जल तनाव, जलवायु परिवर्तन और निर्णायक मोड़ पर बच्चे | 20 Nov 2023
प्रिलिम्स के लिये:यूनिसेफ, जल तनाव, फाल्कनमार्क संकेतक, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय, लॉस एंड डैमेज फंड, बाल कुपोषण मेन्स के लिये:बच्चों से संबंधित मुद्दे और संभावित समाधान, जलवायु परिवर्तन एवं बच्चों पर इसका प्रभाव |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2022 में विश्व के लगभग आधे बच्चों को उच्च से अत्यधिक उच्च जल तनाव का सामना करना पड़ा।
- इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न विभिन्न जलवायु और पर्यावरणीय प्रभावों के कारण बच्चों का जीवन किस प्रकार प्रभावित कर रहा है।
रिपोर्ट की प्रमुख बातें क्या हैं?
- जल तनाव और जलवायु का बच्चों पर प्रभाव: वर्ष 2022 में 953 मिलियन बच्चों को उच्च या अत्यधिक उच्च जल तनाव का सामना करना पड़ा, जबकि 739 मिलियन ने जल की कमी का अनुभव किया और 436 मिलियन उच्च जल भेद्यता वाले क्षेत्रों में रहते थे।
- जलवायु परिवर्तन इन चुनौतियों को तीव्र कर रहा है, अनुमानों से संकेत मिलता है कि वर्ष 2050 तक 2 मिलियन से अधिक बच्चों को लगातार हीट वेव्स के प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है।
- जल भेद्यता में योगदान देने वाले कारक: इसमें अपर्याप्त पेयजल सेवाएँ, उच्च जल तनाव स्तर, अंतर-वार्षिक और मौसमी परिवर्तनशीलता, भूजल में गिरावट तथा सूखा शामिल हैं।
- बच्चों पर स्वास्थ्य और पोषण का प्रभाव: बाढ़ जैसी जलवायु संबंधी घटनाएँ सुरक्षित जल एवं स्वच्छता तक पहुँच को बाधित करती हैं, जिससे बच्चों में डायरिया जैसी बीमारियाँ होती हैं।
- बढ़ते तापमान और अनियमित वर्षा पैटर्न खाद्य उत्पादन को प्रभावित करते हैं, फसल की विफलता और खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण बाल कुपोषण की स्थिति बिगड़ती है।
- बाल-केंद्रित जलवायु कार्रवाई के लिये यूनिसेफ का आह्वान: यूनिसेफ ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय के लिये 28वें सम्मेलन (COP28) की गंभीरता पर ज़ोर दिया और जलवायु एजेंडा में बच्चों को प्राथमिकता देने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।
- अनुकूलन पर वैश्विक लक्ष्य (GGA) से संबंधित निर्णयों में बच्चों और जलवायु-लचीली आवश्यक सेवाओं को एकीकृत करने हेतु समर्थन।
- जलवायु-प्रभावित देशों का समर्थन करने के लिये लॉस एंड डैमेज फंड के अंतर्गत बाल-उत्तरदायी वित्तपोषण व्यवस्था एवं शासन की आवश्यकता पर ज़ोर देना।
जल तनाव क्या है?
- परिचय:
- जल तनाव 'वाटर स्ट्रेस' (Water Stress) एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है जिसमें जल की मांग इसकी उपलब्ध आपूर्ति से अधिक हो जाती है अथवा जब निम्न गुणवत्ता इसकी उपयोगिता को सीमित कर देती है।
- यदि किसी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष 1,000 क्यूबिक मीटर से कम जल उपलब्ध होता है तो उसे जल संकटग्रस्त माना जाता है।
- WRI रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ल्ड रिसोर्सेज़ इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्तर पर विश्व की कम-से-कम 50% आबादी वर्ष में कम-से-कम एक महीने के लिये अत्यधिक जल तनावग्रस्त परिस्थितियों में रहती है।
- वर्ष 2050 तक यह स्तर 60% के करीब पहुँच सकता है।
- जल तनाव के लिये उत्तरदायी कारक:
- यह स्थिति जनसंख्या वृद्धि, अकुशल संसाधन प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन एवं प्रदूषण जैसे कारकों के कारण उत्पन्न होती है, जिससे सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय आवश्यकताओं के लिये स्वच्छ पानी तक पहुँचने में चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं तथा कृषि, उद्योग और समग्र कल्याण प्रभावित होता है।
- फाल्कनमार्क इंडिकेटर अथवा जल तनाव सूचकांक:
- फाल्कनमार्क इंडिकेटर (जिसका उपयोग अमूमन विश्व भर में जल की कमी को मापने के लिये किया जाता है) अथवा जल तनाव सूचकांक किसी देश के कुल उपलब्ध जल संसाधनों को उसकी आबादी से जोड़कर उसके ताज़े जल के भंडार पर दबाव का अनुमान लगाता है।
- यह प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र की आवश्यकताओं को शामिल करते हुए जल संसाधनों पर पड़ने वाले दबाव को दर्शाता है। यदि किसी देश में प्रति व्यक्ति नवीकरणीय जल की मात्रा:
- 1,700 घन मीटर से कम हो तो माना जाता है कि वह देश जल तनाव (Water Stress) का सामना कर रहा है।
- 1,000 घन मीटर से कम हो तो माना जाता है कि वह देश जल की कमी (Water Scarcity) का सामना कर रहा है।
- 500 घन मीटर से कम हो तो माना जाता है कि वह देश जल की पूर्ण कमी (Absolute Water Scarcity) का सामना कर रहा है।
- बच्चों पर प्रभाव:
- स्वास्थ्य जोखिम: जल की कमी का सामना करने वाले क्षेत्रों में बच्चों को अक्सर स्वच्छ जल की अपर्याप्त पहुँच से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों का खामियाज़ा भुगतना पड़ता है।
- दूषित जल स्रोतों के उपयोग के कारण उनमें अतिसार, हैजा और पेचिश जैसी जलजनित बीमारियों की अधिक संभावना होती है।
- दीर्घकालिक विकासात्मक प्रभाव: महत्त्वपूर्ण विकासात्मक चरणों के दौरान दीर्घकालिक जल तनाव बच्चों के विकास, संज्ञानात्मक विकास और समग्र स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है, जो संभावित रूप से उनके भविष्य के अवसरों तथा जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
- लैंगिक भूमिकाओं पर प्रभाव: कई समाजों में लैंगिक भूमिकाएँ जल-संबंधी ज़िम्मेदारियों को निर्धारित करती हैं।
- जल की कमी अक्सर लड़कियों और महिलाओं पर असंगत बोझ डालती है, जिससे लड़कियों की शिक्षा प्रभावित होती है तथा लैंगिक असमानताएँ बनी रहती हैं।
- यह लैंगिक भूमिकाओं और सामाजिक अपेक्षाओं के विषय में बच्चों की धारणाओं को आकार दे सकता है।
- स्वास्थ्य जोखिम: जल की कमी का सामना करने वाले क्षेत्रों में बच्चों को अक्सर स्वच्छ जल की अपर्याप्त पहुँच से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों का खामियाज़ा भुगतना पड़ता है।
आगे की राह
- स्वच्छता शिक्षा कार्यक्रम: स्कूलों और समुदायों में व्यापक स्वच्छता शिक्षा कार्यक्रम विकसित करना। जलजनित बीमारियों से बचाव के लिये बच्चों को अच्छे से हाथ धोने, स्वच्छता प्रथाओं और व्यक्तिगत स्वच्छता के विषय में सिखाना।
- स्कूल-आधारित पहल: जल-बचत प्रथाओं को स्कूल पाठ्यक्रम में एकीकृत करना। जागरूकता बढ़ाने और स्कूलों में जल-बचत उपायों को लागू करने के लिये छात्र-नेतृत्व वाले जल संरक्षण क्लब का गठन या पहल करना।
- शिक्षा और जागरूकता: बच्चों में जागरूकता बढ़ाने के लिये जलवायु परिवर्तन शिक्षा को स्कूल के पाठ्यक्रम में एकीकृत करना। उन्हें जलवायु विज्ञान, स्थिरता और उन कार्यों के विषय में पढ़ाना जिनमें वे जलवायु परिवर्तन को कम करने तथा अनुकूलित करने हेतु भाग ले सकते हैं।
- बच्चों पर केंद्रित नीतियाँ: जलवायु परिवर्तन और जल तनाव की स्थिति में बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने वाली वैश्विक नीतियों तथा रूपरेखाओं को मज़बूत करना।
- अंतर्राष्ट्रीय समझौतों में बाल-केंद्रित दृष्टिकोण शामिल करना, यह सुनिश्चित करना कि उनकी आवाज़ सुनी जाए और संबंधित नीतियों में उनकी आवश्यकताओं पर विचार किया जाए।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. जल तनाव (Water Stress) क्या है? भारत में क्षेत्रीय स्तर पर यह कैसे और क्यों भिन्न है? (2019) प्रश्न. रिक्तीकरण परिदृश्य में विवेकी जल उपयोग के लिये जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपायों को सुझाइये। (2020) |