जैव विविधता और पर्यावरण
रैट-होल माइनिंग
- 29 Nov 2023
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:रैट-होल माइनिंग, सिल्क्यारा-बड़कोट सुरंग, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) मेन्स के लिये:रैट-होल माइनिंग, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, भारतीय हिमालयी क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड की सिल्क्यारी सुरंग के अंदर फँसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिये रैट-होल माइनिंग विधि का उपयोग किया गया है।
रैट-होल माइनिंग/खनन क्या है?
- परिचय:
- रैट होल माइनिग मेघालय में प्रचलित संकीर्ण, क्षैतिज सीम से कोयला निष्कर्षण की एक विधि है।
- शब्द "रैट होल (चूहे का बिल)" ज़मीन में खोदे गए संकीर्ण गड्ढों को संदर्भित करता है जो आमतौर पर एक व्यक्ति के सुरंग में उतरने और कोयला निष्कर्षण हेतु पर्याप्त होता है।
- एक बार गड्ढे खोदने के बाद, खनन कर्मचारी कोयले की परतों तक पहुँचने के लिये रस्सियों या बाँस की सीढ़ियों का उपयोग करते हैं। फिर कोयले को गैंती, फावड़े और टोकरियों जैसे आदिम उपकरणों का उपयोग करके मैन्युअल/परंपरागत रूप से निष्कर्षित जाता है।
- प्रकार:
- साइड-कटिंग प्रक्रिया: साइड-कटिंग प्रक्रिया में पहाड़ी ढलानों पर संकीर्ण सुरंगें खोदी जाती हैं तथा श्रमिक कोयले की परत मिलने तक गहराई तक जाते हैं।
- मेघालय की पहाड़ियों में कोयले की परत प्रायः दो मीटर से भी पतली होती है।
- बॉक्स-कटिंग: बॉक्स-कटिंग में एक आयताकार रास्ता बनाया जाता है, जो 10 से 100 वर्गमीटर तक होता है एवं उसके माध्यम से 100 से 400 फीट गहरा एक अधोलंब गड्ढा खोदा जाता है।
- एक बार कोयले की परत मिल जाने के बाद, चूहे के बिल के आकार की सुरंगें क्षैतिज रूप से खोदी जाती हैं, जिनके माध्यम से श्रमिक कोयला निकाल सकते हैं।
- साइड-कटिंग प्रक्रिया: साइड-कटिंग प्रक्रिया में पहाड़ी ढलानों पर संकीर्ण सुरंगें खोदी जाती हैं तथा श्रमिक कोयले की परत मिलने तक गहराई तक जाते हैं।
- चिंताएँ:
- रैट होल खनन से गंभीर सुरक्षा एवं पर्यावरणीय खतरे उत्पन्न होते हैं। खदानें आम तौर पर अनियमित होती हैं, जिनमें उचित वेंटिलेशन, संरचनात्मक सहायता अथवा श्रमिकों के लिये सुरक्षा गियर जैसे सुरक्षा उपायों का अभाव होता है।
- यह प्रक्रिया न केवल खनिकों के लिये खतरनाक है अपितु पर्यावरण के लिये भी हानिकारक है। रैट-होल खनन को कई पारिस्थितिक मुद्दों से जोड़ा गया है, जैसे नदियों का अम्लीकरण, भूमि क्षरण, वनों का विनाश एवं जल प्रदूषण।
- इन खदानों से निकलने वाला अम्लीय अपवाह, जिसे एसिड माइन ड्रेनेज (AMD) के रूप में जाना जाता है, विशेष रूप से हानिकारक है, यह जल की गुणवत्ता को खराब कर रहा है और प्रभावित जल निकायों में जैवविविधता को हानि पहुँचा रहा है।
- अधिकारियों द्वारा ऐसी प्रथाओं को विनियमित या प्रतिबंधित करने के प्रयासों के बावजूद, वे अक्सर आर्थिक कारकों और स्थानीय आबादी के लिये व्यवहार्य वैकल्पिक आजीविका की अनुपस्थिति के कारण बनी रहती हैं।
रैट-होल खनन पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया?
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने वर्ष 2014 में अवैज्ञानिक होने के कारण रैट-होल खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन यह प्रथा बड़े पैमाने पर जारी है।
- पूर्वोत्तर राज्य में कई दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप रैट-होल खनिकों की मौतें हुई हैं।
- वर्ष 2018 में अवैध खनन में शामिल 15 लोग बाढ़ वाली खदान के अंदर फँस गए थे। दो महीने से अधिक समय तक चले बचाव अभियान के बाद केवल दो शव ही बरामद किये गये थे।
- ऐसी ही एक और दुर्घटना 2021 में हुई जब पाँच खनिज श्रमिक बाढ़ वाली खदान में फँस गए। बचाव दल द्वारा एक महीने के बाद अभियान बंद करने से पूर्व तीन शव पाए गए थे। इसमें इस पद्धति से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को भी शामिल किया गया।
- हालाँकि खनन राज्य सरकार के लिये राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। मणिपुर सरकार ने एनजीटी के प्रतिबंध को यह तर्क देते हुए चुनौती दी है कि इस क्षेत्र के लिये खनन का कोई अन्य व्यवहार्य विकल्प नहीं है।
- 2022 में मेघालय उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एक पैनल ने पाया कि मेघालय में रैट-होल खनन निर्बाध रूप से जारी है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष का प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. "प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद, विकास के लिये कोयला खनन अभी भी अपरिहार्य है"। विवेचना कीजिये। (2017) |