प्रोजेक्ट टाइगर | 13 Jan 2024

प्रिलिम्स के लिये:

प्रोजेक्ट टाइगर, टाइगर रिज़र्व, पग-मार्क विधि, बाघ गणना, कैमरा-ट्रैप विधि, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, महत्त्वपूर्ण बाघ आवास (CTH), राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA), टाइगर टास्क फोर्स, अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006

मेन्स के लिये:

प्रोजेक्ट टाइगर तथा बाघों की संख्या के संरक्षण में इसका योगदान।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में टाइगर रिज़र्व (55) की स्थापना तथा महत्त्वपूर्ण वन्यजीव संरक्षण कानूनों को कार्यांवित कर समय के साथ बाघ संरक्षण पहल में विकास किया गया है।

बाघ संरक्षण में कौन-सी कमियाँ हैं?

  • वन्यजीव संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2006 के तहत विकास परियोजनाओं के लिये "बाघ के वन" के डायवर्ज़न पर रोक नहीं लगाई गई तथा यदि वन्यजीवों से मानव जीवन को खतरा होता है तो उन्हें अंतिम उपाय के रूप में मारने की अनुमति दी जाती है।
  • सरकार ने वर्ष 2009 में FRA नियमों को अधिसूचित करने तथा अधिनियम को क्रिर्यांवित करने की योजना बनाई।
    • किंतु नवंबर 2007 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority- NTCA) ने एक आदेश पारित किया जिसमें मुख्य वन्यजीव वार्डनों को 800-1,000 वर्ग किमी. के क्षेत्र वाले क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट्स (CTH) को अंकित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिये 13 दिनों का समय दिया गया। 
    • परिणामस्वरूप सरकार ने WLPA की धारा 38 (V) के प्रावधानों का अनुपालन किये बिना 12 राज्यों में 26 टाइगर रिज़र्व को संबद्ध अधिसूचना जारी की।
  • सिमिलिपाल, ओडिशा में टाइगर रिज़र्व, क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट्स में बफर क्षेत्र का अभाव था।
    • 2012 में ही उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्देश के बाद शामिल किया गया था, जिसने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) को तीन महीने का अल्टीमेटम दिया था।
  • टाइगर टास्क फोर्स ने पाया कि बंदूकें, गार्ड और बाड़ का उपयोग करने का दृष्टिकोण बाघों की रक्षा नहीं कर रहा था, और वन/वन्यजीव नौकरशाही और बाघों के साथ सह-अस्तित्व रखने वालों के बीच बढ़ता संघर्ष आपदा का एक प्रकार था।

बाघ संरक्षण के लिये पहल:

प्रोजेक्ट टाइगर:

  • परिचय:
    • प्रोजेक्ट टाइगर भारत में एक वन्यजीव संरक्षण पहल है जिसे वर्ष 1973 में शुरू किया गया था।
    • प्रोजेक्ट टाइगर का प्राथमिक उद्देश्य समर्पित टाइगर रिज़र्व बनाकर बाघों की आबादी के प्राकृतिक आवासों में अस्तित्त्व और रखरखाव सुनिश्चित करना है।
    • 9,115 वर्ग किमी में फैले केवल नौ अभ्यारण्यों से शुरू होकर, इस परियोजना ने वन्यजीव संरक्षण प्रयासों में एक आदर्श बदलाव को चिह्नित किया है।
  • बाघ गणना की विधि: 
  • बाघों की जनसंख्या में वृद्धि: 
    • 1972 में पहली बाघ जनगणना में 1,827 बाघों की गिनती के लिये अविश्वसनीय पग-चिह्न पद्धति का उपयोग किया गया था।
    • 2022 तक, बाघों की आबादी 3,167-3,925 होने का अनुमान है, जो प्रतिवर्ष 6.1% की वृद्धि दर को दर्शाता है।
    • अब भारत विश्व के तीन-चौथाई बाघों का घर है।
  • टाइगर रिज़र्व:
    • 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर 9,115 वर्ग कि.मी. में फैले नौ अभ्यारण्यों के साथ शुरू हुआ। 2018 तक यह विभिन्न राज्यों में 55 रिज़र्व तक बढ़ गया था, जो कुल 78,135.956 वर्ग किमी या भारत के भूमि क्षेत्र का 2.38% था।

 वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972:

  • वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 वन्य जीवों और पौधों की विभिन्न प्रजातियों की सुरक्षा, उनके आवासों के प्रबंधन, वन्य जीवों, पादपों तथा उनसे बने उत्पादों के व्यापार के विनियमन एवं नियंत्रण के लिये एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम (Wildlife (Protection) Act- WLPA), 1972 में बाघ संरक्षण के लिये आधार तैयार किया गया। इसने राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों की स्थापना की, राज्य सरकारों के पक्ष में अधिकारों को अलग किया तथा क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट्स (Critical Tiger Habitat- CTH) की अवधारणा को पेश किया।
  • वर्ष 2006 में WLPA में संशोधन से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority- NTCA) और एक व्यापक बाघ संरक्षण योजना का निर्माण हुआ।
  • इसने बाघ संरक्षण, वन संरक्षण और स्थानीय समुदायों की भलाई के बीच अविभाज्य संबंध को स्वीकार करते हुए, पूर्व के कैप्टिव संरक्षण दृष्टिकोण से बदलाव को चिह्नित किया।

टाइगर टास्क फोर्स:

  • वर्ष 2005 में बाघ संरक्षण के बारे में चिंताओं से प्रेरित टाइगर टास्क फोर्स के गठन ने पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। टास्क फोर्स ने मौजूदा रणनीति में कमियों को उजागर किया जो हथियारों, वनरक्षकों एवं बाड़ों पर बहुत अधिक निर्भर थी।

वन अधिकार मान्यता अधिनियम, 2006 क्या है?

  • अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अधिनियमन ने समुदायों में प्रथागत एवं पारंपरिक वन अधिकारों को मान्यता दी।
  • इसने ग्राम सभाओं को अपनी सीमाओं के भीतर वन संसाधनों और जैवविविधता का लोकतांत्रिक ढंग से प्रबंधन करने का अधिकार दिया।
  • महत्त्वपूर्ण वन्यजीव पर्यावास  (Critical Wildlife Habitat- CWH): 
    • वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act- FRA) ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WLPA) के तहत क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (CTH) की भाँति एक 'क्रिटिकल वाइल्डलाइफ हैबिटेट' (CWH) की शुरुआत की।
      • हालाँकि एक महत्त्वपूर्ण अंतर यह था कि एक बार CWH अधिसूचित हो जाने के बाद, इसे गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिये पुनर्निर्देशित नहीं किया जा सकता था। बातचीत के दौरान आदिवासी आंदोलनों द्वारा इस विशेष खंड पर ज़ोर दिया गया था।
    • क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट्स (CTH) 42,913.37 वर्ग किमी. या राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के अंतर्गत 26% क्षेत्र को कवर करता है।
  • ग्राम सभाओं को अपनी पारंपरिक सीमाओं के भीतर जंगल, वन्य जीवन और जैवविविधता की सुरक्षा, संरक्षण एवं निगरानी करने का अधिकार दिया गया था।

निष्कर्ष:

वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर से लेकर वर्ष 2006 के संशोधनों द्वारा NTCA के निर्माण तक की यात्रा बाघ संरक्षण और टिकाऊ सह-अस्तित्व के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। सामुदायिक सशक्तीकरण का एकीकरण, वन अधिकारों की मान्यता और वन्यजीव संरक्षण के लिये एक सूक्ष्म दृष्टिकोण वन्यजीव संरक्षण में एक समग्र प्रतिमान प्रदर्शित करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन-सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है? (2021)

(a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
(b) पंचायती राज मंत्रालय
(c) ग्रामीण विकास मंत्रालय
(d) जनजातीय मामलों का मंत्रालय

उत्तर: (d)


प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. "संकटपूर्ण वन्यजीव पर्यावास" की परिभाषा वन अधिकार अधिनियम, 2006 में समाविष्ट है।  
  2. भारत में पहली बार बैगा (जनजाति) को पर्यावास का अधिकार दिया गया है। 
  3. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत के किसी भी भाग में विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों के लिये पर्यावास अधिकार पर आधिकारिक रूप से निर्णय लेता है तथा इसकी घोषणा करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)