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जैव विविधता और पर्यावरण

वन्यजीव तस्करी एवं संगठित अपराध का संबंध, WJC रिपोर्ट

  • 02 Nov 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध वन्यजीव व्यापार, अवैध रेत खनन, संगठित अपराध, पैंगोलिन, गैंडे का अवैध शिकार

मेन्स के लिये:

संगठित अपराध और वन्यजीव तस्करी, रेत खनन, वन्यजीव संरक्षण

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों?

संगठित अपराध से निपटने हेतु समर्पित एक गैर-लाभकारी संगठन, वन्यजीव न्याय आयोग (Wildlife Justice Commission- WJC) ने एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसका शीर्षक है संगठित अपराध के अन्य रूपों के साथ वन्यजीव अपराध का अभिसरण: 2023 की समीक्षा (Convergence of Wildlife Crime with Other Forms of Organised Crime: A 2023 Review)।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • वन्यजीव अपराध और संगठित अपराध में वृद्धि:
    • रिपोर्ट वन्यजीव तस्करी और संगठित अपराध के विभिन्न रूपों के बीच मज़बूत संबंधों को उजागर करती है।
      • इन कनेक्शनों में संरक्षण रैकेट, ज़बरन वसूली, हत्या, मनी लॉन्ड्रिंग, अवैध ड्रग्स, कर अपवंचन और भ्रष्टाचार शामिल हैं।
  • अवैध रेत खनन:
    • पहली बार रिपोर्ट अवैध रेत खनन को एक पर्यावरणीय अपराध के रूप में पहचानती है।
      • रेत, एक कच्चा माल तथा विश्व में दूसरा सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला संसाधन है जिसका उपयोग कंक्रीट, डामर एवं काँच बनाने के लिये किया जाता है।
      • प्रत्येक वर्ष लगभग 40-50 बिलियन टन रेत संसाधनों का दोहन किया जाता है, लेकिन उनके निष्कर्षण का प्रबंधन कई देशों में अनुपयुक्त तरीके से नियंत्रित और प्रबंधित होता है।
    • रिपोर्ट अनियमित रेत निष्कर्षण के प्रतिकूल प्रभावों पर प्रकाश डालती है, जो विश्व स्तर पर एक महत्त्वपूर्ण कच्चा माल है।
    • रेत खनन का पर्यावरणीय प्रभाव:
      • अंधाधुंध रेत खनन से क्षरण होता है, जिससे समुदायों और उनकी आजीविका पर नकारात्मक र्रोप से प्रभाव पड़ता है।
      • इसके कारण जलभृतों, तूफान से संरक्षण, डेल्टा, मीठे जल और समुद्री मत्स्यपालन, भूमि उपयोग तथा जैवविविधता पर गंभीर परिणाम देखे जाते हैं।
    • हिंसक रेत माफियाओं की संलिप्तता:
      • रिपोर्ट इस बात पर भी बल देती है कि अवैध रेत-खनन कार्य प्रायः हिंसक रेत माफियाओं द्वारा संचालित किये जाते हैं।
      • रिपोर्ट में उदाहरण के तौर पर उन व्यक्तियों की भी पहचान की गई है, जो अवैध रेत खनन का विरोध करने के कारण मारे गए, जिनमें पत्रकार, कार्यकर्त्ता और सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं।
      • इस तरह की घटनाएँ न केवल भारत में बल्कि इंडोनेशिया, केन्या, गाम्बिया, दक्षिण अफ्रीका और मैक्सिको सहित अन्य देशों में भी दर्ज की गईं।
  • मामले का अध्ययन:
    • वर्ष 2021 के 12 मामलों के अध्ययन के अलावा रिपोर्ट में दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और मध्य अमेरिका से तीन मामलों को दर्ज किया गया है।
      • पहले मामले के अध्ययन में दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका में पैंगोलिन शल्क, अवैध रेत खनन, सुरक्षा रैकेट एवं गजदंत (हाथी दाँत) जैसी वस्तुओं के अपयोजन को दर्शाया गया है।
      • अफ्रीका के दूसरे मामले में भ्रष्टाचार, गैंडे का अवैध शिकार और मनी लॉन्ड्रिंग के बीच अंतर्निहित अभिसरण शामिल था।
      • मध्य अमेरिका के तीसरे अध्ययन में नशीली दवाओं की तस्करी के नेटवर्क और समुद्री खीरा/ सी-क्युकम्बर तथा शार्क से जुड़े समुद्री भोजन व्यवसायों के बीच लेन-देन संबंधी अभिसरण पाया गया, जो अवैध दवाओं की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, कर अपवंचन और भ्रष्टाचार से गहनता से जुड़ा हुआ है।
  • कानून प्रवर्तन और नीति निर्माताओं का मार्गदर्शन:
    • यह रिपोर्ट वन्यजीवों की तस्करी की बढ़ती गंभीरता पर प्रकाश डालती है, साथ ही गंभीर आपराधिक गतिविधियों से निपटने में महत्त्वपूर्ण हो सकती है।
      • सामान्य तौर पर संगठित अपराध एवं वन्यजीव अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये अपराध अभिसरण पर अच्छी तरह से शोध किया जाना चाहिये और इसे रणनीति में शामिल किया जाना चाहिये।
    • रिपोर्ट का उद्देश्य टाइपोलॉजी एवं रणनीतियाँ प्रदान करना है ताकि अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने के प्रयासों में कानून प्रवर्तन और नीति निर्माताओं को मदद मिल सके।

संगठित अपराध:

  • परिचय:
    • संगठित अपराध गतिविधियाँ आर्थिक या अन्य लाभ प्राप्त करने के इरादे से किसी गिरोह या सिंडिकेट के सदस्यों द्वारा संयुक्त रूप से या अलग-अलग किये गए कार्यों को संदर्भित करती हैं।
  • संगठित अपराध के प्रकार:
    • संगठित गिरोहों की आपराधिकता, रैकेटियरिंग, सिंडिकेट अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी, साइबर अपराध, मानव तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, हिंसा, लोगों की तस्करी, ज़बरन वसूली, जालसाज़ी।
    • ये कानून प्रवर्तन और विनियमों में कमियों का फायदा उठाकर गुप्त रूप से काम करते हैं।
  • संगठित अपराध पर भारत में वैधानिक स्थिति:
    • भारत में राष्ट्रीय स्तर पर संगठित अपराध से निपटने के लिये कोई विशिष्ट कानून नहीं है। मौजूदा कानून, जैसे कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 एवं स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 अपर्याप्त हैं क्योंकि वे व्यक्तियों को लक्षित करते हैं, न कि आपराधिक समूहों या उद्यमों को।
    • गुजरात (गुजरात संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम, 2015), कर्नाटक (कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम, 2000) और उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम, 2017) जैसे राज्यों ने संगठित अपराध से निपटने के लिये अपने कानून बनाए हैं। 
    • इसके अतिरिक्त भारत कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और संधियों का हस्ताक्षरकर्त्ता है, जैसे:

मेन्स वैल्यू एडीशन: वन्यजीव अपराध से निपटने में हिम्मता राम भंभू का योगदान।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. वाणिज्य में प्राणिजात और वनस्पति-जात के व्यापार-संबंधी विश्लेषण (ट्रेड रिलेटेड एनालिसिस ऑफ फौना एंड फ्लौरा इन कॉमर्स/TRAFFIC) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. TRAFFIC, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के अंतर्गत एक ब्यूरो है।
  2. TRAFFIC का मिशन यह सुनिश्चित करना है कि वन्य पादपों और जंतुओं के व्यापार से प्रकृति के संरक्षण को खतरा न हो।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • वाणिज्य में जीव-जंतुओं और वनस्पतियों का व्यापार संबंधी विश्लेषण (ट्रैफिक), वन्यजीव व्यापार निगरानी नेटवर्क, वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) और आईयूसीएन - इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर का एक संयुक्त कार्यक्रम है। इसकी स्थापना 1976 में हुई थी। यह यू.एन.ई.पी. के तहत कार्यरत एक ब्यूरो नहीं है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • TRAFFIC यह सुनिश्चित करने के लिये कार्य करता है कि जंगली पौधों और जानवरों का व्यापार प्रकृति के संरक्षण के लिये खतरा नहीं है। अतः कथन 2 सही है।
  • TRAFFIC बाघ के अंगों, हाथी दाँत और गैंडे के सींग जैसे नवीनतम विश्व स्तर पर ज़रूरी प्रजातियों के व्यापार के मुद्दों पर संसाधनों, विशेषज्ञता एवं जागरूकता का लाभ उठाने पर केंद्रित है। लकड़ी और मत्स्यपालन उत्पादों जैसी वस्तुओं में बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक व्यापार को भी संबोधित किया जाता है तथा तेज़ी से परिणाम विकसित करने एवं नीतिगत सुधार के कार्य से जोड़ा जाता है। इसलिये विकल्प (b) सही उत्तर है।

मेन्स:

प्रश्न. तटीय बालू खनन, चाहे वैध हो अथवा अवैध, हमारे पर्यावरण के सामने सबसे बड़े खतरों में से एक है। भारतीय तटों पर हो रहे बालू खनन के प्रभाव का विशिष्ट उदाहरणों का हवाला देते हुए विश्लेषण कीजिये। (2019)

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