"दूसरों के साथ अपने व्यवहार में दया, सहानुभूति और करुणा की शक्ति को कभी कम मत समझिए।"
– रतन टाटा (28 दिसंबर 1937 - 09 अक्तूबर 2024)
टाटा समूह के पूर्व एमेरिटस चेयरमैन रतन टाटा ने समूह को विश्वव्यापी ताकत में परिवर्तन करने में निर्णायक भूमिका, जिससे उद्योग और समाज दोनों पर स्थायी प्रभाव पड़ा। उनकी परिवर्तनकारी नेतृत्व शैली सर्वविदित है, जैसा कि व्यवसाय और परोपकार संबंधी कार्यों में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों से स्पष्ट है।
- 1961 में अपने कॅरियर की शुरुआत में उन्होंने जमशेदपुर स्थित टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम करते हुए प्रारंभिक स्तर से शुरुआत की।
- उनके नेतृत्व में, कंपनी की इस्पात, ऑटोमोबाइल, सूचना प्रौद्योगिकी और आतिथ्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार के साथ विस्तीर्ण संवृद्धि संभव हुई।
सर रतन टाटा के नेतृत्व के प्रमुख उपक्रमों और युक्तिपूर्ण अर्जन के माध्यम से टाटा समूह का देश और साथ ही वैश्विक स्तर पर महत्त्वपूर्ण विस्तार हुआ:
- टाटा इंडिका (1998): टाटा मोटर्स ने टाटा इंडिका पेश की जो भारत की देशज रूप से डिज़ाइन की गई पहली कार थी। इससे भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग में एक बड़ा परिवर्तन आया।
- टाटा नैनो (2008): टाटा ने 1 लाख रुपए की कीमत वाली टाटा नैनो के लॉन्च के साथ भारत के मध्यम वर्ग के लिये वहनीय कारें निर्मित करने की परिकल्पना को सिद्ध किया। इस नवप्रवर्तन का उद्देश्य भारत के लाखों परिवारों के लिये वाहन का क्रय करना सुलभ बनाना था।
- वैश्विक अधिग्रहण: उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने कई उच्च-स्तरीय वैश्विक अधिग्रहण किये, जिनमें शामिल हैं:
- यूनाइटेड किंगडम की टेटली चाय, जगुआर लैंड रोवर, कोरस स्टील का स्वामित्व अर्जित किया गया।
सर रतन टाटा का योगदान मात्र कॉर्पोरेट जगत तक ही सीमित नहीं था। उनकी परोपकार और समाज कल्याण के लिये अटूट प्रतिबद्धता थी और परोपकारी कार्यों के लिये वह टाटा समूह के लाभ अर्जन के एक महत्त्वपूर्ण भाग का संदान किया करते थे।
- टाटा ट्रस्ट्स: उनके नेतृत्व में, भारत के सबसे बड़े परोपकारी संगठनों में से एक टाटा ट्रस्ट्स द्वारा समूह के लाभ का 65% अंशदान शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण विकास पर केंद्रित उपक्रमों के लिये किया गया।
- कोविड-19 राहत: वर्ष 2021 में, टाटा ने कोविड-19 महामारी की रोकथाम करने भारत के प्रयासों में सहायता प्रदान करने हेतु 500 करोड़ रुपए का दान दिया, जो संकट के समय में राष्ट्रीय कल्याण के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का दर्शाता है।
- वैश्विक परोपकार: टाटा की उदारता विश्व स्तर पर व्याप्त है और उन्होंने अपनी मातृ संस्था हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एक कार्यकारी केंद्र की स्थापना हेतु 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर का दान भी किया, जो दर्शाता है कि भावी पीढ़ियों को आकार देने में शिक्षा की क्षमता में उनका सुदृढ़ विश्वास था।
- स्वास्थ्य सेवा पहल: टाटा ने कोलकाता में टाटा मेडिकल सेंटर की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो एक विश्व स्तरीय सुविधा है और विशेष रूप से अल्पसुविधा प्राप्त समुदायों को वहनीय कैंसर उपचार प्रदान करती है।
- वर्ष 2008 के मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के बाद, टाटा ने पीड़ितों और उनके परिवारों की सहायता के लिये ताज पब्लिक सर्विस वेलफेयर ट्रस्ट की भी स्थापना की।
- पशु कल्याण: रतन टाटा आजीवन पशु कल्याण के पक्षधर रहे हैं। टाटा समूह के मुख्यालय, बॉम्बे हाउस में, उन्होंने सुनिश्चित किया कि आवारा पशुओं को अच्छी तरह से सुसज्जित केनेल (श्वानशाला) की सुविधा मिले और परिसर में उनका स्वतंत्र आवागमन सुनिश्चित हो।
- उनकी अंतिम बड़ी पहल 2024 के मध्य में मुंबई में एक अत्याधुनिक पशु अस्पताल स्थापित करना था, जो 24/7 आपातकालीन देखभाल प्रदान करता है।
एक दिव्यदर्शी पथप्रदर्शक जिसकी विरासत चिरस्थायी है
सर रतन टाटा की विरासत दिव्यदर्शी नेतृत्व, व्यावसाय की परिवर्तनकारी कार्य नीतियाँ और सामाज के प्रति अविचल उत्तरदायित्व द्वारा अभिलक्षित होती है। उनके अभिनव विचारों और परोपकारी प्रयासों के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज दोनों पर एक स्थायी प्रभाव पड़ा। व्यावसायिक सफलता और समाज कल्याण के बीच संतुलन स्थापित करने का उनका दृष्टिकोण संबद्ध क्षेत्र की भावी पीढ़ियों के लिये प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
पुरस्कार एवं सम्मान
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वर्ष
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पुरस्कार
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पुरस्कार प्रदाता
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2000
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पद्म भूषण
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भारत सरकार
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2007
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कार्नेगी मेडल ऑफ फिलान्थ्रॉपी
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कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस
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2008
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पद्म विभूषण
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भारत सरकार
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2008
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ऑनरी सिटिज़न अवॉर्ड
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सिंगापुर सरकार
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2023
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उद्योग रत्न
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महाराष्ट्र सरकार
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2023
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ऑनरी ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया
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किंग चार्ल्स तृतीय
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