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शासन व्यवस्था

दूरस्थ मतदान सुविधा

  • 04 Nov 2022
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

दूरस्थ मतदान सुविधा, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, भारत निर्वाचन आयोग, इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ETPBS), e- SHRAM पोर्टल

मेन्स के लिये:

रिमोट वोटिंग सुविधा, रिमोट वोटिंग की आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र सरकार ने कहा कि वह अनिवासी भारतीयों (NRI), विशेष रूप से प्रवासी मज़दूरों के लिये दूरस्थ मतदान सुविधा पर विचार कर रही है, ताकि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता सुनिश्चित करते हुए दूरस्थ मतदान सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।

पृष्ठभूमि:

  • वर्ष 2020 में चुनाव आयोग के अधिकारियों ने दूरस्थ मतदान को सक्षम करने के लिये ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करने का विचार भी प्रस्तावित किया। इसका उद्देश्य मतदान में भौगोलिक बाधाओं को दूर करना है।
    • आयोग दूरस्थ मतदान की संभावना पर विचार कर रहा है जिससे लोग अपने कार्यस्थल से मतदान कर सकेंगे।
  • जनप्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक 2017 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20A के तहत लगाए गए 'अनुचित प्रतिबंध' को हटाने का प्रस्ताव किया गया था, जिसके तहत विदेश में रह रहे भारतीय मतदाताओं को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान करने के लिये भौतिक रूप से उपस्थित रहने की आवश्यकता होती है.
    • यह वर्ष 2018 में विधेयक में पारित हो गया था, लेकिन 16वीं लोकसभा के भंग होने के साथ समाप्त हो गया।
  • वर्तमान में केवल निम्नलिखित मतदाताओं को डाक मतपत्र के माध्यम से अपना वोट डालने की अनुमति है:
    • सेवारत मतदाता (सशस्त्र बल, किसी राज्य का सशस्त्र पुलिस बल और विदेश में तैनात सरकारी कर्मचारी),
    • मतदाता, चुनाव ड्यूटी में संलग्न,
    • 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाता या विकलांग व्यक्ति (PwD),
    • निवारक नजरबंदी के तहत मतदाता।

रिमोट वोटिंग/दूरस्थ मतदान:

  • दूरस्थ मतदान किसी नियत मतदान केंद्र के अलावा कहीं और व्यक्तिगत रूप से हो सकता है या किसी अन्य समय पर हो सकता है या वोट डाक द्वारा भेजे जा सकते हैं या नियुक्त प्रॉक्सी द्वारा डाले जा सकते हैं।

दूरस्थ मतदान की आवश्यकता:

  • प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण:
    • मतदाता अपने पंजीकरण के स्थान से शहरों और अन्य स्थानों पर शिक्षा, रोज़गार और अन्य उद्देश्यों के लिये प्रवासन करते हैं। उनके लिये वोट डालने के लिये अपने पंजीकृत मतदान केंद्रों पर लौटना मुश्किल हो जाता है।
    • यह भी देखा गया है कि उत्तराखंड के दुमक और कलगोठ जैसे गाँवों में लगभग 20-25% पंजीकृत मतदाता अपने निर्वाचन क्षेत्रों में वोट डालने में असमर्थ हैं क्योंकि उन्हें नौकरी या शैक्षिक कारण से अपने गाँव/राज्य से बाहर जाना पड़ता है।
  • मतदान प्रतिशत में कमी:
    • वर्ष 2019 के आम चुनावों के दौरान कुल 910 मिलियन मतदाताओं में से लगभग 300 मिलियन नागरिकों ने अपना वोट नहीं डाला।
  • महानगरीय क्षेत्रों से संबंधित चिंताएँ:
    • चुनाव आयोग द्वारा शहरी क्षेत्रों में मतदाता के लिये 2 किमी. के भीतर मतदान केंद्र स्थापित किये जाने के बावजूद कुछ महानगरों/शहर क्षेत्रों में कम मतदान के बारे में चिंता व्यक्त की गई। शहरी क्षेत्रों में मतदान को लेकर उदासीनता को दूर करने की आवश्यकता महसूस की गई।
  • असंगठित श्रमिकों का बढ़ता पंजीकरण:
    • प्रवासी श्रमिकों की संख्या लगभग 10 मिलियन हैं, जो असंगठित क्षेत्र से हैं और सरकार के ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हैं। यदि रिमोट वोटिंग परियोजना को लागू किया जाता है, तो इसके दूरगामी प्रभाव होंगे।
  • स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ:
    • मुख्य रूप से वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर भी चर्चा करने की आवश्यकता है क्योंकि वे भी मुख्य विचार-विमर्श बन रहे हैं। दूरस्थ मतदान सुविधा के परिणामस्वरूप शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी मतदान प्रतिशत में वृद्धि होगी।

रिमोट वोटिंग से संबंधित समस्याएँ :

  • सुरक्षा:
    • कोई भी नई प्रौद्योगिकी प्रणाली जिसमें ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी और अन्य पर आधारित प्रणाली शामिल है, साइबर हमलों एवं अन्य सुरक्षा कमज़ोरियों के प्रति संवेदनशील हैं।
  • सत्यता और पुष्टिकरण:
    • इसके अलावा एक मतदाता सत्यापन प्रणाली जो बायोमेट्रिक सॉफ्टवेयर का उपयोग करती है, जैसे कि चेहरे की पहचान, मतदाता पहचान में सकारात्मक या नकारात्मक झूठी जानकारी दे सकती है, इस प्रकार से धोखाधड़ी को बल मिलता है।
  • इंटरनेट कनेक्शन और मालवेयर सुरक्षा:
    • मतदान हेतु मतदाताओं की निर्भरता विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्शन पर रहती है कुछ देशों में इंटरनेट की पहुँच और उपलब्धता एवं ई-सरकारी सेवाओं का उपयोग सीमित है।
    • मतदाताओं के उपकरणों पर सॉफ्टवेयर त्रुटियाँ या मालवेयर भी वोट कास्टिंग (मतदान) को प्रभावित कर सकते हैं।
  • गोपनीयता:
    • मतदाता गोपनीयता और अंतिम परिणामों की अखंडता की रक्षा के लिये चुनावों में हमेशा उच्च स्तर की सुरक्षा की आवश्यकता होती है। चुनावों की सुरक्षा ज़रूरतों को पूरा करने का मतलब है कि ऑनलाइन वोटिंग तकनीक से उन बाधाओं को दूर करना होगा जो मतदाता की गोपनीयता के लिये खतरा उत्पन्न कर सकती हैं।
  • पसंदीदा वातावरण: यह भी संभव है कि मतदान अनियंत्रित वातावरण में हो। अतः यह सुनिश्चित करना मुश्किल है कि व्यक्ति स्वतंत्र रूप से और बिना ज़बरदस्ती के मतदान करे।
    • इसमें जोखिम यह है कि कोई अन्य व्यक्ति मतदाता की ओर से मतदान करता है, इसलिये मतदाता की पहचान करना मुश्किल है।

भारतीय चुनावों में प्रवासी मतदाताओं के लिये वर्तमान मतदान प्रक्रिया:

  • जन प्रतिनिधित्व (संशोधन) अधिनियम, 2010 के माध्यम से पात्र एनआरआई जो छह महीने से अधिक समय तक विदेश में रहे थे, को मतदान करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन केवल मतदान केंद्र पर व्यक्तिगत रूप से जहाँ उन्हें एक विदेशी मतदाता के रूप में नामांकित किया गया था।
    • वर्ष 2010 से पहले एक भारतीय नागरिक जो एक पात्र मतदाता है तथा छह महीने से अधिक समय से विदेश में रह रहा हो, चुनाव में मतदान नहीं कर सकता था। ऐसा इसलिये था क्योंकि वह देश से बाहर छह महीने से अधिक समय तक रहा है और NRI का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया था।
  • NRI, निर्वाचन क्षेत्र में अपने निवास स्थान पर मतदान कर सकता है, जैसा कि पासपोर्ट में उल्लिखित है।
  • वह केवल व्यक्तिगत रूप से मतदान कर सकता है और पहचान के लिये उसे मतदान केंद्र पर अपना पासपोर्ट मूल रूप में प्रस्तुत करना होगा।

आगे  की राह

  • ऑनलाइन मतदान प्रणाली को यह सत्यापन करने में भी सक्षम होना चाहिये कि इसमें चुनाव की अखंडता बनी रहने के साथ मतदान प्रक्रिया के दौरान कोई हेरफेर नहीं हुई हो।
  • यह महत्त्वपूर्ण है कि रिमोट वोटिंग की किसी भी प्रणाली में चुनावी प्रणाली के सभी हितधारकों- मतदाताओं, राजनीतिक दलों और चुनाव मशीनरी के विश्वास एवं स्वीकार्यता को ध्यान में रखने के साथ राजनीतिक सहमति भी रिमोट वोटिंग शुरू करने का एक रास्ता है।
  • यदि सरकार या आम जनता इसकी सुरक्षा, अखंडता और सटीकता को लेकर आश्वस्त नहीं है तो उचित कानूनी ढाँचे के बावजूद ऑनलाइन वोटिंग प्रणाली का उपयोग करना व्यर्थ होगा।
  • प्रभावी डाक प्रणाली तथा डाक मतपत्र तंत्र, जो नामित कांसुलर/दूतावास कार्यालयों में मतपत्र के उचित प्रमाणीकरण की अनुमति देता है, को अनिवासी भारतीयों के लिये आसान बनाया जाना चाहिये, लेकिन देश से दूर बिताए गए समय के आधार पर पात्रता हेतु नियमों को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया जाना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

भारत में मतदान करने और निर्वाचित होने का अधिकार है: (2017)

(a) मौलिक अधिकार
(b) प्राकृतिक अधिकार
(c) संवैधानिक अधिकार
(d) कानूनी अधिकार

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • मतदान का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 326 में निहित है जिसमें प्रावधान किया गया है कि लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिये निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे। प्रत्येक व्यक्ति जो भारत का नागरिक है और कम से कम अठारह वर्ष की आयु का है और संविधान या समुचित विधानमंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन अनिवास, चित्तविकृति, अपराध या भ्रष्ट या अवैध आचरण के आधार पर अन्यथा निरर्हित नहीं कर दिया जाता है, को ऐसे किसी निर्वाचन में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने का अधिकार होगा।
  • निर्वाचित होने के अधिकार के तहत संविधान में संसद सदस्य (अनुच्छेद 84), राज्य विधानमंडलों के सदस्य (अनुच्छेद 173), राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिये आवश्यक न्यूनतम योग्यता का प्रावधान किया गया है। अनुच्छेद 84 में प्रावधान किया गया है कि भारत का एक नागरिक जो तीस वर्ष से कम आयु का नहीं है, वह राज्यसभा में चुने जाने के लिये पात्र है और ऐसा व्यक्ति जो पच्चीस वर्ष से कम आयु का नहीं है, वह  लोकसभा में चुने जाने के  लिये पात्र है।

अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।


मेन्स

Q. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत भ्रष्ट आचरण के दोषी पाए गए व्यक्तियों की अयोग्यता निर्धारण प्रक्रिया के सरलीकरण की आवश्यकता है"। टिप्पणी कीजिये। (2020)

स्रोत: द हिंदू

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