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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका: उभरते संबंध

  • 10 Aug 2020
  • 17 min read

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका संबंध व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ 

वैश्विक महामारी COVID-19 के दौर में भारत व संयुक्त राज्य अमेरिका अभूतपूर्व सहयोग प्रदर्शित कर रहे हैं। यह सहयोग न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र बल्कि ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा क्षेत्र, तकनीकी क्षेत्र तथा सामरिक क्षेत्र में भी लगातार बढ़ रहा है। भारत-चीन सीमा पर हुई हिंसक झड़प के बाद से अमेरिका और भारत के संबंधों में घनिष्ठता दिखाई दे रही है। इन परिस्थितियों में भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका का समर्थन भी प्राप्त हुआ है।

बहरहाल, भारतीय सीमा पर हुई हिंसक घटना को छोड़ भी दें तो पिछले कुछ समय से चीन के व्यवहार को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ी है। ऐसा सिर्फ सामरिक मामलों में ही नहीं बल्कि व्यापार से जुड़े मुद्दों पर भी हुआ है। यही कारण है कि अमेरिकी राजनीति आज समान रूप से चीन के प्रभाव को प्रतिसंतुलित करना चाहती है। पूर्वी लद्दाख तथा दक्षिण चीन सागर में चीन का रुख किसी कारणवश  नरम हो जाए तो भी भारत या बाकी दुनिया का व्यापारिक समीकरण उसके साथ पहले जैसा नहीं रह पाएगा।

विश्व व्यवस्था में हो रहे परिवर्तन का लाभ भारत उठाए, यह समय की मांग है। प्रश्न यह है कि चीन पर अपनी निर्भरता कम करते हुए भारत को अमेरिका पर कितना विश्वास करना चाहिये? ध्यातव्य है कि कुछ समय पूर्व अमेरिका ने भारत के व्यापारिक हितों के विरुद्ध कुछ कदम इतने उग्र ढंग से उठाए थे कि देश में इसके खिलाफ व्यापक प्रतिक्रिया देखने को मिली थी।

संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

United-States

  • भारत और अमेरिका दोनों देशों का इतिहास कई मामलों में समान रहा है। दोनों ही देशों ने औपनिवेशिक सरकारों के खिलाफ संघर्ष कर स्वतंत्रता प्राप्त की (अमेरिका वर्ष 1776 और भारत वर्ष 1947) तथा स्वतंत्र राष्ट्रों के रूप में दोनों ने शासन की लोकतांत्रिक प्रणाली को अपनाया परंतु आर्थिक और वैश्विक संबंधों के क्षेत्र में भारत तथा अमेरिका के दृष्टिकोण में असमानता के कारण दोनों देशों के संबंधों में लंबे समय तक कोई प्रगति नहीं हुई। 
  • अमेरिका पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का समर्थक रहा है, जबकि स्वतंत्रता के बाद भारत में विकास के संदर्भ समाजवादी अर्थव्यवस्था को महत्त्व दिया। 
  • इसके अतिरिक्त शीत युद्ध के दौरान जहाँ अमेरिका ने पश्चिमी देशों का नेतृत्व किया, वहीं भारत ने गुटनिरपेक्ष दल के सदस्य के रूप में तटस्थ बने रहने की विचारधारा का समर्थन किया।
  • 1990 के दशक में भारतीय आर्थिक नीति में बदलाव के परिणामस्वरूप भारत और अमेरिका के संबंधों में कुछ सुधार देखने को मिले तथा पिछले एक दशक में इस दिशा में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। 

महत्त्वपूर्ण समझौतों का ऐतिहासिक घटनाक्रम

  • सामान्य सैन्य सुरक्षा सूचना समझौता (General Security Of Military Information Agreement)-वर्ष 2002
  • भारत-अमेरिका परमाणु समझौता (वर्ष 2008) 
  • लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (Logistics Exchange Memorandum of Agreement)-वर्ष 2016
  • भारत-अमेरिका सामरिक उर्जा भागीदारी (वर्ष 2017 में घोषित)
  • संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (Communications Compatibility and Security Agreement -COMCASA)-वर्ष 2018
  • आतंकवाद विरोध पर द्विपक्षीय संयुक्त कार्यदल की बैठक (पिछली बैठक मार्च 2019)

सहयोग के विभिन्न क्षेत्र

  • स्वास्थ्य क्षेत्र
    • वैश्विक महामारी COVID-19 के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को स्वास्थ्य सहायता के तौर पर करीब 60 लाख डॉलर की सहायता दी है।
    • भारत ने भी संयुक्त राज्य अमेरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine- HCQ) दवाओं की खेप प्रदान की है।
    • मानसिक स्वस्थ्य के मामलों में सहयोग के लिये भारत के ‘स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग’ तथा अमेरिका के ‘हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज’ (Health and Human Services) विभाग के बीच समझौता-ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
    • इसके साथ ही नशीले पदार्थों/दवाओं पर नियंत्रण के लिये अमेरिका के ‘काउंटर नारकोटिक्स वर्किंग ग्रुप’ (Counternarcotics Working Group) के माध्यम से सहयोग।
  • रक्षा क्षेत्र 
    • फरवरी 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच लगभग 3 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रक्षा खरीद पर सहमति बनी है। 
    • हालिया समझौते के अनुसार, भारत अमेरिका से 24 एम.एच.60 (MH-60) रोमियो हेलिकॉप्टर और 6 अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टरों का आयात करेगा।
    • इसके साथ ही इस समझौते के तहत अमेरिका से उन्नत रक्षा प्रणाली, हथियार युक्त एवं गैर हथियार वाले ड्रोन विमानों का आयात किया जाएगा।
    • अन्य सुरक्षा मुद्दों में दोनों देशों ने मानव तस्करी, हिंसक अतिवाद, साइबर अपराध (Cybercrime), ड्रग तस्करी जैसे अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से साथ मिलकर निपटने पर सहमति जाहिर की।
  • ऊर्जा और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग
    • ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिये भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (Indian Oil Corporation) और अमेरिकी कंपनी एक्सॉन मोबिल एल.एन.जी. लिमिटेड (Exxon Mobil LNG LTD.) के बीच प्राकृतिक गैस के आयात पर सहमति बनी है।
    • भारत में नवीकरणीय उर्जा के क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिये यूएस इंटरनेशनल डवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (U.S. International Development Finance Corporation-DFC) भारत में अपनी वित्तीय इकाई की स्थापना के माध्यम से 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा।
    • इसके साथ ही दोनों देशों ने ‘न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड’(Nuclear Power Corporation of India) और ‘वेस्टिंगहॉउस इलेक्ट्रिक कंपनी’(Westinghouse Electric Company) के सहयोग से भारत में 6 नए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की योजना को जल्द ही अंतिम रूप देने पर सहमति जाहिर की है।
    • इसके साथ ही ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल के तहत विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी हस्तांतरण पर भी समझौते किये गए हैं।  
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संबंध में भारत और अमेरिका ने आसियान (ASEAN) को केंद्र में रखते हुए एक स्वतंत्र, खुले, समायोजित और समृद्ध हिंद-प्रशांत की अवधारणा का समर्थन किया है।
    • दोनों देशों ने दक्षिणी चीन सागर में अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत सभी देशों के हितों की रक्षा के लिये एक सार्थक आचार संहिता (Code Of Conduct) के निर्माण पर बल दिया।
    • इसके साथ ही दोनों देशों ने वैश्विक स्तर पर उन्नत एवं प्रभावी विकास को बढ़ाने की अपनी साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए अन्य देशों में सहयोग के लिये यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) और विकास भागीदारी प्रशासन (Development Partnership Administration) के बीच नई साझेदारी की पहल का समर्थन किया।
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संदर्भ में भारत-जापान-अमेरिका त्रिपक्षीय सम्मेलन, रक्षा और विदेश मंत्रियों की 2+2 की वार्ताओं और भारत-अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया-जापान (QUAD) आदि के माध्यम से सहयोग और परामर्श को बढ़ने पर जोर दिया गया।

भारत व अमेरिकी साझेदारी के मायने

  • वर्ष 2018 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 142 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा, जो वर्ष 2017 के द्विपक्षीय व्यापार से 12.6% अधिक है। गौरतलब है कि अमेरिका भारतीय सेवा क्षेत्र और अन्य कई उत्पादों के लिये विश्व का सबसे बड़ा बाज़ार है।
  • वर्ष 2018 में भारत से अमेरिका को हुए निर्यात की कीमत लगभग 54.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2017 से 11.9% अधिक) थी और वर्ष 2018 में ही अमेरिका से लगभग 33.5 बिलियन डॉलर (वर्ष 2017 से 30.6% अधिक) की वस्तुओं का आयात किया गया। 
  • ध्यातव्य है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा उपकरणों के व्यापार में तकनीकी के हस्तांतरण को लेकर कई महत्त्वपूर्ण समझौते हुए हैं।
  • परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (Nuclear Suppliers Group-NSG) और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता पर अमेरिका का समर्थन दक्षिण एशिया तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के महत्त्व को दर्शाता है।
  • भारत, अमेरिकी समर्थन के माध्यम से अपने हितों को ध्यान में रखते हुए चीन को विभिन्न विवादित मुद्दों पर वार्ता करने के लिये तैयार कर सकता है।
  • अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भारत की सीमा में चीनी सेना के प्रवेश करने के मुद्दे को चिंताजनक करार दिया है। चीन द्वारा पूर्व में वैश्विक महामारी के संबंध में जानकारियों को छिपाने तथा अब अपने पड़ोसी देशों की सीमाओं का अतिक्रमण करने के कारण विश्व बिरादरी के सम्मुख अलग-थलग हो गया है।
  • भारत को वर्ष 1980 के दशक में चीन के साथ हुई सीमा वार्ता हो या जम्मू और कश्मीर के लोगों को स्टेपल वीज़ा जारी करने की चीन की नीति को बंद करने के लिये दबाव डालना हो, इन सभी मुद्दों पर अमेरिका का समर्थन प्राप्त हुआ।
  • एशिया महाद्वीप में चीन के बढ़ते प्रभाव को प्रतिसंतुलित करने के लिये भारत अति आवश्यक है।
  • चूँकि अमेरिका, अफगानिस्तान से बाहर निकल रहा है इसलिये ऐसी स्थिति में उत्पन्न होने वाली शक्ति-शून्यता को भरने के लिये भारत की उपस्थिति बेहद महत्त्वपूर्ण है।
  • नवंबर 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिये चुनाव होने हैं, अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग निवास करते हैं। ऐसे में भारत के साथ अमेरिका के बेहतर संबंध प्रत्यक्ष तौर पर राष्ट्रपति पद के चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं।

चुनौतियाँ 

  • अफगानिस्तान समस्या के मुद्दे पर भारत तालिबान की प्रत्यक्ष भूमिका के विपरीत स्थानीय लोकतांत्रिक सरकार और मूलभूत सुविधाओं (जैसे-शिक्षा,स्वास्थ्य) में सहयोग के माध्यम से शांति समाधान का समर्थन करता है। पाकिस्तान के संदर्भ में भी अमेरिका और भारत के दृष्टिकोण में अंतर है। 
  • समन्वित भारत-अमेरिका दृष्टिकोण के लिये सबसे बड़ी चुनौती अब नए अमेरिकी कानून Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act तथा ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने के कारण और अधिक प्रतिबंधों का खतरा उत्पन्न हो गया है।
  • मध्य-पूर्व (विशेषकर ईरान) के संदर्भ में भारत के विचार अमेरिका की आक्रामक नीति से अलग हैं।
  • इसी तरह भारत और रूस ऐतिहासिक रूप से रक्षा के साथ कई अन्य क्षेत्रों में व्यापार से जुड़े हैं, परंतु रूस पर अमेरिकी व्यापारिक प्रतिबंधों से भारत के लिये अमेरिका और रूस के बीच संतुलन बनाना कठिन हो गया है। भारत के लिये यही समस्या ईरान और अमेरिका के साथ संबंध संतुलन में भी है।  
  • द्विपक्षीय व्यापार में कृषि उत्पादों, व्यापार सब्सिडी और कुछ उत्पादों के आयात शुल्क (जैसे-हार्ले डेविडसन बाइक पर आयात शुल्क) जैसे मुद्दों पर अमेरिका भारतीय नीति से सहमत नहीं रहा है।  

आगे की राह

  • भारत और अमेरिका के बीच वर्तमान द्विपक्षीय संबंधों का लाभ उठाते हुए भारत को नवीन तकनीकी, रक्षा और अंतरिक्ष जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में अमेरिका सहित अन्य देशों से भी व्यापक विदेशी निवेश को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिये।
  • भारत-अमेरिका संबंधों के सुधार और दोनों देशों अनेक क्षेत्रों (जैसे-तकनीकी, अर्थव्यवस्था आदि) के विकास में प्रवासी भारतीयों (वर्तमान आबादी लगभग 4 मिलियन) की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही है, ऐसे में इस क्षेत्र में भी परस्पर सहयोग (जैसे-वीज़ा नियमों में सुधार आदि) के प्रयास किये जाने चाहिये।

  • विश्व के अन्य क्षेत्रों (जैसे-अफ्रीकी देशों) आदि में नए अवसरों की तलाश और चुनौतियों के निवारण में USAID जैसे प्रयासों के माध्यम से द्विपक्षीय सहयोग में वृद्धि की जानी चाहिये।

  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिये बहुपक्षीय गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।

प्रश्न- बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका साझेदारी के क्या मायने हैं? दोनों देशों के संबंधों में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये।

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