प्रकृति प्रेमी, पर्यावरण-संरक्षणवादी और पर्यावरणविद् हिम्मताराम भांभू को वर्ष 2020 में पद्मश्री से सम्मानितकिया गया।
सामाजिक कार्य
वह पिछले 25 वर्षों से राजस्थान के नागौर, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, सीकर, अजमेर आदि जैसे निर्वन ज़िलों में वृक्ष लगाने, उनका संरक्षण करने और लोगों को प्रकृति संरक्षण के लिये प्रेरित करते आ रहे हैं।
उन्होंने काले हिरण/कृष्णमृग, चिंकारा, मोर की अवैध तस्करी एवं शिकार के उन्मूलन के लिये भी सक्रिय रूप से कार्य किया है।
वर्ष 2013 से वह ग्रीन इंडिया मिशन के लिये महावीर इंटरनेशनल संस्थान नागौर से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने एक अद्वितीय एकीकृत कृषि-वानिकी वृक्षारोपण और जैवविविधता संरक्षण केंद्र विकसित किया है।
राजस्थान के हरिमा गाँव में उनके द्वारा विकसित किया गया हरित क्षेत्र मोर, चिंकारा और अन्य विभिन्न दुर्लभ जंगली पक्षियों तथा जानवरों के लिये एक अद्वितीय पुनर्वास केंद्र बन गया है।
पर्यावरण संरक्षण के लिये उन्हें वर्ष 1999 में यूनेस्को द्वारा सम्मानित किया गया था और वह राजीव गांधी पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार-2014 के पुरस्कार विजेता भी हैं।