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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    अस्पृश्यता क्या है ? भारतीय संविधान में इससे संबंधित कौन-से प्रावधान हैं ? इसके लिये किये गए विधिक उपायों के उल्लेख के साथ-साथ इसके उन्मूलन के अन्य उपाय भी सुझाएँ।

    02 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा-

    • अस्पृश्यता को परिभाषित करें।
    • अस्पृश्यता से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों का उल्लेख करें।
    • अस्पृश्यता उन्मूलन के लिये किये गए विधिक प्रावधानों का उल्लेख करें।
    • अस्पृश्यता उन्मूलन के अन्य उपाय सुझाएँ।

    सामान्यतः जब समाज का कोई समुदाय दूसरे समुदाय से कार्य, जाति, परंपरा अथवा रूढ़ि के आधार पर छुआछूत का व्यवहार करता है तथा उस समुदाय को सामूहिक रूप से अस्पृश्य मानकर सार्वजनिक स्थलों में प्रवेश से वर्जित करता है, तो इसे ही अस्पृश्यता कहते हैं। भारत की वर्ण-व्यवस्था में जाति आधारित अस्पृश्यता की रूढ़ि रही है। भारत के संविधान में अस्पृश्यता शब्द का निश्चित अर्थ नहीं दिया है, परंतु संविधान में इससे संबंधित कुछ प्रावधान हैं, जो इस प्रकार हैं –

    • संविधान की प्रस्तावना में ‘प्रतिष्ठा व अवसर की समता’ तथा अनुच्छेद 14 में विधि के समक्ष समता, अनुच्छेद 15 में धर्म, मूल, वंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध एवं अनुच्छेद 17 में अस्पृश्यता के अंत की घोषणा है। 
    • अनुच्छेद 17 समता के अधिकार को एक क्षेत्र विशेष में लागू करता है और अस्पृश्यता के अंत की घोषणा करता है। 

    संवैधानिक प्रावधानों के अतिरिक्त अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिये कुछ विधिक प्रावधान भी किये गए हैं –

    • सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम- संसद ने अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिये अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 पारित किया तथा 1976में इसका संशोधन कर इसका नाम ‘सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम’ कर दिया गया।
    • अनुसूचित जाति एवं जनजाति(उत्पीड़न निवारण) अधिनियम,1989 के तहत प्रथम बार ‘उत्पीड़न’ शब्द की व्यापक व्याख्या की गई है। केंद्र सरकार ने इस अधिनियम से प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 1995 में एक नियमावली का निर्माण भी किया है। 
    • 2015 में उपरोक्त अधिनियम में संशोधन के माध्यम से पुराने प्रावधानों को और अधिक सख्त कर दिया गया है। इसमें उत्पीड़न की परिभाषा में कई और कृत्यों, जैसे- सिर व मूंछ मूँडना, चप्पलों की माला पहनाना, जनजातीय महिलाओं को देवदासी बनाना आदि को भी शामिल किया गया है। इसमें मामलों के त्वरित निवारण के लिये विशेष अदालतों के गठन का भी प्रावधान किया गया है। 

    अस्पृश्यता उन्मूलन के अन्य संभावित उपाय-

    • पीड़ित समुदाय के आर्थिक व सामाजिक विकास के द्वारा। 
    • अस्पृश्यता व उत्पीड़न जैसे मामलों के त्वरित निवारण के लिये पर्याप्त संख्या में विशेष अदालतों के गठन के द्वारा।
    • अंतर्जातीय विवाहों को बढ़ावा देकर तथा खाप पंचायतों के उन्मूलन द्वारा।
    • स्कूल स्तर पर बच्चों में सभी समुदायों के प्रति समानता की अभिवृत्ति विकसित करना।
    • अस्पृश्यता उन्मूलन के प्रति सामाजिक जागरूकता का प्रसार करना आदि।

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