भारतीय अर्थव्यवस्था
दूरसंचार कंपनियों पर पूंजी कराधान
- 24 Oct 2023
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:पूंजीगत व्यय और राजस्व व्यय, दूरसंचार विभाग, दूरसंचार लाइसेंस शुल्क, परिशोधन मेन्स के लिये:पूंजी और राजस्व व्यय के बीच अंतर, संसाधनों का संग्रहण |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने माना है कि टेलीकॉम कंपनियों द्वारा प्रवेश शुल्क के साथ-साथ परिवर्तनीय वार्षिक लाइसेंस शुल्क के भुगतान को राजस्व व्यय न मानकर पूंजीगत व्यय माना जाएगा और इस पर तद्नुसार कर लगाया जाएगा।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से टेलीकॉम लाइसेंस शुल्क पर प्रभाव:
- निर्णय:
- सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में कहा गया है कि (नई दूरसंचार) नीति 1999 के तहत प्रवेश शुल्क और वार्षिक लाइसेंस शुल्क के रूप में दूरसंचार कंपनियों द्वारा दूरसंचार विभाग को किये गए भुगतान को अब पूंजीगत व्यय के रूप में वर्गीकृत किया गया है तथा इसे (आयकर) अधिनियम की धारा 35ABB के अनुसार परिशोधित किया जा सकता है।
- इसका तात्पर्य यह है कि पूरे खर्च में एक साथ कटौती करने के बजाय कंपनी को कर उद्देश्यों के लिये प्रत्येक वर्ष कुल शुल्क के एक हिस्से में कटौती करने की आवश्यकता होगी।
- सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में कहा गया है कि (नई दूरसंचार) नीति 1999 के तहत प्रवेश शुल्क और वार्षिक लाइसेंस शुल्क के रूप में दूरसंचार कंपनियों द्वारा दूरसंचार विभाग को किये गए भुगतान को अब पूंजीगत व्यय के रूप में वर्गीकृत किया गया है तथा इसे (आयकर) अधिनियम की धारा 35ABB के अनुसार परिशोधित किया जा सकता है।
- प्रभाव:
- लेखांकन व्यवहार में परिवर्तन: दूरसंचार कंपनियों ने परंपरागत रूप से लाइसेंस शुल्क को खर्च के रूप में माना है, जिससे उन्हें कर (Tax) गणना के लिये वर्ष-दर-वर्ष आधार पर कटौती का दावा करने की अनुमति मिलती है।
- हालाँकि यह निर्णय लेखांकन व्यवहार में बदलाव को अनिवार्य करता है, जिसके लिये लाइसेंस शुल्क को पूंजीगत व्यय के रूप में माना जाना आवश्यक है।
- इन खर्चों का परिशोधन लाइसेंस की धारण अवधि के दौरान किया जाना चाहिये।
- नकदी प्रवाह पर प्रारंभिक प्रभाव: लेखांकन व्यवहार में बदलाव के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में दूरसंचार कंपनियों को नकदी प्रवाह में अस्थायी कमी का अनुभव हो सकता है।
- उच्च EBITDA (ब्याज, कर, मूल्यह्रास व परिशोधन से पहले की आमदनी) और PBT (कर से पहले लाभ) इस बदलाव के परिणामस्वरूप हो सकते हैं, लेकिन लाइसेंस की अवधि के दौरान इसकी भरपाई होने की संभावना है।
- वित्तीय तनाव (Financial Strain): इस फैसले से उन कंपनियों पर प्रभाव पड़ने का अनुमान है जिन्होंने दूरसंचार लाइसेंस प्राप्त करने के लिये पर्याप्त खर्च व्यय किया है, खासकर वे कंपनियाँ जो पहले से ही वित्तीय घाटे का सामना कर रही हैं।
- पूर्वव्यापी अनुप्रयोग के बारे में अनिश्चितता: सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि नई लेखांकन संरचना को पूर्वव्यापी रूप से लागू किया जाना चाहिये अथवा नहीं।
- इससे दूरसंचार उद्योग में चिंताएँ बढ़ गई हैं, साथ ही पिछली अवधि की कर देनदारियों को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
- लेखांकन व्यवहार में परिवर्तन: दूरसंचार कंपनियों ने परंपरागत रूप से लाइसेंस शुल्क को खर्च के रूप में माना है, जिससे उन्हें कर (Tax) गणना के लिये वर्ष-दर-वर्ष आधार पर कटौती का दावा करने की अनुमति मिलती है।
परिशोधन:
- यह लेखांकन की एक विधि है जिसका उपयोग परिसंपत्ति की उपयोग अवधि के दौरान पूंजीगत व्यय या अमूर्त संपत्ति की लागत को बढ़ाने के लिये किया जाता है।
- व्यय का यह क्रमिक आवंटन परिसंपत्ति के प्रारंभिक व्यय को समय के साथ उत्पन्न होने वाले राजस्व के साथ संतुलित करने में सहायता करता है।
- सरल शब्दों में इसका अर्थ है एक व्यय को छोटे भागों में विभाजित करना और उन भागों को एक विशिष्ट अवधि में वित्तीय विवरणों पर व्यय के रूप में पहचानना।
- यह अभ्यास समय के साथ कंपनी के वित्तीय विवरणों और कर देनदारी पर परिसंपत्ति के प्रभाव का अधिक सटीक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
पूंजीगत और राजस्व व्यय के बीच अंतर:
पहलू |
पूंजीगत व्यय |
राजस्व व्यय |
व्यय की प्रकृति |
दीर्घकालिक परिसंपत्तियों या निवेशों को प्राप्त करने, सुधारने या विस्तारित करने से संबंधित व्यय, जिनसे एक वित्तीय वर्ष से अधिक के लिये लाभ मिलने की उम्मीद है। |
मौजूदा परिसंपत्तियों या सेवाओं के रखरखाव और समर्थन के लिये किये गए दैनिक परिचालन व्यय। |
लेखांकन व्यवहार |
बैलेंस शीट पर पूंजीकृत करने के उपरांत समय से परिशोधन या मूल्यह्रास के माध्यम से मान्यता प्राप्त है। |
आय विवरण पर वर्ष में किये गए व्यय के रूप में पूरी तरह से मान्यता प्राप्त है। |
कर व्यवहार |
मूल्यह्रास या परिशोधन के अधीन, जिससे कर प्रभाव में देरी होती है और प्रायः खरीद के वर्ष में कर योग्य आय कम हो जाती है। |
कर योग्य आय से तुरंत कटौती योग्य, कर दायित्व में तत्काल कमी प्रदान करता है। |
लाभप्रदता पर प्रभाव |
आम तौर पर अल्पकालिक लाभप्रदता पर बड़ा प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि लागत कई वर्षों के लिये होती है। |
इसका लाभप्रदता पर तत्काल प्रभाव पड़ता है, क्योंकि व्यय का आकलन निर्दिष्ट वर्ष में व्यय के आधार पर की जाती है। |
उदाहरण |
एक नई विनिर्माण सुविधा प्राप्त करना, एक नए उत्पाद, दीर्घकालिक लाइसेंस या फ्रेंचाइज़ी के लिये अनुसंधान और विकास। |
नियमित मशीनरी रखरखाव, कर्मचारी वेतन, विज्ञापन लागत, उपयोगिता बिल। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किसको/किनको भारत सरकार के पूंजी बजट में शामिल किया जाता है?(2016)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. पूंजी बजट तथा राजस्व बजट के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिये। इन दोनों बजटों के संघटकों को समझाइये। (2021) |