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भारतीय अर्थव्यवस्था

आरबीआई द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिये हेजिंग मानदंडों को राहत

  • 29 Nov 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?


रिज़र्व बैंक (RBI) ने बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) के लिये मौजूदा 100% के अनिवार्य हेजिंग के प्रावधान को कम करके 70% कर दिया है।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • पिछले छह महीनों में डॉलर की मज़बूती के साथ ही हेजिंग की कीमतें भी बढ़ी है। जिसके चलते ECB फर्मों के लिये यह अप्रिय प्रतीत हो रहा था।
  • यह कदम भारतीय फर्मों के लिये विदेशी ऋण की अंतिम लागत को कम करने में मदद करेगा, लेकिन यह विदेशी मुद्रा बाज़ारों में अस्थिरता को उजागर कर सकता है।
  • ये नए मानदंड ECB की परिपक्वता अवधि के साथ 3 से 5 साल के बीच लागू होंगे।

पृष्ठभूमि

  • वैश्विक वित्तीय संकट के बाद हेजिंग बढ़ाने के लिये दबाव शुरू हुआ, जहाँ विदेशी मुद्रा एक्सपोजर के बिना कुछ फर्मों को नुकसान हुआ और इसके बाद RBI ने मध्यम अवधि के बाह्य उधार के लिये 100% हेजिंग अनिवार्य कर दिया। उल्लेखनीय है कि जब किसी निवेश या परिसंपत्ति के लिये 'हेजिंग' नहीं की जाती है तो उसे 'एक्सपोज़र' कहते हैं। इसका आशय यह है कि उस निवेश पर जोखिम की आशंका है।
  • RBI ने बैंकों से उन कंपनियों के खिलाफ अतिरिक्त प्रावधानों के लिये कहा जिन्हें विदेशी मुद्रा एक्सपोज़र (Foreign exchange exposure) नहीं मिला था।

हेजिंग (Hedging) क्या है?

  • हेजिंग एक वित्तीय तकनीक है जब कोई क्रेता, विक्रेता या निवेशक अपने कारोबार या परिसंपत्ति को संभावित मूल्य परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव से बचाने के उपाय करता है तो उसे 'हेजिंग' कहते हैं।
  • यह एक ऐसा बीमा है जो जोखिम को पूरी तरह से खत्म नहीं करता है बल्कि इसके प्रभाव को कम करता है।
  • इसमें दो अलग-अलग बाज़ारों में समान रूप या वस्तुओं की समान मात्रा की खरीद या बिक्री शामिल है, इससे उम्मीद की जाती है कि भविष्य में एक बाज़ार में कीमतों के बदलाव से दूसरे बाज़ार में विपरीत बदलाव आ जाएगा।

    बाह्य वाणिज्यिक उधार (External Commercial Borrowings)
  • यह एक गैर-निवासी ऋणदाता से 3 साल की न्यूनतम औसत परिपक्वता के लिये भारतीय इकाई द्वारा प्राप्त किया गया ऋण है।
  • इनमें से अधिकतर ऋण विदेशी वाणिज्यिक बैंक खरीदारों के क्रेडिट, आपूर्तिकर्त्ताओं के क्रेडिट, फ़्लोटिंग रेट नोट्स और फिक्स्ड रेट बॉन्ड इत्यादि जैसे सुरक्षित उपकरणों द्वारा प्रदान किए जाते हैं।

ECB के लाभ

  • यह बड़ी मात्रा में धन उधार लेने का अवसर प्रदान करता है।
  • इससे प्राप्त धन अपेक्षाकृत लंबी अवधि के लिये उपलब्ध होता है।
  • घरेलू धन की तुलना में ब्याज दर भी कम होती है।
  • यह विदेशी मुद्राओं के रूप में होता है। इसलिये यह मशीनरी के आयात को पूरा करने के लिये कॉर्पोरेट को विदेशी मुद्रा रखने में सक्षम बनाता है।
  • कॉर्पोरेट अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त स्रोतों, जैसे - बैंक, निर्यात क्रेडिट एजेंसियों, अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाज़ार इत्यादि से ECB बढ़ा सकते हैं।

स्रोत : द हिंदू (बिज़नेस लाइन )

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