IMD द्वारा मौसम का अनुवीक्षण | 30 Jan 2024

प्रिलिम्स के लिये:

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), INSAT 3D उपग्रह, INSAT 3DR उपग्रह, इन्फ्रारेड, चक्रवात, जल वाष्प, मेघ, तापमान, आर्द्रता, उष्णकटिबंधीय चक्रवात

मेन्स के लिये:

मौसम संबंधी स्थितियों का खुलासा करने में INSAT 3D और INSAT 3DR उपग्रहों का महत्त्व।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में "अत्यधिक घने कोहरे" की प्रबल संभावना के बारे में चेतावनी जारी की।

INSAT-3DR क्या है? 

  • परिचय: 
    • IMD मौसम पूर्वानुमान/अनुवीक्षण उद्देश्यों के लिये INSAT-3D और INSAT-3DR उपग्रह डेटा का उपयोग करता है।
      • INSAT-3DR, INSAT-3D के समान, भारत का एक उन्नत मौसम विज्ञान उपग्रह है जो एक इमेजिंग सिस्टम और एक वायुमंडलीय साउंडर (Atmospheric Sounder) के साथ कॉन्फिगर किया गया है।
        • एक वायुमंडलीय साउंडर मापता है कि हवा के एक स्तंभ के भौतिक गुण ऊँचाई के साथ कैसे बदलते हैं।
        • इसमें दीर्घ तरंगें (Longwave) से लेकर लघु तरंगें (Shortwave) बैंड और एक दृश्यमान बैंड तक कई इन्फ्रारेड चैनल (Infrared Channels) हैं।
    • INSAT-3DR में शामिल महत्त्वपूर्ण सुधार हैं:
      • कम ऊँचाई वाले मेघ और कोहरे की रात के समय की तस्वीरें प्रदान करने के लिये मध्य इन्फ्रारेड बैंड में इमेजिंग।
      • बेहतर सटीकता के साथ समुद्र की सतह के तापमान (SST) के आकलन के लिये दो थर्मल इन्फ्रारेड बैंड में इमेजिंग।
  • INSAT-3DR के इमेजिंग सिस्टम का तंत्र:
    • RGB (लाल, हरा, नीला) इमेजर: इन्सैट 3D उपग्रह पर RGB इमेजर से छवियों का रंग दो कारकों पर निर्भर करता है:
    • सौर परावर्तन: यह किसी सतह द्वारा परावर्तित सौर ऊर्जा की मात्रा और उस पर आपतित सौर ऊर्जा की मात्रा का अनुपात है।
    • प्रदीप्ति तापमान (Brightness Temperature): यह किसी पिंड के तापमान और उसकी सतह की प्रदीप्ति के बीच का संबंध है।
    • हिमपात और बादलों का पूर्वानुमान तथा अनुवीक्षण: 
      • हिम और बादल दृश्य स्पेक्ट्रम में समान सौर परावर्तन प्रदर्शित करते हैं।
        • हिम शॉर्टवेव इन्फ्रारेड के विकिरण को प्रबलता से अवशोषित करती है।
      • INSAT 3D और INSAT 3DR उपग्रह अपने RGB इमेजर के माध्यम से दिन तथा रात के माइक्रोफिज़िक्स मोड का उपयोग करते हैं।
      • दैनिक सूक्ष्म भौतिकी (Day Microphysics): INSAT 3D का डेटा तीन तरंग दैर्ध्य: 0.5 µm (दृश्य), 1.6 µm (शॉर्टवेव इन्फ्रारेड) और 10.8 µm (थर्मल इन्फ्रारेड) पर सौर परावर्तन का परीक्षण करता है।
        • दृश्य सिग्नल की प्रबलता हरे रंग की मात्रा निर्धारित करती है।
        • शॉर्टवेव इंफ्रारेड सिग्नल की प्रबलता, लाल रंग की मात्रा निर्धारित करती है।
        • थर्मल इन्फ्रारेड सिग्नल की प्रबलता, नीले रंग की मात्रा निर्धारित करती है।
      • रात्रि सूक्ष्म भौतिकी (Night Microphysics): उपग्रह के संचालन का यह घटक किसी एक से नहीं बल्कि दो संकेतों के बीच अंतर की प्रबलता का मूल्यांकन करके निर्धारित किया जाता है।
        • कंप्यूटर दो थर्मल इंफ्रारेड सिग्नलों के बीच के अंतर के आधार पर लाल रंग की मात्रा की गणना करता है।
        • हरे रंग की मात्रा थर्मल इन्फ्रारेड और मध्य इन्फ्रारेड सिग्नल के बीच अंतर के अनुसार भिन्न होती है।
        • नीले रंग की मात्रा किसी अंतर से उत्पन्न नहीं होती है बल्कि तरंगदैर्ध्य पर थर्मल इंफ्रारेड सिग्नल की प्रबलता से निर्धारित होती है।

  • तापमान, आर्द्रता और जलवाष्प का मापन:
    • दिन और रात के माइक्रोफिज़िक्स डेटा के संयोजन से विभिन्न आकार एवं नमी वाली बूंदों की उपस्थिति और समय के साथ तापमान के अंतर का निर्धारण किया जा सकता है।
    • यह चक्रवातों और अन्य मौसम की घटनाओं के निर्माण, वृद्धि तथा क्षरण का अनुवीक्षण करने में सहायक है।
    • INSAT 3D और INSAT 3DR दोनों अपने वर्णक्रमीय मापन के लिये रेडियोमीटर का उपयोग करते हैं।
      • रेडियोमीटर एक उपकरण है जो तापमान या वैद्युत गतिविधि का मापन करता है। दोनों उपग्रहों पर वायुमंडलीय साउंडर्स भी हैं।
      • ये ऐसे उपकरण हैं जो तापमान और आर्द्रता को मापते हैं तथा ज़मीन से इनकी ऊँचाई के आधार पर जलवाष्प का अध्ययन करते हैं।

मौसम पूर्वानुमान के अन्य तरीके क्या हैं?

  • उपग्रह डेटा पर नज़र रखने के अतिरिक्त IMD स्वचालित मौसम स्टेशनों (Automatic Weather Stations- AWS), एक वैश्विक दूरसंचार प्रणाली (Global Telecommunication System- GTS) के माध्यम से भूमि-आधारित अवलोकन के लिये ISRO के साथ सहयोग करता है जो तापमान, सूर्य के प्रकाश, वायु की दिशा, गति तथा आर्द्रता को मापता है।
  • वर्ष 2021 में IMD ने मौजूदा दो-चरण पूर्वानुमान रणनीति को संशोधित करके दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा के लिये मासिक तथा मौसमी परिचालन पूर्वानुमान जारी करने के लिये एक नई रणनीति अपनाई।
    • नई रणनीति मौजूदा सांख्यिकीय पूर्वानुमान प्रणाली और नव विकसित ‘मल्टी-मॉडल एन्सेम्बल’ (MME) आधारित पूर्वानुमान प्रणाली पर आधारित है।
    • MME दृष्टिकोण IMD के ‘मॉनसून मिशन क्लाइमेट फोरकास्टिंग सिस्टम’ (MMCFS) मॉडल सहित विभिन्न वैश्विक जलवायु पूर्वानुमान और अनुसंधान केंद्रों से युग्मित वैश्विक जलवायु मॉडल (CGCM) का उपयोग करता है।
  • ये सभी तकनीकी प्रगति वर्ष 2012 में राष्ट्रीय मानसून मिशन (National Monsoon Mission- NMM) शुरू होने के बाद से संभव हुई।

भारत मौसम विज्ञान विभाग:

  • परिचय:
    • IMD की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। यह देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा है और मौसम विज्ञान एवं संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
      • यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
    • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
    • IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।
  • भूमिका तथा दायित्व:
    • कृषि, सिंचाई, नौवहन, विमानन, अपतटीय तेल अन्वेषण आदि जैसी मौसम-संवेदनशील गतिविधियों के इष्टतम संचालन के लिये मौसम संबंधी अवलोकन करना और वर्तमान एवं पूर्वानुमानित मौसम संबंधी जानकारी प्रदान करना।
    • उष्णकटिबंधीय चक्रवात, नॉर्थवेस्टर, धूल भरी आँधी, भारी बारिश और बर्फ, ठंड तथा ग्रीष्म लहरें आदि जैसी गंभीर मौसम की घटनाओं, जो जीवन एवं संपत्ति के विनाश का कारण बनती हैं, के प्रति चेतावनी देना।
    • कृषि, जल संसाधन प्रबंधन, उद्योगों, तेल की खोज और अन्य राष्ट्र-निर्माण गतिविधियों के लिये आवश्यक मौसम संबंधी आँकड़े प्रदान करना।
    • मौसम विज्ञान और संबद्ध विषयों में अनुसंधान का संचालन एवं प्रचार करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) अक्षांशों में दक्षिणी अटलांटिक और दक्षिण-पूर्वी प्रशांत क्षेत्रों में चक्रवात उत्पन्न नहीं होता। इसके क्या कारण हैं? (2015) 

(a) समुद्री पृष्ठों के तापमान निम्न होते हैं
(b) अंतःउष्णकटिबंधीय अभिसारी क्षेत्र (इंटर ट्रॉपिकल कन्वर्जेन्स ज़ोन) बिरले ही होते हैं
(c) कोरिऑलिस बल अत्यंत दुर्बल होता है
(d) उन क्षेत्रों में भूमि मौजूद नहीं होती

उत्तर: (b) 

व्याख्या: 

  • दक्षिण अटलांटिक और दक्षिण-पूर्वी प्रशांत महासागर में चक्रवातों की कमी का सबसे प्रमुख कारण इस क्षेत्र में अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) की दुर्लभ घटना है।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति तब तक मुश्किल या लगभग असंभव हो जाती है, जब तक कि ITCZ द्वारा सिनॉप्टिक वोर्टिसिटी (यह क्षोभमंडल में एक दक्षिणावर्त या वामावर्त चक्रण है) और अभिसरण (यानी बड़े पैमाने पर चक्रण एवं तडित झंझा गतिविधि) उत्पन्न नहीं हो जाती है।

अतः विकल्प (b) सही उत्तर है


मेन्स:

प्रश्न. भारत के पूर्वी तट पर हाल ही में आए चक्रवात को "फाईलिन" कहा गया। विश्व भर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को कैसे नाम दिया जाता है? विस्तार से बताइये। (2013) 

प्रश्न. भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा चक्रवात प्रवण क्षेत्रों के लिये मौसम संबंधी चेतावनियों हेतु निर्धारित  रंग-संकेत के अर्थ पर चर्चा कीजिये।(2022)