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सामाजिक न्याय

टेली-लॉ

  • 07 Jul 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

टेली-लॉ कार्यक्रम, कॉमन सर्विस सेंटर, SDG-16

मेन्स के लिये: 

टेली-लॉ कार्यक्रम और मौजूदा समय में इसकी प्रासंगिकता

चर्चा में क्यों 

हाल ही में न्याय विभाग (Justice Department) ने कॉमन सर्विस सेंटर्स (Common Service Centre- CSC) के माध्यम से अपने टेली-लॉ (Tele-Law) कार्यक्रम के अंतर्गत 9 लाख से अधिक लाभार्थियों तक पहुँचने का नया कीर्तिमान बनने के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया।

  • कॉमन सर्विस सेंटर कार्यक्रम, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) की एक पहल है, यह गाँवों में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक सेवाओं का वितरण सुनिश्चित करने वाले केंद्र अथवा एक्सेस पॉइंट (Access Point) के रूप में कार्य करता है, इस प्रकार यह डिजिटल तथा वित्तीय रूप से समावेशी समाज में योगदान करता है।

प्रमुख बिंदु 

टेली-लॉ के विषय में: 

  • इसे कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सहयोग से वर्ष 2017 में नागरिकों के लिये कानूनी सहायता को सुलभ बनाने हेतु लॉन्च किया गया था।
  • यह वर्तमान में 50,000 CSC नेटवर्क के माध्यम से 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 633 ज़िलों (115 आकांक्षी ज़िलों सहित) में काम कर रहा है।
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत पंचायत स्तर पर CSC के विशाल नेटवर्क पर उपलब्ध वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, टेलीफोन/तत्काल कॉलिंग सुविधाओं से वकीलों और नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से जोड़ा जा रहा है।
  • भले ही टेली-लॉ कार्यक्रम प्रौद्योगिकी संचालित है परंतु इसकी सफलता ग्रामीण स्तर के उद्यमियों (Village Level Entrepreneur), पैरा लीगल वालंटियर्स (Para Legal Volunteer), राज्य समन्वयकों और पैनल वकीलों सहित क्षेत्रीय कार्यकर्त्ताओं के कामकाज पर निर्भर है।

Tele-Law

लाभ: 

  • यह किसी भी व्यक्ति को कीमती समय और धन बर्बाद किये बिना कानूनी सलाह लेने में सक्षम बनाती है। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 12 के तहत उल्लिखित मुफ्त कानूनी सहायता के लिये पात्र लोगों हेतु यह सेवा मुफ्त है। अन्य सभी के लिये मामूली शुल्क लिया जाता है।
  • हाल ही में कानूनी प्रतिनिधित्व की गुणवत्ता : भारत में मुफ्त कानूनी सहायता सेवाओं का एक अनुभवजन्य विश्लेषण' (Quality of Legal Representation: An Empirical Analysis of Free Legal Aid Services in India) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसके अनुसार  लोग  मुफ्त विधिक सहायता प्रणाली के हकदार हैं, वे इस सेवा को एक विकल्प के रूप में तब देखते हैं, जब वे निजी वकील का खर्च वहन नहीं कर पाते। 

SDG का समर्थन : 

  • यह पहल सतत् विकास लक्ष्य-16 पर केंद्रित है, जो "स्थायी विकास के लिये शांतिपूर्ण और समावेशी समाजों को बढ़ावा देगा तथा सभी के लिये' न्याय तक पहुँच  स्थापित करेगा एवं सभी स्तरों पर प्रभावी, जवाबदेह व समावेशी संस्थानों का निर्माण करेगा।

विधिक सेवा प्राधिकरण (LSA) अधिनियम:

  • वर्ष 1987 में गरीबों को मुफ्त और सक्षम कानूनी सेवाएंँ प्रदान करने हेतु विधिक सेवा प्राधिकरण (LSA) अधिनियम को अधिनियमित किया गया था जिसने राज्य, ज़िला और तालुका स्तर पर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Service Authority-NALSA) और अन्य कानूनी सेवा संस्थानों के गठन का मार्ग प्रशस्त किया।
    • नालसा अन्य कानूनी सेवा संस्थानों के साथ लोक अदालतों का आयोजन करता है। लोक अदालत वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्रों में से एक है, यह एक ऐसा मंच है जहांँ कानून की अदालत में या पूर्व मुकदमेबाजी के स्तर पर लंबित विवादों/मामलों को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाया/समझौता किया जाता है।
  • LSA अधिनियम के तहत मुफ्त कानूनी सेवाएंँ अनुसूचित जनजाति (Schedule Tribe) और अनुसूचित जाति (Schedule Caste) से संबंधित व्यक्ति, महिला, बच्चे, मानव तस्करी के शिकार, दिव्यांगजन, औद्योगिक कामगार और गरीबों हेतु उपलब्ध हैं।

संबंधित संवैधानिक प्रावधान

  •  भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 (क) में सभी के लिये न्याय सुनिश्चित किया गया है और गरीबों तथा समाज के कमज़ोर वर्गों के लिये राज्य द्वारा निःशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करने को कहा गया है। 
  • अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 22 (1), विधि के समक्ष समानता सुनिश्चित करने के लिये राज्य को बाध्य करता है।

स्रोत पी.आई.बी

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