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प्रधानमंत्री सूक्ष्‍म खाद्य उद्योग उन्‍नयन योजना

  • 30 Jun 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री सूक्ष्‍म खाद्य उद्योग उन्‍नयन योजना, एक ज़िला एक उत्‍पाद

मेन्स के लिये:

भारत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग 

चर्चा में क्यों?

आत्‍मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत शुरू की गई ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्‍म खाद्य उद्योग उन्‍नयन योजना’ (Pradhan Mantri Formalisation of Micro food processing Enterprises- PMFME) ने 29 जून, 2021 एक वर्ष पूरे किये।

  • PMFME योजना वर्तमान 35 राज्‍यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों में कार्यान्वित की जा रही है।

PMFME

प्रमुख बिंदु

नोडल मंत्रालय:

  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (Ministry of Food Processing Industries- MoFPI)।

विशेषताएँ:

  • एक ज़िला एक उत्‍पाद (ODOP) दृष्टिकोण
    • राज्य मौजूदा समूहों और कच्चे माल की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए ज़िलों के लिये खाद्य उत्पादों की पहचान करेंगे।
    • ODOP एक खराब होने वाली उपज आधारित या अनाज आधारित या एक क्षेत्र में व्यापक रूप से उत्पादित खाद्य पदार्थ जैसे- आम, आलू, अचार, बाजरा आधारित उत्पाद, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, आदि हो सकते हैं।
  • फोकस के अन्य क्षेत्र:
    • वेस्ट टू वेल्थ उत्पाद, लघु वन उत्पाद और आकांक्षी ज़िले।
    • क्षमता निर्माण तथा अनुसंधान: इकाइयों के प्रशिक्षण, उत्पाद विकास, उपयुक्त पैकेजिंग और सूक्ष्म इकाइयों के लिये मशीनरी का समर्थन करने हेतु राज्य स्तरीय तकनीकी संस्थानों के साथ-साथ MoFPI के अंतर्गत आने वाले शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थानों को सहायता प्रदान की जाएगी।
  • वित्तीय सहायता:
    • व्यक्तिगत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का उन्नयन: अपनी इकाइयों को अपग्रेड करने की इच्छा रखने वाली मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ पात्र परियोजना लागत के 35% पर अधिकतम 10 लाख रुपए प्रति यूनिट के साथ क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी का लाभ उठा सकती हैं।
    • SHG को प्रारंभिक पूंजी: कार्यशील पूंजी और छोटे उपकरणों की खरीद के लिये प्रति स्वयं सहायता समूह (Self Help Group-SHG) सदस्य को 40,000 रुपए का प्रारंभिक वित्तपोषण प्रदान किया जाएगा।

समयावधि: वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक पाँच वर्षों की अवधि में।

वित्तपोषण:

  • 10,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
  • इस योजना के तहत होने वाले व्यय को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच 60:40 के अनुपात में, उत्तर पूर्वी तथा हिमालयी राज्यों के बीच 90:10 के अनुपात में, विधायिका वाले केंद्रशासित प्रदेशों के साथ 60:40 के अनुपात में तथा अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के मामले 100% केंद्र सरकार द्वारा साझा किया जाता है।

आवश्यकता:

  • असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र जिसमें लगभग 25 लाख इकाइयाँ शामिल हैं, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 74 प्रतिशत रोज़गार उपलब्ध कराता है।
  • असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के समक्ष कई चुनौतियाँ विद्यमान हैं जो उनके प्रदर्शन और विकास को सीमित करती हैं। इन चुनौतियों में आधुनिक प्रौद्योगिकी और उपकरणों तक पहुँच की कमी; संस्थागत प्रशिक्षण का अभाव; संस्थागत ऋण तक पहुँच की कमी; उत्पादों की खराब गुणवत्ता; जागरूकता की कमी; ब्रांडिंग और विपणन कौशल की कमी शामिल हैं।

भारतीय खाद्य उद्योग की स्थिति:

  • भारतीय खाद्य और किराना बाज़ार विश्व का छठा सबसे बड़ा बाज़ार है, खुदरा बिक्री में इसका योगदान 70% है।
  • देश के कुल खाद्य बाज़ार में भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की हिस्सेदारी 32% है, जो भारत के सबसे बड़े उद्योगों में से एक है और उत्पादन, खपत, निर्यात तथा अपेक्षित वृद्धि के मामले में पाँचवें स्थान पर है।
  • यह विनिर्माण और कृषि में सकल मूल्य वर्धित (GVA) में क्रमशः लगभग 8.80 और 8.39%, भारत के निर्यात में 13% और कुल औद्योगिक निवेश में 6% का योगदान देता है।

खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित अन्य योजनाएँ:

स्रोत: पी.आई.बी.

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