भारतीय अर्थव्यवस्था
RBI द्वारा ब्रिटेन से भारत में स्वर्ण प्रत्यावर्तन
- 07 Jun 2024
- 18 min read
प्रिलिम्स के लिये:RBI के पास विदेशी मुद्रा और स्वर्ण भंडार, बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS), IMF। मेन्स के लिये:भारत का विदेशी मुद्रा भंडार और इसके प्रबंधन में केंद्रीय बैंक की भूमिका। |
स्रोत: इकोनाॅमिक टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने ब्रिटेन से 100 टन से अधिक स्वर्ण अपने घरेलू भंडार में प्रत्यावर्तन एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक कदम उठाया है।
- यह 1990 के दशक के बाद से अब तक का सबसे बड़ा प्रत्यावर्तन है और यह RBI के अपने स्वर्ण भंडार के प्रबंधन के प्रति विकसित होते दृष्टिकोण को दर्शाता है।
नोट
- 1990-91 के विदेशी मुद्रा संकट के दौरान, भारत ने 405 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण प्राप्त करने के लिये बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास अपने स्वर्ण भंडार का एक हिस्सा गिरवी रख दिया था।
- यद्यपि ऋण नवंबर 1991 तक चुका दिया गया था, लेकिन RBI ने लॉजिस्टिक कारणों से स्वर्ण को ब्रिटेन में ही रखने का निर्णय लिया, क्योंकि विदेशों में संग्रहीत सोने का उपयोग व्यापार, स्वैप में प्रवेश करने और रिटर्न अर्जित करने के लिये आसानी से किया जा सकता था।
- स्वर्ण भंडार के प्रत्यावर्तन का भारत के सकल घरेलू उत्पाद, कर संग्रह या RBI की बैलेंस शीट पर कोई वित्तीय प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि इसमें केवल स्वर्ण भंडारण स्थान (RBI की कुल स्वर्ण परिसंपत्ति वही रहेगी) में परिवर्तन होता है।
- इस स्थानांतरण से कोई सीमा शुल्क या GST संबंधी समस्या नहीं जुड़ी है, क्योंकि वापस लाया जा रहा सोना पहले से ही भारत के स्वामित्व में है।
RBI के पास कितना स्वर्ण है?
- स्वर्ण भंडार:
- भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 मुद्राओं, लिखतों, जारीकर्त्ताओं और प्रतिपक्षों के व्यापक मापदंडों के भीतर विभिन्न विदेशी मुद्रा आस्तियों एवं स्वर्ण भंडार का उपयोग करने के लिये व्यापक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
- मार्च 2024 के अंत तक, RBI के पास 822.10 टन स्वर्ण था, जिसमें से 408.31 टन घरेलू स्तर पर संग्रहीत है और शेष 413.79 टन अभी भी बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (Bank for International Settlements- BIS) जैसी विदेशी संस्थाओं के पास जमा है।
- RBI के अनुसार अप्रैल 2024 तक भारत के मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार (648.562 बिलियन अमरीकी डॉलर) में सोने का हिस्सा 54.4 बिलियन अमरीकी डॉलर है।
- स्वर्ण की खरीद का इतिहास:
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विश्व स्वर्ण परिषद (World Gold Council) के अनुसार, RBI उन शीर्ष पाँच केंद्रीय बैंकों में शामिल है जिनके द्वारा स्वर्ण की खरीद की जा रही है।
- वर्ष 2009 में वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान RBI ने 200 टन स्वर्ण खरीदा था।
- RBI ने वित्त वर्ष 2023 में 34.22 टन स्वर्ण (वित्त वर्ष 2022 में 65.11 टन स्वर्ण) खरीदा, और वित्त वर्ष 2024 में 19 टन स्वर्ण खरीदा।
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भारत में स्वर्ण भंडार:
- राष्ट्रीय खनिज सूची के अनुसार, 2015 तक भारत में स्वर्ण के अयस्क के कुल भंडार का अनुमान 501.83 मिलियन टन है।
- स्वर्ण के अयस्क के सबसे बड़े संसाधन बिहार (44%) में स्थित हैं, इसके बाद राजस्थान (25%), कर्नाटक (21%), पश्चिम बंगाल (3%), आंध्र प्रदेश (3%), झारखंड (2%) का स्थान आता है।
- कर्नाटक में देश के कुल स्वर्ण उत्पादन का लगभग 80% हिस्सा है। कोलार ज़िले में कोलार गोल्ड फील्ड्स (Kolar Gold Fields- KGF) विश्व की सबसे पुरानी और सबसे गहरी स्वर्ण खदानों में से एक है।
स्वर्ण के अन्य प्रमुख खरीदार:
- पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना: यह एक प्रमुख स्वर्ण खरीदार बना हुआ है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council- WGC) की रिपोर्ट (अप्रैल 2024 में जारी) के अनुसार, वर्ष 2024 की पहली तिमाही में चीन केंद्रीय बैंकों के बीच स्वर्ण का सबसे बड़ा खरीदार था।
- सेंट्रल बैंक ऑफ टर्की: अप्रैल 2024 तक, सेंट्रल बैंक ऑफ टर्की ने इस वर्ष अब तक का सबसे अधिक सोना (8 टन) खरीदा है, जिससे इसकी कुल होल्डिंग 578 टन हो गई है।
- उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाएँ: WGC रिपोर्ट में लगातार इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंक स्वर्ण खरीदने की प्रवृत्ति में अग्रणी हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्वर्ण वापस भारत लाने का निर्णय क्यों किया?
- मुद्रास्फीति के विरुद्ध संरक्षण:
- जब मुद्रास्फीति अधिक होती है, तो स्वर्ण अपना महत्त्व स्थिर रखता है। मुद्रास्फीति के कारण क्रय शक्ति खोने वाली मुद्राओं के विपरीत, सोने का ऐतिहासिक प्रदर्शन बताता है कि इन समयों के दौरान इसकी कीमत में वृद्धि भी हो सकती है।
- इससे RBI को चुनौतीपूर्ण आर्थिक परिस्थितियों में भी अच्छे रिटर्न प्राप्त होने की भी संभावना होती है।
- भू-राजनीतिक अनिश्चितता के विरुद्ध बचाव:
- वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य, जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी घटनाएँ शामिल हैं, जिसके कारण पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर अत्यधिक प्रतिबंध लगाए गए, जिसके कारण विदेशों में रखी रूसी संपत्तियों को फ्रीज़ कर दिया गया है, इससे RBI के लिये भी चिंता उत्पन्न हो सकती है कि वह अपनी संपत्तियों को अपने वॉलेट में स्थानांतरित करके उन पर नियंत्रण स्थापित करे।
- ऐसी अनिश्चितताओं के दौरान स्वर्ण को एक सुरक्षित आश्रय के रूप में भी देखा जाता है।
- वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य, जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी घटनाएँ शामिल हैं, जिसके कारण पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर अत्यधिक प्रतिबंध लगाए गए, जिसके कारण विदेशों में रखी रूसी संपत्तियों को फ्रीज़ कर दिया गया है, इससे RBI के लिये भी चिंता उत्पन्न हो सकती है कि वह अपनी संपत्तियों को अपने वॉलेट में स्थानांतरित करके उन पर नियंत्रण स्थापित करे।
- विविधीकरण और तरलता:
- अपने भंडार में सोना शामिल करने से RBI को अपनी विदेशी मुद्रा होल्डिंग्स में विविधता लाने का विकल्प मिलता है।
- स्वर्ण एक सुरक्षित एवं तरल परिसंपत्ति है (इसे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में पारदर्शी मूल्य पर सरलता से खरीदा और बेचा जा सकता है)।
- इससे RBI को अपने भंडार के प्रबंधन हेतु लचीलापन और अतिरिक्त विकल्प उपलब्ध हो जाते हैं।
- शक्ति और आत्मविश्वास:
- यह भारत की मज़बूत आर्थिक वृद्धि और अपनी वित्तीय परिसंपत्तियों की सुरक्षा करने की क्षमता को दर्शाएगा तथा भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता में विश्वास का संकेत देगा।
- यह वर्ष 1991 के आर्थिक संकट के विपरीत है, जब भारत को विदेशी मुद्रा के लिये अपना स्वर्ण भंडार गिरवी रखना पड़ा था।
- भंडारण शुल्क:
- स्वर्ण को वापस लाने से बैंक ऑफ इंग्लैंड को भुगतान की जाने वाली भंडारण लागत समाप्त हो जाती है।
अर्थव्यवस्था में स्वर्ण का क्या महत्त्व है?
- सीमित आपूर्ति एवं आंतरिक मूल्य: केंद्रीय बैंकों द्वारा इच्छानुसार मुद्रित की जाने वाली मुद्राओं के विपरीत, भूवैज्ञानिक सीमाओं के कारण स्वर्ण की आपूर्ति सीमित होती है।
- यह दुर्लभता, इसके अद्वितीय भौतिक गुणों और ऐतिहासिक महत्त्व के साथ मिलकर स्वर्ण को अंतर्निहित महत्त्व प्रदान करती है।
- मुद्रास्फीति के विरुद्ध बचाव:
- स्वर्ण ने ऐतिहासिक रूप से मुद्रास्फीति के दौरान अपने महत्त्व को भलीभाँति बरकरार रखकर अच्छा प्रदर्शन किया है। वर्ष 2023 के विश्व स्वर्ण परिषद के अध्ययन में 50 वर्षों में स्वर्ण की कीमतों और अमेरिकी मुद्रास्फीति के बीच सकारात्मक संबंध पाया गया। यह मुद्रास्फीति के विरूद्ध बचाव हेतु स्वर्ण को मूल्यवान बनाता है।
- विविधीकरण और स्थिरता:
- स्वर्ण देश के विदेशी भंडार में विविधता लाता है, एकल मुद्रा पर निर्भरता कम करता है तथा आर्थिक चुनौतियों के दौरान स्थिरता प्रदान करता है।
- इसके अतिरिक्त, स्वर्ण भंडार रखना, अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों द्वारा किसी देश की अर्थव्यवस्था में विश्वास के संकेत के रूप में देखा जा सकता है।
- आभूषण एवं सांस्कृतिक महत्त्व:
- आभूषणों में स्वर्ण की मांग वैश्विक स्तर पर, विशेषकर भारत और चीन जैसे कुछ क्षेत्रों में, मज़बूत बनी हुई है।
- इसके अतिरिक्त, स्वर्ण का कई समाजों में सांस्कृतिक महत्त्व है, जो इसके मूल्य एवं मांग को और अधिक प्रभावित कर सकता है।
विनिमय दर प्रबंधन की ऐतिहासिक व्यवस्था:
- स्वर्ण मानक (1870-1914):
- स्वर्ण का मूल्य प्रत्यक्ष रूप से मुद्राओं से संबंधित था। प्रत्येक देश अपनी मुद्रा को मज़बूती देने के लिये स्वर्ण भंडार संरक्षित करता था।
- स्थिर त्विनिमय दरों ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सरल और पूर्वानुमान योग्य बना दिया।
- त्रुटियाँ:
- सीमित स्वर्ण आपूर्ति के कारण आर्थिक विकास को पूर्ण करने के लिये मुद्रा आपूर्ति का विस्तार करना कठिन हो गया।
- जब देशों में व्यापार घाटा हुआ तो उनके स्वर्ण भंडार में कमी आई, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था को हानि पहुँची।
- स्वर्ण की खोज या हानि से विनिमय दरों में अचानक उतार-चढ़ाव हो सकता है।
- ब्रेटन वुड्स प्रणाली (1944-1971):
- इसकी स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की गई थी और इसका उद्देश्य अधिक स्थिर एवं पूर्वानुमानित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली का निर्माण करना था।
- प्रमुख विशेषता:
- आरक्षित मुद्रा के रूप में अमेरिकी डॉलर के साथ निश्चित विनिमय दरें।
- अन्य मुद्राएँ डॉलर से एक निश्चित दर पर जुड़ी हुई थीं।
- 35 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस की निर्धारित कीमत पर अमेरिकी मुद्रा को स्वर्ण में परिवर्तित किया जा सकेगा।
- चुनौतियाँ:
- ट्रिफिन दुविधा: विश्व अर्थव्यवस्था के विस्तार के कारण अमेरिका अपनी व्यवस्था को बनाये रखने के लिये अपने स्वर्ण भंडार को बनाये रखने में असमर्थ रहा।
- अमेरिका के व्यापार घाटे के कारण स्वर्ण पर नियंत्रण बनाए रखने की उसकी क्षमता पर संदेह उत्पन्न हो गया।
- वर्तमान परिदृश्य (विभिन्न शासन-काल-1971 के बाद):
- आपूर्ति और मांग की बाज़ार शक्तियाँ विभिन्न प्रकार की व्यवस्थाओं के साथ विनिमय दरों का निर्धारण करती हैं।
- अस्थिर और स्थिर विनिमय दरें:
- निर्धारित दरें: कोई देश अपनी मुद्रा को किसी एक मज़बूत मुद्रा (जैसे, USD) या मुद्राओं की एक टोकरी से जोड़ता है।
- डॉलरीकरण: कुछ देश अपनी मुद्रा को पूरी तरह से त्याग देते हैं और अमेरिकी डॉलर को अपना लेते हैं (जैसे, इक्वाडोर)। इससे विनिमय दर जोखिम समाप्त हो जाता है, लेकिन मौद्रिक नीति पर नियंत्रण छोड़ देता है।
- विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights- SDRs):
- विशेष आहरण अधिकार (SDR) को IMF ने स्वर्ण भंडार के पूरक के रूप में बनाया था। यह प्रमुख मुद्राओं की एक टोकरी है, जो सीधे स्वर्ण में परिवर्तनीय नहीं है।
- स्वर्ण की कीमत मुक्त बाज़ार में आपूर्ति और मांग से निर्धारित होती है, न कि मुद्राओं से उसके संबंध से।
निष्कर्ष:
ब्रिटेन से 100 टन से अधिक स्वर्ण वापस अपने घरेलू भंडार में लाने का RBI का निर्णय एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक कदम है। यह केंद्रीय बैंक के लॉजिस्टिक दक्षता, विविध भंडारण और भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता में विश्वास पर ध्यान केंद्रित करने को दर्शाता है। यह कार्रवाई केंद्रीय बैंकों के बीच वैश्विक रुझानों के अनुरूप है, क्योंकि वे अनिश्चित समय के दौरान अपने विदेशी मुद्रा भंडार की सुरक्षा बढ़ाने का प्रयास करते हैं।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा स्वर्ण भंडार में वृद्धि के पीछे के तर्क पर चर्चा कीजिये। साथ ही, भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के संदर्भ में व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिये स्वर्ण भंडार के महत्त्व का मूल्यांकन कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. सरकार की 'संप्रभु स्वर्ण बॉण्ड योजना (Sovereign Gold Bond Scheme)' एवं 'स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (Gold Monetization Scheme)' का/के उद्देश्य क्या है/ हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये- (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में निम्नलिखित में से कौन-सा एक मदसमूह सम्मिलित है? (2013) (a) विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, विशेष आहरण अधिकार (एस० डी० आर०) तथा विदेशों से ऋण उत्तर: (b) प्रश्न. भारतीय सरकारी बॉण्ड प्रतिफल निम्नलिखित में से किससे/किनसे प्रभावित होता है/होते हैं? (2021)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये- (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |