सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मृत्युदंड के मानवोचित तरीके पर डेटा की मांग | 23 Mar 2023
प्रिलिम्स के लिये:कारागार सुधार, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, मृत्युदंड, भारतीय दंड संहिता, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 72 मेन्स के लिये:कैदियों के मृत्युदंड से संबंधित प्रमुख मुद्दे, भारत में मृत्युदंड संबंधी वर्तमान प्रावधान |
चर्चा में क्यों?
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को इस संबंध में डेटा प्रदान करने का निर्देश दिया है जो फाँसी के अलावा कैदियों को मृत्युदंड देने के लिये अधिक सम्मानजनक, कम दर्दनाक और सामाजिक रूप से स्वीकार्य तरीका हो सकता है।
- न्यायालय ने अपराधियों को मृत्युदंड देने की भारत की मौजूदा पद्धति पर पुनः विचार करने के लिये एक विशेषज्ञ समिति के गठन का भी सुझाव दिया।
कैदियों के मृत्युदंड के संबंध में प्रमुख मुद्दे:
- न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह मृत्युदंड की संवैधानिकता पर प्रश्न नहीं उठा रहा है बल्कि मृत्युदंड के तरीके पर प्रश्न उठा रहा है।
- सरकार ने कहा था कि निष्पादन का तरीका "विधायी नीति का मामला" है और मृत्युदंड दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों में ही दिया जाता है।
- न्यायालय फाँसी देने के तरीके के रूप में मृत्यु की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
- दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 354 (5) में कहा गया है कि मृत्यु की सज़ा पाए व्यक्ति को "उसकी मृत्यु होने तक फाँसी पर लटकाया जाएगा"।
- यह तर्क दिया जाता है कि "मानवीय, त्वरित और सभ्य विकल्प" विकसित करने की आवश्यकता है तथा घातक इंजेक्शन की तुलना में फाँसी को "क्रूर और बर्बर" माना जाता है।
- हालाँकि केंद्र ने वर्ष 2018 में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें फाँसी से मौत का समर्थन किया गया था और फायरिंग स्क्वॉड तथा घातक इंजेक्शन की तुलना में फाँसी का तरीका "बर्बर, अमानवीय एवं क्रूर" नहीं माना गया था।
भारत में मृत्युदंड का मौजूदा प्रावधान:
- भारतीय दंड संहिता के तहत कुछ अपराध, जिसके लिये अपराधियों को मृत्युदंड दिया जा सकता है:
- हत्या (धारा 302)
- हत्या के साथ डकैती (धारा 396)
- आपराधिक षड्यंत्र (धारा 120बी)
- भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना या ऐसा करने का प्रयास करना (धारा 121)
- विद्रोह का उपशमन (धारा 132) और अन्य
- मृत्युदंड शब्द या कभी-कभी मौत की सज़ा का इस्तेमाल आमतौर पर एक-दूसरे हेतु किया जाता है, हालाँकि जुर्माना लगाने का परिणाम हमेशा निष्पादन नहीं होता है, इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति द्वारा आजीवन कारावास में बदला जा सकता है या क्षमा किया जा सकता है।
विश्व में मृत्युदंड का प्रावधान:
- एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, चीन, भारत, थाईलैंड, सिंगापुर और इंडोनेशिया सहित एशिया में मृत्युदंड काफी व्यापक है।
- बेलारूस, गुयाना, क्यूबा और संयुक्त राज्य अमेरिका के उल्लेखनीय अपवादों के साथ यूरोप एवं अमेरिका में मृत्युदंड दुर्लभ है।
- विश्व भर के 110 देशों और प्रदेशों ने मृत्युदंड को समाप्त कर दिया है, हाल ही में सिएरा लियोन, पापुआ न्यू गिनी और इक्वेटोरियल गिनी ने भी इसे लागू कर दिया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. मृत्यु दंडादेशों के लघुकरण में राष्ट्रपति के विलंब के उदाहरण न्याय प्राख्यान (डिनायल) के रूप में लोक वाद-विवाद के अधीन आए हैं। क्या राष्ट्रपति द्वारा ऐसी याचिकाओं को स्वीकार करने/अस्वीकार करने के लिये एक समय-सीमा का विशेष रूप से उल्लेख किया जाना चाहिये? विश्लेषण कीजिये। (2014) |