"दूसरों के साथ अपने व्यवहार में दया, सहानुभूति और करुणा की शक्ति को कभी कम मत समझिए।"
– रतन टाटा (28 दिसंबर 1937 - 09 अक्तूबर 2024)
टाटा समूह के पूर्व एमेरिटस चेयरमैन रतन टाटा ने समूह को विश्वव्यापी ताकत में परिवर्तन करने में निर्णायक भूमिका, जिससे उद्योग और समाज दोनों पर स्थायी प्रभाव पड़ा। उनकी परिवर्तनकारी नेतृत्व शैली सर्वविदित है, जैसा कि व्यवसाय और परोपकार संबंधी कार्यों में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों से स्पष्ट है।
सर रतन टाटा के नेतृत्व के प्रमुख उपक्रमों और युक्तिपूर्ण अर्जन के माध्यम से टाटा समूह का देश और साथ ही वैश्विक स्तर पर महत्त्वपूर्ण विस्तार हुआ:
सर रतन टाटा का योगदान मात्र कॉर्पोरेट जगत तक ही सीमित नहीं था। उनकी परोपकार और समाज कल्याण के लिये अटूट प्रतिबद्धता थी और परोपकारी कार्यों के लिये वह टाटा समूह के लाभ अर्जन के एक महत्त्वपूर्ण भाग का संदान किया करते थे।
सर रतन टाटा की विरासत दिव्यदर्शी नेतृत्व, व्यावसाय की परिवर्तनकारी कार्य नीतियाँ और सामाज के प्रति अविचल उत्तरदायित्व द्वारा अभिलक्षित होती है। उनके अभिनव विचारों और परोपकारी प्रयासों के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज दोनों पर एक स्थायी प्रभाव पड़ा। व्यावसायिक सफलता और समाज कल्याण के बीच संतुलन स्थापित करने का उनका दृष्टिकोण संबद्ध क्षेत्र की भावी पीढ़ियों के लिये प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
पुरस्कार एवं सम्मान |
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वर्ष |
पुरस्कार |
पुरस्कार प्रदाता |
2000 |
पद्म भूषण |
भारत सरकार |
2007 |
कार्नेगी मेडल ऑफ फिलान्थ्रॉपी |
कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस |
2008 |
पद्म विभूषण |
भारत सरकार |
2008 |
ऑनरी सिटिज़न अवॉर्ड |
सिंगापुर सरकार |
2023 |
उद्योग रत्न |
महाराष्ट्र सरकार |
2023 |
ऑनरी ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया |
किंग चार्ल्स तृतीय |