द स्टेट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर- 2023 | 10 Nov 2023
प्रिलिम्स के लिये:खाद्य और कृषि संगठन (FAO), अल्ट्रा-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, खाद्य असुरक्षा, फिट इंडिया मूवमेंट, ईट राइट मूवमेंट मेन्स के लिये:अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य बाधाएँ और चुनौतियाँ, कृषि विपणन, खाद्य स्वस्थ जीवन शैली से संबंधित सरकारी पहल, |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की 'द स्टेट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर- 2023' नामक एक नई रिपोर्ट अस्वास्थ्यकर आहार तथा अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की चौंका देने वाली प्रच्छन्न लागत का खुलासा करती है, जो हमारे स्वास्थ्य एवं पर्यावरण दोनों को प्रभावित करती है।
- यह लागत सालाना 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक तक पहुँच जाती है जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
नोट:
- कृषि-खाद्य प्रणालियों के संदर्भ में छिपी हुई लागतों में उत्सर्जन और भूमि उपयोग से पर्यावरणीय व्यय, आहार पैटर्न से संबंधित स्वास्थ्य लागत, अल्पपोषण व कृषि-खाद्य श्रमिकों के बीच गरीबी से जुड़ी सामाजिक लागतें शामिल हैं।
खाद्य एवं कृषि राज्य- 2023 की प्रमुख खोजें क्या हैं?
- अस्वास्थ्यकर आहार की छुपी लागत:
- अस्वास्थ्यकर आहार, जिसमें अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, वसा और शर्करा का सेवन शामिल है, के कारण काफी छिपी हुई लागतें सामने आती हैं।
- ये लागत सालाना 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है, जो मोटापे और गैर-संचरणीय रोगों जैसे स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के आर्थिक बोझ को दर्शाती है।
- इसके अतिरिक्त, इन आहारों के परिणामस्वरूप श्रम उत्पादकता में कमी आती है, जो कुल छिपी हुई लागतों में योगदान करती है।
- वैश्विक प्रभाव और आर्थिक बोझ:
- अधिकांश प्रच्छन्न लागतें उच्च-मध्यम-आय (39%) और उच्च-आय वाले देशों (36%) में दिखाई दीं, निम्न-मध्यम-आय वाले देशों में ये लागतें 22% तथा निम्न-आय वाले देशों में 3% थीं।
- रिपोर्ट का अनुमान है कि अस्वास्थ्यकर आहार के परिणामस्वरूप सालाना कम से कम कुल 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर प्रच्छन्न लागत का वहन करना होता है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 10% है।
- विश्लेषण में 154 देशों को शामिल किया गया है, जिसमें अति-प्रसंस्कृत आहार पैटर्न के व्यापक प्रभाव पर ज़ोर दिया गया है।
- अधिकांश प्रच्छन्न लागतें उच्च-मध्यम-आय (39%) और उच्च-आय वाले देशों (36%) में दिखाई दीं, निम्न-मध्यम-आय वाले देशों में ये लागतें 22% तथा निम्न-आय वाले देशों में 3% थीं।
- भारत पर प्रभाव:
- कृषि खाद्य प्रणालियों में भारत की कुल प्रच्छन्न लागत लगभग 1.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जो चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर थी।
- भारत में प्रमुख योगदानकर्ता:
- भारत में छिपी हुई लागतों में बीमारी का बोझ (आहार पैटर्न से उत्पादकता हानि) सबसे बड़ी हिस्सेदारी (60%) के लिये ज़िम्मेदार है, इसके बाद निर्धनता के कारण प्रच्छन्न सामाजिक लागत, जिसमें सामाजिक व्यय शामिल हैं (14%) और नाइट्रोजन उत्सर्जन से पर्यावरणीय लागत (13%) आती है।
- प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का तेज़ी से प्रसार:
- विश्व भर के उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की खपत बढ़ रही है।
- इस प्रवृत्ति को बढ़ने वाले कारकों में शहरीकरण, जीवनशैली में बदलाव तथा महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिये रोज़गार प्रोफाइल में बदलाव शामिल हैं।
- यात्रा में लगने वाला लंबा समय भी इन क्षेत्रों में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत में योगदान देता है।
- विश्व भर के उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की खपत बढ़ रही है।
- शहरी बनाम ग्रामीण उपभोग पैटर्न:
- रिपोर्ट उस पारंपरिक धारणा को चुनौती देती है जो मानती है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच उपभोग पैटर्न काफी भिन्न होता है।
- निष्कर्षों से पता चलता है कि प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का प्रसार ग्रामीण-शहरी सातत्य में व्यापक और लगभग समान है।
- उच्च और निम्न-खाद्य-बजट दोनों क्षेत्रों में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ कुल खपत का एक बड़ा हिस्सा निर्मित करते हैं, शहरीकरण इनका एकमात्र चालक नहीं है।
- रिपोर्ट उस पारंपरिक धारणा को चुनौती देती है जो मानती है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच उपभोग पैटर्न काफी भिन्न होता है।
- वैश्विक खाद्य असुरक्षा:
- खाद्य असुरक्षा, विशेष रूप से मध्यम अथवा गंभीर खाद्य असुरक्षा लगातार दूसरे वर्ष वैश्विक स्तर पर काफी हद तक अपरिवर्तित रही।
- हालाँकि यह स्तर कोविड-19 महामारी के पूर्व के आँकड़ों से काफी अधिक है।
- रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक आबादी का लगभग 29.6% यानी लगभग 2.4 अरब लोगों ने वर्ष 2022 में मध्यम अथवा गंभीर खाद्य असुरक्षा का अनुभव किया।
- उनमें से लगभग 900 मिलियन व्यक्तियों (वैश्विक जनसंख्या का 11.3%) को गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा।
- विश्लेषण से पता चला कि नौ दक्षिण एशियाई देशों में अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान के बाद भारत की कुल आबादी में अल्पपोषण (233.9 मिलियन) का तीसरा सबसे बड़ा प्रसार था।
- हालाँकि भारत में कुपोषित लोगों की हिस्सेदारी वर्ष 2004-06 में जनसंख्या के 21.4% से घटकर 2020-22 में 16.6% हो गई है।
- निम्न-आय वाले देश कृषि-खाद्य प्रणालियों की अप्रत्यक्ष लागतों से सबसे अधिक प्रभावित हुए, जो उनके कुल सकल घरेलू उत्पाद के एक चौथाई से अधिक का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि मध्यम-आय वाले देशों में यह 12% से कम व उच्च-आय वाले देशों में 8% से कम है।
- खाद्य असुरक्षा, विशेष रूप से मध्यम अथवा गंभीर खाद्य असुरक्षा लगातार दूसरे वर्ष वैश्विक स्तर पर काफी हद तक अपरिवर्तित रही।
- भविष्य के अनुमान एवं अल्पपोषण:
- रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2030 तक लगभग 600 मिलियन लोगों के दीर्घकालिक अल्पपोषण से पीड़ित होने की आशंका है।
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का बोझ कैसे कम किया जा सकता है?
- वर्तमान कृषि खाद्य प्रणालियों को अधिक सतत्, स्वस्थ एवं समावेशी बनाकर अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के बोझ को कम किया जा सकता है।
- फलों, सब्जियों, फलियों, नट्स, बीज और साबुत अनाज जैसे अधिक विविध, पौष्टिक एवं अल्प प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के उत्पादन व खपत को बढ़ावा देना।
- अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के विपणन, लेबलिंग एवं कराधान को विनियमित करना तथा स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों के लिये सब्सिडी और प्रोत्साहन प्रदान करना।
- सामाजिक सुरक्षा, खाद्य सहायता और सार्वजनिक खरीद के माध्यम से विशेष रूप से कम आय एवं सुभेद्य समूहों के लिये स्वस्थ खाद्य पदार्थों की पहुँच तथा सामर्थ्य में सुधार करना।
- पोषण शिक्षा, व्यवहार परिवर्तन संचार एवं डिजिटल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से उपभोक्ताओं को सूचित करने तथा स्वस्थ भोजन विकल्प चुनने के लिये शिक्षित व सशक्त बनाना।
- खाद्यानों की हानि और बर्बादी को कम करके, संसाधन उपयोग दक्षता में सुधार करके तथा स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाकर कृषि खाद्य प्रणालियों की दक्षता व चक्रीयता को बढ़ाना।
- कई हितधारकों को शामिल करके, नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देकर तथा प्रभावों एवं परिणामों की निगरानी व मूल्यांकन करके कृषि खाद्य प्रणालियों के शासन तथा समन्वय को मज़बूत करना।
स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने हेतु सरकारी पहलें क्या हैं?
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013
- पीएम-पोषण योजना।
- फिट इंडिया मूवमेंट।
- ईट राइट मूवमेंट।
- 'ईट राइट स्टेशन' सर्टिफिकेशन।
- ईट राइट मेला।
खाद्य एवं कृषि संगठन क्या है?
- परिचय:
- FAO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो भुखमरी पर नियंत्रण करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करती है।
- विश्व खाद्य दिवस प्रत्येक वर्ष 16 अक्तूबर को विश्व भर में मनाया जाता है। यह दिन वर्ष 1945 में FAO की स्थापना की वर्षगाँठ को चिह्नित करने के लिये मनाया जाता है।
- भारत सहित 194 सदस्य देशों एवं यूरोपीय संघ के साथ FAO विश्वभर में 130 से अधिक देशों में कार्य करता है।
- यह रोम (इटली) स्थित संयुक्त राष्ट्र के खाद्य सहायता संगठनों में से एक है। इसकी सहयोगी संस्थाएँ विश्व खाद्य कार्यक्रम तथा कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष (IFAD) हैं।
- प्रमुख प्रकाशन:
- वैश्विक मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर की स्थिति (SOFIA)।
- विश्व के वनों की स्थिति (SOFO)।
- वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति (SOFI)।
- खाद्य और कृषि की स्थिति (SOFA)।
- कृषि कोमोडिटी बाज़ार की स्थिति (SOCO)।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत सरकार मेगा फुड पार्क की अवधारणा को किन-किन उद्देश्यों से प्रोत्साहित कर रही है? (2011) 1- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिये उत्तम अवसंरचना सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु। उपर्युक्त में से कौन-सा/कौन-से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b)
प्रश्न. बाज़ार में बिकने वाला ऐस्परटेम कृत्रिम मधुरक है। यह ऐमीनो अम्लों से बना होता है और अन्य ऐमीनो अम्लों के समान ही कैलोरी प्रदान करता है। फिर भी यह भोज्य पदार्थों में कम कैलोरी मधुरक के रूप में प्रयोग होता है। उसके प्रयोग का क्या आधार है? (2011) (a) ऐस्परटेम सामान्य चीनी जितना ही मीठा होता है, किंतु चीनी की विपरीत यह मानव शरीर में आवश्यक एन्जाइमों के अभाव के कारण शीघ्र ऑक्सीकृत नहीं हो पाता। उत्तर: (d) मेंस:प्रश्न. उत्तर-पश्चिम भारत के कृषि आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के स्थानीयकरण के कारकों पर चर्चा करें। (2019) प्रश्न. देश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की चुनौतियाँ और अवसर क्या हैं? खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देकर किसानों की आय में भारी वृद्धि कैसे की जा सकती है? (2020) |