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भारतीय अर्थव्यवस्था

भौतिक से डिजिटल सोने की ओर बदलाव

  • 14 Nov 2023
  • 18 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भौतिक से डिजिटल सोने की ओर बदलाव, गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF), गोल्ड म्यूचुअल फंड तथा सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड, रियल एस्टेट, गोल्ड मुद्रीकरण योजना में बदलाव।

मेन्स के लिये:

भौतिक से डिजिटल सोने की ओर बदलाव, निवेश मॉडल, पूंजी बाज़ार

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल के वर्षों में गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF), गोल्ड म्यूचुअल फंड एवं सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड भौतिक सोने की तुलना में अधिक लोकप्रिय हो गए हैं जिनमें विशेषकर भंडारण और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

सोना भारतीय परिवारों से कैसे संबंधित है?

  • भारतीय परिवारों के पास सोने का भार:
    • जेफरीज़ की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2023 तक कुल भारतीय घरेलू संपत्ति का 15.5% सोने में है।
      • जेफरीज़, एक अमेरिकी आधारित निवेश बैंकिंग तथा पूंजी बाज़ार फर्म है जो अमेरिका, यूरोप एवं मध्य पूर्व तथा एशिया में निवेशकों, कंपनियों व सरकारों को अंतर्दृष्टि, विशेषज्ञता एवं निष्पादन सुविधा प्रदान करती है।
    • सोने की कुल हिस्सेदारी में केवल रियल एस्टेट का हिस्सा 50.7%प्रतिशत से अधिक है।
      • शेष हिस्सेदारी में बैंक जमा (14%), बीमा निधि (5.9%), भविष्य और पेंशन निधि (5.8%), इक्विटी (4.7%) एवं नकद (3.4%) शामिल हैं।
    • ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीयों का सोने के प्रति रुझान सही है, क्योंकि क्वांटम म्यूचुअल फंड अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला गया है कि जोखिम-रिटर्न के दृष्टिकोण से सोने के लिये 10-15% पोर्टफोलियो आवंटन उचित है।
    • 10-15% आवंटन निवेशकों को समग्र पोर्टफोलियो रिटर्न को प्रभावित किये बिना जोखिम कम करने की अनुमति देता है।

  • भौतिक से डिजिटल की ओर परिवर्तन:
    • परंपरागत रूप से भारतीयों ने छोटे आभूषण अथवा गोल्ड बार और सिक्के खरीदकर सोने की बचत की है, जिसे बाद में शादी जैसे उपयुक्त समय पर बड़े आभूषणों में परिवर्तित कर दिया जाता है अथवा वित्तीय ज़रूरतों के समय परिसमाप्त कर दिया जाता है।
      • गोल्ड बार और सिक्के बहुत तरल होते हैं, उनकी शुद्धता की हमेशा गारंटी नहीं होती है। उनकी भंडारण लागत अधिक होती है तथा वे खुदरा विक्रेता मार्क-अप एवं पुनर्विक्रय के समय कम मूल्य मिलने जैसी समास्याओं से परिपूर्ण हैं।
    • किंतु बदलती जनसांख्यिकी, बैंकिंग सुविधाओं तक अधिक पहुँच, डिजिटल अर्थव्यवस्था के विस्तार और वित्तीय निवेश के तरीकों के बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ उपभोक्ता प्राथमिकता धीरे-धीरे भौतिक सोने से डिजिटल रास्ते की ओर बढ़ रही है।
    • इसके कारण आज देश में डिजिटल गोल्ड निवेश के साधन के रूप में गोल्ड ETF और SGB की स्वीकार्यता बढ़ रही है।

सोने में निवेश के लिये डिजिटल माध्यम क्या हैं?

  • गोल्ड ETF:
    • परिचय: स्वर्ण/गोल्ड ETF, जिसका उद्देश्य घरेलू भौतिक सोने की कीमत का आकलन करना है, निष्क्रिय निवेश साधन हैं जो सोने की कीमतों पर आधारित होते हैं तथा सोने को बुलियन में निवेश करते हैं।
      • गोल्ड ETF भौतिक सोने का प्रतिनिधित्व करने वाली इकाइयाँ हैं जो कागज़ अथवा डीमैट रूप में हो सकती हैं।
        • एक गोल्ड ETF इकाई 1 ग्राम सोने के बराबर होती है और इसमें उच्च शुद्धता का भौतिक सोना होता है।
        • वे स्टॉक निवेश के लचीलेपन और सोने के निवेश की सहजता को संयोजित करते हैं।
    • लाभ:
      • ETF की हिस्सेदारी में पूरी पारदर्शिता रखी गई है।
      • गोल्ड ETF में भौतिक सोने के निवेश की तुलना में बहुत कम खर्च होता है।
      • ETFs पर संपत्ति कर, सुरक्षा लेन-देन कर, वैट और बिक्री कर नहीं लगाया जाता है।
      • ETF सुरक्षित और संरक्षित होने के कारण चोरी का कोई डर नहीं होता क्योंकि ये इकाइयाँ धारक के डीमैट खाते में होती हैं।
    • डिजिटल गोल्ड की ओर रुख: गोल्ड ETF में निवेशकों की संख्या जनवरी 2020 में करीब 4.61 लाख से बढ़कर सितंबर 2023 में 48.06 लाख हो गई है।
  • गोल्ड म्यूचुअल फंड:
    • गोल्ड म्यूचुअल फंड व्यवसायिक रूप से प्रबंधित फंड हैं जो सोने से संबंधित विभिन्न परिसंपत्तियों, जैसे- सोने के खनन स्टॉक, बुलियन और खनन कंपनियों में निवेश करने के लिये कई निवेशकों से पैसा इकट्ठा करते हैं।
    • गोल्ड, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) की तरह वे निवेशकों को भौतिक सोने में निवेश किये बिना सोने के बाज़ार में निवेश की अनुमति देते हैं।
  • सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड:
    • पहली SGB योजना नवंबर 2015 में सरकार द्वारा स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के तहत शुरू की गई थी जिसका उद्देश्य भौतिक सोने की मांग को कम करना और घरेलू बचत का एक हिस्सा वित्तीय बचत के रूप में स्थानांतरित करना था ताकि उसे सोने की खरीद के लिये इस्तेमाल किया जा सके।

योजना संबंधी प्रमुख विवरण:

वस्तु

विवरण

जारीकर्त्ता

भारत सरकार की ओर से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किया जाता है।

पात्रता

SGB की बिक्री निवासी व्यक्तियों, HUF (हिंदू अविभाजित परिवार), ट्रस्टों, विश्वविद्यालयों और धर्मार्थ संस्थानों के लिये प्रतिबंधित होगी।

अवधि

SGB की अवधि 8 वर्ष की होगी, जिसमें 5वें वर्ष के बाद समय से पहले भुनाने का विकल्प होगा।

न्यूनतम सीमा 

न्यूनतम अनुमेय निवेश की सीमा एक ग्राम सोना होगा।

अधिकतम सीमा

सदस्यता की अधिकतम सीमा प्रति वित्तीय वर्ष व्यक्तियों के लिये 4 किलोग्राम, HUF के लिये 4 किलोग्राम और ट्रस्टों के लिये 20 किलोग्राम तथा धर्मार्थ संस्थाओं के लिये सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित (अप्रैल-मार्च) होगी।

संयुक्त धारक

संयुक्त धारक के मामले में 4 किलोग्राम की निवेश सीमा पहले आवेदक पर ही लागू होगी।

निर्गमन मूल्‍य

इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड द्वारा प्रकाशित 999 शुद्धता वाले सोने की क्लोज़िंग प्राइस के सामान्य औसत के आधार पर SGB की कीमत भारतीय रुपए में तय की जाएगी। 

ब्‍याज दर 

निवेशकों को निवेश के आरंभिक मूल्‍य (अंकित मूल्य या घोषित मूल्य) पर 2.50 प्रतिशत प्रतिवर्ष की नियत दर पर अर्द्धवार्षिक रूप से देय होगा।

संपार्श्‍विक

SGB को ऋणों के लिये संपार्श्‍विक के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।


कर उपचार

आयकर अधिनियम, 1961 के उपबंधों के अनुसार, SGB पर ब्‍याज कर देना होगा। किसी व्‍यक्‍ति को SGB के मोचन से प्राप्‍त पूंजी लाभ कर पर छूट दी गई है। 

व्‍यापार योग्‍यता

SGB स्‍टाक एक्‍सचेंजों में व्‍यापार योग्‍य होंगे।

SLR पात्रता

केवल ग्रहणाधिकार/बंधक/गिरवी रखने की प्रक्रिया के माध्यम से बैंकों द्वारा अर्जित SGB की गणना सांविधिक नकदी अनुपात में की जाएगी।

  • डिजिटल गोल्ड:
    • यह डिजिटल गोल्ड निवेश के प्रकारों में से एक है जहाँ कोई भी छोटे मूल्यवर्ग में सोना ऑनलाइन खरीद सकता है
    • यह निवेशकों को भौतिक सोने के एक हिस्से का मालिक बनने की अनुमति देता है जिसे तिजोरियों में सुरक्षित संग्रहीत किया जाता है
    • यह निवेश निवेशक को भौतिक सोने के निवेश के साथ आने वाली चुनौतियों के बारे में चिंता किये बिना सोने के बाज़ार में निवेश की अनुमति देता है।
    • कई डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म और निवेश एप डिजिटल गोल्ड में निवेश की सुविधा प्रदान करते हैं।

एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF)

  • एक एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) प्रतिभूतियों की एक बास्केट है जो स्टॉक की तरह ही एक्सचेंज पर व्यापार करती है।
  • एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड, BSE सेंसेक्स की तरह एक सूचकांक की संरचना को दर्शाता है। इसका ट्रेडिंग मूल्य अंतर्निहित शेयरों (जैसे शेयर) के नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर आधारित होता है, जिसका यह प्रतिनिधित्व करता है।
  • ETF शेयर की कीमतों में पूरे दिन उतार-चढ़ाव होता रहता है क्योंकि इसे खरीदा और बेचा जाता है। यह म्युचुअल फंड से अलग है जिसका बाज़ार बंद होने के बाद दिन में केवल एक बार व्यापार होता है।
  • एक ETF विभिन्न उद्योगों में सैकड़ों या हज़ारों शेयर रख सकता है, या फिर उसे किसी एक विशेष उद्योग या क्षेत्र में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • बॉण्ड ETF एक प्रकार के ETF हैं जिनमें सरकारी बॉण्ड, कॉरपोरेट बॉण्ड और राज्य तथा स्थानीय बॉण्ड शामिल हो सकते हैं, जिन्हें म्युनिसिपल बॉण्ड कहा जाता है।
    • बॉण्ड एक ऐसा साधन है जो एक निवेशक द्वारा एक उधारकर्त्ता (आमतौर पर कॉर्पोरेट या सरकारी) को दिये गये ऋण का प्रतिनिधित्व करता है।
  • लागत प्रभावी होने के अलावा ETF निवेशकों को विविध निवेश पोर्टफोलियो प्रदान करते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत सरकार की बॉण्ड यील्ड निम्नलिखित में से किससे प्रभावित होती है? (2021)

  1. युनाइटेड स्टेट्स फेडरल रिज़र्व की कार्रवाइयों से
  2. भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्य से
  3. मुद्रास्फीति और अल्पकालिक ब्याज दरों के कारण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • बॉण्ड पैसा उधार लेने का साधन है। किसी देश की सरकार या किसी कंपनी द्वारा धन जुटाने के लिये बॉण्ड जारी किया जा सकता है।
  • बॉण्ड यील्ड वह रिटर्न है जो एक निवेशक को बॉण्ड पर मिलता है। प्रतिफल की गणना के लिये गणितीय सूत्र बॉण्ड के मौजूदा बाज़ार मूल्य से विभाजित वार्षिक कूपन दर है।
  • प्रतिफल में उतार-चढ़ाव ब्याज दरों के रुझान पर निर्भर करता है, इसके परिणामस्वरूप निवेशकों को पूंजीगत लाभ या हानि हो सकती है।
  • बाज़ार में बॉण्ड यील्ड बढ़ने से बॉण्ड की कीमत नीचे आ जाएगी।
  • बॉण्ड यील्ड में गिरावट से निवेशक को फायदा होगा क्योंकि बॉण्ड की कीमत बढ़ेगी, जिससे पूंजीगत लाभ होगा।
  • फेड टेपरिंग अमेरिकी फेडरल रिज़र्व के बॉण्ड खरीद कार्यक्रम में क्रमिक कमी हुई है। इसलिये यूंनाइटेड स्टेट्स फेडरल रिज़र्व की कोई भी कार्रवाई भारत में बॉण्ड यील्ड को प्रभावित करती है। अत: कथन 1 सही है।
  • सरकारी बॉण्ड का प्रतिफल निर्धारित करने में RBI की कार्रवाइयाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों की एक विस्तृत शृंखला को प्रभावित करने में मौद्रिक नीति के लिये संप्रभु यील्ड वक्र का विशेष महत्त्व है। अत: कथन 2 सही है।
  • मुद्रास्फीति और अल्पकालिक ब्याज दरें भी सरकारी बॉण्ड यील्ड को प्रभावित करती हैं। अत: कथन 3 सही है।

अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।


प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में दिखने वाले 'आइ.एफ.सी.मसाला बॉण्ड (IFC Masals Bonds)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (इंरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन), जो इन बॉण्डों को प्रस्तावित करता है, विश्व बैंक की एक शाखा है।
  2. ये रुपया अंकित मूल्य वाले बॉण्ड (Rupee-denominated Bonds) हैं और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के ऋण वित्तीयन के स्रोत हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • विश्व बैंक समूह, जो कि विकासशील देशों की वित्तीय और तकनीकी सहायता का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है, में पाँच विशिष्ट लेकिन पूरक संगठन शामिल हैं।
  • पुनर्निर्माण और विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय बैंक (IBRD)।
  • अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA)।
  • अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC)। अतः कथन 1 सही है।
  • बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (MIGA)।
  • निवेश विवादों के निपटान के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (ICSID)।
  • मसाला बॉण्ड भारत के बाहर जारी किये गए बॉण्ड होते हैं, लेकिन स्थानीय मुद्रा की बजाय इन्हें भारतीय मुद्रा में निर्दिष्ट किया जाता है। मसाला का अर्थ है 'मसाले' और इस शब्द का इस्तेमाल अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) द्वारा विदेशी प्लेटफॅार्मों पर भारत की संस्कृति और व्यंजनों को लोकप्रिय बनाने के लिये किया गया था। मसाला बॉण्ड का उद्देश्य भारत में बुनियादी ढांँचा परियोजनाओं को वित्तपोषित करना, उधार के माध्यम से आंतरिक विकास को बढ़ावा देना और भारतीय मुद्रा का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना है। अत: कथन 2 सही है।

अतः विकल्प (C) सही उत्तर है।


प्रश्न. सरकार की 'संप्रभु स्वर्ण बॉण्ड योजना (Sovereign Gold Bond Scheme)' और 'स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (Old Monetization Scheme)' का/के उद्देश्य क्या है/हैं? (2016)

  1. भारतीय गृहस्थों के पास निष्क्रिय पड़े स्वर्ण को अर्थव्यवस्था में लाना।
  2. स्वर्ण एवं आभूषण के क्षेत्र में FDI को प्रोत्साहित करना।
  3. स्वर्ण के आयात पर भारत की निर्भरता में कमी लाना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

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