरचनात्मक सुधार: नीति निर्माताओं को उत्पादकता संबंधी बाधाओं को दूर करने तथा दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देने के लिये स्वास्थ्य, शिक्षा, श्रम बाज़ार और डिजिटलीकरण में सुधारों को प्राथमिकता देनी चाहिये।
  • सामाजिक स्वीकार्यता ढाँचा: प्रभावी सुधार में लोक परामर्श को शामिल किया जाना चाहिये, विश्वास का निर्माण किया जाना चाहिये और सामाजिक स्वीकृति को बढ़ावा देने के लिये स्पष्ट संचार सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
  • राजकोषीय नीति समायोजन: देशों को ऋण स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये क्रमिक और विश्वसनीय राजकोषीय समायोजन की आवश्यकता है। 
    • विकास को समर्थन देने के लिये सार्वजनिक निवेश (विशेषकर डिजिटल और बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों में) जारी रखना चाहिये।
  • जलवायु लचीलापन और हरित क्षेत्र में निवेश: जलवायु वित्तपोषण का विस्तार (विशेष रूप से कमज़ोर देशों के लिये) करना चाहिये तथा विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप हरित सब्सिडी के साथ कार्बन मूल्य निर्धारण नीतियों को लागू करना चाहिये जो हरित संक्रमण को आगे बढ़ाने हेतु प्रमुख कदम है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भारत की विकास दर में लचीलापन देखने को मिलता है। विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट के संदर्भ में, भारत के आर्थिक अनुमानों को आकार देने वाले आंतरिक एवं बाह्य कारकों पर चर्चा कीजिये।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

Q. 'वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट' किसके द्वारा तैयार की जाती है? (2016)

(a) यूरोपीय सेंट्रल बैंक
(b) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
(c) अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक
(d) आर्थिक सहयोग और विकास संगठन

उत्तर: (B)