बढ़ता चालू खाता घाटा | 13 Nov 2021
प्रिलिम्स के लिये:चालू खाता घाटा, भारतीय रिज़र्व बैंक, सकल घरेलू उत्पाद, भुगतान संतुलन मेन्स के लिये:भारत के चालू खाता घाटे के कारक |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जारी ब्रिटिश ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज की एक रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2021 से भारत का व्यापार घाटा (Trade Deficit) लगातार बढ़ रहा है। इस चालू खाता घाटा (Current Account Deficit- CAD) का कारण कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ने से कमोडिटी/जिंसों की कीमतों में हुई वृद्धि है।
- मार्च 2021 तक CAD के 45 अरब डॉलर या जीडीपी के 1.4% तक पहुंँचने की संभावना थी। यह कमज़ोर आर्थिक सुधार पर दबाव डालेगा।
प्रमुख बिंदु
- परिभाषा: चालू खाता घाटा तब होता है जब किसी देश द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य उसके द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मूल्य से अधिक हो जाता है।
- माल के निर्यात और आयात संतुलन को ‘व्यापार संतुलन’ (Trade Balance) कहा जाता है। व्यापार संतुलन 'करंट अकाउंट बैलेंस' का एक हिस्सा है।
- भारत के चालू खाता घाटे के कारक:
- उच्च तेल आयात: भारत में तेल की मांग का लगभग 85% आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है।
- इसके कारण यह अनुमान लगाया गया है कि वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में प्रति बैरल 10 डॉलर की वृद्धि से व्यापार घाटा 12 अरब डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद ( Gross Domestic Product- GDP) के 35 बेसिस पॉईंट (Basis Points-bps) तक बढ़ जाएगा।
- सोने का अधिक मात्रा में आयात: विदेशी मुद्रा को कम करने वाला एक और कारक सोने का अधिक मात्रा में आयात करना है।
- घरेलू मांग में सुधार और मौजूदा त्योहारी सीज़न के कारण सोने का आयात बढ़ रहा है।
- विश्व स्वर्ण परिषद ( World Gold Council) के अनुसार, इस वर्ष सोने की मांग वर्ष 2020 के स्तर को पार कर जाएगी और उम्मीद व्यक्त की जा रही है कि बढ़ते धन के प्रवाह और आय को देखते हुए सोने की मांग उच्च बनी रहेगी।
- सेवाओं का सकारात्मक पक्ष: रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2020 में मासिक सेवाओं का अधिशेष वर्ष 2019 के औसतन 6.6 बिलियन डाॅलर से बढ़कर 7 बिलियन डाँलर तथा वर्ष 2021 के पहले नौ महीनों में 8 बिलियन डॉलर हो गया है।
- उच्च तेल आयात: भारत में तेल की मांग का लगभग 85% आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है।
- समग्र प्रभाव: रिपोर्ट में किसी भी नकारात्मक स्थिति के उत्पन्न होने से इनकार किया गया है और बताया गया है कि विदेशी मुद्रा भंडार का उच्च स्तर मैक्रो स्टेबिलिटी (Macro Stability) या भुगतान संतुलन के समक्ष कोई बड़ा जोखिम उत्पन्न नहीं करता है।
- हालांँकि मांग में सुधार के समुच्चय/संयोजन के रूप में घाटे की बढ़ती प्रवृत्ति कुछ समय के लिये जारी रह सकती है तथा कमोडिटी की बढ़ती कीमतों से व्यापार घाटा तेज़ी से बढ़ेगा।
भुगतान संतुलन:
- परिभाषा:
- भुगतान संतुलन (Balance Of Payment-BoP) का अभिप्राय ऐसे सांख्यिकी विवरण से है, जो एक निश्चित अवधि के दौरान किसी देश के निवासियों के विश्व के साथ हुए मौद्रिक लेन-देनों के लेखांकन को रिकॉर्ड करता है।
- BoP की गणना का उद्देश्य:
- यह निर्धारित करने के लिये इसे एक संकेतक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है कि देश में मुद्रा के मूल्य में बढ़ोतरी हो रही है या मूल्यह्रास हो रहा है।
- यह राजकोषीय और व्यापार नीतियों पर निर्णय लेने में सरकार की मदद करता है।
- किसी देश के अन्य देशों के साथ आर्थिक व्यवहार का विश्लेषण और उसे समझने के लिये महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
- BoP के घटक:
- एक देश का BoP खाता तैयार करने के लिये विश्व के अन्य हिस्सों के बीच इसके आर्थिक लेन-देन को चालू खाते, पूंजी खाते, वित्तीय खाते और त्रुटियों तथा चूक के तहत वर्गीकृत किया जाता है। यह विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserve) में परिवर्तन को भी दर्शाता है।
- चालू खाता: यह दृश्यमान (जिसे व्यापारिक माल भी कहा जाता है- व्यापार संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है) और अदृश्यमान वस्तुओं (गैर-व्यापारिक माल भी कहा जाता है) के निर्यात तथा आयात को दर्शाता है।
- अदृश्यमान में सेवाएँ, विप्रेषण और आय शामिल हैं।
- पूंजी खाता: यह किसी देश के पूंजीगत व्यय और आय को दर्शाता है।
- यह एक अर्थव्यवस्था में निजी और सार्वजनिक निवेश दोनों के शुद्ध प्रवाह का सारांश देता है।
- बाहरी वाणिज्यिक उधार (External Commercial Borrowing), प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment), विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (Foreign Portfolio Investment) आदि पूंजी खाते के हिस्से हैं।
- त्रुटियाँ और चूक: कभी-कभी भुगतान संतुलन की स्थिति न होने के कारण इस असंतुलन को BoP में त्रुटियों और चूक (Errors and Omissions) के रूप में दिखाया जाता है। यह सभी प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन को सही ढंग से रिकॉर्ड करने में देश की अक्षमता को दर्शाता है।
- विदेशी मुद्रा भंडार में परिवर्तन: मुद्रा भंडार में होने वाले उतार-चढ़ाव में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा धारित विदेशी मुद्रा आस्तियों में परिवर्तन और विशेष आहरण अधिकार (SDR) परिवर्तन शामिल है।
- कुल मिलाकर BoP खाते में अधिशेष या घाटा हो सकता है। यदि कोई घाटा है तो उसे विदेशी मुद्रा (Forex) खाते से पैसे लेकर पूरा किया जा सकता है।
- यदि विदेशी मुद्रा खाते का भंडार कम हो रहा है तो इस परिदृश्य को BoP संकट कहा जाता है।