भारतीय अर्थव्यवस्था
RBI की 50वीं मौद्रिक नीति समिति की बैठक
- 10 Aug 2024
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय रिज़र्व बैंक, मौद्रिक नीति समिति, लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण, रेपो दर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक, डिजिटल लेंडिंग ऐप्स, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस मेन्स के लिये:मौद्रिक नीति समिति के निर्णय, भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधनों का संग्रहण, वृद्धि, विकास और रोज़गार से संबंधित मुद्दे। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक की 50वीं मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में ब्याज दरों और आर्थिक नीतियों पर उल्लेखनीय अपडेट सामने आई है।
- इस बैठक में लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (FIT) अवसंरचना के आठ वर्षों पर प्रकाश डाला गया तथा मुद्रास्फीति को प्रबंधित करने और आर्थिक दक्षता को बढ़ाने के उपायों को प्रस्तुत किया गया।
50वीं MPC बैठक के मुख्य तथ्य क्या हैं?
- MPC के दर निर्णय:
- MPC ने नीतिगत रेपो दर को 6.50% पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। यह निर्णय मुद्रास्फीति के प्रबंधन और आर्थिक विकास का समर्थन करने हेतु समिति के वर्तमान दृष्टिकोण को दर्शाता है।
- स्थायी जमा सुविधा (SDF) दर अपरिवर्तित रेपो दर के साथ संरेखित करते हुए 6.25% पर बनी हुई है।
- सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) दर और बैंक दर दोनों दरें 6.75% पर निर्धारित की गई हैं। इन दरों का उपयोग अर्थव्यवस्था के भीतर तरलता और उधार लेने की लागत का प्रबंधन करने के लिये किया जाता है।
- MPC का प्राथमिक लक्ष्य मुद्रास्फीति को 4.0% के लक्ष्य के करीब लाने के लिये धीरे-धीरे समायोजन को समाप्त करना है। मज़बूत आर्थिक विकास के बावजूद समिति आर्थिक विस्तार का समर्थन करते हुए मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने हेतु मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर ज़ोर देती है।
- विकास का आकलन:
- वैश्विक आर्थिक स्थिति: MPC ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर लेकिन असमान वृद्धि दर्शा रही है। विनिर्माण क्षेत्र में मंदी का अनुभव हो रहा है जबकि सेवा उद्योग का प्रदर्शन अच्छा बना हुआ है।
- प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति की दर में धीरे-धीरे कमी देखी जा रही है, हालाँकि सेवाओं की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
- विभिन्न देश अलग-अलग मौद्रिक नीतियाँ अपना रहे हैं, कुछ केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती कर रहे हैं जबकि अन्य अपनी नीतियों को सख्त कर रहे हैं।
- प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति की दर में धीरे-धीरे कमी देखी जा रही है, हालाँकि सेवाओं की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
- चुनौतियाँ: प्रमुख वैश्विक चुनौतियों में जनसांख्यिकीय बदलाव, जलवायु परिवर्तन, भू-राजनीतिक तनाव, बढ़ता सार्वजनिक ऋण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी प्रौद्योगिकी में प्रगति शामिल हैं। ये कारक मध्यम अवधि के वैश्विक विकास परिदृश्य में अनिश्चितताओं में योगदान करते हैं।
- घरेलू आर्थिक स्थिति: MPC ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत की आर्थिक गतिविधि स्थिर मानसून प्रगति, उच्च खरीफ बुवाई और बेहतर जलाशय स्तर से प्रेरित सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ लचीली बनी हुई है।
- विनिर्माण और सेवा क्षेत्र मज़बूत हैं तथा औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में तीव्र वृद्धि देखी जा रही है।
- ग्रामीण मांग में वृद्धि और शहरी विवेकाधीन व्यय में स्थिरता से घरेलू उपभोग को समर्थन मिल रहा है।
- वैश्विक आर्थिक स्थिति: MPC ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर लेकिन असमान वृद्धि दर्शा रही है। विनिर्माण क्षेत्र में मंदी का अनुभव हो रहा है जबकि सेवा उद्योग का प्रदर्शन अच्छा बना हुआ है।
- मुद्रास्फीति के रुझान और निहितार्थ:
- जून 2024 में हेडलाइन मुद्रास्फीति बढ़कर 5.1% हो गई, जिसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ना है। ईंधन की कीमतों में गिरावट के साथ कोर मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन की कीमतों को छोड़कर) में कमी आई।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) बास्केट में खाद्य पदार्थों का महत्त्वपूर्ण भार (लगभग 46%) होने के कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों का समग्र मुद्रास्फीति पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। खाद्य पदार्थों, विशेषकर सब्जियों की उच्च कीमतों ने मुख्य मुद्रास्फीति को बढ़ा दिया है।
- भावी दृष्टिकोण: यद्यपि अल्पावधि में खाद्य मुद्रास्फीति उच्च बनी रहने की उम्मीद है, फिर भी अनुकूल आधार प्रभाव और बेहतर मानसून की स्थिति के कारण कुछ राहत मिल सकती है।
- जून 2024 में हेडलाइन मुद्रास्फीति बढ़कर 5.1% हो गई, जिसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ना है। ईंधन की कीमतों में गिरावट के साथ कोर मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन की कीमतों को छोड़कर) में कमी आई।
- वित्तीय बाज़ार की स्थितियाँ:
- MPC ने कहा कि आर्थिक मंदी, भू-राजनीतिक तनाव और कैरी ट्रेड गतिशीलता में बदलाव की चिंताओं के कारण वैश्विक वित्तीय बाज़ारों में अस्थिरता का अनुभव हुआ है।
- इसके बावजूद, भारत के वित्तीय बाज़ार मज़बूत समष्टि आर्थिक बुनियादी अवसंरचना के समर्थन से स्थिर हैं।
- MPC ने कहा कि आर्थिक मंदी, भू-राजनीतिक तनाव और कैरी ट्रेड गतिशीलता में बदलाव की चिंताओं के कारण वैश्विक वित्तीय बाज़ारों में अस्थिरता का अनुभव हुआ है।
- अतिरिक्त उपाय:
- डिजिटल ऋण ऐप्स रिपॉजिटरी:
- RBI बैंकों जैसी विनियमित संस्थाओं (RE) द्वारा उपयोग किये जाने वाले डिजिटल लेंडिंग ऐप्स (DLA) का एक सार्वजनिक संग्रह स्थापित करेगा। इस उपाय का उद्देश्य उपभोक्ताओं को अनधिकृत डिजिटल ऋण की पहचान करने में सहायता करना और डिजिटल लेंडिंग पारिस्थितिकी तंत्र में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
- यह घटनाक्रम RBI के डिजिटल ऋण पर सितंबर 2022 के दिशानिर्देशों के बाद आया है, जो RBI वर्किंग ग्रुप की एक रिपोर्ट से प्रेरित है, जिसमें खुलासा किया गया है कि भारतीय एंड्रॉइड उपयोगकर्त्ताओं के लिये उपलब्ध 1,100 डिजिटल लेंडिंग ऐप्स में से लगभग 600 अवैध हैं।
- अनियमित डिजिटल ऋण के कारण उपभोक्ताओं का शोषण बढ़ रहा है, जिससे इस तेज़ी से विकसित हो रहे क्षेत्र में कड़े नियमन और उपभोक्ता सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता उजागर होती है।
- RBI ने विनियमित संस्थाओं से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उधार सेवा प्रदाता (LSP) और DLA दिशा-निर्देशों का पालन करें। उन्हें ब्याज दरों का खुलासा पहले ही कर देना चाहिये, उधारकर्त्ताओं को उत्पाद विवरण की जानकारी देनी चाहिये तथा जिम्मेदार ऋण देने को बढ़ावा देने हेतु उधारकर्त्ताओं की आर्थिक प्रोफाइल को कैप्चर करना चाहिये।
- RBI बैंकों जैसी विनियमित संस्थाओं (RE) द्वारा उपयोग किये जाने वाले डिजिटल लेंडिंग ऐप्स (DLA) का एक सार्वजनिक संग्रह स्थापित करेगा। इस उपाय का उद्देश्य उपभोक्ताओं को अनधिकृत डिजिटल ऋण की पहचान करने में सहायता करना और डिजिटल लेंडिंग पारिस्थितिकी तंत्र में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
- यूपीआई लेनदेन सीमा:
- यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के माध्यम से कर भुगतान के लिये लेनदेन की सीमा 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए की जाएगी। यह समायोजन उपभोक्ताओं के लिये आसान और अधिक कुशल कर भुगतान की सुविधा हेतु बनाया गया है।
- इस संशोधन का लक्ष्य प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर भुगतान के उच्च मूल्य और आवृत्ति को त्वरित और सुविधाजनक बनाना है।।
- RBI यूपीआई के माध्यम से 'प्रत्यायोजित भुगतान' शुरू करने की भी योजना बना रहा है, जिससे द्वितीयक उपयोगकर्ता (जैसे पति या पत्नी) प्राथमिक उपयोगकर्ता के बैंक खाते का उपयोग करके भुगतान कर सकेंगे
- प्राथमिक यूपीआई उपयोगकर्ता अपने खातों पर द्वितीयक उपयोगकर्ताओं के लिये विशिष्ट भुगतान सीमाएँ निर्धारित करने में सक्षम होंगे।
- इस सुविधा से डिजिटल भुगतान की पहुँच का विस्तार होने और यूपीआई के 424 मिलियन व्यक्तियों के बढ़ते उपयोगकर्ता आधार को पूरा करने की उम्मीद है।
- यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के माध्यम से कर भुगतान के लिये लेनदेन की सीमा 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए की जाएगी। यह समायोजन उपभोक्ताओं के लिये आसान और अधिक कुशल कर भुगतान की सुविधा हेतु बनाया गया है।
- निरंतर चेक समाशोधन:
- आरबीआई ने भुगतान में तेज़ी लाने और दक्षता बढ़ाने हेतु दो कार्य दिवसों के वर्तमान समाशोधन चक्र के बजाय 'ऑन-रियलाइजेशन-सेटलमेंट' चेक ट्रंकेशन सिस्टम के साथ चेक के निरंतर समाशोधन का प्रस्ताव दिया है।
- इस प्रणाली का उद्देश्य प्रस्तुति के दिन कुछ घंटों के भीतर चेक का समाशोधन करना, दक्षता में सुधार करना, निपटान जोखिम को कम करना और ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाना है।
- आरबीआई ने भुगतान में तेज़ी लाने और दक्षता बढ़ाने हेतु दो कार्य दिवसों के वर्तमान समाशोधन चक्र के बजाय 'ऑन-रियलाइजेशन-सेटलमेंट' चेक ट्रंकेशन सिस्टम के साथ चेक के निरंतर समाशोधन का प्रस्ताव दिया है।
- डिजिटल ऋण ऐप्स रिपॉजिटरी:
लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढाँचा
- फरवरी 2015 में शुरू किये गए, FIT का उद्देश्य आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिये अस्थायी विचलन की अनुमति देते हुए 4% (±2%) के लक्ष्य के साथ मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है।
- RBI और वित्त मंत्रालय (GoI) के बीच एक समझौते के माध्यम से स्थापित इस ढाँचे का उद्देश्य विकास को समायोजित करते हुए मुद्रास्फीति का प्रबंधन करना है। यह ढाँचा उर्जित पटेल समिति की रिपोर्ट (UPCR) की सिफारिशों पर आधारित है।
- FIT का उद्देश्य मुद्रास्फीति को स्थिर करना है, जो व्यापक आर्थिक स्थिरता को बढ़ा कर विकास को बढ़ावा दे सकता है।
- RBI अधिनियम, 1934 को मौद्रिक नीति ढाँचे के लिये वैधानिक आधार प्रदान करने हेतु वर्ष 2016 में संशोधित किया गया था, संशोधन में प्रत्येक पाँच वर्ष में एक बार RBI के परामर्श से सरकार द्वारा मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित करने का प्रावधान है।
- इस ढाँचे को मौद्रिक नीति को अधिक पारदर्शी और पूर्वानुमानित बनाने हेतु डिज़ाइन किया गया है, जो RBI और सरकार के बीच समन्वय को मज़बूत कर सकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत की वित्तीय स्थिरता और आर्थिक दक्षता पर हाल के मौद्रिक नीति निर्णयों के प्रभाव पर चर्चा कीजिये। |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न. मौद्रिक नीति समिति (MPC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017) यह आरबीआई की बेंचमार्क ब्याज दरों को तय करती है। निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये : (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न. यदि भारतीय रिज़र्व बैंक एक विस्तारवादी मौद्रिक नीति अपनाने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न: क्या आप इस बात से सहमत हैं कि स्थिर जीडीपी वृद्धि और कम मुद्रास्फीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अच्छी स्थिति में रखा है? अपने तर्कों के समर्थन में कारण बताइये। (2019) |