शासन व्यवस्था
प्रवासियों के लिये दूरस्थ मतदान की सुविधा
- 14 Oct 2023
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:प्रवासियों हेतु दूरस्थ मतदान, भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI), रिमोट ई.वी.एम. (R-EVM), इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM)। मेन्स के लिये:प्रवासियों हेतु दूरस्थ मतदान, महत्त्व और चुनौतियाँ, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ, सरकारी नीतियाँ और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप एवं उनके डिज़ाइन तथा कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2022 के अंत में भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India-ECI) ने घरेलू प्रवासी मतदान से संबंधित मुद्दों के समाधान हेतु रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (R-EVM) का प्रस्ताव रखा। इसका लक्ष्य वर्ष 2019 के आम चुनाव में 67.4% की मतदान दर में सुधार करना है।
- लोकनीति- CSDS द्वारा सितंबर 2023 में एक सर्वेक्षण आयोजित किया गया था, जिसमें दिल्ली की झुग्गियों में रहने वाले 1,017 प्रवासियों को शामिल किया गया था, जिसमें 63% पुरुष एवं 37% महिलाएँ थीं, जिसका उद्देश्य यह समझना था कि क्या प्रस्तावित R-EVM प्रणाली राजनीतिक दलों द्वारा उठाई गईं कानूनी तथा तार्किक चिंताओं को दरकिनार करते हुए अपने इच्छित उपयोगकर्त्ताओं के बीच विश्वास का एक व्यवहार्य स्तर प्राप्त करेगी।
रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (R-EVM):
- परिचय:
- "R-EVM" शब्द का अर्थ "रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन" है। यह भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रस्तावित प्रणाली है जिसका उद्देश्य उन प्रवासियों को मतदान की सुविधा प्रदान करना है जो अपने पंजीकृत निर्वाचन क्षेत्रों से दूर होने के कारण अपने वर्तमान गृह निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान करने में असमर्थ हैं।
- R-EVM को घरेलू प्रवासी मतदान के मुद्दे को उजागर करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो उन पंजीकृत मतदाताओं को मतदान वोट डालने की सुविधा प्रदान करता है जो अपने गृह निर्वाचन क्षेत्रों से दूर चले गए हैं।
- "R-EVM" शब्द का अर्थ "रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन" है। यह भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रस्तावित प्रणाली है जिसका उद्देश्य उन प्रवासियों को मतदान की सुविधा प्रदान करना है जो अपने पंजीकृत निर्वाचन क्षेत्रों से दूर होने के कारण अपने वर्तमान गृह निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान करने में असमर्थ हैं।
- प्रमुख बिंदु:
- पंजीकरण प्रक्रिया: दूरस्थ मतदान सुविधा का उपयोग करने में रुचि रखने वाले मतदाताओं को अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र के संबंधित रिटर्निंग अधिकारी (RO) के साथ पूर्व-अधिसूचित समय सीमा के भीतर पंजीकरण (ऑनलाइन या ऑफलाइन) करना होगा।
- रिमोट पोलिंग स्टेशन: मतदाता के वर्तमान निवास के क्षेत्र में एक रिमोट पोलिंग स्टेशन स्थापित किया जाएगा, जो प्रवासी मतदाताओं को उस स्थान से रिमोट पोलिंग करने में सहायता प्रदान करेगा।
- एकाधिक निर्वाचन क्षेत्रों का प्रबंधन: RVM एक रिमोट पोलिंग बूथ से ही अधिकतम 72 निर्वाचन क्षेत्रों का मतदान करा सकती है जिससे विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं के लिये एक ही स्थान पर मतदान करना सरल हो जाता है।
- मतदान प्रक्रिया: जब मतदाता रिमोट पोलिंग स्टेशन पर पीठासीन अधिकारी की उपस्थिति में अपने निर्वाचन क्षेत्र के वोटिंग कार्ड को स्कैन करता है तो संबंधित निर्वाचन क्षेत्र तथा उम्मीदवार की सूची आर.वी.एम. डिस्प्ले पर दिखाई देती है।
- RVM में मौजूदा EVM के समान ही सुरक्षा प्रणाली और मतदान का अनुभव होता है तथा यह एक पेपर बैलेट शीट के बजाय उम्मीदवारों एवं उनके चुनाव चिह्नों को प्रस्तुत करने के लिये इलेक्ट्रॉनिक बैलट डिस्प्ले का उपयोग करता है।
- मतदाता RVM डिस्प्ले पर अपने पसंदीदा उम्मीदवार का चयन कर सकते हैं। यह सिस्टम एक निर्वाचन क्षेत्र में प्रत्येक उम्मीदवार के लिये मतों को एकत्र कर उनकी गिनती करेगा।
- रिमोट वोटिंग का प्रयोग करने वाले देश:
- एस्टोनिया, फ्राँस, पनामा, पाकिस्तान, आर्मेनिया आदि जैसे कुछ देश हैं, जो विदेश में अथवा अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों से दूर रहने वाले नागरिकों के लिये रिमोट वोटिंग की सुविधा प्रदान करते हैं।
प्रवासी वोट का महत्त्व:
- प्रवासन पैटर्न और उसके कारण:
- दिल्ली में प्रवासी मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे पड़ोसी राज्यों से आते हैं।
- स्थानांतरण का सबसे बड़ा कारण (लगभग 58%), रोज़गार के बेहतर अवसर की तलाश करना, इसके बाद परिवार से संबंधित कारण (18%) तथा विवाह के कारण स्थानांतरण (13%) हैं।
- प्रवासी जनसांख्यिकी और निवास अवधि:
- दिल्ली में दीर्घकालिक प्रवासियों की उल्लेखनीय उपस्थिति है, जैसा कि अधिकांश प्रवासियों (61%) से संकेत मिलता है जो पाँच वर्ष से अधिक समय से शहर में रह रहे हैं।
- हालाँकि बड़ी संख्या में अल्पकालिक प्रवासी, विशेष रूप से बिहार से, मौसमी रोज़गार के लिये दिल्ली आते हैं।
- मतदाता पंजीकरण और चुनावी भागीदारी:
- लगभग 53% प्रवासियों ने दिल्ली में मतदाता के रूप में पंजीकरण कराया है, जबकि 27% अपने गृह राज्यों में पंजीकृत हैं। प्रवासी, स्थानीय/पंचायत चुनावों की तुलना में राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय चुनावों में अधिक भाग लेते हैं।
- मतदान के लिये गृह राज्यों में वापसी:
- विशेष रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासी, मुख्यतः स्थानीय एवं राज्य विधानसभा चुनावों में वोट देने के लिये वापस जाकर अपने गृह राज्यों से संबंध बनाए रखते हैं।
- मतदान हेतु वापसी के कारणों में वोट देने के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करना (40%) और चुनाव के मौसम को परिवार से मिलने के अवसर के रूप में उपयोग करना (25%) शामिल है।
- रिमोट वोटिंग सिस्टम पर भरोसा:
- 47% उत्तरदाता प्रस्तावित दूरस्थ मतदान प्रणाली पर भरोसा करते हैं, जबकि 31% ने अविश्वास व्यक्त किया है।
- इस सिस्टम में उल्लेखनीय लिंग अंतर देखने को मिलता है, जिसमें पुरुष (50%), महिलाओं (40%) की तुलना में प्रणाली पर अधिक भरोसा दिखाते हैं। बेहतर शिक्षित व्यक्तियों को इस तरह के सिस्टम पर अधिक भरोसा होता है।
आगामी चिंताएँ और चुनौतियाँ:
- EVM जैसी चुनौतियाँ:
- प्रवासी मतदान के लिये बहु-निर्वाचन क्षेत्र RVM में EVM के समान मतदान अनुभव और सुरक्षा प्रणाली होंगे।
- चुनावी कानूनों में संशोधन:
- नई वोटिंग पद्धति को समायोजित करने के लिये रिमोट वोटिंग हेतु मौजूदा कानूनों जैसे कि पीपुल्स रिप्रेज़ेंटेशन एक्ट 1950 और 1951, द कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 तथा द रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टर्स रूल्स, 1960 में संशोधन की आवश्यकता है।
- कानूनी संरचना को "प्रवासी मतदाता" को पुनः परिभाषित करने और यह निर्धारित करने की आवश्यकता है कि क्या वे अपने मूल निवास स्थान पर वोट करने संबंधी पंजीकरण बरकरार रखते हैं।
- मतदाता पोर्टेबिलिटी और निवास:
- यह निर्धारित करना कि "साधारण निवास" और "अस्थायी अनुपस्थिति" की कानूनी संरचनाओं का सम्मान करते हुए मतदाता पोर्टेबिलिटी का प्रबंधन कैसे किया जाए, एक सामाजिक चुनौती है।
- इसके अतिरिक्त, दूरस्थ मतदान की प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की अवधारणा और दूरस्थता को परिभाषित करने की आवश्यकता है जो एक बाह्य निर्वाचन क्षेत्र, ज़िले या राज्य के बाहर है।
- मतदान की गोपनीयता और प्रशासनिक चुनौतियाँ:
- दूरदराज़ के क्षेत्रों में मतदान की गोपनीयता सुनिश्चित करते हुए मतदान प्रक्रिया की अखंडता और गोपनीयता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- मतदाताओं की सटीक पहचान करने और प्रतिरूपण को रोकने के तरीकों को लागू करना एक निष्पक्ष एवं सुरक्षित दूरस्थ मतदान प्रणाली के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- मतदान कर्मियों को संगठित करना और यह सुनिश्चित करना कि दूरस्थ मतदान केंद्रों की प्रभावी ढंग से निगरानी की जाए, वर्तमान में तार्किक एवं प्रशासनिक चुनौतियाँ हैं।
- तकनीकी चुनौतियाँ:
- यह सुनिश्चित करना कि मतदाता दूरस्थ मतदान के लिये उपयोग की जाने वाली तकनीक और इंटरफेस से परिचित हैं, मतदाता भ्रम तथा त्रुटियों को रोकने के लिये आवश्यक है।
- दूरस्थ मतदान के माध्यम से डाले गए वोटों की सटीक गिनती के लिये कुशल तंत्र स्थापित करना एक तकनीकी चुनौती है जिसमें सुधार किया जाना चाहिये।
आगे की राह:
- मशीन-स्वतंत्र:
- मतदान प्रक्रिया को सत्यापन योग्य और सटीक बनाने के लिये इसे मशीनी तौर पर स्वतंत्र, या सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर के तौर स्वतंत्र होना चाहिये, अर्थात, इसकी सत्यता की स्थापना केवल इस धारणा पर निर्भर नहीं होनी चाहिये कि EVM सही है।
- संतुष्ट न होने पर रद्द करने का अधिकार:
- “मतदाता के पास संतुष्ट न होने पर वोट रद्द करने की शक्ति होनी चाहिये और वोट को रद्द करने की प्रक्रिया सरल होनी चाहिये तथा मतदाता को किसी के साथ बातचीत करने की आवश्यकता न हो।
- आत्मविश्वास और स्वीकार्यता:
- मतदाताओं, राजनीतिक दलों एवं चुनाव मशीनरी सहित चुनावी प्रक्रिया में सभी प्रतिभागियों के विश्वास और स्वीकार्यता पर विचार करना आवश्यक है।