अंतर्राष्ट्रीय संबंध
लघुपक्षवाद का उदय
- 07 Jun 2024
- 19 min read
प्रिलिम्स के लिये:हिंद-प्रशांत, स्क्वाड, विश्व व्यापार संगठन (WTO) फोरम-शॉपिंग, ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (TPP) क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP) चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (Quadrilateral Security Dialogue- Quad) त्रिपक्षीय सहयोग और निगरानी समूह (Trilateral Cooperation and Oversight Group- TCOG) मेन्स के लिये:चीनी आक्रामकता, हिंद-प्रशांत, विश्व व्यापार संगठन (WTO), चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (Quadrilateral Security Dialogue- Quad), बहुपक्षवाद, वैश्विक व्यवस्था, लघुपक्षवाद का महत्त्व और चुनौतियाँ |
स्रोत: ORF
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी आक्रामकता के बढ़ने से स्क्वाड के गठन को बढ़ावा मिला है, जो “लघुपक्षवाद” (मिनिलैटरलिज़्म) के बढ़ते महत्त्व को उजागर करता है।
- स्क्वाड एक बहुपक्षीय समूह है जिसमें अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस जैसे देश शामिल हैं।
लघुपक्षवाद क्या है?
- परिचय:
- लघुपक्षता (मिनीलैटरल) से तात्पर्य अनौपचारिक और अधिक लक्षित पहल से है, जिसका उद्देश्य विशिष्ट खतरों, आकस्मिकताओं या सुरक्षा मुद्दों को संबोधित करना होता है तथा केवल कुछ देश ही (आमतौर पर तीन या चार) इसे सीमित अवधि के भीतर हल करने में समान रुचि रखते हैं।
- ये व्यवस्थाएँ स्थायी या औपचारिक संस्थागत संरचना के बिना व्यापक समावेशिता के बजाय विशिष्ट उद्देश्य पर केंद्रित होती हैं।
- लघुपक्षता के अंतर्गत परिणाम एवं प्रतिबद्धताएँ गैर-बाध्यकारी और स्वैच्छिक होती हैं, जो इसमें भाग लेने वाले राज्यों की इच्छा पर निर्भर करती हैं।
मिनिलेटरल ग्रुपिंग टाइप |
हाल ही में सुर्खियों में आए संस्थानों के उदाहरण |
भागीदारी आधारित बहुपक्षता |
क्वाड; ऑस्ट्रेलिया-UK-US त्रिपक्षीय सुरक्षा तंत्र (AUKUS); ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप के लिये व्यापक और प्रगतिशील समझौता (CPTPP); भारत-जापान-ऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय समझौता; भारत-इज़राइल-यूएई-यूएस तंत्र (I2U2) |
सिंगल-पावर एलईडी मिनीलैटरल्स |
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI); लंकांग-मेकांग सहयोग (LMC); मेकांग-यूएस भागीदारी (MUSP) |
सेक्टोरल बहुपक्षता |
डिजिटल अर्थव्यवस्था साझेदारी समझौता (DEPA); ब्रुनेई- इंडोनेशिया-मलेशिया-फिलीपींस पूर्वी आसियान विकास क्षेत्र (BIMP-EAGA) |
मुद्दा-आधारित बहुपक्षता |
जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप (JETP); मलक्का स्ट्रेट्स पैट्रोल्स (MSP); जापान-यूके-इटली ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम (GCAP) |
- लघुपक्षवाद के उदय के कारण:
- विकासशील वैश्विक व्यवस्था और खतरों की बदलती प्रकृति ने स्थानीय संघर्षों एवं मुद्दों के समाधान में बहुपक्षीय ढाँचे की निरंतर प्रासंगिकता के लिये लगातार चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं।
- अमेरिकी वैश्विक नेतृत्त्व में असंगति और बहुध्रुवीय विश्व के उदय के साथ-साथ अमेरिका तथा चीन के मध्य भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता ने बहुपक्षीय संगठनों में मतभेद को प्रकट कर दिया है
- उदाहरण के लिये, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता पूर्व की शक्ति संरचना और अप्रभाविता को दर्शाती है।
- विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization- WTO) जैसी वैश्विक संस्थाओं को बहुपक्षीय सदस्यता और परस्पर विरोधी प्राथमिकताओं के कारण जटिल मुद्दों पर आम सहमति बनाने में संघर्ष करना पड़ा है।
- वैश्विक समस्याओं में क्षेत्रीय विविधताएँ हो सकती हैं। लघुपक्षीय संगठन किसी विशेष चुनौती का सामना कर रहे छोटे समूहों की ज़रूरतों के हिसाब से समाधान तैयार कर सकते हैं।
- सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के सुधार से लघुपक्षवाद का विकास सरल हो गया है।
- अनौपचारिक संचार विधियों ने राज्यों के लिये लचीले और लक्षित सहयोग में संलग्न होना सरल बना दिया है, जिससे लघुपक्षवाद के विकास को समर्थन मिला है।
- कोविड-19 महामारी के प्रभाव ने रणनीतिक और लक्षित लघुपक्षवाद के उद्भव को बढ़ावा दिया है, जो आपूर्ति शृंखला लचीलापन सहित विभिन्न मुद्दों पर केंद्रित हैं।
- उदाहरण के लिये, भारत ने कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिये दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (South Asian Association for Regional Cooperation- SAARC) के सदस्य देशों की सहायता के लिये एक इलेक्ट्रॉनिक मंच स्थापित किया।
- बहुपक्षवाद के साथ तुलना:
- बहुपक्षवाद में तीन या अधिक राज्यों द्वारा क्षेत्रीय या अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के साझा दृष्टिकोण के लिये नियमों और मानदंडों के संस्थागतकरण और अनुपालन के माध्यम से विश्वास का निर्माण करने तथा संघर्ष से बचने का औपचारिक प्रयास शामिल होता है।
- विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization- WTO) जैसे बहुपक्षीय ढाँचे, लघुपक्षवाद की अधिक केंद्रित और लचीली प्रकृति के विपरीत, व्यापक और समावेशी भागीदारी पर ज़ोर देते हैं।
- क्षेत्रीय संगठनों के साथ तुलना:
- लघुपक्षवाद (Minilateralism) तात्कालिक, विशिष्ट मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है तथा लचीले, तदर्थ गठबंधन बनाता है, जैसे कि हिंद-प्रशांत सुरक्षा और आर्थिक चिंताओं के लिये क्वाड (Quad)।
- क्षेत्रीय संगठन, यूरोपीय संघ (European Union-EU) जैसे संरचित और औपचारिक सहयोग के माध्यम से आर्थिक एकीकरण एवं सुरक्षा सहित व्यापक मुद्दों को संबोधित करते हैं।
स्क्वाड (Squad) और क्वाड (QUAD):
- 'स्क्वाड' का गठन और भूमिका:
- यह गठन विशेष रूप से चीनी और फिलीपीनी सेनाओं के बीच भौतिक टकराव को देखते हुए महत्त्वपूर्ण है, जिससे तनाव बढ़ गया है तथा फिलीपींस द्वारा आनुपातिक जवाबी कार्रवाई की मांग की गई है।
- फिलीपींस की समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने के लिये, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस के रक्षा मंत्रियों ने समुद्री सहयोग को आगे बढ़ाने पर चर्चा करने के लिये हवाई में बैठक की। इस नए समूह को अनौपचारिक रूप से 'स्क्वाड' नाम दिया गया है।
- इसका उद्देश्य दक्षिण चीन सागर (South China Sea- SCS) में चीनी आक्रामकता का मुकाबला करने के लिये सहयोगात्मक प्रयासों को मज़बूत करना है।
- यह गठन विशेष रूप से चीनी और फिलीपीनी सेनाओं के बीच भौतिक टकराव को देखते हुए महत्त्वपूर्ण है, जिससे तनाव बढ़ गया है तथा फिलीपींस द्वारा आनुपातिक जवाबी कार्रवाई की मांग की गई है।
- क्वाड के साथ तुलना:
- अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत से मिलकर बने क्वाड का उद्देश्य व्यापक रूप से एक सुरक्षित एवं स्थिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करना है, जबकि 'स्क्वाड' विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में सुरक्षा गतिशीलता को संबोधित करता है।
- अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत से मिलकर बने क्वाड का उद्देश्य व्यापक रूप से एक सुरक्षित एवं स्थिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करना है, जबकि 'स्क्वाड' विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में सुरक्षा गतिशीलता को संबोधित करता है।
लघुपक्षता के क्या लाभ हैं?
- लघुपक्षता साझा हितों और मूल्यों के अनुसार कार्य करने वाले देशों के स्थिर ढाँचे को दरकिनार करने तथा आम चिंता के मुद्दों को हल करने की अनुमति देती है। उदाहरण के लिये, दक्षिण एशिया के कुछ देशों के मध्य बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) मोटर वाहन समझौते (MVA) की परिकल्पना की गई थी, यहाँ तक कि SAARC भी इसी तरह की पहल करने में विफल रहा।
- लघुपक्षता अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये एक समुत्थानशील और मॉड्यूलर दृष्टिकोण प्रदान करती है। इन्हें विशिष्ट मुद्दों को संबोधित करने के लिये शीघ्रता से निर्मित किया जा सकता है और ये बहुपक्षीय ढाँचे की व्यापक औपचारिकताओं पर आधारित नहीं होते हैं।
- यह समुत्थानशीलता ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (Trans-Pacific Partnership- TPP) और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP) जैसे व्यापार समझौतों में स्पष्ट है, जो लघुपक्षीय समझौतों के रूप में संपन्न हुए थे।
- लघुपक्षता की स्वैच्छिक और गैर-बाध्यकारी प्रकृति, देशों को त्वरित निर्णय लेने तथा बदलती परिस्थितियों के अनुकूल ढलने में सहायता करती है।
- लघुपक्षता विशेष रूप से हिंद-प्रशांत जैसे क्षेत्रों में मुद्दा-विशिष्ट साझेदारी और रणनीतिक गठबंधन के निर्माण में सहायक है।
- उदाहरणों के लिये इसमें चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (Quad) और त्रिपक्षीय सहयोग एवं निरीक्षण समूह (Trilateral Cooperation and Oversight Group- TCOG) शामिल हैं, जो बड़े, अधिक औपचारिक संगठनों की तुलना में क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं को अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित करते हैं।
- आपदाओं की स्थिति में, क्षेत्रीय लघुपक्षीय मंच प्रभावित देशों की सहायता के लिये तुरंत आगे आ सकते हैं।
- उदाहरण के लिये, भारत ने मिशन सागर पहल के तहत कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये दक्षिणी-हिंद महासागर के देशों में खाद्य सामग्री और चिकित्सा सहायता दल पहुँचाने के लिये भारतीय नौसेना जहाज़ (Indian Naval Ship- INS) ‘केसरी’ को भेजा।
लघुपक्षवाद से संबंधित मुद्दे क्या हैं?
- लघुपक्षता से फोरम शॉपिंग को बढ़ावा मिल सकता है, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँच सकता है तथा वैश्विक शासन में जवाबदेही कम हो सकती है।
- कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं के बजाय स्वैच्छिक प्रतिबद्धताओं को बढ़ावा देकर, लघुपक्षीय देश अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों और मानकों के प्रवर्तन को कमज़ोर कर सकते हैं।
- लघुपक्षता को प्राथमिकता देने से देशों के लिये बहुपक्षीय ढाँचे के साथ जुड़ने के प्रोत्साहन कम हो सकता है।
- इससे विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) तथा संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children's Fund- UNICEF) जैसे संगठनों की प्रासंगिकता और प्रभावशीलता कम हो सकती है, जो अपने कार्यक्रमों के लिये बहुपक्षीय सहयोग पर निर्भर करते हैं।
- लघुपक्षवाद की सफलता सामान्यतः नेतृत्व, राजनीतिक इच्छाशक्ति और सदस्यों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर निर्भर करती है।
- राजनीतिक नेतृत्व में परिवर्तन या तनावपूर्ण संबंध, लघुपक्षीय पहलों (Minilateral Initiatives) को कम या समाप्त कर सकते हैं, जैसा कि जापान और ऑस्ट्रेलिया में नेतृत्व परिवर्तन के कारण क्वाड की प्रारंभिक विफलता के दौरान देखा गया था।
- लघुपक्षीय गठबंधनों का उन देशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है जो वार्ता/समझौता में भाग नहीं लेते हैं, जिससे मौजूदा बहुपक्षीय प्रयासों में शामिल होने के लिये उनका प्रोत्साहन कम हो सकता है।
- यह बात दोहा व्यापार वार्ता में देखी गई, जहाँ बहुपक्षीय पहलों पर ध्यान केंद्रित करने से व्यापक बहुपक्षीय प्रगति में बाधा उत्पन्न हुई।
नोट:
फोरम शॉपिंग तब होती है जब लोग विशिष्ट समूहों का चयन करते हैं, जहाँ वे उन स्थानों के अनुकूल नियमों या विशेषताओं के आधार पर अपनी नीतियों का विस्तार कर सकते हैं।
आगे की राह
- बहुपक्षीय एकीकरण: लघुपक्षवाद को बड़े बहुपक्षीय संगठनों के कार्यों को कमज़ोर करने के बजाय उनके प्रति पूरक दृष्टिकोण अपनाना चाहिये।
- उदाहरण के लिये, जलवायु कार्रवाई के दौरान लघुपक्षवाद अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों पर सहयोग की सुविधा प्रदान कर सकता है और अभिनव समाधान विकसित करने के लिये उप-राष्ट्रीय एवं गैर-सरकारी संगठनों को संलग्न कर सकता है।
- उदाहरण के लिये अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के बढ़ते उपयोग हेतु एक कार्य-उन्मुख, सदस्य-संचालित, सहयोगात्मक मंच है।
- दूरदर्शी दृष्टिकोण: यह समझने के लिये कि लघुपक्षवाद विभिन्न क्षेत्रों में सुरक्षा और रणनीतिक परिणामों को किस प्रकार प्रभावित करेंगे, दूरदर्शी दृष्टिकोण आवश्यक है।
- लघुपक्षवाद संस्थाओं में बहुलता और विविधता सुनिश्चित करने से विभिन्न समूहों की आवश्यकताओं को पूरा करने तथा साझा हितों के मुद्दों का समाधान करने में मदद मिल सकती है।
- उदाहरणतः क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास (Security and Growth for All in the Region- SAGAR) के तहत भारत अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ आर्थिक तथा सुरक्षा सहयोग को गहरा करना चाहता है एवं उनकी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं के निर्माण में सहायता करना चाहता है।
- स्पष्ट उद्देश्य: अपनी प्रभावशीलता को अधिकतम करने के लिये लघुपक्षवाद को ठोस और मापनीय उद्देश्य निर्धारित करने चाहिये।
- यह दृष्टिकोण कूटनीति के एक उपकरण के रूप में उनकी भूमिका को बढ़ाएगा और बहुपक्षीय मंचों पर वार्ता को सुव्यवस्थित करने में सहायता करेगा।
- 'स्क्वाड' और इसी तरह के लघुपक्षीय समूहों का उदय हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरते सुरक्षा परिदृश्य के लिये रणनीतिक अनुकूलन को दर्शाता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: समकालीन वैश्विक शासन में लघुपक्षवाद की प्रासंगिकता का आकलन कीजिये। इसके लाभ और सीमाओं पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किस समूह के सभी चारों देश G20 के सदस्य हैं? (2020) (a) अर्जेंटीना, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. 'मोतियों के हार' (द स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स) से आप क्या समझते हैं? यह भारत को किस प्रकार प्रभावित करता है? इसका सामना करने के लिये भारत द्वारा उठाए गए कदमों की संक्षिप्त रूपरेखा दीजिये। (2013) |