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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अमेरिकी विदेश मंत्री की भारत यात्रा

  • 29 Jul 2021
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जी-7, जी-20 , क्वाड, यूएस-इंडिया क्लाइमेट एंड क्लीन एनर्जी एजेंडा

मेन्स के लिये:

अमेरिकी विदेश मंत्री की भारत यात्रा का महत्त्व एवं लाभ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अपनी भारत यात्रा के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री ने उल्लेख किया कि भारत और अमेरिका की संयुक्त कार्रवाई 21वीं सदी को आकार देगी।

  • यह यात्रा भारत के विदेश मंत्री (EAM) की मई 2021 की अमेरिकी यात्रा का प्रतिफल है।
  • अमेरिकी विदेश मंत्री और भारत के विदेश मंत्री ने ब्रिटेन (जी-7 बैठक में) एवं इटली (जी-20 बैठक में) में भी विस्तृत बातचीत की।

प्रमुख बिंदु

प्रमुख चर्चाएँ:

  • अफगानिस्तान:
    • संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं है और देश पर बलपूर्वक कब्जा करने से तालिबान को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता या वैधता हासिल करने में मदद नहीं मिलेगी, जिसमें तालिबान नेतृत्त्व के खिलाफ प्रतिबंध और यात्रा प्रतिबंध हटाना शामिल है।
      • भारत ने उल्लेख किया है कि पाकिस्तान शांतिपूर्ण राजनीतिक समाधान हेतु आम सहमति स्थापित करने में अपवाद है।
    • अफगानिस्तान जो कि अपने लोगों के अधिकारों का सम्मान नहीं करता है और जिसने अपने लोगों के खिलाफ अत्याचार किया है, वह वैश्विक समुदाय का हिस्सा नहीं होगा।
      • अफगानिस्तान को समावेशी और पूरी तरह से अफगान जनता का प्रतिनिधि होना चाहिये।
  • भारत-प्रशांत सहयोग:
    • दोनों स्वतंत्र, खुले, सुरक्षित और समृद्ध इंडो-पैसिफिक को लेकर व्यक्तव्य साझा करते हैं।
    • जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड (चतुर्भुज फ्रेमवर्क) के हिस्से के रूप में इंडो-पैसिफिक में सहयोग पर प्रकाश डाला गया और स्पष्ट किया गया कि क्वाड एक सैन्य गठबंधन नहीं है।
  • कोविड- टीकाकरण:
    • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत द्वारा निर्मित कोविड-टीके उपलब्ध कराने के लिये क्वाड पहल पर चर्चा की गई।
    • अमेरिका ने भारत के वैक्सीन कार्यक्रम के लिये 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुदान की घोषणा की और उत्पादन बढ़ाने के लिये वैक्सीन आपूर्ति शृंखला को मज़बूत करने का वादा किया।
  • जलवायु परिवर्तन:
    • अप्रैल 2021 में शुरू किये गए ‘यूएस-इंडिया क्लाइमेट एंड क्लीन एनर्जी एजेंडा’, 2030 पार्टनरशिप के तहत दोनों पक्षों का लक्ष्य एक नई जलवायु कार्रवाई की शुरुआत और वित्त जुटाने के साथ-साथ संवाद एवं रणनीतिक स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी को फिर से शुरू करना है।

अमेरिका का नज़रिया:

  • भारत-अमेरिका संबंधों को विश्व के सबसे महत्त्वपूर्ण साझेदारियों में से एक माना जाता है।
  • दोनों देश लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता को साझा करते हैं जो इनके संबंधों के आधार का हिस्सा है और भारत के बहुलवादी समाज तथा सद्भाव के इतिहास को दर्शाता है।
    • दोनों मानवीय गरिमा, अवसर की समानता, कानून के शासन, मौलिक स्वतंत्रता, जिसमें धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता शामिल है, में विश्वास करते हैं।
    • दोनों देशों के लोगों को बोलने का अधिकार दिया गया है जिससे लोग अपनी बात उठा सकते हैं,  इसके साथ ही दोनों देशों की सरकारें अपने सभी नागरिकों के साथ एक समान व्यवहार करती हैं।
  • समग्र संबंधों के कुछ प्रमुख स्तंभों के रूप में व्यापार सहयोग, शैक्षिक जुड़ाव, धार्मिक और आध्यात्मिक संबंधों तथा लाखों परिवारों के बीच संबंधों को उद्धृत किया गया है।
  • लोकतंत्र और अंतर्राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिये बढ़ते वैश्विक खतरों के उल्लेख के साथ ही लोकतांत्रिक मंदी (चीन में मानवाधिकारों के मुद्दे) के बारे में बात की गई, यह देखते हुए कि भारत तथा अमेरिका हेतु इन आदर्शों के समर्थन में एक साथ खड़े रहना महत्त्वपूर्ण है।
  • अंतर्धार्मिक संबंध, मीडिया स्वतंत्रता, किसानों का विरोध, लव जिहाद हिंसा और अल्पसंख्यक अधिकार आदि उस चर्चा का हिस्सा थे जो अमेरिकी विदेश मंत्री ने दलाई लामा के एक प्रतिनिधि सहित लोगों के एक समूह के साथ की थी।

भारत का नज़रिया:

  • भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंध एक ऐसे स्तर तक बढ़े हैं जो दोनों देशों को बड़े मुद्दों पर सहयोगात्मक रूप से निपटने में सक्षम बनाता है।
  • भारत, भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने के लिये अमेरिकी प्रतिबद्धता का स्वागत करता है जो साझा लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है।
  • इसने कई बिंदुओं के साथ मुद्दों पर अमेरिकी चिंताओं का जवाब दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि एक अधिक परिपूर्ण लोकतंत्र की तलाश अमेरिका और भारत दोनों पर लागू होती है।
  • पिछले कुछ वर्षों की भारत की नीतियाँ ऐतिहासिक रूप से की गई गलतियों को ठीक करने की रही हैं, लेकिन इनकी तुलना शासन की कमी से नहीं की जानी चाहिये।

भारत-अमेरिका संबंधों की वर्तमान स्थिति:

रक्षा:

  • भारत और अमेरिका के मध्य पिछले कुछ वर्षों में महत्त्वपूर्ण रक्षा समझौते संपन्न हुए है तथा क्वाड (QUAD) के चार देशों के गठबंधन को भी औपचारिक रूप दिया गया है।
    • इस गठबंधन को हिंद-प्रशांत में चीन के  एक महत्त्वपूर्ण  प्रतिकार के रूप में देखा जा रहा है।
  • नवंबर 2020 में मालाबार अभ्यास (Malabar Exercise) ने भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों में एक उच्च बिंदु को चित्रित किया है, यह 13 वर्षों में पहली बार था कि क्वाड के सभी चार देश चीन को एक मज़बूत संदेश देते हुए एक साथ आए।
  • भारत के पास अब अफ्रीका के जिबूती (Djibouti) से लेकर प्रशांत महासागर में गुआम जैसे अमेरिकी ठिकानों तक पहुंँच है। यह अमेरिकी रक्षा में उपयोग की जाने वाली उन्नत संचार तकनीक तक भी पहुंँच सकता है।
  • भारत और अमेरिका के बीच चार मूलभूत रक्षा समझौते हैं:

व्यापार:

  • पिछली अमेरिकी सरकार ने भारत की विशेष व्यापार स्थिति (India’s Special Trade Status- GSP withdrawal) को समाप्त कर दिया और कई प्रतिबंध भी लगाए, भारत ने भी 28 अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिबंध के साथ जवाबी कार्रवाई की।
  • वर्तमान अमेरिकी सरकार ने पिछली सरकार द्वारा लगाए गए सभी प्रतिबंधों को समाप्त करने की अनुमति दी है।

भारतीय डायस्पोरा:

  • अमेरिका में सभी क्षेत्रों में भारतीय डायस्पोरा की उपस्थिति बढ़ रही है। उदाहरण के लिये अमेरिका की वर्तमान उप-राष्ट्रपति (कमला हैरिस) का भारत से गहरा संबंध है।
  • वर्तमान अमेरिकी प्रशासन में कई भारतीय मूल के लोग मज़बूत नेतृत्वकारी पदों पर हैं।

कोविड-सहयोग:

  • पिछले वर्ष जब अमेरिका घातक कोविड लहर की चपेट में था तो भारत ने महत्त्वपूर्ण चिकित्सा आपूर्ति उपलब्ध कराई और देश की मदद के लिये निर्यात प्रतिबंधों में ढील दी थी।
  • शुरू में अमेरिका ने भारत को ज़रूरत के समय समर्थन देने में झिझक दिखाई थी लेकिन जल्दी ही अमेरिका ने अपना रुख बदल लिया और भारत को आपूर्ति पहुँचा दी।

आगे की राह

  • विशेष रूप से दोनों देशों में चीन विरोधी भावना बढ़ने के कारण देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने की बहुत अधिक संभावना है।
  • इस प्रकार वार्ता में विभिन्न गैर-टैरिफ बाधाओं के समाधान और अन्य बाज़ार पहुँच सुधारों पर यथाशीघ्र ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
  • समुद्री क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने के लिये भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और अन्य भागीदारों के साथ पूरी तरह से जुड़ने की आवश्यकता है, ताकि नेविगेशन की स्वतंत्रता व नियम-आधारित व्यवस्था को संरक्षित किया जा सके।
  • अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में न कोई स्थायी मित्र होता है और न ही कोई स्थायी शत्रु, केवल स्थायी हित होते हैं। ऐसे में भारत को रणनीतिक हेजिंग की अपनी विदेश नीति को जारी रखना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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