विश्व विकास रिपोर्ट 2023 | 28 Apr 2023

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व बैंक, विश्व विकास रिपोर्ट, खाड़ी सहयोग परिषद (GCC)

मेन्स के लिये:

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ, चुनौतियाँ, अनुशंसाएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व बैंक ने विश्व विकास रिपोर्ट 2023: प्रवासी, शरणार्थी और समाज (World Development Report 2023: Migrants, Refugees & Societies) प्रकाशित की है।

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में रहने वाले लोगों की आय में 40% की वृद्धि की तुलना में काम के लिये दूसरे देश में प्रवास करने वाले भारतीयों की आय में 120% की वृद्धि हो सकती है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

  • आय में वृद्धि: अमेरिका में प्रवास करने वाले कम कुशल भारतीय नागरिकों की आय में लगभग 500% की वृद्धि देखी गई, इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात में इसमें लगभग 300% की वृद्धि देखने को मिली है।
    • संयुक्त अरब अमीरात के अतिरिक्त खाड़ी सहयोग परिषद के देशों में प्रवास करने वालों को कम लाभ होगा।
  • वैश्विक प्रवासन और शरणार्थियों का अवलोकन: वर्तमान में वैश्विक स्तर पर प्रवासियों की संख्या 184 मिलियन है, जो जनसंख्या का 2.3% है, जिसमें 37 मिलियन शरणार्थी शामिल हैं।
  • प्रवासी चार प्रकार के होते हैं:
  • कुशल आर्थिक प्रवासी (उदाहरण के लिये अमेरिका में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवर अथवा GCC देशों में निर्माण कार्य से जुड़े श्रमिक)।
  • कौशल वाले शरणार्थी जिनकी मांग है (जैसे- तुर्किये में सीरियाई उद्यमी)।
  • व्यथित प्रवासी (उदाहरण के लिये संयुक्त राष्ट्र दक्षिणी सीमा पर कुछ अकुशल प्रवासी)।
  • शरणार्थी (जैसे- बांग्लादेश में रोहिंग्या)।

  • शीर्ष प्रवासन कॉरिडोर: मैक्सिको-अमेरिका, चीन-अमेरिका, फिलीपींस-अमेरिका और कज़ाखस्तान-रूस के साथ भारत-अमेरिका, भारत-GCC और बांग्लादेश-भारत की पहचान विश्व स्तर पर शीर्ष प्रवास कॉरिडोर के रूप में की गई है।

  • प्रेषण (Rmittances) में वृद्धि: भारत, मैक्सिको, चीन और फिलीपींस सहित बड़ी प्रवासी आबादी वाले कुछ देशों में प्रेषण में वृद्धि हुई है।
    • वित्त वर्ष 2021-22 में भारत को 89,127 मिलियन अमेरिकी डॉलर के रूप में अब तक का सर्वाधिक विदेशी आवक प्रेषण प्राप्त हुआ।
    • वर्ष 2021 में कुल वैश्विक अनुमानित प्रेषण 781 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था जो वर्ष 2022 में बढ़कर 794 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
  • कामकाजी उम्र के वयस्कों में गिरावट: आगामी कुछ दशकों में कई देशों में कामकाजी उम्र के वयस्कों की हिस्सेदारी में तेज़ी से गिरावट आने की संभावना है।
    • स्पेन में 21वीं सदी के अंत तक कामकाजी व्यक्तियों की संख्या में एक-तिहाई से अधिक की गिरावट आने की संभावना है।

संबद्ध चिंताएँ:

  • वैश्विक असमानताएँ: विश्व बैंक के अनुसार, वास्तविक कमाई, रोज़गार की संभावनाओं, जनसांख्यिकीय रुझान और जलवायु लागत के संदर्भ में राष्ट्रों के बीच एवं राष्ट्रों के भीतर काफी अंतर है। परिणामस्वरूप प्रवासन की चुनौतियाँ और भी व्यापक एवं गंभीर होती जा रही हैं।
  • नागरिकता का अभाव: बड़ी संख्या में लोगों के पास, जहाँ वे रहते हैं, उस देश की नागरिकता नहीं है। वैश्विक प्रवासी आबादी का आधे से भी कम लगभग 43% निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।
  • यह राज्यहीनता की समस्या के वैश्विक प्रकृति को रेखांकित करता है और इसका हल निकालने के लिये कार्रवाई की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
  • व्यथित प्रवास: कुछ प्रवासी वांछित कौशल के बिना ही दूसरे देश चले जाते हैं। इस प्रकार की गतिविधियाँ अक्सर व्यथित और विकट परिस्थितियों के कारण होती हैं।

आगे की राह

  • मेल-उद्देश्य (Match-Motive) फ्रेमवर्क:
    • "मैच" शब्द की व्याख्या श्रम अर्थशास्त्र में मिलती है और इसमें इस बात पर ध्यान ध्यान दिया जाता है कि प्रवासियों के कौशल और संबंधित विशेषताएँ गंतव्य देशों की आवश्यकताओं से कितनी अच्छी तरह सुमेलित हैं।
    • "मोटिव" उन परिस्थितियों को संदर्भित करता है जिसके तहत एक व्यक्ति अवसर की तलाश में आगे बढ़ता है।
    • यह इस बात को निर्धारित करता है कि प्रवासन से प्रवासियों, मूल देशों और गंतव्य देशों को किस हद तक लाभ होता है: मेल जितना मज़बूत होगा, लाभ उतना ही बड़ा होगा।
  • प्रवासन को रणनीतिक रूप से प्रबंधित करना:
    • मूल देशों को श्रमबल प्रवासन को अपनी विकास रणनीति का एक स्पष्ट हिस्सा बनाने की आवश्यकता है।
  • कौशल मांग और सामाजिक समावेशिता को संतुलित करना:
    • जिन राष्ट्रों में अप्रवासी जा रहे हैं, उन क्षेत्रों में अप्रवासन को बढ़ावा देना चाहिये जहाँ उनके कौशल की मांग अधिक है, उनके लिये समावेशन को सरल बनाना चाहिये और उनके नागरिकों पर पड़ने वाले किसी भी प्रकार के सामजिक प्रभाव से निपटने का प्रयास करना चाहिये।
  • सुरक्षा सुनिश्चित करना:
    • शरणार्थियों को इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा प्रदान करना चाहिये जो आर्थिक और सामाजिक रूप से टिकाऊ हो क्योंकि अधिकांश शरणार्थी स्थितियाँ कई वर्षों तक बनी रहती हैं।
  • सीमा पार संबंधों को अलग तरीके से प्रबंधित करना:
    • गंतव्य क्षेत्रों में अर्थव्यवस्थाओं की ज़रूरतों के साथ प्रवासियों के कौशल और विशेषताओं के मेल को मज़बूत करने के लिये द्विपक्षीय सहयोग का उपयोग किया जा सकता है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

मेन्स:

प्रश्न. पिछले चार दशकों में भारत के भीतर और भारत के बाहर श्रमिक प्रवासन की प्रवृत्तियों में परिवर्तन पर चर्चा कीजिये। (2015)

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया