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भारतीय अर्थव्यवस्था

UCB हेतु RBI का विनियमन

  • 13 Jun 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

शहरी सहकारी बैंक (UCB), भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI),  प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण (PSL), सहकारिता मंत्रालय, बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002, बैंकिंग विनियम अधिनियम, 1949, बैंकिंग कानून (सहकारी समिति) अधिनियम, 1955, पर्यवेक्षी कार्रवाई ढाँचा (SAF)

मेन्स के लिये:

भारत में सहकारी बैंकों द्वारा सामना किये जाने वाले मुद्दे, PSB की तर्ज पर UCB का पुनरुद्धार, कृषि में सहकारी संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु सहकारी बैंकों की आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 1,514 शहरी सहकारी बैंकों को सुदृढ़ करने हेतु चार प्रमुख उपायों को अधिसूचित किया है, जिसमें उन्हें प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के ऋण लक्ष्यों को पूरा करने के लिये दो वर्ष का और समय देना शामिल है। 

RBI द्वारा किये गए प्रमुख उपाय: 

  • चार प्रमुख उपाय: 
    • UCB को पिछले वित्तीय वर्ष में शाखाओं की कुल संख्या के 10% (अधिकतम 5 शाखाओं) तक RBI  की पूर्व अनुमति के बिना नई शाखाएँ खोलने की अनुमति देना।
    • शहरी सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक बैंकों के समान एकमुश्त निपटान करने की अनुमति प्रदान करना।
    • 31 मार्च, 2026 तक प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण (Priority Sector Lending- PSL) लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु UCB के लिये समय-सीमा का विस्तार करना।
      • वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान PSL की कमी को पूरा करने के बाद अतिरिक्त जमा, यदि कोई हो, को भी UCB को वापस कर दिया जाएगा।
    • RBI और सहकारी क्षेत्र के बीच बेहतर समन्वय एवं आवश्यक संवाद की सुविधा के लिये एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति।
  • संभावित प्रभाव: 
    • ये पहलें PSL लक्ष्यों को प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना कर रहे शहरी सहकारी बैंकों को और मज़बूती प्रदान करेंगी।
    • सहकारिता मंत्रालय सहकारी समितियों को मज़बूत करने और उन्हें अन्य आर्थिक संस्थाओं के समान दर्जा प्रदान करने के लिये प्रतिबद्ध है।

भारत में सहकारी बैंक:

  • यह साधारण बैंकिंग व्यवसाय से निपटने के लिये सहकारी आधार पर स्थापित एक संस्था है। एक सहकारी बैंक शुरू करने के लिये जमा और ऋण के साथ-साथ शेयरों की बिक्री के माध्यम से धन जुटाया जाता है।
  • ये सहकारी ऋण समितियाँ हैं जिनमें समुदाय के सदस्य एक-दूसरे को अनुकूल शर्तों पर ऋण प्रदान करते हैं। 
  • वे संबंधित राज्य के सहकारी समिति अधिनियम या बहु-राज्य सहकारी समिति (MSCS) अधिनियम, 2002 के तहत पंजीकृत होती हैं।
  • सहकारी बैंकों को निम्नलिखित द्वारा प्रशासित किया जाता है: 
  • मोटे तौर पर इन्हें शहरी और ग्रामीण सहकारी बैंकों के रूप में विभाजित किया गया है। 

शहरी सहकारी बैंक (Urban Cooperative banks- UCB): 

  • शहरी सहकारी बैंक (UCB) पद को औपचारिक रूप से परिभाषित नहीं किया गया है, परंतु इससे तात्पर्य शहरी और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक सहकारी बैंकों से है।
  • शहरी सहकारी बैंक (UCBs), प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRBs) और स्थानीय क्षेत्र के बैंकों (LABs) को अलग-अलग बैंकों के रूप में माना जा सकता है क्योंकि वे स्थानीय क्षेत्रों में काम करते हैं।
  • वर्ष 1996 तक इन बैंकों को केवल गैर-कृषि उद्देश्यों के लिये धन उधार देने की अनुमति थी। यह भेद वर्तमान में नहीं है।
  • ये बैंक परंपरागत रूप से समुदायों और स्थानीय कार्यसमूहों पर केंद्रित थे क्योंकि वे अनिवार्य रूप से छोटे उधारकर्त्ताओं और व्यवसायों को उधार देते थे। वर्तमान में उनके संचालन का दायरा काफी विस्तृत हो गया है।

हाल के विकास:

  • जनवरी 2020 में RBI ने UCBs के लिये पर्यवेक्षी एक्शन फ्रेमवर्क (SAF) को संशोधित किया।
  • जून 2020 में केंद्र सरकार ने सभी शहरी और बहु-राज्य सहकारी बैंकों को RBI की प्रत्यक्ष निगरानी में लाने के लिये एक अध्यादेश को मंज़ूरी दी।
  • वर्ष 2022 में RBI ने UCBs के वर्गीकरण के लिये 4 स्तरीय नियामक ढाँचे की घोषणा की है।
    • टियर 1: सभी यूनिट शहरी सहकारी बैंक और आय अर्जक शहरी सहकारी बैंक (जमा आकार के बावजूद) तथा अन्य सभी यूसीबी जिनके पास 100 करोड़ रुपए तक जमा हैं।
    • टियर 2: 100 करोड़ रुपए से 1,000 करोड़ रुपए के बीच जमा राशि वाले यूसीबी।
    • टियर 3: 1,000 करोड़ रुपए से 10,000 करोड़ रुपए के बीच जमा राशि वाले यूसीबी।
    • टियर 4: 10,000 करोड़ रुपए से अधिक की जमा राशि वाले यूसीबी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में 'शहरी सहकारी बैंकों' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. राज्य सरकारों द्वारा स्थापित स्थानीय मंडलों द्वारा उनका पर्यवेक्षण और विनियमन किया जाता है।
  2. वे इक्विटी शेयर और अधिमान शेयर जारी कर सकते हैं।
  3. उन्हें वर्ष 1966 में एक संशोधन के द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के कार्य क्षेत्र में लाया गया था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1  
(b) केवल 2 और 3  
(c) केवल 1 और 3  
(d) 1, 2 और 3  

उत्तर: (b) 


मेन्स: 

प्रश्न. हाल के वर्षों में सहकारी परिसंघवाद की संकल्पना पर अधिकाधिक बल दिया जाता रहा है। विद्यमान संरचना में असुविधाओं और सहकारी परिसंघवाद किस सीमा तक इन सुविधाओं का हल निकाल लेगा, इस पर प्रकाश डालिये। (2015) 

प्रश्न. "गाँवों में सहकारी समिति को छोड़कर, ऋण संगठन का कोई भी अन्य ढाँचा उपयुक्त नहीं होगा।" -अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण। भारत में कृषि वित्त की पृष्ठभूमि में इस कथन की चर्चा कीजिये। कृषि वित्त प्रदान करने वाली वित्तीय संस्थाओं को किन बाध्यताओं और कसौटियों का सामना करना पड़ता है? ग्रामीण सेवार्थियों तक बेहतर पहुँच और सेवा के लिये प्रौद्योगिकी का किस प्रकार इस्तेमाल किया जा सकता है? (2014) 

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड

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