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गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड

  • 11 Aug 2022
  • 10 min read

जुलाई, 2022 में गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) से 457 करोड़ रुपए का शुद्ध बहिर्वाह हुआ क्योंकि निवेशकों ने पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन रणनीति (Portfolio Rebalancing Strategy) के हिस्से के रूप में अन्य परिसंपत्ति वर्गों में अपना पैसा निवेश किया।

  • यह जून 2022 में 135 करोड़ रुपए के शुद्ध अंतः प्रवाह की तुलना में था।

गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड

  • परिचय:
    • स्वर्ण/गोल्ड ETF (जिसका उद्देश्य घरेलू भौतिक सोने की कीमत को आंकलन करना है) निष्क्रिय निवेश साधन हैं जो सोने की कीमतों पर आधारित होते हैं तथा सोने को बुलियन में निवेश करते हैं।
    • गोल्ड ETF भौतिक सोने का प्रतिनिधित्व करने वाली इकाइयाँ हैं जो कागज या डीमैट रूप में हो सकती हैं।
      • एक गोल्ड ETF इकाई 1 ग्राम सोने के बराबर होती है और इसमें उच्च शुद्धता का भौतिक सोना होता है।
      • वे स्टॉक निवेश के लचीलेपन और सोने के निवेश की सहजता को संयोजित करते हैं।
  • लाभ:
    • ETF की हिस्सेदारी में पूरी पारदर्शिता है।
    • गोल्ड ETF में भौतिक सोने के निवेश की तुलना में बहुत कम खर्च होता है।
    • ETFs पर संपत्ति कर, सुरक्षा लेनदेन कर, वैट और बिक्री कर नहीं लगाया जाता है।
    • ETF सुरक्षित और संरक्षित होने के कारण चोरी का कोई डर नहीं है क्योंकि धारक के डीमैट खाते में इकाइयाँ होती हैं।

बहिर्वाह के कारण:

  • बढ़ती ब्याज़ दर चक्र के कारण सोने की कीमतों में गिरावट आई है।
    • सोने की कीमत में गिरावट का सीधा प्रभाव गोल्ड ईटीएफ प्रवाह पर पड़ा है।
  • रुपए का अवमूल्यन एक अन्य कारक है जिसने सोने की मांग और आपूर्ति की गतिशीलता को प्रभावित किया है।
  • यह विश्व स्तर पर भी देखा गया है कि गोल्ड ईटीएफ ने सोने की गिरती कीमतों के कारण महत्त्वपूर्ण बहिर्वाह दर्ज किया है।

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड

  • एक एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) प्रतिभूतियों की एक बास्केट है जो स्टॉक की तरह ही एक्सचेंज पर व्यापार करती है।
  • ETF बीएसई सेंसेक्स की तरह एक सूचकांक की संरचना को दर्शाता है। इसका ट्रेडिंग मूल्य अंतर्निहित शेयरों (जैसे शेयर) के नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर आधारित होता है, जिसका यह प्रतिनिधित्व करता है।
  • ETF शेयर की कीमतों में पूरे दिन उतार-चढ़ाव होता है क्योंकि इसे खरीदा और बेचा जाता है। यह म्युचुअल फंड से अलग है जिसका बाज़ार बंद होने के बाद दिन में केवल एक बार व्यापर होता है।
  • एक ETF विभिन्न उद्योगों में सैकड़ों या हज़ारों शेयर रख सकता है, या फिर उसे किसी एक विशेष उद्योग या क्षेत्र में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • बॉण्ड ईटीएफ एक प्रकार के ईटीएफ हैं जिनमें सरकारी बॉण्ड, कॉरपोरेट बॉण्ड और राज्य तथा स्थानीय बॉण्ड शामिल हो सकते हैं - जिन्हें म्युनिसिपल बॉण्ड कहा जाता है।
    • बॉण्ड एक ऐसा साधन है जो एक निवेशक द्वारा एक उधारकर्त्ता (आमतौर पर कॉर्पोरेट या सरकारी) को दिये गये ऋण का प्रतिनिधित्व करता है।
  • लागत प्रभावी होने के अलावा, ETF निवेशकों को विविध निवेश पोर्टफोलियो प्रदान करते हैं।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू):

प्रश्न. भारत सरकार की बॉण्ड यील्ड निम्नलिखित में से किससे प्रभावित होती है? (2021)

  1. युनाइटेड स्टेट्स फेडरल रिज़र्व की कार्रवाइयों से।
  2. भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्य से।
  3. मुद्रास्फीति और अल्पकालिक ब्याज़ दरों के कारण।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • बॉण्ड पैसा उधार लेने का साधन है। किसी देश की सरकार या किसी कंपनी द्वारा धन जुटाने के लिये बॉण्ड जारी किया जा सकता है।
  • बॉण्ड यील्ड वह रिटर्न है जो एक निवेशक को बॉण्ड पर मिलता है। प्रतिफल की गणना के लिये गणितीय सूत्र बॉण्ड के मौजूदा बाज़ार मूल्य से विभाजित वार्षिक कूपन दर है।
  • प्रतिफल में उतार-चढ़ाव ब्याज़ दरों के रुझान पर निर्भर करता है, इसके परिणामस्वरूप निवेशकों को पूंजीगत लाभ या हानि हो सकती है।
  • बाज़ार में बॉण्ड यील्ड बढ़ने से बॉण्ड की कीमत नीचे आ जाएगी।
  • बॉण्ड यील्ड में गिरावट से निवेशक को फायदा होगा क्योंकि बॉण्ड की कीमत बढ़ेगी, जिससे पूंजीगत लाभ होगा।
  • फेड टेपरिंग अमेरिकी फेडरल रिज़र्व के बॉण्ड खरीद कार्यक्रम में क्रमिक कमी हुई है। इसलिये युनाइटेड स्टेट्स फेडरल रिज़र्व की कोई भी कार्रवाई भारत में बॉण्ड यील्ड को प्रभावित करती है। अत: कथन 1 सही है।
  • सरकारी बॉण्ड का प्रतिफल निर्धारित करने में RBI की कार्रवाइयाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अर्थव्यवस्था में ब्याज़ दरों की एक विस्तृत शृंखला को प्रभावित करने में मौद्रिक नीति के लिये संप्रभु यील्ड वक्र का विशेष महत्त्व है। अत: कथन 2 सही है।
  • मुद्रास्फीति और अल्पकालिक ब्याज दरें भी सरकारी बाॅण्ड की यील्ड को प्रभावित करती हैं। अत: कथन3 सही है।

अतः विकल्प (d) सही है।


प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में देखे जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम के 'मसाला बाॅण्ड' के संदर्भ में, नीचे दिये गए कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम, जो इन बाॅण्डों की पेशकश करता है, विश्व बैंक की एक शाखा है।
  2. ये रुपए मूल्यवर्ग के बाॅण्ड हैं और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के लिये ऋण वित्तपोषण का एक स्रोत हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • विश्व बैंक समूह, जो विकासशील देशों के लिये वित्तीय और तकनीकी सहायता का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है, में पाँच विशिष्ट लेकिन पूरक संगठन शामिल हैं:
    • पुनर्निर्माण और विकास हेतु अंतर्राष्ट्रीय बैंक (IBRD);
    • अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA);
    • अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC); अतः कथन 1 सही है।
    • बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (MIGA);
    • निवेश विवादों के निपटान हेतु अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (ICSID)।
  • IFC में सदस्यता केवल विश्व बैंक के सदस्य देशों को ही प्राप्त होती है। इसके बोर्ड को वर्ष 1956 में स्थापित किया गया था। IFC का स्वामित्त्व 184 सदस्य देशों के पास है, जो सामूहिक रूप से नीतियों को निर्धारित करते हैं। बोर्ड ऑफ गवर्नर्स और निदेशक मंडल के माध्यम से, सदस्य देश IFC के कार्यक्रमों और गतिविधियों का मार्गदर्शन करते हैं।
  • मसाला बाॅण्ड विदेशी बाज़ारों में भारतीय संस्थाओं द्वारा रुपए के मूल्य में जारी ऋण हैं। यहाँ मसाला शब्द से तात्पर्य 'भारतीय मसालों' से है और इस शब्द का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) द्वारा विदेशी मंचों पर भारत की संस्कृति और व्यंजनों को लोकप्रिय बनाने के लिये किया गया था। मसाला बाॅण्ड का उद्देश्य भारत में बुनियादी ढाँचागत परियोजनाओं को वित्तपोषित करना, ऋण के माध्यम से आंतरिक विकास को बढ़ावा देना और भारतीय मुद्रा का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना है। अत: कथन 2 सही है।

अतः विकल्प (c) सही है।

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस

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