अंतर्राष्ट्रीय संबंध
47वाँ जी-7 शिखर सम्मेलन
- 15 Jun 2021
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:जी-7, COVAX कार्यक्रम, विश्व स्वास्थ्य संगठन मेन्स के लिये:47वाँ जी-7 शिखर सम्मेलन एवं भारत और विश्व पर इसकी प्रतिक्रिया |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 47वें जी-7 शिखर सम्मेलन 2021 को संबोधित किया।
- इससे पहले जी-7 देशों के वित्त मंत्री ‘वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर’ (GMCTR) की स्थापना करते हुए एक ऐतिहासिक समझौते पर पहुँचे थे।
- भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को भी "अतिथि देशों" के रूप में शिखर सम्मेलन की कार्यवाही में भाग लेने हेतु आमंत्रित किया गया था।
- इस वर्ष के शिखर सम्मेलन की मेज़बानी ब्रिटेन ने की। पिछला जी-7 शिखर सम्मेलन वर्ष 2019 में फ्राँस में हुआ था, पिछले वर्ष अमेरिका में होने वाले कार्यक्रम को महामारी के कारण रद्द कर दिया गया था।
‘ग्रुप ऑफ सेवन’ (जी-7)
- यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसका गठन वर्ष 1975 में किया गया था।
- वैश्विक आर्थिक शासन, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिये ब्लॉक की वार्षिक बैठक होती है।
- जी-7 देश यूके, कनाडा, फ्राँस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका हैं।
- सभी जी-7 देश और भारत G20 का हिस्सा हैं।
- जी-7 का कोई औपचारिक संविधान या कोई निश्चित मुख्यालय नहीं है। वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान नेताओं द्वारा लिये गए निर्णय गैर-बाध्यकारी होते हैं।
प्रमुख बिंदु:
एक विश्व परियोजना के लिये बेहतर निर्माण
- इसका उद्देश्य चीन के ट्रिलियन-डॉलर की ‘बेल्ट एंड रोड इंफ्रास्ट्रक्चर’ पहल के साथ प्रतिस्पर्द्धा करना है, जिसकी छोटे देशों पर असहनीय ऋण भार के चलते उन्हें परेशान करने के कारण व्यापक आलोचना की गई है, लेकिन वर्ष 2013 में लॉन्च होने के बाद से इसमें जी-7 सदस्य इटली भी शामिल है।
- यह सामूहिक रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों (एशिया और अफ्रीका में) हेतु सैकड़ों अरबों के बुनियादी ढाँचे के निवेश को उत्प्रेरित करेगा और जी-7 के साथ एक मूल्य-संचालित, उच्च-मानक और पारदर्शी साझेदारी की पेशकश करेगा।
डेमोक्रेसी 11:
- जी-7 और अतिथि देशों द्वारा "खुले समाज" को लेकर एक संयुक्त बयान (डेमोक्रेसी 11) पर हस्ताक्षर किये गए, जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हेतु मूल्यों की पुष्टि और उन्हें प्रोत्साहित करता है, जो लोकतंत्र की रक्षा करता है और लोगों को भय और दमन से मुक्त रहने में मदद करता है।
- यह बयान राजनीतिक रूप से प्रेरित इंटरनेट शटडाउन को स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिये खतरों में से एक के रूप में भी संदर्भित करता है।
- जबकि यह बयान चीन और रूस पर निर्देशित है, भारत जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट प्रतिबंधों की जाँच कर रहा है।
- डेमोक्रेसी-11 को बढ़ते सत्तावाद, चुनावी हस्तक्षेप, भ्रष्टाचार, आर्थिक जबरदस्ती, सूचनाओं में हेराफेरी, दुष्प्रचार, ऑनलाइन नुकसान और साइबर हमलों, राजनीति से प्रेरित इंटरनेट शटडाउन, मानवाधिकारों के उल्लंघन और दुरुपयोग, आतंकवाद एवं हिंसक उग्रवाद जैसे स्वतंत्रता तथा लोकतंत्र के लिये खतरों का सामना करना पड़ रहा है।
‘कार्बिज़ बे’ घोषणा:
- जी-7 ने ‘कार्बिज़ बे’ घोषणा पर हस्ताक्षर किये। इसका उद्देश्य भविष्य की महामारियों को रोकना है।
- जी-7 ने गरीब देशों को 1 बिलियन से अधिक कोरोनावायरस वैक्सीन खुराक देने का भी वादा किया, जिसमें से आधा संयुक्त राज्य अमेरिका और 100 मिलियन ब्रिटेन प्रदान करेगा।
- वर्ष 2022 के मध्य तक दुनिया की कम-से-कम 70% आबादी को टीका लगाने के लिये 11 अरब खुराक की आवश्यकता है।
- यह खुराक सीधे और अंतर्राष्ट्रीय COVAX कार्यक्रम के माध्यम से प्रदान की जाएंगी।
जलवायु परिवर्तन:
- गरीब देशों को कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने में मदद करने के लिये प्रति वर्ष 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अतिदेय व्यय प्रतिज्ञा को पूरा करने हेतु योगदान को बढ़ाने की प्रतिज्ञा को नवीनीकृत किया गया।
- वर्ष 2030 तक जैव विविधता के नुकसान को रोकने और इसमें सुधार की प्रतिबद्धता ज़ाहिर की गई।
- वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन तक पहुँचने का संकल्प लिया गया।
चीन पर प्रतिक्रिया:
- जी-7 का बयान जिस पर भारत और अन्य बाहरी देशों द्वारा हस्ताक्षर नहीं किये गए थे, ने चीन पर झिंजियांग (उइगर मुस्लिम) और हॉन्गकॉन्ग में "मानवाधिकारों एवं मौलिक स्वतंत्रता" तथा दक्षिण चीन सागर में यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयासों पर प्रहार किया।
- इसने चीन में एक पारदर्शी और समय पर विश्व स्वास्थ्य संगठन से कोविड के मूल का अध्ययन करने का भी आह्वान किया।
- भारत ने भी विश्व स्वास्थ्य सभा के दौरान एक बयान में ऐसा ही करने का आह्वान किया था।
भारत का पक्ष:
- सत्तावाद, आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद, दुष्प्रचार एवं आर्थिक दबाव से उत्पन्न खतरों से साझा मूल्यों की रक्षा करने में भारत जी-7 देशों का एक स्वाभाविक सहयोगी है।
- भारत ने चिंता व्यक्त की कि समाज विशेष रूप से दुष्प्रचार और साइबर हमलों की चपेट में हैं।
- इसने कोविड -19 टीकों के लिये पेटेंट सुरक्षा के लिये समूह का समर्थन मांगा।
- ग्रह का वातावरण, जैव विविधता और महासागरों की सुरक्षा के संबंध में काम करने वाले देशों द्वारा संरक्षित नहीं किया जा सकता है और जलवायु परिवर्तन पर सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया।
- भारत एकमात्र जी-20 देश है जो अपनी पेरिस प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की राह पर है।
- विकासशील देशों को जलवायु वित्त तक बेहतर पहुँच की आवश्यकता है और जलवायु परिवर्तन के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें शमन, अनुकूलन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, जलवायु वित्तपोषण, इक्विटी, जलवायु न्याय और जीवन शैली में परिवर्तन शामिल हैं।
- आधार, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) और JAM (जन धन-आधार- मोबाइल) ट्रिनिटी जैसे अनुप्रयोगों के माध्यम से भारत में सामाजिक समावेश और सशक्तीकरण पर डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्रांतिकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला गया।