अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम | 07 Nov 2022
प्रिलिम्स के लिये:बायोगैस, बायोसीएनजी, जैव ऊर्जा, संबंधित पहलें मेन्स के लिये:बायोगैस ऊर्जा और इसका महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम को शुरू करने के लिये दिशा-निर्देश जारी किये हैं जिससे कंपनियों के लिये शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्ट तथा अवशेषों से बायोगैस, बायोसीएनजी व बिजली का उत्पादन करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम:
- परिचय:
- यह कार्यक्रम अम्ब्रेला योजना, राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम का हिस्सा है।
- सरकार परियोजना विकसित करने वालों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी और निरीक्षण कंपनियों सहित कार्यान्वयन एजेंसियों को अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्रों को चालू करने के लिये सेवा शुल्क का भुगतान किया जाएगा।
- कार्यान्वयन एजेंसियाँ:
- भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA) इस कार्यक्रम के लिये कार्यान्वयन एजेंसी होगी।
- IREDA को आवेदनों को संसाधित करने के लिये केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) के 1% के सेवा शुल्क का भुगतान किया जाएगा, इसके अलावा CFA के लिये 1% (न्यूनतम ₹50,000) का भुगतान संयंत्रों के कार्य शुरू होने के बाद और प्रदर्शन की निगरानी के लिये किया जाएगा।
- भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA) इस कार्यक्रम के लिये कार्यान्वयन एजेंसी होगी।
- वित्तीय सहायता:
- केंद्र नए बायोगैस संयंत्रों के लिये 75 लाख रुपए प्रति मेगावाट और मौजूदा इकाइयों के लिये 50 लाख रुपए प्रति मेगावाट की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
- यदि अपशिष्ट से ऊर्जा (वेस्ट-टू-एनर्जी) संयंत्र विशेष श्रेणी के राज्यों, जैसे उत्तर पूर्व, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, लक्षद्वीप, उत्तराखंड तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में स्थापित किये जाते हैं, तो मानक CFA पैटर्न की तुलना में सामान्य CFA से 20% अधिक होगा।
राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम:
- परिचय:
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम को अधिसूचित किया है।
- उप-योजनाएँ:
- अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम।
- बायोमास कार्यक्रम:
- विद्युत उत्पादन और गैर-खोई आधारित विद्युत उत्पादन परियोजनाओं में उपयोग के लिये पेलेट्स एवं ब्रिकेट्स की स्थापना में सहायता प्रदान हेतु बायोमास कार्यक्रम।
- बायोगैस कार्यक्रम:
- ग्रामीण क्षेत्रों में मध्यम आकार के बायोगैस संयंत्र की स्थापना में सहायता करना।
बायोगैस और बायोसीएनजी:
- बायोगैस
- इसमें मुख्य रूप से हाइड्रो-कार्बन शामिल होता है, जो दहनशील होने के साथ ही जलने पर गर्मी एवं ऊर्जा पैदा कर सकता है।
- बायोगैस एक जैव रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से उत्पन्न होती है, जिसमें कुछ प्रकार के बैक्टीरिया जैविक कचरे को उपयोगी बायो-गैस में परिवर्तित करते हैं।
- चूँकि उपयोगी गैस एक जैविक प्रक्रिया से उत्पन्न होती है, इसलिये इसे ‘बायोगैस’ कहा गया है।
- मीथेन गैस बायोगैस का मुख्य घटक है।
- बायोसीएनजी
- बायोसीएनजी, ऊर्जा का गैर-नवीकरणीय स्रोत संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) के विपरीत बायोगैस को शुद्ध करके प्राप्त किया जाने वाला नवीकरणीय ईंधन है। बायोगैस का उत्पादन तब होता है जब सूक्ष्मजीव कार्बनिक पदार्थ जैसे- भोजन, फसल अवशेष, अपशिष्ट जल आदि को अपघटित करते हैं।
- यह अपनी संरचना और गुणों के मामले में प्राकृतिक गैस के समान है तथा पेट्रोल एवं डीज़ल जैसे ईंधन के लिये एक हरित विकल्प है।
बायोगैस का महत्त्व:
- प्रदूषण मुक्त शहर:
- बायोगैस समाधान हमारे शहरों को स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त बनाने में मदद कर सकता है।
- लैंडफिल से ज़हरीले पदार्थों का रिसाव भूजल को दूषित करता है।
- कार्बनिक पदार्थों के अपघटन के कारण पर्यावरण में भारी मात्रा में मीथेन निष्कासित होती है, जिससे वायु प्रदूषण एवं ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति उत्पन्न होती है, क्योंकि मीथेन एक बहुत ही शक्तिशाली GHG है।
- बायोगैस समाधान हमारे शहरों को स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त बनाने में मदद कर सकता है।
- जैविक कचरे का प्रबंधन:
- बड़े पैमाने पर म्युनिसिपल बायोगैस सिस्टम (Municipal Biogas System) स्थापित कर शहरों में जैविक कचरे का कुशलतापूर्वक निपटान करने में मदद मिल सकती है ताकि कचरे के अत्यधिक बोझ से उत्पन्न पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना किया जा सके।
- शहरों को स्वच्छ और स्वस्थ रखते हुए जैव उर्वरकों के साथ स्वच्छ एवं हरित ईंधन का निर्माण करने हेतु नगर निगम के कचरे के लिये इन संयंत्रों का उपयोग किया जा सकता है।
- महिलाओं के लिये मददगार:
- बायोगैस का उपयोग करना महिलाओं के स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित हो सकता है क्योंकि वे हानिकारक धुएंँ और प्रदूषण के संपर्क में आने से बच जाएंगी।
- घरों के अंदर जीवाश्म ईंधन और बायोमास के जलने से होने वाले वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण हर साल वैश्विक स्तर पर चार मिलियन से अधिक लोग मारे जाते हैं।
- घर के अंदर होने वाले प्रदूषण के कारण महिला सदस्य अत्यधिक प्रभावित होती हैं क्योंकि उन्हें अधिक समय तक घर में रहकर कार्य करना होता है।
- बायोगैस का उपयोग करना महिलाओं के स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित हो सकता है क्योंकि वे हानिकारक धुएंँ और प्रदूषण के संपर्क में आने से बच जाएंगी।
- ऊर्जा निर्भरता का विकल्प:
- बायोगैस का प्रयोग ग्रामीण और कृषि समुदाय जो कि अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिये मुख्य रूप से लकड़ी, गोबर, लकड़ी का कोयला, कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधन के दहन पर निर्भर हैं, की ऊर्जा निर्भरता को बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
- गैर-नवीकरणीय स्रोतों पर अत्यधिक निर्भरता देश में लंबे समय से चली आ रही ऊर्जा समस्याओं का प्रमुख कारण है।
- बायोगैस का प्रयोग ग्रामीण और कृषि समुदाय जो कि अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिये मुख्य रूप से लकड़ी, गोबर, लकड़ी का कोयला, कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधन के दहन पर निर्भर हैं, की ऊर्जा निर्भरता को बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
बायोगैस को बढ़ावा देने और अपशिष्ट प्रबंधन हेतु सरकार की पहल:
- बायोगैस:
- SATAT योजना
- भारत सरकार और नीति आयोग ने हरित ईंधन के उपयोग में तेज़ी लाने एवं LNG, हाइड्रोजन तथा मेथनॉल को बढ़ावा देने के लिये रोडमैप तैयार किया है।
- अपशिष्ट प्रबंधन:
IREDA:
- यह भारत सरकार के ‘नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय’ के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्यरत एक मिनीरत्न कंपनी है।
- इसे नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र हेतु वर्ष 1987 में ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्था’ के तौर पर गठित किया गया था।
- इसका कार्य नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से संबंधित परियोजनाओं को प्रोत्साहित करना तथा विकास हेतु इन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (पीवाईक्यू)प्रश्न. भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? (2019) (a) अपशिष्ट उत्पादक को पाँच कोटियों में अपशिष्ट अलग-अलग करने होंगे। उत्तर: (c) |