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भारतीय राजनीति

फोरम शॉपिंग

  • 24 May 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

फोरम शॉपिंग, भारत का मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय, फोरम शॉपिंग का सिद्धांत

मेन्स के लिये:

फोरम शॉपिंग, इसके नुकसान और बचाव 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India- CJI) ने फोरम शॉपिंग की प्रथा की निंदा की। उल्लेखनीय है कि एक वकील द्वारा मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उसी मामले का उल्लेख किया गया जिसका उल्लेख उसने एक दिन पहले ही सर्वोच्च न्यायालय के किसी अन्य न्यायाधीश के समक्ष भी किया था।

फोरम शॉपिंग का अभ्यास:

  • परिचय: 
    • फोरम शॉपिंग अनुकूल परिणाम प्राप्त करने की आशा में एक कानूनी मामले के लिये जान-बूझकर एक विशेष अदालत का चयन करने के अभ्यास को संदर्भित करता है।
    • वादी और वकील प्राय: इस रणनीति को अपनी मुकदमेबाज़ी योजना का हिस्सा मानते हैं।
      • उदाहरण के लिये वे अपने मामले पर अधिक ध्यान आकर्षित करने के लिये सर्वोच्च न्यायालय (SC) जैसे उच्चतम न्यायालय का विकल्प चुन सकते हैं। हालाँकि अगर कोई स्पष्ट रूप से व्यवस्था में हेर-फेर करने या किसी विशेष न्यायाधीश से बचने की कोशिश कर रहा है, तो इसे अनुचित माना जाता है।
    • इसी तरह "बेंच हंटिंग" एक अनुकूल आदेश सुनिश्चित करने के लिये किसी विशेष न्यायाधीश या बेंच द्वारा अपने मामलों की सुनवाई हेतु प्रबंधन करने वाले याचिकाकर्त्ताओं को संदर्भित करता है।
  • लाभ: 
    • यह वादी को न्यायालय में न्याय और मुआवज़े की मांग करने की अनुमति दे सकता है जो कि उसके दावों या हितों के प्रति अधिक सहानुभूतिपूर्ण है।
    • यह न्यायालयों और न्यायाधीशों के बीच उनकी दक्षता और सेवा की गुणवत्ता में सुधार के लिये प्रतिस्पर्द्धा एवं नवाचार को प्रोत्साहित कर सकता है।
  • हानि: 
    • फोरम शॉपिंग की न्यायाधीशों द्वारा आलोचना की गई है क्योंकि इससे प्रतिवादी पक्ष के साथ अन्याय हो सकता है और विभिन्न न्यायालयों के कार्यभार में असंतुलन पैदा हो सकता है।
      • न्यायाधीशों ने कुछ न्यायालयों पर अत्यधिक बोझ और न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप का हवाला दिया है।
    • यह पूर्वाग्रह या पक्षपात की धारणा बनाकर न्यायालयों और न्यायाधीशों के अधिकार एवं वैधता को कमज़ोर कर सकता है।
    • यह कानूनों के टकराव और कई कार्यवाहियों में वृद्धि कर मुकदमेबाज़ी की लागत एवं जटिलता को बढ़ा सकता है। 
  • फोरम शॉपिंग को हतोत्साहित करना: 
    • यहाँ तक कि अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम के न्यायालय भी फोरम शॉपिंग को हतोत्साहित/निषेध करते हैं। कॉमन लॉ/सामान कानून वाले देशों में फोरम शॉपिंग के अभ्यास को रोकने हेतु "फोरम गैर-सुविधा" के सिद्धांत का उपयोग किया जाता है।
      • संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और राष्ट्रमंडल सभी की कॉमन लॉ के साथ ब्रिटिश पृष्ठभूमि जुड़ी हुई है तथा इन राष्ट्रों की कानूनी प्रणालियाँ बड़े पैमाने पर कॉमन लॉ सिद्धांत पर आधारित हैं।
    • यह सिद्धांत एक न्यायालय को किसी मामले के अधिकार क्षेत्र को अस्वीकार करने की अनुमति देता है, यदि कोई अन्य न्यायालय इसे सुनने हेतु अधिक उपयुक्त हो। यह निष्पक्षता की गारंटी देता है एवं उपयुक्त न्यायिक अधिकारियों को मामले सौंपता है।

फोरम शॉपिंग न्याय और न्यायिक प्रक्रिया पर प्रभाव:

  • यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत से समझौता कर सकता है, जिसके लिये आवश्यक है कि निष्पक्ष न्यायाधिकरण के समक्ष प्रत्येक व्यक्ति की निष्पक्ष सुनवाई होनी चाहिये।
  • यह समानता के सिद्धांत का उल्लंघन कर सकता है, जिसके लिये यह आवश्यक है कि न्यायालयों को सामान्य हित के मामलों पर एक-दूसरे के निर्णयों का सम्मान करना चाहिये और उन्हें टालना चाहिये
  • यह अंतिमता के सिद्धांत को बाधित कर सकता है, जिसके लिये आवश्यक है कि मुकदमेबाज़ी किसी बिंदु पर समाप्त होनी चाहिये और अनिश्चित काल तक लंबी नहीं चलनी चाहिये।

फोरम शॉपिंग पर सर्वोच्च न्यायालय का दृष्टिकोण:

  • डॉ. खैर-उन-निसा और अन्य बनाम जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश एवं अन्य 2023:
    • जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने एक ही कारण होने के बावजूद अदालत की विभिन्न शाखाओं के समक्ष कई याचिकाएँ दायर करके फोरम शॉपिंग में शामिल होने हेतु याचिकाकर्त्ताओं पर एक लाख रुपए का ज़ुर्माना लगाया।
  • विजय कुमार घई बनाम पश्चिम बंगाल राज्य 2022:  
    • सर्वोच्च न्यायालय ने फोरम शॉपिंग को "अदालतों द्वारा एक विवादित प्रथा" करार दिया, जिसे "कानून में कोई मंज़ूरी और सर्वोच्चता नहीं है"।
  • धनवंतरी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस बनाम राजस्थान राज्य 2022:
    • राजस्थान उच्च न्यायालय ने फोरम शॉपिंग में शामिल होने के लिये एक पार्टी पर 10 लाख रुपए का ज़ुर्माना लगाने के आदेश को बरकरार रखा।
  • भारत संघ और अन्य बनाम सिप्ला लिमिटेड 2017: 
    • सर्वोच्च न्यायालय ने फोरम शॉपिंग के लिये अपनाए जाने वाले "कार्यात्मक परीक्षण" को निर्धारित किया।
      • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित "कार्यात्मक परीक्षण" यह निर्धारित करने के लिये था कि क्या एक वादी वास्तव में न्याय की मांग कर रहा है या फोरम शॉपिंग के माध्यम से चालाकी की रणनीति में संलग्न है।
  • रोस्मेर्टा HSRP वेंचर्स प्रा. लिमिटेड बनाम दिल्ली सरकार और अन्य 2017:
    • दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक निजी कंपनी पर ज़ुर्माना लगाया जिसमें पाया गया कि वह मध्यस्थता के मामले में “फोरम हंटिंग” में लिप्त थी।
  • कामिनी जायसवाल बनाम भारत संघ 2017: 
    • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि "बेईमान तत्त्व" हमेशा अपनी पसंद की अदालत या मंच खोजने के लिये तत्पर रहते हैं लेकिन कानून द्वारा उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं है
  • चेतक कंस्ट्रक्शन लिमिटेड बनाम ओम प्रकाश 1988:
    • भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि वादियों को अपनी सुविधा के लिये न्यायालय चुनने की स्वतंत्रता नहीं होनी चाहिये। कोर्ट ने कहा कि “फोरम शॉपिंग” के किसी भी प्रयास को दृढ़ता से हतोत्साहित किया जाना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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