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शासन व्यवस्था

पूंजी निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता योजना

  • 30 Sep 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पूंजीगत निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता, प्रधानमंत्री गति शक्ति मास्टर प्लान, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, ऑप्टिकल फाइबर केबल।

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, वृद्धि और विकास, बुनियादी ढाँचा।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिये पूंजी निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता योजना शुरू की है।

पूंजी निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता योजना:

  • परिचय:
    • इस योजना के तहत राज्य सरकारों को पूंजी निवेश परियोजनाओं के लिये 50 वर्षीय ब्याज़ मुक्त ऋण के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
    • वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिये राज्यों को कुल 1 लाख करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
    • इस योजना के तहत दिया जाने वाला ऋण वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिये राज्यों को दी जाने वाली सामान्य उधार सीमा से अधिक होगा और इसे उसी वित्तीय वर्ष में खर्च करना होगा।
  • योजना हेतु पात्र:
    • नई परियोजनाओं या चल रही पूंजीगत परियोजनाओं में लंबित बिलों के निपटान के लिये।
    • राज्य अपनी वरीयता/प्राथमिकता दर्शाते हुए आवंटित निधि से अधिक मूल्य की परियोजनाएँ प्रस्तुत कर सकते हैं।
  • योजना के विभिन्न भाग:
  • अयोग्यता: 5 करोड़ रुपए से कम (पूर्वोत्तर के लिये 2 करोड़) के पूंजीगत परिव्यय वाली परियोजनाएँ और पूंजीगत परिव्यय के बावजूद मरम्मत एवं खरखाव परियोजनाएँ पात्र नहीं हैं।

पूंजीगत व्यय:

  • अर्थ:
    • पूंजीगत व्यय मशीनरी, उपकरण, भवन, स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा आदि के विकास पर सरकार द्वारा खर्च किया गया धन है।
    • इसमें सरकार द्वारा भूमि और निवेश जैसी अचल संपत्तियों के अधिग्रहण पर होने वाला खर्च भी शामिल है जो भविष्य में लाभ या लाभांश देता है।
    • संपत्ति के निर्माण के साथ-साथ ऋण का पुनर्भुगतान भी पूंजीगत व्यय है, क्योंकि यह देयता को कम करता है।
    • पूंजीगत व्यय निवेश या विकास संबंधी व्यय से जुड़ा होता है, जहाँ व्यय का लाभ भविष्य में वर्षों तक प्राप्त होता है।
  • महत्त्व:
    • पूंजीगत व्यय प्रकृति में दीर्घकालिक है और उत्पादन हेतु सुविधाओं के संयोजन या सुधार एवं परिचालन दक्षता को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को कई वर्षों तक राजस्व उत्पन्न करने की अनुमति देता है।
    • इससे श्रम भागीदारी को बढ़ावा मिलने के साथ भविष्य में अर्थव्यवस्था में अधिक उत्पादन करने की क्षमता को बढ़ावा मिलता है।
  • राजस्व व्यय से अंतर:
    • पूंजीगत व्यय, जिससे भविष्य के लिये संपत्ति का निर्माण होता है, के विपरीत राजस्व व्यय से न तो संपत्ति का निर्माण होता और न ही इससे सरकार के किसी दायित्व में कमी आती है।
    • कर्मचारियों का वेतन, पिछले कर्ज पर ब्याज़ भुगतान, सब्सिडी, पेंशन आदि राजस्व व्यय की श्रेणी में आते हैं। यह प्रकृति में आवर्ती है।

निम्नलिखित में से कौन भारत सरकार के पूंजीगत बजट में शामिल है/हैं? (2016)

  1. सड़कों, भवनों, मशीनरी आदि जैसी संपत्तियों के अधिग्रहण पर व्यय।
  2. विदेशी सरकारों से प्राप्त ऋण
  3. राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश को दिये गए ऋण और अग्रिम

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3  
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

  • पूंजीगत बजट: इसे बजट के उस हिस्से के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो सरकार की पूंजीगत प्राप्तियों और पूंजीगत व्यय से संबंधित है।
  • पूंजीगत प्राप्तियाँ : पूंजीगत प्राप्तियाँ उन प्राप्तियों को संदर्भित करती हैं जो या तो एक दायित्व पैदा करती हैं या सरकार की संपत्ति में कमी का कारण बनती हैं। आमतौर पर सरकार की गैर-राजस्व प्राप्तियों को पूंजीगत प्राप्तियों के रूप में जाना जाता है। इनमें ऋण वसूली, सरकार द्वारा उधार (बाज़ार , विदेशों और बहुपक्षीय संस्थानों से ऋण), सरकार की अन्य प्राप्तियाँ जैसे- डाक जमा, भविष्य निधि आदि शामिल हैं। अतः  कथन 2 सही है।
  • पूंजीगत व्यय: ऐसा व्यय जो या तो संपत्ति सृजित करता है (उदाहरण के लिये सड़क, स्कूल का निर्माण) या देयता को कम करता है (उदाहरण के लिये ऋण का भुगतान ) पूंजीगत व्यय कहलाता है। इनमें सरकार द्वारा ऋण वितरण (राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को दिये गए ऋण तथा अग्रिम) और ऋण भुगतान ; सड़कों, भवनों, मशीनरी आदि जैसी संपत्तियों के अधिग्रहण पर व्यय एवं रक्षा, सामान्य सेवाओं व अन्य देनदारियों पर सरकार का पूंजीगत व्यय शामिल है । अत: कथन 1 और 3 सही हैं। 

अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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