भारत में वरिष्ठ देखभाल सुधार: नीति आयोग | 26 Feb 2024
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स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
नीति आयोग ने "भारत में नागरिकों की देखभाल में सुधार करना: वरिष्ठ नागरिक देखभाल प्रतिमान की पुनर्कल्पना" शीर्षक से एक स्थिति पत्र जारी किया, जिसमें वरिष्ठ देखभाल पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिये क्या करने की आवश्यकता है, इस पर कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है।
रिपोर्ट की प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- जनसंख्या की आयुर्वृद्धि:
- भारत में घटती प्रजनन दर (2.0 से कम) और बढ़ती जीवन प्रत्याशा (70 वर्ष से अधिक) के साथ वरिष्ठ नागरिकों की संख्या तथा अनुपात में तेज़ी से वृद्धि देखी जा रही है।
- भारत में वर्तमान में वरिष्ठ नागरिकों की जनसँख्या 10% से कुछ अधिक है, जो लगभग 104 मिलियन है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के अनुसार, वर्ष 2050 तक यह जनसांख्यिकीय कुल जनसंख्या का 19.5% तक पहुँचने का अनुमान है।
- प्रमुख निष्कर्ष:
- जनसांख्यिकी और रुझान: 2011 की जनगणना में वरिष्ठ नागरिक जनसँख्या (60 वर्ष और उससे अधिक आयु) भारत की कुल आबादी का 8.6% थी, जिसमें लगभग 103 मिलियन वरिष्ठ नागरिक थे।
- स्वास्थ्य स्थिति और चुनौतियाँ: उच्च से निम्न मृत्यु दर की ओर संक्रमण ने बीमारी का एक बड़ा बोझ वृद्ध आबादी पर स्थानांतरित कर दिया है।
- वर्ष 2011 और वर्ष 2050 के बीच 75 वर्ष तथा उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से 340% की वृद्धि होने की उम्मीद है।
- ग्रामीण शहरी विभाजन: 71% वरिष्ठ नागरिक ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
- जीवन की संतुष्टि: लगभग 32% वरिष्ठ नागरिकों ने कम जीवन की संतुष्टि की सूचना दी है।
- व्यापक नीति का अभाव:
- एक महत्त्वपूर्ण चुनौती के रूप में वरिष्ठ देखभाल और सहायता के लिये एक व्यापक, एकीकृत नीति का अभाव है।
- एक संरचित नीति ढाँचे की कमी के कारण जराचिकित्सा बीमारी प्रबंधन (Geriatric Illness Management) के लिये बुनियादी ढाँचे, क्षमताओं, साक्ष्य-आधारित ज्ञान भंडार और निगरानी तंत्र तथा आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणालियों हेतु सक्षम ढाँचे में अंतर उत्पन्न होता है।
- भारत में वृद्ध/वरिष्ठ वयस्कों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिये स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच एक चुनौती हो सकती है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल के अनुसार, वर्ष 2017 में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति 100,000 जनसंख्या पर केवल 43 चिकित्सक थे, जबकि शहरी क्षेत्रों में प्रति 100,000 जनसंख्या पर 118 चिकित्सक थे।
- चुनौतियाँ और निहितार्थ:
- जनसंख्या की उम्र बढ़ने की घटना समाज के सभी पहलुओं को प्रभावित करती है और इसके कई स्वास्थ्य, सामाजिक तथा आर्थिक निहितार्थ हैं, जिनमें श्रम एवं वित्तीय बाज़ारों में बदलाव भी शामिल हैं।
- लॉन्गिट्यूडिनल एजिंग स्टडी ऑफ इंडिया, 2021 की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि बुज़ुर्ग आबादी का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा पुरानी बीमारियों, कार्यात्मक सीमाओं, अवसादग्रस्त लक्षणों और कम जीवन की संतुष्टि से पीड़ित है।
- 75% बुज़ुर्गों को एक या अधिक पुरानी बीमारियाँ हैं।
- यह बीमारी के बोझ, निर्भरता अनुपात में वृद्धि, विकसित हो रही पारिवारिक संरचनाओं और परिवर्तित उपभोग पैटर्न को बदल देता है।
- 60 वर्ष से अधिक आयु के हर चौथे भारतीय ने बताया कि उसका स्वास्थ्य खराब है।
- इसके अलावा इस जनसंख्या वर्ग के लिये चिकित्सा व्यय दोगुने से भी अधिक है क्योंकि वृद्ध लोगों द्वारा अधिक स्वास्थ्य सेवाओं का उपभोग करने की संभावना होती है।
- भारत में लगभग 20% बुज़ुर्गों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हैं।
- लॉन्गिट्यूडिनल एजिंग स्टडी ऑफ इंडिया, 2021 की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि बुज़ुर्ग आबादी का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा पुरानी बीमारियों, कार्यात्मक सीमाओं, अवसादग्रस्त लक्षणों और कम जीवन की संतुष्टि से पीड़ित है।
- जनसंख्या की उम्र बढ़ने की घटना समाज के सभी पहलुओं को प्रभावित करती है और इसके कई स्वास्थ्य, सामाजिक तथा आर्थिक निहितार्थ हैं, जिनमें श्रम एवं वित्तीय बाज़ारों में बदलाव भी शामिल हैं।
रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें क्या हैं?
- रिपोर्ट में सशक्तीकरण, सेवा वितरण और उनके समावेशन के संदर्भ में आवश्यक विशिष्ट हस्तक्षेपों को चार प्रमुख क्षेत्रों: स्वास्थ्य, सामाजिक, आर्थिक/वित्तीय और डिजिटल के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।
- स्वास्थ्य: वरिष्ठ नागरिकों के साथ-साथ उनकी देखभाल करने वालों के बीच स्वास्थ्य साक्षरता को बढ़ावा देने, मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के भीतर वृद्धावस्था स्वास्थ्य देखभाल को मज़बूत करने और वरिष्ठ नागरिकों के लिये विशेष प्रावधान करके स्वास्थ्य सशक्तीकरण तथा समावेशन प्राप्त किया जा सकता है।
- इसमें आयुष्मान भारत - आयुष्मान आरोग्य मंदिर (स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र) के माध्यम से व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ होंगी, बुज़ुर्गों की ज़रूरतों पर ध्यान देने के साथ स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना, टेली-परामर्श सेवाओं का विस्तार करना, बुज़ुर्गों हेतु कुशल कार्यबल को बढ़ाना और मौजूदा कार्यबल की क्षमता निर्माण करना शामिल होगा।
- सामाजिक: सामाजिक समावेशन एवं सशक्तीकरण सुनिश्चित करने हेतु वरिष्ठ नागरिकों द्वारा अनुभव की जाने वाली ज़रूरतों और चुनौतियों पर बड़े समुदाय को संवेदनशील बनाने के लिये जागरूकता बढ़ाने तथा सहकर्मी सहायता समूहों की स्थापना जैसी विशिष्ट कार्रवाइयों की आवश्यकता है।
- वरिष्ठ नागरिकों का सशक्तीकरण कानूनी सुरक्षा उपायों और कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने एवं मौजूदा भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम को मज़बूत करने जैसे कानूनी सुधार सुनिश्चित करने से भी संभव होगा।
- आर्थिक और वित्तीय: वरिष्ठ नागरिकों को फिर से कुशल बनाने, सार्वजनिक धन और बुनियादी ढाँचे के कवरेज को बढ़ाने तथा समर्थ क्षेत्र के लिये अनिवार्य बचत योजनाओं की आवश्यकता है।
- वरिष्ठ नागरिकों के लिये बाज़ार चल निधि बढ़ाने हेतु रिवर्स मॉर्टगेज (रूपांतरण बंधक) तंत्र व अभिग्रहण में आसानी बढ़ाने और वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय बोझ से बचाने के लिये वरिष्ठ देखभाल उत्पादों पर वस्तु एवं सेवा कर सुधार।
- निजी क्षेत्र को लक्षित और व्यापक वृद्धावस्था स्वास्थ्य बीमा उत्पादों को डिज़ाइन करने के लिये प्रोत्साहित करना।
- डिजिटल: वरिष्ठ नागरिकों के लिये डिजिटल उपकरणों तक पहुँच में सुधार करने, उन्हें किफायती बनाने, डिजिटल साक्षरता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने और आधुनिक प्रौद्योगिकी की क्षमता का उपयोग करने की आवश्यकता है।
- रजत अर्थव्यवस्था: वर्तमान में केवल एक तिहाई से कुछ अधिक (34%) वरिष्ठ नागरिक ही कार्यरत हैं।
- "रजत अर्थव्यवस्था" अर्थात् वरिष्ठ नागरिकों द्वारा मांग की गई वस्तुओं और सेवाओं द्वारा संचालित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये सरकार की ओर से उचित हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
- इसके अलावा, कार्य के अवसर जो वरिष्ठ नागरिकों को विभिन्न क्षेत्रों में अपने अनुभव और विशेषज्ञता का उपयोग करने के लिये एक मंच प्रदान कर सकते हैं।
- स्वास्थ्य: वरिष्ठ नागरिकों के साथ-साथ उनकी देखभाल करने वालों के बीच स्वास्थ्य साक्षरता को बढ़ावा देने, मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के भीतर वृद्धावस्था स्वास्थ्य देखभाल को मज़बूत करने और वरिष्ठ नागरिकों के लिये विशेष प्रावधान करके स्वास्थ्य सशक्तीकरण तथा समावेशन प्राप्त किया जा सकता है।
वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और उम्र बढ़ने से संबंधित पहल क्या हैं?
- वैश्विक स्तर पर की गई पहल:
- वियना अंतर्राष्ट्रीय कार्य योजना: यह पहली अंतर्राष्ट्रीय पहल है जिसने उम्र बढ़ने को लेकर विचार-विमर्श की शुरुआत की है।
- इस योजना को वर्ष 1982 में वर्ल्ड असेंबली ऑन एजिंग द्वारा अपनाया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसका समर्थन किया गया था।
- यह बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिये सरकारों एवं नागरिक समाज की क्षमता बढ़ाने का प्रयास करती है, वरिष्ठ नागरिकों की उम्र बढ़ने पर नीतियों और कार्यक्रमों को विकसित करने के लिये एक रूपरेखा के रूप में कार्य करती है।
- वृद्ध नागरिकों के लिये संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांत: उम्र बढ़ने पर वियना अंतर्राष्ट्रीय योजना के बाद वर्ष 1991 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वृद्ध नागरिकों के लिये संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों को अपनाया गया।
- मैड्रिड इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन ऑन एजिंग (MIPAA): वर्ष 2002 में, एजिंग पर सेकंड वर्ल्ड असेंबली ऑन एजिंग ने राजनीतिक घोषणा और मैड्रिड इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन ऑन एजिंग (MIPAA) को अपनाया।
- MIPAA का लक्ष्य "सभी उम्र के नागरिकों के लिये एक समाज का निर्माण करना" है जो विश्व में नागरिकों के उम्र बढ़ने के दृष्टिकोण में एक आदर्श बदलाव का संकेत देती है।
- इसके अलावा, यह योजना उम्र बढ़ने के मुद्दे को समझने और इनका प्रबंध करने के लिये एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करती है।
- 'स्वस्थ वृद्धावस्था दशक' का सत्र 2021-2030: वर्ष 2020 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सरकारों, नागरिक समाजों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, पेशेवरों, शिक्षाविदों, मीडिया और निजी क्षेत्रों से वृद्ध लोगों, उनके परिवारों तथा जिस समुदाय में वे रहते हैं, उनके जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में मिलकर काम करने का आग्रह करते हुए सत्र 2021-2030 को स्वस्थ वृद्धावस्था का दशक' घोषित किया।
- वियना अंतर्राष्ट्रीय कार्य योजना: यह पहली अंतर्राष्ट्रीय पहल है जिसने उम्र बढ़ने को लेकर विचार-विमर्श की शुरुआत की है।
- भारत सरकार द्वारा की गई पहल:
- प्रधानमंत्री वय वंदना योजना
- यह योजना 10 वर्षों के लिये प्रति वर्ष 8% का सुनिश्चित रिटर्न प्रदान करती है।
- यह योजना भारतीय जीवन बीमा निगम को सरकारी गारंटी के आधार पर सदस्यता राशि से जुड़ी सुनिश्चित पेंशन/रिटर्न के प्रावधान के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों के लिये वृद्धावस्था आय सुरक्षा सक्षम बनाती है।
- यह योजना 10 वर्षों के लिये प्रति वर्ष 8% का सुनिश्चित रिटर्न प्रदान करती है।
- वरिष्ठ नागरिक हेतु एकीकृत कार्यक्रम:
- इस नीति का मुख्य लक्ष्य वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।
- इसके तहत उन्हें भोजन, आश्रय, चिकित्सा देखभाल और यहाँ तक कि मनोरंजन के अवसर जैसी विभिन्न बुनियादी सुविधाएँ प्रदान किया जाता है।
- राष्ट्रीय वयोश्री योजना:
- यह वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष से वित्त पोषित एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। इस फंड को वर्ष 2016 में अधिसूचित किया गया था।
- छोटे बचत खातों, कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) से सभी अघोषित राशि इस फंड में स्थानांतरित कर दी जाती है।
- इसका उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे (BPL) श्रेणी के वरिष्ठ नागरिकों को सहायता और सहायक जीवन उपकरण प्रदान करना है जो बढ़ती आयु से संबंधित दिव्यांगता जैसे अल्प दृष्टि, श्रवण अक्षमता, दाँत कमज़ोर होना तथा गमन/संचलन संबंधी दिव्यांगता से पीड़ित हैं।
- संपन्न परियोजना:
- इसका शुभारंभ वर्ष 2018 में किया गया था। यह दूरसंचार विभाग के पेंशनभोगियों के लिये एक निर्बाध ऑनलाइन पेंशन प्रसंस्करण और भुगतान प्रणाली है।
- यह पेंशनभोगियों के बैंक खातों में पेंशन का प्रत्यक्ष अंतरण प्रदान करता है।
- वरिष्ठ नागरिकों के लिये SACRED पोर्टल:
- यह पोर्टल सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया था।
- 60 वर्ष से अधिक आयु के नागरिक पोर्टल पर पंजीकरण कर सकते हैं और नौकरी तथा कार्य के अवसर प्राप्त कर सकते हैं।
- एल्डर लाइन: वरिष्ठ नागरिकों के लिये टोल-फ्री नंबर:
- यह दुर्व्यवहार के मामलों में तत्काल सहायता के साथ-साथ, विशेष रूप से पेंशन, चिकित्सा और विधिक मुद्दों पर जानकारी, मार्गदर्शन तथा भावनात्मक समर्थन प्रदान करता है।
- यह संपूर्ण देश में सभी वरिष्ठ नागरिकों अथवा उनके शुभचिंतकों को एक मंच प्रदान करने के लिये तैयार किया गया है ताकि वे अपनी चिंताओं को साझा कर सकें और उन समस्याओं के बारे में जानकारी एवं मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें जिनका वे प्रतिदिन सामना करते हैं।
- SAGE (सीनियरकेयर एजिंग ग्रोथ इंजन) पहल:
- यह पोर्टल भरोसेमंद स्टार्ट-अप के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल में इस्तेमाल होने वाले उत्पादों और सेवाओं को प्रदान करने वाला "वन-स्टॉप एक्सेस" है।
- यह ऐसे व्यक्तियों की मदद करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है जो वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल के लिये सेवाएँ मुहैया कराने संबंधी क्षेत्र में रुचि रखने वाले उद्यमियों को सहयोग प्रदान करते हो।
- प्रधानमंत्री वय वंदना योजना
- वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिये सांविधानिक उपबंध:
- अनुच्छेद 41: इसके अनुसार राज्य अपनी आर्थिक सामनर्य और विकास की सीमाओं के भीतर, काम पाने के, शिक्षा पाने के तथा बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी एवं निःशक्तता तथा अन्य अनर्ह अभाव की दशाओं में लोक सहायता पाने के अधिकार को प्राप्त कराने का प्रभावी उपबंध करेगा।
- अनुच्छेद 46: यह अनुच्छेद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य कमज़ोर वर्गों के शैक्षणिक तथा आर्थिक हितों की बढ़ावा देने का प्रावधान करता है। अन्य कमज़ोर वर्गों में वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांग आदि शामिल हैं।
- भारतीय संविधान की 7वीं अनुसूची: राज्य सूची की मद संख्या 9 और समवर्ती सूची की मद 20, 23 तथा 24 वृद्धावस्था पेंशन, सामाजिक सुरक्षा एवं सामाजिक बीमा व आर्थिक तथा सामाजिक योजना से संबंधित है।
- समवर्ती सूची में प्रविष्टि 24: यह "श्रम के कल्याण से संबंधित है, जिसमें कार्य की शर्तें, भविष्य निधि, श्रमिकों के मुआवज़े के लिये दायित्व, दिव्यांगता और वृद्धावस्था पेंशन तथा मातृत्व लाभ शामिल हैं।
नीति आयोग क्या है?
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (IGNOAPS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2008)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. सुभेद्य वर्गों के लिये क्रियान्वित की जाने वाली कल्याण योजनाओं का निष्पादन उनके बारे में जागरूकता न होने और नीति प्रक्रम की सभी अवस्थाओं पर उनके सक्रिय तौर पर सम्मिलित न होने के कारण इतना प्रभावी नहीं होता है। चर्चा कीजिये। (2019) |