सुंदरबन | 18 May 2024

प्रिलिम्स के लिये:

सुंदरबन, खारे पानी का मगर मच्छ, वॉटर मॉनिटर लिज़र्ड, गंगा डॉल्फिन, ओलिव रिडले कछुए, बंगाल की खाड़ी

मेन्स के लिये:

सुंदरबन, सुंदरबन से जुड़ी चुनौतियाँ

स्रोत: स्टेटमैन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रमुख पर्यावरण वैज्ञानिकों द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, पश्चिम बंगाल के महत्त्वपूर्ण मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र सुंदरबन को वायु प्रदूषण से गंभीर खतरा है।

सुंदरबन क्या है?

  • परिचय:
    • सुंदरबन, विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन क्षेत्र है, जो बंगाल की खाड़ी में गंगा, ब्रह्मपुत्र तथा मेघना नदियों के डेल्टा पर स्थित है।
    • मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भूमि एवं समुद्र के बीच एक पारिस्थितिकी तंत्र है।
  • वनस्पति एवं जीव:
    • यह क्षेत्र विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्रों का समर्थन करता है, जिनमें दलदल (खारे एवं स्वच्छ जल की वनस्पति) एवं अंतर-ज्वारीय मैंग्रोव शामिल हैं।
  • संरक्षण:
    • सुंदरबन का 40% भाग भारत में तथा शेष भाग बांग्लादेश में स्थित है।
    • इसे वर्ष 1987 भारत में और वर्ष 1997 में बांग्लादेश में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
    • जनवरी 2019 में रामसर अभिसमय के अंर्तगत भारत की सुंदरबन आर्द्रभूमि को 'अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि' के रूप में मान्यता प्रदान की गई थी।
    • प्रोजेक्ट टाइगर: सुंदरबन के विशिष्ट शिकारी (रॉयल बंगाल टाइगर), इस क्षेत्र में अत्यधिक चराई को कम करने के साथ पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के लिये जानवरों की संख्या को नियंत्रित करते हैं।
      • बाघों की सुरक्षा पौधों एवं जानवरों की अन्य प्रजातियों के लिये एक विशाल आवास को भी सुरक्षित करती है, जो सुंदरबन में एक स्वस्थ वन पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में योगदान देते हैं।
    • वर्ष 2011 में भारत एवं बांग्लादेश द्वारा सुंदरबन की निगरानी तथा संरक्षण की आवश्यकता को देखते हुए, सुंदरबन के संरक्षण पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया।

सुंदरबन के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?

  • महासागरों का बढ़ता स्तर: जलवायु परिवर्तन का परिणाम, महासागरों के बढ़ते जलस्तर से निचले स्तर के मैंग्रोव के जलमग्न होने का खतरा उत्पन्न कर सकता है। खारे जल की अधिकता के परिणामस्वरूप उनका संतुलन बाधित होता है और यह स्थिति चक्रवातों के दौरान तूफान के प्रति उन्हें अधिक संवेदनशील बनाती है।
  • चक्रवातों की तीव्रता में वृद्धि: जलवायु परिवर्तन भी चक्रवात पुनरावृत्ति और तीव्र तूफानों से जुड़ा हुआ है। ये चक्रवात मैंग्रोव को हानि पहुँचा सकते हैं, जिससे भौतिक क्षति हो सकती है, साथ ही उनके अस्तित्व के लिये महत्त्वपूर्ण तलछट प्रणाली बाधित हो सकती है।
  • नकदी एवं खाद्य फसलें: नकदी फसलों (ऑयल पाम) अथवा खाद्यान्न उत्पादन (धान) जैसी कृषि के लिये मैंग्रोव वनों का रूपांतरण इनको नष्ट कर सकता है। 
    • इससे न केवल इन पारिस्थितिक तंत्रों के लिये उपलब्ध क्षेत्र कम हो जाता है, बल्कि वर्तमान पारिस्थितिक तंत्र भी खंडित हो जाते हैं, जिससे जैवविविधता प्रभावित होती है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की हानि: मैंग्रोव वन मत्स्य प्रजातियों के लिये तटरेखा संरक्षण तथा मत्स्य पालन के लिये प्राकृतिक तालाबों जैसी महत्त्वपूर्ण सेवाएँ प्रदान करते हैं। वनों की कटाई इन सेवाओं को बाधित करती है, जिससे तटीय समुदायों के साथ-साथ मत्स्य पालन भी प्रभावित होता है।
  • वन्यजीवों को खतरा: जलवायु परिवर्तन के कारण मैंग्रोव आवासों के नष्ट होने से संकटापन्न या लुप्तप्राय प्रजातियाँ नष्ट हो रही हैं।
    • मैंग्रोव विविध मोलस्क और क्रस्टेशियंस के लिये सुरक्षित आश्रय स्थल हुआ करते थे, हालाँकि, इन प्रजातियों की प्रजनन प्रथाओं और संदूषित निर्वहन के कारण वे लुप्त हो रहे हैं।
  • प्रदूषकों का प्रभाव: आस-पास के शहरी क्षेत्रों एवं संपूर्ण सिंधु-गंगा के मैदानी क्षेत्र से ब्लैक कार्बन कणों से युक्त प्रदूषक सुंदरबन की वायु गुणवत्ता को न्यून कर रहे हैं, जिससे इसके पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव पड़ रहा है।
    • ये वायु प्रदूषक सुंदरबन मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र की पारिस्थितिकी एवं जैव-भू-रसायन विज्ञान को विशेष रूप से प्रभावित करते हैं।

आगे की राह

  • नदी तटों का संरक्षण: वेटिवर (जो कि लवण सहिष्णु नहीं है) जैसी गैर-स्थानिक प्रजातियों को शामिल करने के बजाय वाइल्ड राइस, मायरियोस्टैच्या वाइटियाना, बिस्किट ग्रास और साल्ट काउच ग्रास जैसी घास की स्थानिक प्रजातियों को उगाकर स्ट्रीमबैंक/नदी तटों का स्थायीकरण किया जा सकता है तथा क्षरण को रोका जा सकता है।
  • धारणीय कृषि को प्रोत्साहन: मृदा-सहिष्णु धान की किस्मों तथा जैविक कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित कर पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए किसानों के लिये कृषि उत्पादकता एवं आय में वृद्धि सुनिश्चित की जा सकती है।
  • अपशिष्ट जल उपचार: अपशिष्ट जल उपचार हेतु प्राकृतिक प्रक्रियाओं और सूक्ष्मजीवों, जैसे लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया तथा प्रकाश संश्लेषक बैक्टीरिया का उपयोग करके, जल की गुणवत्ता एवं पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य को पोषित किया जा सकता है।
  • भारत-बांग्लादेश सहयोग: भारत-बांग्लादेश संयुक्त कार्य-समूह (JWG) को सुंदरबन तथा उस पर निर्भर समुदायों के लिये जलवायु अनुकूलन योजना बनाने तथा उसे लागू करने हेतु अंतःविषय विशेषज्ञों के एक उच्चाधिकार प्राप्त बोर्ड में परिवर्तित किया जा सकता है।
  • नवोन्मेषी समाधान: सुधारात्मक उपायों में सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन, विद्युत परिवहन, सब्सिडीयुक्त LPG, विनियमित पर्यटन, प्रदूषक कारखानों को बंद करना, ईंट भट्टों और भूमि उपयोग का विनियमन एवं तटीय विनियमों को सशक्त बनाना आदि शामिल है।
  • बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण: पर्यटन, आपदा प्रबंधन, कृषि, मत्स्य पालन और ग्रामीण विकास मंत्रालयों द्वारा भागीदारी तथा बहुआयामी योजना के लिये बहुस्तरीय दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. सुंदरबन क्षेत्र में आने वाली पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। इस क्षेत्र में सतत् विकास और संरक्षण के लिये उपाय सुझाइये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित संरक्षित क्षेत्रों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. बांदीपुर  
  2. भीतरकनिका 
  3. मानस  
  4. सुंदरबन

 उपर्युक्त में से किसे टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b)


प्रश्न. भारत की जैवविविधता के संदर्भ में सीलोन फ्रॉगमाउथ, कॉपरस्मिथ बार्बेट, ग्रे-चिन्ड मिनिवेट और ह्वाइट-थ्रोटेड रेडस्टार्ट क्या है? (2020)

(a) पक्षी
(b) प्राइमेट
(c) सरीसृप
(d) उभयचर

उत्तर: (a) 


मेन्स:

प्रश्न."भारत में आधुनिक कानून की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पर्यावरणीय समस्याओं का संवैधानिकीकरण है।" सुसंगत वाद विधियों की सहायता से इस कथन की विवेचना कीजिये। (2022)

प्रश्न. "विभिन्न प्रतियोगी क्षेत्रों और साझेदारों के मध्य नीतिगत विरोधाभासों के परिणामस्वरूप पर्यावरण के संरक्षण तथा उसके निम्नीकरण की रोकथाम' अपर्याप्त रही है।" सुसंगत उदाहरणों सहित टिप्पणी कीजिये। (2018)