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भारतीय अर्थव्यवस्था

विदेशी मुद्रा भंडार का उच्चतम स्तर: कारण और महत्त्व

  • 08 Sep 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विदेशी मुद्रा भंडार 

मेन्स के लिये:

विदेशी मुद्रा भंडार वृद्धि के कारण, महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा 4 सितंबर को जारी आँकड़ों के अनुसार, सप्ताह के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स) का भंडार $ 3.883 बिलियन बढ़ कर $ 541.431 बिलियन के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया। 5 जून, 2020 को समाप्त सप्ताह में पहली बार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $ 500 बिलियन को पार कर गया।

प्रमुख बिंदु:

विदेशी मुद्रा (फोरेक्स) भंडार 

  • किसी देश/अर्थव्यवस्था के पास उपलब्ध कुल विदेशी मुद्रा उसकी विदेशी मुद्रा संपत्ति/भंडार कहलाती है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, आधिकारिक विदेशी मुद्रा भंडार मौद्रिक और विनिमय दर प्रबंधन के लिये निर्मित नीतियों में समर्थन और विश्वास बनाए रखने जैसे उद्देश्यों के लिये रखे जाते हैं। संकट के समय जब उधार लेने तक पहुँच कम हो जाती है, तो विदेशी मुद्रा तरलता बनाए रखते हुए इस संकट को अवशोषित करने में मदद करती है।
  • किसी भी देश के विदेशी मुद्रा भंडार में निम्नलिखित 4 तत्त्व शामिल होते हैं-
    • विदेशी परिसंपत्तियाँ (विदेशी कंपनियों के शेयर, डिबेंचर, बाॅण्ड इत्यादि विदेशी मुद्रा में)
    • स्वर्ण भंडार
    • IMF के पास रिज़र्व कोष (Reserve Trench)
    • विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights-SDR)

अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के कारण 

  • विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का प्रमुख कारण भारतीय स्टॉक बाज़ार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि है। विदेशी निवेशकों ने पिछले कई महीनों में कई भारतीय कंपनियों में हिस्सेदारी हासिल की है।
  • मार्च महीने में ऋण और इक्विटी के प्रत्येक खण्डों में से 60000 करोड़ रूपए निकालने के पश्चात्  इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में कायापलट की उम्मीद से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने  भारतीय बाज़ारों में वापसी की है।
  • कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने के कारण तेल के आयात बिल में कमी आने से विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। इसी तरह विदेशी प्रेषण और विदेश यात्राएँ बहुत कम हो गई हैं।
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 20 सितंबर, 2019 को कॉर्पोरेट कर की दरों में कटौती की घोषणा के साथ ही फोरेक्स रिज़र्व में वृद्धि होना शुरू हो गया था।
  • सोने की बढ़ती कीमतों ने केंद्रीय बैंक को समग्र विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने में मदद की है।

महत्त्व

  • विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक को देश के बाह्य और आंतरिक वित्तीय मुद्दों के प्रबंधन में बहुत आसानी होती है। 
  • यह आर्थिक मोर्चे पर किसी भी संकट की स्थिति में एक वर्ष के लिये देश के आयात बिल को कवर करने के लिये पर्याप्त है। 
  • बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार ने डॉलर के मुकाबले रूपए को मज़बूत करने में मदद की है। सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुपात में विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 15  प्रतिशत है। 
  • यह सरकार को अपनी विदेशी मुद्रा आवश्यकताओं और बाहरी ऋण दायित्त्वों को पूरा करने में मदद कर सकने के साथ ही राष्ट्रीय आपदाओं या आपात स्थितियों के लिये एक रिज़र्व बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण है। 

आगे की राह

  • निवेश प्रतिबंधों को कम करके FDI को और अधिक उदार बनाया जाना चाहिये। चालू खाते में और अधिक उदारीकरण किया जा सकता है। 
  • बुनियादी ढाँचे की परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए धन का उपयोग किया जा सकता है, जिससे अधिक रिटर्न प्राप्त किया जा सके। 
  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण, विदेशी वित्तीय बाज़ारों में निवेश या महंगे बाह्य ऋण के पुनर्भुगतान के लिये भी इसका उपयोग किया जा सकता है

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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