भारतीय राजनीति
राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति
- 12 May 2022
- 5 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति, अनुच्छेद 72, राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय, अनुच्छेद 161, राज्यपाल। मेन्स के लिये:राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान शक्ति। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र द्वारा दावा किया गया कि राष्ट्रपति के पास यह तय करने के लिये "अनन्य शक्तियाँ" हैं कि राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों को क्षमा करना है या नहीं, सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को निर्णय के लिये सुरक्षित रखने से पूर्व सरकार के इस कदम की आलोचना की है।
क्षमादान की शक्ति:
- राष्ट्रपति:
- परिचय:
- संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति के पास अपराध के लिये दोषी ठहराए गए किसी भी व्यक्ति की सज़ा को माफ करने, राहत देने, छूट देने या निलंबित करने, हटाने या कम करने की शक्ति होगी, जहाँ दंड मौत की सज़ा के रूप में है।
- सीमाएँ:
- राष्ट्रपति सरकार से स्वतंत्र होकर अपनी क्षमादान की शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता।
- कई मामलों में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया है कि राष्ट्रपति को दया याचिका पर फैसला करते समय मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करना होता है।
- इन मामलों में वर्ष 1980 का मारू राम बनाम भारत संघ और वर्ष 1994 का धनंजय चटर्जी बनाम पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं।
- प्रक्रिया:
- राष्ट्रपति, कैबिनेट की सलाह के लिये दया याचिका को गृह मंत्रालय को अग्रेषित करता है।
- मंत्रालय इसे संबंधित राज्य सरकार को अग्रेषित करता है; उसके जवाब के आधार पर यह मंत्रिपरिषद की ओर से अपनी सलाह तैयार करता है।
- पुनर्विचार:
- हालाँकि राष्ट्रपति मंत्रिमंडल से सलाह लेने के लिये बाध्य है, अनुच्छेद 74 (1) उसे एक बार पुनर्विचार के लिये इसे वापस करने का अधिकार देता है। यदि मंत्रिपरिषद किसी परिवर्तन के विरुद्ध निर्णय लेती है, तो राष्ट्रपति के पास उसे स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
- परिचय:
- राज्यपाल:
- अनुच्छेद 161 के तहत भारत में राज्यपाल को भी क्षमादान की शक्ति प्राप्त है।
राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान शक्तियों के बीच अंतर:
- अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति का दायरा अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल की क्षमादान शक्ति से अधिक व्यापक है जो निम्नलिखित दो तरीकों से भिन्न है:
- कोर्ट मार्शल: राष्ट्रपति कोर्ट मार्शल के तहत सज़ा प्राप्त व्यक्ति की सज़ा माफ़ कर सकता है परंतु अनुच्छेद 161 राज्यपाल को ऐसी कोई शक्ति प्रदान नहीं करता है।
- मृत्युदंड: राष्ट्रपति उन सभी मामलों में क्षमादान दे सकता है जिनमें मृत्युदंड की सज़ा दी गई है लेकिन राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति मृत्युदंड के मामलों तक विस्तारित नहीं है।
प्रमुख शब्दावली:
- क्षमा (Pardon): इसमें दंड और बंदीकरण दोनों को हटा दिया जाता है तथा दोषी की सज़ा को दंड, दंडादेशों एवं निर्हर्ताओं से पूर्णतः मुक्त कर दिया जाता है।
- लघुकरण (Commutation): इसमें दंड के स्वरुप में परिवर्तन करना शामिल है, उदाहरण के लिये मृत्युदंड को आजीवन कारावास और कठोर कारावास को साधारण कारावास में बदलना।
- परिहार (Remission): इसमें दंड कीअवधि को कम करना शामिल है, उदाहरण के लिये दो वर्ष के कारावास को एक वर्ष के कारावास में परिवर्तित करना।
- विराम (Respite): इसके अंतर्गत किसी दोषी को प्राप्त मूल सज़ा के प्रावधान को किन्हीं विशेष परिस्थितियों में बदलना शामिल है। उदाहरण के लिये महिला की गर्भावस्था की अवधि के कारण सज़ा को परिवर्तित करना।
- प्रविलंबन (Reprieve): इसका अर्थ है अस्थायी समय के लिये किसी सज़ा (विशेषकर मृत्युदंड) के निष्पादन पर रोक लगाना। इसका उद्देश्य दोषी को राष्ट्रपति से क्षमा या लघुकरण प्राप्त करने के लिये समय देना है।