रैट होल माइनिंग | 07 May 2024

प्रिलिम्स के लिये:

अनुच्छेद 371A, रैट-होल माइनिंग, कोयला, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT)

मेन्स के लिये:

अनुच्छेद 371A की सीमाएँ और चुनौतियाँ, सतत माइनिंग  प्रथाएँ, रैट-होल माइनिंग, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, भारतीय हिमालयी क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में नगालैंड के वोखा ज़िले में रैट-होल कोयला खदान में आग लगने से छह श्रमिकों की मौत से संबंधित मामले में जवाब देने के लिये अधिकारियों को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) द्वारा चार सप्ताह का समय दिया गया।

रैट-होल माइनिंग क्या है?

  • परिचय:
    • रैट-होल माइनिंग, जिसे उपयुक्त रूप से कृंतक जीवों के बिलों से मिलता-जुलता होने के कारण नामित किया गया है, भारत के कुछ हिस्सों, विशेष रूप से मेघालय में प्रचलित कोयला निकालने की एक अवैध और अत्यधिक खतरनाक वधि है
    • व्यापक मशीनीकृत आधारित खदानों के विपरीत, इस विधि में संकीर्ण, क्षैतिज सुरंगों की खुदाई शामिल है, जिनका आकार इतना होता है कि इनमें केवल एक व्यक्ति कार्य करने में सक्षम होता है
    • ये सुरंगें, जिन्हें अक्सर "रैट होल" कहा जाता है, भूमिगत रूप से दस मीटर तक चौड़ी हो सकती हैं।
    • उत्खननकर्त्ता खतरनाक तरीके से उतरने के लिये तात्कालिक मचानों, बाँस की सीढ़ियों या रस्सियों का उपयोग करते हैं और वे क्लॉस्ट्रोफोबिक, खराब हवादार वातावरण में काम करने के लिये अन्य आदिम उपकरणों के बीच फावड़े तथा गैंती का उपयोग करते हैं।
    • खदानों से निकाले गए कोयले को फिर इन संकीर्ण मार्गों से वापस लाया जाता है, जिससे पूरी प्रक्रिया अविश्वसनीय रूप से जोखिमपूर्ण और जटिल हो जाती है।
  • प्रकार:
    • साइड-कटिंग प्रक्रिया: संकीर्ण सुरंगों को साइड-कटिंग प्रक्रिया में पहाड़ी ढलानों में खोदा जाता है, जहाँ श्रमिक मेघालय की पहाड़ियों में आमतौर पर 2 मीटर से कम संकरी कोयले की सीम का पता लगाने के लिये प्रवेश करते हैं।
    • बॉक्स-कटिंग: बॉक्स-कटिंग का उपयोग करके कोयला निकालते समय, एक आयताकार प्रवेश द्वार बनाया जाता है तथा एक ऊर्ध्वाधर गड्ढा खोदा जाता है, और फिर रैटहोल के आकार की क्षैतिज सुरंगें तैयार की जाती हैं।
  • भौगोलिक विस्तार:
    • हालाँकि रैट-होल माइनिंग मुख्य रूप से मेघालय में प्रचलित है, लेकिन भारत के अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में भी रैट-होल माइनिंग की जाती है।
    • इसे कोयले की पतली परत वाले क्षेत्रों में किया जाता है, जो बड़े पैमाने पर माइनिंग  तकनीकों के लिये अनुपयुक्त है।
  • रैट होल माइनिंग के कारण:
    • गरीबी: आजीविका के सीमित विकल्पों के साथ स्थानीय जनजातीय जनसंख्या अक्सर जीवित रहने के साधन के रूप में रैट-होल माइनिंग का सहारा लेती है।
      • जोखिमों के बावजूद, निकाले गए कोयले को बेचने से प्राप्त होने वाली त्वरित नकदी उन लोगों के लिये एक आकर्षक विल्कप बन जाता है जो अपनी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिये संघर्ष कर रहे हैं।
    • भू-स्वामित्व:
      • संदिग्ध भूमि स्वामित्व द्वारा विनियमित खदानों की स्थापना करने में चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं, अवैध ऑपरेटरों के लिये कमियों का लाभ उठाने तथा अपनी गतिविधियों को जारी रखने के अवसर प्रदान करते हैं।
    • कोयले की मांग: कोयले की वैध और अवैध दोनों प्रकार की निरंतर मांग, रैट-होल माइनिंग की प्रक्रिया को बढ़ावा देती है।
      • अवैध रूप से निकाले गये कोयले का विक्रय करने हेतु बिचौलिये और अवैध व्यापारी एक बाज़ार का निर्माण करते हैं, यह चक्र निरंतर जारी रहता है जिससे खनिकों के लिये जोखिमपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  • मुद्दे:
    • जीवन को जोखिम: संकरी सुरंगों के ढहने का खतरा रहता है, जिससे अक्सर खनिक भूमि के अंदर फँस जाते हैं।
      • खदानों में ऑक्सीजन कमी के कारण खनिकों का दम घुटता है और उचित सुरक्षा उपायों की कमी के कारण उनको अक्सर दुर्घटनाओं, चोटों तथा जीवन के लिये खतरा उत्पन्न करने वाली बीमारियों का जोखिम बना रहता 
    • पर्यावरणीय क्षति: पहुँच प्राप्त करने हेतु भूमि साफ करने के लिये वनों की कटाई, अकस्मात खुदाई से मृदा अपरदन और अनुचित अपशिष्ट निपटान के कारण जल प्रदूषण इस प्रक्रिया के कुछ स्थायी पर्यावरणीय परिणाम हैं।
      • रैट होल की खदानें अम्लीय अपवाह का भी कारण बनती हैं, जिसे एसिड माइन ड्रेनेज (AMD) के रूप में जाना जाता है, जिसके कारण जल की गुणवत्ता में गिरावट आती है एवं प्रभावित जल निकायों में जैवविविधता हानि होती है।

सिलक्यारा (उत्तराखंड) सुरंग का ढहना:

  • नवंबर 2023 में उत्तराखंड में सुरंग ढहने से 41 श्रमिक फँस गए थे। इस दुष्कर परिस्थिति में उनके सफल बचाव के लिये एक प्रतिबंधित तकनीक, रैट-होल माइनिंग का प्रयोग किया गया।
  • खनिकों ने सफलतापूर्वक एक संकीर्ण मार्ग तैयार किया, जिससे सभी 41 श्रमिकों को बचाया जा सका। यह घटना दुष्कर परिस्थितियों में त्वरित बचाव के लिये इस तकनीक की विशिष्ट क्षमता का एक उदाहरण है।
  • हालाँकि, यह तकनीक एक उच्च जोखिम वाली तकनीक है। परंतु इस घटना से सुरक्षित एवं विनियमित माइनिंग प्रक्रियाओं के महत्त्व पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिये।

रैट-होल माइनिंग को विनियमित करने के उपाय क्या हैं?

  • नगालैंड में रैट-होल माइनिंग  का विनियमन:
    • नगालैंड में 492.68 मिलियन टन कोयला भंडार छोटे, अनियमित क्षेत्रों में बिखरा हुआ है, जिसके कारण बड़े स्तर पर माइनिंग संचालन की अव्यवहारिकता के कारण 2006 की नगालैंड कोयला माइनिंग नीति के तहत रैट होल माइनिंग की अनुमति दी गई है।
    • रैट-होल माइनिंग लाइसेंस, जिन्हें छोटे पॉकेट डिपॉज़िट लाइसेंस के रूप में जाना जाता है, विशेष रूप से व्यक्तिगत भूमि मालिकों को सीमित अवधि और विशिष्ट शर्तों के साथ प्रदान किये जाते हैं।
    • रैट-होल माइनिंग हेतु पर्यावरणीय अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु वन एवं पर्यावरण जैसे विभागों से अनुमोदन की आवश्यकता होती है, फिर भी सरकारी अनुमति तथा योजनाओं के बावजूद अवैध माइनिंग संचालन होता रहता है।
  • अनुच्छेद 371A और नगालैंड में रैट-होल माइनिंग पर नियंत्रण:
    • अनुच्छेद 371A  नगालैंड में सरकारी विनियमन को जटिल बनाता है, जिससे छोटे स्तर पर माइनिंग की निगरानी बाधित होती है, विशेषतः व्यक्तिगत भूमि मालिकों द्वारा।
  • उपाय
    • आजीविका के विकल्प: स्थायी आय स्रोत प्रदान करना महत्त्वपूर्ण है। इसमें कौशल विकास कार्यक्रम, पर्यटन या हस्तशिल्प जैसे वैकल्पिक उद्योगों को बढ़ावा देना एवं सूक्ष्म-वित्तपोषण के अवसर उत्पन्न करना शामिल है।
      • वित्तीय सुरक्षा के लिये अन्य सुरक्षित एवं सुगम साधनों को प्रदान कर, समुदायों को रैट-होल माइनिंग न करने के लिये प्रोत्साहित किया जाए।
    • सतत माइनिंग प्रक्रियाएँ: पतली परतों से कोयला निकालने के लिये उपयुक्त वैकल्पिक, सुगम माइनिंग तकनीकों की खोज करना आवश्यक है।
      • बोर्ड और पिलर माइनिंग अथवा छोटे स्तर पर मशीनीकृत माइनिंग जैसी तकनीकों पर अनुसंधान एवं अनुप्रयोग से सुरक्षित तथा अधिक कुशल माइनिंग का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
    • सख्त प्रवर्तन: विधिक प्रवर्तन को सशक्त करना एवं अवैध माइनिंग में संलग्न व्यक्तियों पर कठोर कार्यवाही करना एक उचित उपाय के रूप में कार्य कर सकता है।
  • विधिक परिदृश्य:
    • अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ: रैट-होल माइनिंग का प्रत्यक्ष रूप से समाधान करने हेतु किसी विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का अभाव है।
      • हालाँकि, अंतर्राष्ट्रीय नियमों में माइनिंग की सतत् विधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ श्रमिक सुरक्षा को प्राथमिकता प्रदान की जाती है जिससे संबद्ध सदस्य देश अप्रत्यक्ष रूप से उक्त प्रथाओं को अपनाने के लिये प्रभावित होते हैं।
    • भारतीय संदर्भ: इस प्रथा के जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने वर्ष 2014 में भारत में रैट-होल माइनिंग पर प्रतिबंध लगाया।
    • संबंधित सरकारी पहल:
      • रैट-होल माइनिंग पर NGT का प्रतिबंध, हालाँकि पूर्ण रूप से प्रभावी नहीं है, यह इस प्रथा को समाप्त करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
      • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) जैसी वैकल्पिक आजीविका को बढ़ावा देने वाली योजनाओं का उद्देश्य रैट होल माइनिंग पर निर्भर लोगों को वैकल्पिक आय स्रोत प्रदान करना है।

निष्कर्ष:

  • संबद्ध विषय में एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। जैसा कि कई देशों द्वारा किया गया है, रैट-होल माइनिंग पर पूर्ण प्रतिबंध एक निश्चित समाधान प्रदान करता है।
  • हालाँकि, लघु पैमाने के माइनिंग पर आर्थिक रूप से निर्भर क्षेत्रों के लिये सुरक्षित माइनिंग विकल्पों को विकसित करने और लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
  • यंत्रचालित, लघु पैमाने के माइनिंग उपकरणों के अनुसंधान और विकास में निवेश करना, एक सुरक्षित एवं अधिक कुशल समाधान प्रदान कर सकता है। इसके अतिरिक्त, भविष्य की संभावित त्रासदियों की रोकथाम के लिये सुदृढ़ सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम और नियमों का सख्त कार्यान्वयन आवश्यक है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत में रैट-होल माइनिंग से संबंधित पर्यावरणीय और सुरक्षा संबंधी चिंताओं की विवेचना कीजिये। सतत् माइनिंग प्रथाओं को सुनिश्चित करते हुए इन मुद्दों के समाधान के उपायों का सुझाव दीजिये

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. "प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद, कोयला माइनिंग विकास के लिये अभी भी अपरिहार्य है"। विवेचना कीजिये। (2017)