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VVPAT मशीनें

  • 27 Apr 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ECI, VVPAT, रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, आदर्श आचार संहिता

मेन्स के लिये:

भारतीय चुनावों में VVPAT प्रणाली के समक्ष चुनौतियाँ, भविष्य के चुनावों में VVPAT प्रणाली की विश्वसनीयता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु संभावित समाधान, VVPAT तथा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव

चर्चा में क्यों?

मतदाता सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) मशीनों में पारदर्शिता की कमी एवं इसकी खामियों तक राजनीतिक दलों की अपर्याप्त पहुँच के कारण भारत निर्वाचन आयोग की आलोचना की गई थी।

निर्वाचन आयोग (EC) की आलोचना:

  • निर्वाचन आयोग ने 6.5 लाख VVPAT मशीनों को दोषपूर्ण के रूप में पहचानने के बारे में राजनीतिक दलों को सूचित नहीं किया है।
    • जिन मशीनों में खामियाँ पाई गई हैं, उनकी संख्या वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल की गई कुल मशीनों की संख्या के 1/3 (37%) से अधिक है तथा ये पिछले आम चुनाव एवं बाद के विधानसभा चुनावों में मतदाताओं को प्रभावित कर सकती थीं।
    • विभिन्न निर्माताओं के पूरे बैच में लगातार क्रम संख्या वाले हज़ारों VVPAT खराब पाए गए हैं।
    • खामियाँ इतनी गंभीर हैं कि मशीन निर्माताओं को वापस कर दी गई हैं।
  • निर्वाचन आयोग ने उन मानक संचालन प्रक्रियाओं (आदर्श आचार संहिता) का पालन नहीं किया, जिन्हें पैनल ने अपने लिये तैयार किया था, इसके तहत फील्ड अधिकारियों को 7 दिनों के भीतर किसी भी दोष की पहचान करने की आवश्यकता होती है।
    • निर्वाचन आयोग द्वारा पारदर्शिता सुनिश्चित कर निर्वाचन प्रक्रिया में जनता के विश्वास एवं भरोसे को बहाल करने की ज़रूरत है।

VVPAT मशीन:

  • परिचय:
    • VVPAT इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Electronic Voting Machines- EVM) से संबंधित एक स्वतंत्र सत्यापन प्रिंटर मशीन है जो मतदाताओं को यह सत्यापित करने की अनुमति देती है कि उनका वोट उचित तरीके से दर्ज किया गया है।
      • VVPAT मशीन EVM पर बटन को क्लिक करने के बाद लगभग 7 सेकंड हेतु मतदाता द्वारा चुनी गई पार्टी के नाम एवं प्रतीक के साथ पर्ची को प्रिंट करती है।
    • VVPAT मशीनों को पहली बार भारत में वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में उपयोग किया गया था, जिसका उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना एवं EVM की सटीकता के बारे में संदेह को खत्म करना था।
      • VVPAT मशीनों तक केवल मतदान अधिकारी ही पहुँच सकते हैं।
    • ECI के अनुसार, EVM और VVPAT अलग-अलग संस्थाएँ हैं जो किसी भी नेटवर्क से जुड़ी नहीं हैं।

  • चुनौतियाँ:
    • तकनीकी खराबी:
      • VVPAT मशीनों के संदर्भ में प्राथमिक चिंताओं में से एक तकनीकी खराबी की संभावना है। मशीनों को मतदाता द्वारा डाले गए वोट की एक कागज़ी रसीद प्रिंट करनी होती है, जिसे बाद में एक बॉक्स में जमा कर दिया जाता है।
      • हालाँकि मशीनों के खराब होने के उदाहरण सामने आए हैं, जिसके परिणामस्वरूप गलत प्रिंटिंग हो गई है या कोई प्रिंटिंग नहीं हुई है।
    • पेपर ट्रेल्स का सत्यापन:
      • एक अन्य चुनौती VVPAT मशीनों द्वारा उत्पन्न पेपर ट्रेल्स का सत्यापन है।
        • भले ही वोटिंग मशीनों को वोट का भौतिक रिकॉर्ड प्रदान करने के लिये अभिकल्पित किया गया है, परंतु यह हमेशा स्पष्ट नहीं होता है कि इस रिकॉर्ड की पुष्टि कैसे की जा सकती है, खासकर जब भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के बीच असमानता हो।
    • मतदाताओं का विश्वास:
      • खराब VVPAT मशीनों की हालिया रिपोर्टों के कारण चुनावी प्रक्रिया में जनता के विश्वास में और अधिक कमी आई है।
      • चुनाव आयोग की ओर से पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी के कारण चुनावों की निष्पक्षता एवं सटीकता पर सवाल उठने लगे हैं।
      • सर्वोच्च न्यायालय ने डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारतीय निर्वाचन आयोग मामले (2013) में कहा था कि "स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिये VVPAT अनिवार्य" है।

आगे की राह

  • नियमित देखभाल:
    • तकनीकी खराबी के मुद्दे को हल करने का एक तरीका यह है कि मशीनों का नियमित रखरखाव सुनिश्चित किया जाए। निर्वाचन आयोग को समय-समय पर मशीनों में किसी भी गड़बड़ी की पहचान करने और उसे दूर करने के लिये नियमित रखरखाव तथा परीक्षण की एक प्रणाली स्थापित करनी चाहिये।
  • पारदर्शिता में वृद्धि:
    • पेपर ट्रेल्स के सत्यापन संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये निर्वाचन आयोग को चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता में वृद्धि करनी चाहिये। यह राजनीतिक दलों और जनता को VVPAT मशीनों के कामकाज़ एवं सत्यापन की प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करके किया जा सकता है।
  • जवाबदेही:
    • निर्वाचन आयोग को दोषपूर्ण VVPAT मशीनों की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिये और यह सुनिश्चित करने हेतु कदम उठाने चाहिये कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।
      • मशीनों के रखरखाव और परीक्षण के लिये ज़िम्मेदार लोगों की जवाबदेही हेतु प्रणाली स्थापित करके इसे सुनिश्चित किया जा सकता है।
  • अनुसंधान और विकास:
    • इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के क्षेत्र में चल रहे अनुसंधान और विकास को जारी रखने की आवश्यकता है। चुनावी प्रक्रिया की सटीकता, सुरक्षा एवं पारदर्शिता में सुधार हेतु नई तकनीकों तथा नवाचारों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

मेन्स:

प्रश्न. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के इस्तेमाल संबंधी हाल के विवाद के आलोक में भारत में चुनावों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिये भारत के निर्वाचन आयोग के समक्ष क्या-क्या चुनौतियाँ हैं? (2018)

स्रोत: द हिंदू

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