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भारतीय अर्थव्यवस्था

गोल्ड स्कीम में बदलाव

  • 10 Jan 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना (Gold Monetization Scheme-GMS) में कुछ बदलाव लाने की घोषणा की है।


प्रमुख बिंदु

  • 2015 में शुरू की गई इस योजना में कुछ बदलावों हेतु RBI द्वारा अधिसूचना जारी की गई है।
  • अधिसूचना जारी होने के बाद इस योजना के तहत अब चैरिटेबल संस्थाएँ, केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और केंद्र सरकार या राज्य सरकारों के अधीन कोई संस्था भी इस योजना का लाभ ले सकेगी।
  • स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना (Gold Monetization Scheme-GMS) की शुरुआत 2015 में की गई थी।

क्या है स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना?

  • स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना (Gold Monetization Scheme-GMS) के तहत कोई व्यक्ति (अब चैरिटेबल संस्थाएँ, केंद्र सरकार, राज्य सरकार भी) अपना सोना बैंक में जमा कर सकता है।
  • इस पर उन्हें 2.25% से 2.50% तक ब्याज मिलता है एवं परिपक्वता अवधि के पश्चात् वे इसे सोना अथवा रुपए के रूप में प्राप्त कर सकते हैं।
  • इस स्कीम की खास बात यह है कि पहले लोग सोने को लॉकर में रखते थे, लेकिन अब लॉकर लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती है और इस पर कुछ निश्चित ब्याज भी मिलता है।
  • स्कीम के तहत इसमें कम-से-कम 30 ग्राम 995 शुद्धता वाला सोना बैंक में रखना होता है। जिसमें बैंक गोल्ड-बार, सिक्के, गहने (स्टोन्स रहित और अन्य मेटल रहित) को स्वीकृति देते हैं।

क्या था उद्देश्य?

  • ‘स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना’ भारत द्वारा बड़े पैमाने पर किये जाने वाले स्वर्ण आयात को कम करने के लिये प्रारंभ की गई थी क्योंकि स्वर्ण आयात भारत के व्यापार घाटे (Trade Deficit) की एक बड़ी वज़ह है।
  • इस योजना के तहत बैंक के ग्राहक अपने बेकार पड़े सोने को ‘सावधि जमा’ के रूप में बैंक में जमा कर सकते हैं।
  • सरकार को आशा थी कि इस पहल से घरों एवं मंदिरों में बेकार पड़ा सोना बड़ी मात्रा में बैंकों में जमा होगा जिसे पिघलाकर जौहरियों एवं अन्य प्रयोक्ताओं को प्रदान किया जा सकेगा। इस प्रकार सोने के पुनर्चक्रण के माध्यम से सोने के आयात को घटाया जा सकेगा।

योजना सफल या असफल?

  • एक तरफ भारत में घरों एवं मंदिरों में लगभग 20,000 टन सोना पड़ा है तो दूसरी ओर सोने का आयात भी लगातार बढ़ रहा है। भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक है एवं भारत के व्यापार घाटे के एक-चौथाई से अधिक भाग का कारण सोने का आयात है।
  • भारत में स्वर्ण-स्टॉक का तीन-चौथाई से अधिक आभूषणों एवं मूर्तियों के रूप में है जिससे लोगों का भावनात्मक जुड़ाव भी होता है। चूँकि इस योजना के तहत जमा सोने को पिघलाया जाता है, अतः लोगों का इस योजना की तरफ कम झुकाव होना स्वाभाविक है।
  • इसके अलावा, बैंकों में जमा करवाने पर सोना आधिकारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन जाएगा जिससे अनधिकृत धन एवं कालेधन से खरीदे गए सोने को जमा करना मुश्किल है।
  • अभी भी लोगों को इस योजना के बारे में पूरी जानकारी नहीं है एवं वित्तीय समावेशन की कमी के कारण जनता के एक भाग की बैंकों तक पहुँच नहीं है।
  • भारत में सोने को ऋण लेने के लिये जमानत (Collateral) के रूप में प्रयोग किया जाता है एवं संकट काल के लिये बचाकर रखा जाता है। अतः सावधि जमा खाते में जमा करवाने पर वे सोने का ऐसा उपयोग नहीं कर पाएंगे।
  • स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना आर्थिक दृष्टिकोण से एक प्रगतिशील पहल है जो निवेशकों द्वारा सोने के इष्टतम उपयोग को बढ़ाने एवं देश के व्यापार घाटे को कम करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती है। अतः सरकार द्वारा सोने की तरलता एवं पूंजी लाभों को सुनिश्चित कर इस योजना को सफल बनाया जा सकता है।

स्रोत- द हिंदू

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