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भारतीय अर्थव्यवस्था

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में वृद्धि

  • 17 Feb 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय बजट 2021-22 की प्रस्तुति के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (Foreign Portfolio Investment- FPI) बढ़ने के कारण सेंसेक्स में 11.36% की वृद्धि हुई है।

  • सेंसेक्स, जिसे S&P और BSE सेंसेक्स सूचकांक के रूप में जाना जाता है, भारत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का बेंचमार्क इंडेक्स है।
  • स्टॉक एक निवेश है जो किसी कंपनी के शेयर या आंशिक स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करता है। निगम अपने व्यवसायों को संचालित करने के लिये धन जुटाने हेतु स्टॉक (बिक्री) जारी करते हैं।

प्रमुख बिंदु:

अंतर्वाह का कारण:

  • बढ़ी हुई तरलता: 
    • शेयर बाज़ार में यह वृद्धि वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट के प्रभाव से हुई है, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था में तरलता (बाज़ार में धन की आपूर्ति) को प्रभावित किया है, वहीं निजीकरण के लाभ में वृद्धि हुई है।
    • कई सुधार जैसे- शेयरधारकों के अधिकारों की रक्षा और व्यापार करने में आसानी प्रदान करना आदि भी प्रमुख कारक बनकर उभरे हैं।
  • पोस्ट कोविड रिकवरी:
    • उबरती हुई अर्थव्यवस्था के साथ भारत पश्चिमी दुनिया (जो कोविड-19 और संबंधित लॉकडाउन की दूसरी लहर के साथ संघर्ष कर रहे हैं) की तुलना में विकसित देशों के निवेशकों के लिये एक विश्वसनीय गंतव्य के रूप में दिखता है।

विभिन्न क्षेत्रों में निवेश:

  • प्रदर्शन क्षेत्र
    • निजी बैंकों, फास्ट-मूविंग कंज़्यूमर गुड्स (Fast-Moving Consumer Goods) और इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (Information Technology- IT) जैसे क्षेत्रों में विदेशी प्रवाह देखा गया है, क्योंकि इन भारतीय कंपनियों ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए लॉकडाउन प्रतिबंधों के हटने के बाद उल्लेखनीय वृद्धि की है।
    • वर्ष 2020 में फार्मा क्षेत्र एक पसंदीदा विकल्प के रूप में उभरा और इस क्षेत्र ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया।
    • संभावित गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट आई है। अब FPI द्वारा की गई मांग से बैंकिंग शेयरों में फिर से वृद्धि हुई है।

लाभ: 

  • विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि:
    • भारत में बढ़ते निवेश प्रवाह से विदेशी मुद्रा भंडार (forex Reserve) में वृद्धि होगी, जिससे भारत के पास भविष्य में अत्यधिक तरलता और बढ़ते वित्तीय घाटे जैसी समस्या से निपटने के लिये एक विकल्प मौजूद रहेगा।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश

विदेशी पूंजी:

  • लगभग सभी अर्थव्यवस्थाओं के लिये एफपीआई और एफडीआई दोनों ही वित्तपोषण के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) समूह द्वारा किसी एक देश के व्यवसाय या निगम में स्थायी हितों को स्थापित करने के इरादे से किया गया निवेश होता है।
    • उदाहरण: निवेशक कई तरह से FDI कर सकते हैं जैसे- किसी अन्य देश में एक सहायक कंपनी की स्थापना, एक मौजूदा विदेशी कंपनी के साथ अधिग्रहण या विलय, एक विदेशी कंपनी के साथ एक संयुक्त उद्यम साझेदारी शुरू करना आदि।
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में प्रतिभूतियाँ और विदेशी निवेशकों द्वारा निष्क्रिय रूप से रखी गई अन्य वित्तीय संपत्तियाँ शामिल हैं। यह निवेशक को वित्तीय परिसंपत्तियों में सीधे स्वामित्व प्रदान नहीं करता है और बाज़ार की अस्थिरता के आधार पर अपेक्षाकृत तरल है।
    • उदाहरण: स्टॉक, बॉण्ड, म्यूचुअल फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, अमेरिकन डिपॉज़िटरी रिसिप्ट (एडीआर), ग्लोबल डिपॉज़िटरी रिसिप्ट (जीडीआर) आदि।

FPI से संबंधित अन्य विवरण:

  • FPI किसी देश के पूंजी खाते का हिस्सा होता है और यह उस देश के भुगतान संतुलन (BOP) की स्थिति को प्रदर्शित करता है।
    • बीओपी सामान्यतया एक वर्ष की समयावधि के दौरान किसी देश के शेष विश्व के साथ हुए सभी मौद्रिक लेन-देनों के लेखांकन का विवरण होता है।
    • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा वर्ष 2014 के नए एफपीआई विनियमों की जगह वर्ष 2019 में नया एफपीआई विनियम लाया गया।
  • FPI को प्रायः "हॉट मनी" (Hot Money) कहा जाता है क्योंकि इसमें अर्थव्यवस्था में संकट के शुरूआती संकेतों के साथ ही पलायन करने की प्रवृत्ति होती है। FPI अधिक तरल और अस्थिर है फलतः यह FDI की तुलना में जोखिम पूर्ण है।

एफडीआई और एफपीआई के बीच अंतर

मापदंड

FDI

FPI

परिभाषा

यह एक समूह द्वारा किसी एक देश के व्यवसाय या निगम में स्थायी हितों को स्थापित करने के इरादे से किया गया निवेश होता है।

FPI किसी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा किसी दूसरे देश की कंपनी में किया गया वह निवेश है,  जिसके तहत वह संबंधित कंपनी के शेयर या बाॅण्ड खरीदता है अथवा उसे ऋण उपलब्ध कराता है।

निवेश में भूमिका

सक्रिय निवेशक

निष्क्रिय निवेशक

प्रकार

प्रत्यक्ष निवेश

अप्रत्यक्ष निवेश

नियंत्रण का अधिकार

उच्च नियंत्रण 

बहुत कम नियंत्रण

अवधि

दीर्घकालिक निवेश

अल्पकालिक निवेश

परियोजनाओं का प्रबंधन

कुशल

तुलनात्मक रूप में कम कुशल

किया जाने वाला निवेश

बाह्य देशों की भौतिक संपत्ति में

बाह्य देशों की वित्तीय आस्तियों में

प्रवेश और निकास

जटिल

अपेक्षाकृत कठिन

संचालन

धन, प्रौद्योगिकी और अन्य संसाधनों के लिये विदेशी मुद्रा का स्थानांतरण

बाह्य देशों में पूंजी प्रवाह 

शामिल जोखिम

स्थिर

अस्थिर

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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