प्रधानमंत्री की सिंगापुर और ब्रुनेई दारुस्सलाम यात्राएँ | 09 Sep 2024

प्रिलिम्स के लिये:

सेमीकंडक्टर, भारत का सेमीकंडक्टर मिशन, हरित हाइड्रोजन, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन

मेन्स के लिये:

सिंगापुर के साथ भारत के संबंध, भारत के सामरिक हितों के लिये  ब्रुनेई का महत्त्व, एक्ट ईस्ट नीति, आसियान-भारत व्यापक सामरिक साझेदारी

स्रोत: हिन्दुस्तान टाइम्स

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री की ब्रुनेई दारुस्सलाम और सिंगापुर की यात्राओं ने दक्षिण पूर्व एशिया में भारत की कूटनीतिक तथा रणनीतिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण प्रगति को चिह्नित किया है।

सिंगापुर और ब्रुनेई दारुस्सलाम के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • ब्रुनेई दारुस्सलाम:
    • स्थान: बोर्नियो द्वीप के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। दक्षिण चीन सागर के साथ इसकी तटरेखा लगभग 161 किलोमीटर है। यह उत्तर में दक्षिण चीन सागर और बाकी सभी तरफ मलेशिया से घिरा हुआ है।
    • अर्थव्यवस्था: राजस्व मुख्य रूप से कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है तथा आर्थिक विविधीकरण के प्रयास किये जाते हैं।
      • दक्षिण-पूर्व एशिया में तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक, विश्व स्तर पर चौथा सबसे बड़ा तरलीकृत प्राकृतिक गैस उत्पादक।
    • ब्रुनेई दारुस्सलाम के मुख्य निर्यात में तीन प्रमुख वस्तुएँ शामिल हैं - कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद और तरलीकृत प्राकृतिक गैस- जो मुख्य रूप से जापान, अमेरिका तथा आसियान देशों को बेची जाती हैं।

  • सिंगापुर:
    • भूगोल: सिंगापुर एक द्वीप राष्ट्र है, जिसमें एक मुख्य द्वीप (पुलाऊ उजोंग) और 62 छोटे द्वीप शामिल हैं। इसके पड़ोसियों में उत्तर में मलेशिया तथा दक्षिण में इंडोनेशिया शामिल हैं।
    • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: मूल रूप से तुमासिक के नाम से जाना जाने वाला यह द्वीप, जिसका अर्थ है "समुद्र", व्यापारियों के लिये एक प्रमुख पड़ाव था। 14वीं शताब्दी के दौरान तुमासिक ने अपना नया नाम "सिंगापुरा" (जिसका अर्थ है "लायन सिटी") अर्जित किया।
      • सिंगापुर आधिकारिक तौर पर वर्ष 1826 में ब्रिटिश शासन के अधीन आया। जापानियों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1942 में सिंगापुर पर नियंत्रण कर लिया, लेकिन युद्ध हारने के बाद उन्होंने स्वामित्व वापस ब्रिटिशों को सौंप दिया।
      • वर्ष 1959 में सिंगापुर स्वशासित हो गया, हालाँकि ब्रिटेन अभी भी देश की सेना को नियंत्रित करता था। देश को अंततः वर्ष 1965 में सिंगापुर गणराज्य के रूप में पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
    • सरकार और अर्थव्यवस्था: संसदीय गणराज्य। यह बैंकिंग और विनिर्माण में महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के साथ दक्षिण पूर्व एशिया की सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

प्रधानमंत्री की ब्रुनेई दारुस्सलाम यात्रा के मुख्य परिणाम क्या थे?

  • प्रधानमंत्री ने बंदर सेरी बेगावान (Bandar Seri Begawan) में प्रतिष्ठित उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद (Omar Ali Saifuddien Mosque) का दौरा किया, जो ब्रुनेई की इस्लामी विरासत का प्रतीक है और इसका नाम ब्रुनेई के 28वें सुल्तान के नाम पर रखा गया है।
  • भारत ने इसरो के टेलीमेट्री ट्रैकिंग और टेलीकमांड (Telemetry Tracking and Telecommand- TTC) स्टेशन की मेजबानी में ब्रुनेई के सहयोग की सराहना की तथा नए समझौता ज्ञापन के तहत सहयोग को आगे बढ़ाने पर चर्चा की।
  • दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय कानून, विशेषकर UNCLOS 1982 के अनुरूप दक्षिण चीन सागर में विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के महत्त्व को रेखांकित किया।
    • आसियान-भारत वार्ता संबंध, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग को मज़बूत करने पर सहमति हुई। .
  • दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया, जिसमें भारत ने ब्रुनेई के प्रयासों का समर्थन किया, जिसमें जलवायु परिवर्तन के लिये आसियान केंद्र की मेज़बानी भी शामिल है। 
  • इससे पूर्व भारत ने रूसी आपूर्ति के पक्ष में ब्रुनेई से अपने तेल आयात को कम कर दिया था। अब तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) में दीर्घकालिक सहयोग पर चर्चा शुरू की गई है। 

प्रधानमंत्री की सिंगापुर यात्रा के मुख्य परिणाम क्या थे?

  • सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम भागीदारी: एक लचीली सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला विकसित करने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए, जो द्विपक्षीय सहयोग के एक नए क्षेत्र को चिह्नित करता है। विभिन्न प्रौद्योगिकियों में सेमीकंडक्टर चिप्स के वैश्विक महत्त्व के कारण समझौता ज्ञापन का भू-रणनीतिक महत्त्व बहुत अधिक है। 
    • सिंगापुर का सेमीकंडक्टर उद्योग वर्ष 1970 के दशक से ही बढ़ रहा है, जो वैश्विक सेमीकंडक्टर उत्पादन का लगभग 10% और सेमीकंडक्टर उपकरण उत्पादन का 20% हिस्सा है।
  • व्यापक रणनीतिक साझेदारी: भारत और सिंगापुर ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को 'व्यापक रणनीतिक साझेदारी' के स्तर तक बढ़ाने पर सहमति जताई है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ेगा।
  • स्थायित्व में सहयोग: दोनों देश ग्रीन हाइड्रोजन और अमोनिया परियोजनाओं पर सहयोग करने के लिये तैयार हैं, इन पहलों का समर्थन करने हेतु एक रूपरेखा विकसित की जा रही है।
    • भारत ने सिंगापुर की खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करते हुए सिंगापुर को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात के लिये छूट देने पर सहमति जताई है।
  • डिजिटल प्रौद्योगिकी: डेटा, एआई और साइबर सुरक्षा में सहयोग को गहरा करने के उद्देश्य से डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं। साइबर नीति वार्ता की स्थापना तथा साइबर सुरक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन के नवीनीकरण का कार्य प्रगति पर है।
  • फिनटेक सहयोग: भारत के यू.पी.आई. और सिंगापुर के पेनाउ और ट्रेडट्रस्ट पहल को कागज़ रहित लेनदेन को सुविधाजनक बनाने एवं  व्यापार दक्षता बढ़ाने में उनकी भूमिका के लिये मान्यता दी गई है।
  • सांस्कृतिक संबंध: भारत ने तमिल संत तिरुवल्लुवर की विरासत का उत्सव मनाते हुए सिंगापुर में तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र के आगामी उद्घाटन की भी घोषणा की।
    • सिंगापुर में भारतीय समुदाय के योगदान को मान्यता देते हुए संस्कृति और लोगों के बीच संबंधों को बढ़ाने के लिये आपसी प्रतिबद्धता है।

ब्रुनेई दारुस्सलाम और सिंगापुर के साथ भारत के संबंध कैसे हैं?

  • ब्रुनेई दारुस्सलाम:
    • राजनीतिक संबंध: भारत और ब्रुनेई दारुस्सलाम के बीच राजनयिक संबंध वर्ष 1984 में स्थापित हुए थे। दोनों राष्ट्र सांस्कृतिक संबंधों एवं संयुक्त राष्ट्र, गुटनिरपेक्ष आंदोलन, राष्ट्रमंडल और आसियान जैसे संगठनों में सदस्यता के माध्यम से घनिष्ठ संबंध साझा करते हैं।
      • ब्रुनेई के सुल्तान, सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया, भारत-ब्रुनेई के घनिष्ठ संबंधों के प्रबल समर्थक हैं और उन्होंने भारत की 'लुक ईस्ट' और 'एक्ट ईस्ट' नीतियों का समर्थन किया है।
      • ब्रुनेई ने भारत की अंतर्राष्ट्रीय उम्मीदवारी का भी समर्थन किया है और वर्ष 2012 से वर्ष 2015 तक आसियान देश समन्वयक के रूप में भारत-आसियान संबंधों को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • वाणिज्यिक संबंध: ब्रुनेई को भारत के मुख्य निर्यात में ऑटोमोबाइल, परिवहन उपकरण, चावल और मसाले शामिल हैं। भारत ब्रुनेई से कच्चे तेल का एक प्रमुख आयातक है, जिसका आयात प्रतिवर्ष लगभग 500-600 मिलियन अमरीकी डॉलर का है।
    • भारतीय समुदाय: ब्रुनेई दारुस्सलाम में भारतीय प्रवासी दशकों से निवास करते आ रहे हैं, 1930 के दशक में पहली बार यहाँ आए लोगों में से आधे से अधिक तेल और गैस, निर्माण एवं खुदरा जैसे उद्योगों में अर्द्ध व अकुशल श्रमिक थे।
  • सिंगापुर:
    • ऐतिहासिक संबंध: एक सहस्राब्दी से भी अधिक समय से भारत और सिंगापुर ने घनिष्ठ सांस्कृतिक, वाणिज्यिक तथा पारस्परिक संबंध बनाए रखे हैं।
      • आधुनिक संबंध स्टैमफोर्ड रैफल्स (ब्रिटिश ईस्ट इंडियन प्रशासक और बंदरगाह शहर सिंगापुर के संस्थापक) द्वारा वर्ष 1819 में सिंगापुर में एक व्यापारिक चौकी स्थापित करने से जुड़े हैं, जो बाद में वर्ष 1867 तक कोलकाता से शासित एक ब्रिटिश उपनिवेश बन गया। वर्तमान संबंध तब शुरू हुए जब स्टैमफोर्ड रैफल्स (ब्रिटिश ईस्ट इंडियन प्रशासक और बंदरगाह शहर सिंगापुर के संस्थापक) द्वारा वर्ष 1819 में सिंगापुर में एक व्यापारिक स्टेशन की स्थापना की गई। तब से वर्ष 1867 तक इस द्वीप पर कोलकाता से ब्रिटिश उपनिवेश का शासन रहा।
      • भारत वर्ष 1965 में सिंगापुर की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था।
    • व्यापार और आर्थिक सहयोग:
      • व्यापार: सिंगापुर भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है, जिसकी भारत के कुल व्यापार में 3.2% हिस्सेदारी है।
      • निवेश: वर्ष 2018-19 से सिंगापुर भारत में FDI का सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता रहा है, जिसमें शीर्ष क्षेत्र सेवाएँ, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर, व्यापार, दूरसंचार और ड्रग्स एवं फार्मास्यूटिकल्स हैं।
      • फिनटेक: सिंगापुर में RuPay कार्ड स्वीकृति के लिये वाणिज्यिक और तकनीकी व्यवस्था की गई है। UPI-Paynow लिंकेज एक ऐतिहासिक क्रॉस-बॉर्डर फिनटेक विकास है।
        • सिंगापुर पहला देश है जिसके साथ भारत ने यह क्रॉस-बॉर्डर पर्सन-टू-पर्सन (P2P) भुगतान सुविधा शुरू की है। 
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग: ISRO ने सिंगापुर के कई उपग्रहों को लॉन्च किया है, जिसमें 2011 में सिंगापुर का पहला स्वदेशी निर्मित माइक्रो-सैटेलाइट भी शामिल है।
    • बहुपक्षीय सहयोग: सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन में शामिल हो गया है। ये दोनों इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) जैसे बहुपक्षीय समूहों का भी हिस्सा हैं।
    • भारतीय समुदाय: सिंगापुर के 3.9 मिलियन निवासियों में से लगभग 9.1% भारतीय हैं। तमिल सिंगापुर की चार आधिकारिक भाषाओं में से एक है।

सामरिक हितों के लिये दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का क्या महत्त्व है?

  • एक्ट ईस्ट पॉलिसी: प्रधानमंत्री की दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की यात्रा, भारत की व्यापक एक्ट ईस्ट पॉलिसी के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य ASEAN देशों के साथ संबंधों को सुदृढ़ करना और दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की सामरिक उपस्थिति को बढ़ाना है।
    • भारत दक्षिण-पूर्व एशिया में अपने रक्षा संबंधों को सुदृढ़ कर रहा है, जिसका उदाहरण फिलीपींस के साथ समझौते और वियतनाम व इंडोनेशिया जैसे अन्य देशों के साथ सहयोग है।
  • भू-रणनीतिक स्थान: दक्षिण-पूर्व एशिया हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर स्थित है, जो मेरीटाइम सिल्क रोड जैसे समुद्री व्यापार मार्गों का एक प्रमुख केंद्र है। यह रणनीतिक स्थान भारत के मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण के लिये महत्वपूर्ण है।
  • चीन का प्रतिकार: चीन के साथ इस क्षेत्र की निकटता इसे चीन के बढ़ते प्रभाव का प्रतिकार करने के भारत के प्रयासों के लिये महत्त्वपूर्ण बनाती है। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ संबंधों को सुदृढ़ करने से भारत को रणनीतिक बढ़त बनाए रखने और क्षेत्रीय स्थिरता का समर्थन करने में मदद मिलती है।
  • आर्थिक हित: दक्षिण पूर्व एशिया विश्व की कुछ सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं (मलेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड और वियतनाम) का गढ़ है, यह क्षेत्र भारत के लिये पर्याप्त आर्थिक अवसर प्रस्तुत करता है।
  • दक्षिण पूर्व एशिया में भारत के समक्ष चुनौतियाँ:
    • दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक नीतियों ने क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने और अपने व्यापार के लिये महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने के भारत के प्रयासों को जटिल बना दिया है।
    • संबद्ध क्षेत्र से चीन की निकटता और आर्थिक शक्ति उसे स्वाभाविकतः लाभप्रद बनाती है, जिससे भारत के लिये दक्षिण-पूर्व एशिया में उसके प्रभुत्व की बराबरी करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
    • दक्षिण-पूर्व एशिया के राजनीतिक परिदृश्य की विविधता तथा चीन के प्रभाव के प्रति देशों के अलग-अलग प्रकार के विरोध और एकजुटता को देखते हुए भारत के लिये सभी के लिये एक जैसी रणनीति अपनाना मुश्किल हो जाता है।
    • हालाँकि भारत दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ संपर्क सुधारने पर काम कर रहा है, किंतु मौजूदा बुनियादी ढाँचा अभी भी अविकसित है, जिससे व्यापार और लोगों के बीच संपर्क की सुविधा बाधित होती है।

आगे की राह

  • ई-कॉमर्स और फिनटेक में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये भारत को दक्षिण पूर्व एशिया के साथ डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार करने की आवश्यकता है। भारत को अपनी सूचना प्रौद्योगिकी (IT) क्षमताओं का लाभ उठाकर सॉफ्टवेयर, IT सेवाओं और डिजिटल नवाचार में विशेषज्ञता प्रदान करने हेतु इसे एक क्षेत्रीय प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहिये।
  • भारत को आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये ताकि चीन पर निर्भरता कम हो, अधिक आर्थिक लचीलापन और एकीकरण के लिये व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के लिये क्षेत्रीय मूल्य शृंखलाओं को बढ़ावा दिया जा सके।
  • भारत को समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ाना चाहिये ताकि समुद्री डकैती, अवैध मत्स्यन और समुद्री आतंकवाद जैसे सामान्य खतरों का समाधान किया जा सके।
  • भारत संबद्ध क्षेत्र में कनेक्टिविटी और सहयोग बढ़ाने के लिये चीन के BRI का मुकाबला करने के लिये एक समुद्री दक्षिण पूर्व एशिया-भारत आर्थिक गलियारा विकसित करने पर विचार कर सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत-सिंगापुर संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी का रूप देने के महत्त्व का विश्लेषण कीजिये। विभिन्न क्षेत्रों में इसके अपेक्षित लाभ क्या होंगे?

प्रश्न. एक्ट ईस्ट नीति के तहत आसियान देशों के साथ अपने संबंधों का विस्तार करने में भारत के लिये रणनीतिक लाभ क्या हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. ऑस्ट्रेलिया    
  2. कनाडा    
  3. चीन   
  4. भारत    
  5. जापान  
  6. यू.एस.ए.

उपर्युक्त में से कौन-कौन आसियान (ए.एस.इ.ए.एन.) के ‘मुक्त व्यापार भागीदारों’ में से हैं?

(a) केवल 1, 2, 4 और 5    
(b) केवल 3, 4, 5 और 6
(c) केवल 1, 3, 4 और 5   
(d) केवल 2, 3, 4 और 6

उत्तर: (c)


प्रश्न.'रीज़नल काम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (Regional Comprehensive Economic Partnership)' पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है? (2016)

(a) जी- 20     
(b) आसियान
(c) एस.सी.ओ.
(d) सार्क

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. शीत युद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के संदर्भ में भारत की पूर्वोन्मुखी नीति के आर्थिक और सामरिक  आयामों का मूल्यांकन कीजिये। (2016)