नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

सर्वोच्च न्यायालय ने प्रशासनिक स्पेक्ट्रम आवंटन के लिये केंद्र की याचिका खारिज़ की

  • 04 May 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत का सर्वोच्च न्यायालय, स्पेक्ट्रम, दूरसंचार अधिनियम, 2023, राष्ट्रपति संदर्भ, अनुच्छेद 143, केंद्रीय जाँच ब्यूरो

मेन्स के लिये:

दूरसंचार अधिनियम, 2023, सरकारी नीतियाँ तथा हस्तक्षेप, सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर 

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में लिये गए एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इस दुर्लभ प्राकृतिक स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिये खुली और पारदर्शी नीलामी के सिद्धांत की पुष्टि करते हुए, स्पेक्ट्रम के प्रशासनिक आवंटन की अनुमति देने की केंद्र की याचिका पर विचार करने से मना कर दिया है।

  • इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम में रेडियो फ्रीक्वेंसी की एक शृंखला शामिल होती है, जिसका उपयोग वायरलेस उपकरणों द्वारा संचार के लिये किया जाता है, जिसमें कॉल करना और सोशल मीडिया तक पहुँच शामिल है।

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र की अर्ज़ी क्यों खारिज़ की?

  • रजिस्ट्रार ने स्पष्टीकरण के लिये आवेदन को गलत पाया, रजिस्ट्रार ने सर्वोच्च न्यायालय नियम, 2013 के आदेश XV नियम 5 को लागू किया, जो किसी याचिका को प्राप्त करने से इनकार करने की अनुमति देता है यदि इसमें उचित कारण नहीं है, तुच्छ है या निंदनीय मामला है।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने ज़ोर देकर कहा कि निजी खिलाड़ियों को स्पेक्ट्रम आवंटन खुली और पारदर्शी नीलामी के माध्यम से होना चाहिये, जैसा कि 12 वर्ष पूर्व ऐतिहासिक 2जी स्पेक्ट्रम मामले के संदर्भ में फैसला लिया गया, जिसे अक्सर "2जी स्पेक्ट्रम घोटाला" के रूप में जाना जाता हैI
  • स्पेक्ट्रम आवंटन एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है और "प्रशासनिक आवंटन" की अनुमति देने से एयरवेव वितरण हेतु ऑपरेटरों का चयन करने का समग्र प्रभार सरकार के पास होगा, यह कदम निष्पक्षता तथा पारदर्शिता के सिद्धांतों के विपरीत माना जाता है।

स्पेक्ट्रम आवंटन के संबंध में कानूनी ढाँचा क्या है?

  • दूरसंचार अधिनियम, 2023:
    • यह सरकार को अधिनियम की पहली अनुसूची में सूचीबद्ध संस्थाओं के लिये नीलामी के अलावा प्रशासनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से दूरसंचार के लिये स्पेक्ट्रम आवंटित करने का अधिकार देता है।
      • इन संगठनों में कानून प्रवर्तन, राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा के साथ-साथ भारती एयरटेल समर्थित वनवेब तथा स्पेसएक्स शामिल हैं, जो उपग्रह-आधारित वैश्विक मोबाइल व्यक्तिगत संचार प्रदान करते हैं।
    • सरकार स्पेक्ट्रम का वह हिस्सा भी सौंप सकती है जो पहले से ही एक या एक से अधिक अतिरिक्त संस्थाओं को सौंपा जा चुका है, जिन्हें द्वितीयक असाइनमेंट के रूप में जाना जाता है और यहाँ तक कि उन कार्यों को समाप्त भी कर सकती है जहाँ स्पेक्ट्रम या उसका एक हिस्सा अपर्याप्त कारणों से कम उपयोग में रह गया है।

2G स्पेक्ट्रम घोटाला क्या है? 

  • 2G स्पेक्ट्रम घोटाला: 
    • 2G स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला वर्ष 2008 में हुआ था, तब सरकार ने कथित तौर पर विशिष्ट निजी दूरसंचार ऑपरेटरों को पहले आओ-पहले पाओ के आधार (FCFS) पर 122 लाइसेंस बेचे थे।
    • वर्ष 2009 में केंद्रीय सतर्कता आयोग ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को उन दावों की जाँच करने का निर्देश दिया कि लाइसेंसों के आवंटन में अनियमितताएँ थीं, जिसके बाद CBI ने दूरसंचार विभाग (DoT) के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ एक प्रथम सूचना रिपोर्ट दायर की। 
    • वर्ष 2011 में CBI आरोप लगाया था कि आवंटन प्रक्रिया में विसंगतियों के कारण सरकारी अधिकोष को 30,984 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।
  • सर्वोच्च न्यायालय का फैसलाः 
    • फरवरी 2012 में उच्चतम न्यायालय ने यह कहते हुए 122 दूरसंचार लाइसेंसों को रद्द कर दिया, जिन्हें FCFS के आधार पर आवंटित किया गया था, कि इस विधि का दुरुपयोग होने की संभावना थी। 
      • न्यायालय ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये स्पेक्ट्रम जैसे प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन के लिये नीलामी की "गैर-भेदभावपूर्ण पद्धति" अपनाई जानी चाहिये।
  • केंद्र की वर्तमान याचिका:
    • उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक 2G स्पेक्ट्रम घोटाले के फैसले के एक दशक से भी अधिक समय बाद, केंद्र सरकार ने स्पेक्ट्रम के एक "निश्चित वर्ग" को प्रतिस्पर्धी नीलामी के बजाय प्रशासनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से आवंटित करने के लिये एक आवेदन दायर किया है।
    • केंद्र ने बताया है कि स्पेक्ट्रम का आवंटन न केवल वाणिज्यिक दूरसंचार सेवाओं के लिये बल्कि सुरक्षा, सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन जैसे सार्वजनिक हित के कार्यों के निर्वहन के लिये भी आवश्यक है।
      • सरकार ने तर्क दिया है कि आपूर्ति या अंतरिक्ष संचार की तुलना में मांग कम होने पर प्रशासनिक आवंटन की आवश्यकता होती है, जहाँ स्पेक्ट्रम को कई अभिकर्त्ताओं द्वारा साझा करने के लिये यह अधिक बेहतर होगा।

स्पेक्ट्रम क्या है? 

  • स्पेक्ट्रम वह रेडियो फ्रीक्वेंसी है जिसका उपयोग वायरलेस सिग्नल के लिये किया जाता है, जिससे उपयोगकर्ता कॉल तथा सोशल मीडिया का उपयोग कर सकते हैं।
  • स्पेक्ट्रम विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम का हिस्सा है, जिसमें वह आवृत्तियाँ भी सम्मिलित हैं जिनका लोग दैनिक रूप से उपयोग करते हैं।
    • स्पेक्ट्रम को तीन बैंड में विभाजित किया जा सकता है: निम्न (2G, 3G एवं 4G सेवाओं सहित मोबाइल संचार के लिये उपयोग किया जाता है), मध्य (4G LTE सेवाओं और कुछ 5G परिनियोजन के लिये उपयोग किया जाता है), तथा उच्च-बैंड (मुख्य रूप से 5G एवं उससे आगे की सेवाओं लिये उपयोग किया जाता है), प्रत्येक की अलग-अलग विशेषताएँ हैं जो विभिन्न प्रकार के संचार के लिये आवश्यक हैं।

प्राकृतिक संसाधन आवंटन के संबंध में 2012 का राष्ट्रपति का निर्देश क्या था?

  • केंद्र सरकार राष्ट्रपति के निर्देश का 2012 के फैसले के संबंध में संविधान पीठ की टिप्पणियों का हवाला देती है।
  • संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय, निर्धारित नीलामी पद्धति स्पेक्ट्रम के अतिरिक्त अन्य प्राकृतिक संसाधनों के हस्तांतरण के लिये "संवैधानिक आदेश" नहीं है।
  • इसमें कहा गया है कि निर्णय में "शायद" शब्द से ज्ञात होता है कि स्पेक्ट्रम नीलामी का विचार सभी प्राकृतिक संसाधनों के लिये  एक व्यापक सिद्धांत के रूप में नहीं था तथा अन्य तरीकों पर भी विचार किया जा सकता है। 
  • हालाँकि पीठ ने सावधान किया कि स्पेक्ट्रम का आवंटन 2G मामले में घोषित कानून के अनुसार केवल नीलामी के माध्यम से किया जाना चाहिये।

राष्ट्रपति के संदर्भ में 

  • यह भारतीय संविधान में एक प्रक्रिया है, जो राष्ट्रपति को कानून या तथ्य के उन मामलों पर सलाह देने के लिये भारत के सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध करने की अनुमति देती है, जिन्हें राष्ट्रपति ने सार्वजनिक महत्त्व का माना हो।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को कानून या तथ्य के किसी भी मामले को उसकी राय के लिये सर्वोच्च न्यायालय में भेजने का अधिकार देता है।
    • यह उन मुद्दों के संबंध में किया जा सकता है जो उत्पन्न हुए हैं या उत्पन्न होने की संभावना है, और सार्वजनिक महत्त्व के हैं।
    • सर्वोच्च न्यायालय इस संदर्भ में उठाए गए किसी भी प्रश्न का उत्तर देने से इनकार कर सकता है, और इस मुद्दे पर न्यायालय द्वारा पहले ही निर्णय नहीं लिया गया हो।

वैश्विक स्तर पर  स्पेक्ट्रम आवंटन के तरीके क्या हैं?

  • न्यूज़ीलैंड: वर्ष 1989 में स्पेक्ट्रम आवंटन के लिये नीलामी का उपयोग शुरू किया गया, जो एक ऐसी पद्धति है जिसे उभरते बाज़ारों सहित कई अन्य देशों द्वारा अपनाया गया है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका: 1980 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका ने लॉटरी के माध्यम से सेलुलर लाइसेंस आवंटित करने का प्रयोग किया, जिसने सट्टा आवेदकों को आकर्षित किया और इसके परिणामस्वरूप सरकार को अत्यधिक आर्थिक नुकसान हुआ।
    • लॉटरी पद्धति, जिसे शुरू में प्रशासनिक प्रक्रिया की तुलना में तेज़ और किफायती माना जाता था, में कमियाँ होती हैं।
      • यह सट्टेबाज़ी के प्रति संवेदनशील होता है और लाइसेंसधारियों की तकनीकी क्षमता का विश्वसनीयता से आकलन नहीं कर सकता है।
    • वर्ष 1993 में अमेरिका ने नए मोबाइल संचार लाइसेंस देने के लिये नीलामी की शुरुआत की।
      • इस परिवर्तन का वैश्विक रूप से प्रभाव पड़ा, जिससे विश्वभर में रेडियो स्पेक्ट्रम की बिक्री 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई।
  • कनाडा और यूरोपीय संघ: ये क्षेत्र अक्सर एक प्रशासनिक प्रक्रिया का उपयोग करते हैं, जिसे "सौंदर्य प्रतियोगिता (Beauty Contest)" के रूप में भी जाना जाता है, जहाँ मानदंड सरकार द्वारा निर्धारित किये जाते हैं और प्रस्तावों का मूल्यांकन एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जाता है।
    • यह विधि सरकारी योजनाओं और उद्देश्यों के साथ निर्णयों को संरेखित करते हुए लचीलापन एवं सरकारी नियंत्रण प्रदान करती है। हालाँकि, इसमें समय लगता है, लेकिन यह सरकारी प्राथमिकताओं का पालन सुनिश्चित करती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. स्पेक्ट्रम के प्रशासनिक आवंटन के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के हालिया निर्णय के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। यह निर्णय संसाधन आवंटन में निष्पक्षता और पारदर्शिता के सिद्धांतों को कैसे कायम रखता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. दृश्य प्रकाश संचार (VLC) तकनीकी के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं ? (2020)

  1. VLC, 375 से 780 nm वाली विद्युत्-चुंबकीय स्पेक्ट्रमी तरंगदैर्घ्यों का उपयोग करती है।
  2. VLC को दीर्घ-परासी प्रकाशी बेतार संचार के रूप में जाना जाता है।
  3. VLC ब्ल्यूटूथ की तुलना में डेटा की विशाल मात्रा को अधिक तेज़ी से प्रेषित कर सकता है।
  4. VLC में विद्युत्-चुंबकीय व्यतिकरण नहीं होता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये :

(a) केवल 1,2 और 3
(b) केवल 1,2 और 4
(c) केवल 1,3 और 4
(d) केवल 2,3 और 4

उत्तर: (c)


प्रश्न. पृथ्वी के वायुमंडल में आयनमंडल कहलाने वाली परत रेडियो संचार को सुसाध्य बनाती है। क्यों? (2011)

  1. ओज़ोन की उपस्थिति रेडियों तरंगों को पृथ्वी की ओर परावर्तित करती है।
  2. रेडियो तरंगों की तरंगदैर्ध्य अति दीर्घ होती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010) 

  1. भारत का सर्वोच्च न्यायालय कानून या तथ्य के मामलों पर भारत के राष्ट्रपति को सलाह देता है
  2. अपनी पहल पर (व्यापक जनहित के किसी भी मामले पर)।
  3. यदि वह ऐसी सलाह चाहता है।
  4. केवल तभी जब मामला नागरिकों के मौलिक अधिकारों से संबंधित हो। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1 और 2

उत्तर: (b)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow