तेलंगाना SC उप-वर्गीकरण कार्यान्वित करने वाला पहला राज्य | 16 Apr 2025

प्रिलिम्स के लिये:

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, राष्ट्रपति, उप-वर्गीकरण

मेन्स के लिये:

जातियों का उप-वर्गीकरण, सुभेद्य वर्गों के संरक्षण और कल्याण हेतु गठित तंत्र, विधि, संस्थान और निकाय

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

तेलंगाना राज्य ने तेलंगाना अनुसूचित जाति (आरक्षण का युक्तिकरण) अधिनियम, 2025 के कार्यान्वयन को अधिसूचित किया, जिससे वह अनुसूचित जातियों (SC) के उप-वर्गीकरण का कार्यान्वन करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया। 

जातियों के अंतर्गत उप-वर्गीकरण क्या है?

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तेलंगाना अनुसूचित जाति (आरक्षण का युक्तिकरण) अधिनियम, 2025 क्या है?

  • उद्देश्य: इस अधिनियम के अंतर्गत सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर उप-वर्गीकरण कर तेलंगाना में अनुसूचित जाति आरक्षण का पुनर्गठन किया गया है।
  • शमीम अख्तर आयोग ने जनसंख्या, साक्षरता, रोज़गार, शिक्षा का अभिगम, वित्तीय सहायता और राजनीतिक सहभागिता जैसे कारकों पर विचार करते हुए अनुसूचित जाति समुदायों के 8,600 से अधिक अभ्यावेदनों का परीक्षण किया।
  • वर्गीकरण विवरण: तेलंगाना में अनुसूचित जातियों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया है, यह उप-वर्गीकरण राज्य में मौजूदा 15% अनुसूचित जाति आरक्षण कोटा के अंतर्गत आता है।

समूह

उपजातियों की संख्या

अनुसूचित जाति जनसंख्या का %

आरक्षण (%)

श्रेणी विवरण

समूह I

15

3.288%

1%

सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से सर्वाधिक वंचित।

समूह II

18

62.748%

9%

साधारण सुविधा प्राप्त अनुसूचित जाति समुदाय।

समूह III

26

33.963%

5%

पर्याप्त सुविधा प्राप्त अनुसूचित जाति समुदाय।

नोट: तेलंगाना में अनुसूचित जातियों के लिये आरक्षण वर्ष 2011 की जनगणना पर आधारित है, लेकिन वर्तमान में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या 17.5% है, इसलिये सरकार अगली जनगणना के आँकड़े उपलब्ध होने पर इसमें विस्तार करने पर विचार करने की योजना बना रही है।

SC उप-वर्गीकरण के संवैधानिक और विधिक पहलू क्या हैं?

  •  संवैधानिक प्रावधान:
    • अनुच्छेद 14: इसमें मौलिक समानता प्राप्त करने के लिये उचित वर्गीकरण की अनुमति दी गई है। उप-वर्गीकरण तभी स्वीकार्य है जब यह बोधगम्य भिन्नता (एक समूह को दूसरे से अलग करने के लिये एक स्पष्ट और बोधगम्य आधार) और तर्कसंगत संबंध (वर्गीकरण और उसके लक्ष्य के बीच एक तार्किक संबंध) पर आधारित हो।
    • अनुच्छेद 15(4) और 15(5): राज्य को शिक्षा और संस्थानों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों सहित सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की उन्नति के लिये विशेष प्रावधान करने का प्राधिकार है।
    • अनुच्छेद 16(4): इसके अंतर्गत पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग के पक्ष में, जिनका प्रतिनिधित्व राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त नहीं है, राज्य के अधीन सेवाओं में आरक्षण की अनुमति दी गई है।
    • अनुच्छेद 341(1): इसमें राज्यपाल के परामर्श से राष्ट्रपति द्वारा अनुसूचित जातियों को विनिर्दिष्ट किये जाने का प्रावधान है।
    • अनुच्छेद 341(2): संसद विधि द्वारा किसी भी जाति, मूलवंश या जनजाति को अनुसूचित जातियों की सूची में सम्मिलित अथवा उससे अपवर्जित कर सकती है।
  • प्रमुख न्यायिक व्याख्याएँ: 
    • ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (वर्ष 2004): सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि अनुसूचित जातियाँ एक समरूप वर्ग (Homogeneous Class) हैं तथा अनुसूचित जातियों के भीतर कोई भी उप-वर्गीकरण अनुच्छेद 341 के तहत राष्ट्रपति सूची में फेरबदल के समान होगा।
      • चूँकि केवल संसद ही सूची में संशोधन कर सकती है, इसलिये न्यायालय ने राज्यों द्वारा उप-वर्गीकरण को असंवैधानिक घोषित कर दिया।
    • पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह (वर्ष 2024): सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने चिन्नैया निर्णय को खारिज कर दिया और इस बात को बरकरार रखा कि राज्य अनुभवजन्य आँकड़ों और ऐतिहासिक साक्ष्यों का उपयोग करके पिछड़ेपन के विभिन्न स्तरों के आधार पर आरक्षण कोटे के भीतर SC और ST को उप-वर्गीकृत कर सकते हैं।
      • इस तरह के उप-वर्गीकरण में राजनीतिक उद्देश्यों से बचना चाहिये तथा यह न्यायिक समीक्षा के अधीन है।

उप-वर्गीकरण के पक्ष और विपक्ष में तर्क क्या हैं?

पहलू

उप-वर्गीकरण के पक्ष में तर्क

उप-वर्गीकरण के विपक्ष में तर्क

लक्षित समर्थन

  • यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों में सबसे अधिक वंचित लोगों (जिन्हें अभी तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला है) को उचित सहायता मिले।
  • सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना 2011 के लगभग एक दशक बाद भी, इसके आँकड़ों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा अभी तक जारी नहीं किया गया है। अनुभवजन्य आँकड़ों पर आधारित तेलंगाना उप-वर्गीकरण इस अंतर को प्रभावी ढंग से दूर करता है तथा आरक्षण का अधिक न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करता है।
  • यह विधेयक अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के "क्रीमी लेयर" समूहों को सबसे पिछड़े वर्गों के लिये मिलने वाले लाभों पर एकाधिकार करने से रोकता है।
  • उप-वर्गीकरण इस बात की अनदेखी करता है कि आर्थिक प्रगति के बावजूद सभी अनुसूचित जातियों को अस्पृश्यता के कलंक (Stigma) का सामना करना पड़ता है।
  • यह राजनीतिक तुष्टिकरण का एक साधन बन सकता है तथा समानता को बढ़ावा देने के बजाय जातिगत विभाजन को और गहरा कर सकता है।

आंतरिक असमानताओं को संबोधित करना

  • यह विधेयक अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के भीतर विविधता को मान्यता देता है तथा कुछ उप-समूहों (जैसे, महार, मीना) के प्रभुत्व को संबोधित करता है।
  • इससे पहले से ही हाशिये पर पड़े समुदायों के और अधिक विखंडित होने तथा उनकी सामूहिक राजनीतिक आवाज कमज़ोर होने का जोखिम है।

संवैधानिक लचीलापन

  • संविधान उत्थान के लिये विशेष उपायों की अनुमति देता है; यदि आँकड़ों द्वारा समर्थित हो तो उप-वर्गीकरण ऐसा ही एक साधन हो सकता है।
  • जाति/वर्गीय पदानुक्रम को समाप्त करने के बजाय आंतरिक विभाजन पर ध्यान केंद्रित करने से व्यापक सामाजिक न्याय के एजेंडे को कमजोर करने का जोखिम है।

निष्कर्ष

उप-वर्गीकरण का उद्देश्य सबसे वंचितों पर ध्यान केंद्रित करके गहरी जड़ें जमाए असमानताओं को दूर करना है, लेकिन इससे दलित आंदोलनों को ऐतिहासिक रूप से मज़बूत करने वाली एकता के विखंडन का जोखिम है। वास्तविक सामाजिक न्याय नीतिगत ढाँचों से परे है, जो प्रणालीगत उत्पीड़न की जड़ से निपटता है। चुनौती यह सुनिश्चित करने में है कि इन सुधारों से लगातार जातिगत पदानुक्रम का सामना करने के लिये आवश्यक सामूहिक शक्ति को कमज़ोर किये बिना वास्तव में हाशिये पर पड़े लोगों का उत्थान हो सके।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण के महत्त्व की जाँच कीजिये। यह कदम भारत में सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के साथ कैसे संरेखित है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारत के निम्नलिखित संगठनों/निकायों पर विचार कीजिये: (2023)

  1. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग
  2. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
  3. राष्ट्रीय विधि आयोग
  4. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग

उपर्युक्त में से कितने सांविधानिक निकाय हैं?

(a) केवल एक 
(b) केवल दो 
(c) केवल तीन 
(d) सभी चार

उत्तर: (a)


मेन्स:

Q. स्वतंत्रता के बाद अनुसूचित जनजातियों (एस.टी.) के प्रति भेदभाव को दूर करने के लिये, राज्य द्वारा की गई दो मुख्य विधिक पहलें क्या हैं? (2017)