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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

स्वच्छता सारथी फेलोशिप: वेस्ट टू वेल्थ मिशन

  • 04 Mar 2021
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने अपने "वेस्ट टू वेल्थ" (Waste to Wealth) मिशन के अंतर्गत “स्वच्छता सारथी फेलोशिप" (Swachhta Saarthi Fellowship) की शुरुआत की है।

प्रमुख बिंदु

  • स्वच्छता सारथी फेलोशिप के विषय में:
    • उद्देश्य: इस फेलोशिप का उद्देश्य उन छात्रों, स्वयं सहायता समूहों, सफाई कर्मचारियों आदि को प्रोत्साहन प्रदान करना है जो निरंतर अपने प्रयासों से शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में कचरे को कम करने में लगे हुए हैं।
    • इस फेलोशिप के अंतर्गत प्रोत्साहन पुरस्कार को तीन अलग-अलग श्रेणियों में बाँटा गया है:
      • श्रेणी-ए: यह श्रेणी उन स्कूली विद्यार्थियों के लिये है जो 9वीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक के हैं और सामुदायिक स्तर पर कचरा प्रबंधन के कार्यों में लगे हुए हैं।
      • श्रेणी-बी: इसके अंतर्गत कॉलेज के उन छात्रों को प्रोत्साहन मिलेगा जो स्नातक, परास्नातक तथा शोध छात्र हैं और सामुदायिक स्तर पर कचरा प्रबंधन में लगे हुए हैं।
      • श्रेणी-सी: इसके अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से समुदाय में कार्य कर रहे उन नागरिकों, नगर निगम कर्मियों और स्वच्छता कर्मियों को प्रोत्साहन मिलेगा जो अपने उत्तरदायित्व से आगे बढ़कर कार्य कर रहे हैं।
  • वेस्ट टू वेल्थ मिशन:
    • यह मिशन अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पन्न करने, बेकार सामग्री के पुनर्चक्रण आदि के लिये प्रौद्योगिकियों की पहचान करने के साथ ही उनके विकास और उपलब्धता सुनिश्चित करेगा।
    • “द वेस्ट टू वेल्थ” मिशन प्रधानमंत्री की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (PM-STIAC) के नौ राष्ट्रीय मिशनों में से एक है।
    • यह मिशन स्वच्छ भारत और स्मार्ट शहर जैसी परियोजनाओं में मदद करेगा, साथ ही एक ऐसा वृहद् आर्थिक मॉडल तैयार करेगा जो देश में अपशिष्ट प्रबंधन को कारगर बनाने के साथ-साथ उसे आर्थिक रूप से व्यवहार्य भी बनाएगा।

ई-वेस्ट टू वेल्थ: नई प्रौद्योगिकी (आईआईटी दिल्ली)

  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली ने धन के लिये ई-कचरे का प्रबंधन और पुनर्चक्रण करने हेतु एक शून्य-उत्सर्जन तकनीक विकसित की है।
  • ई-कचरे की नई कार्यप्रणाली मेटल रिकवरी और एनर्जी प्रोडक्शन के लिये "शहरी खदानों" (Urban Mine) का उपयोग करेगी।
    • ई-कचरे से तरल और गैसीय ईंधन प्राप्त करने के लिये इसे पायरोलाइसिस (Pyrolysis) किया जाता है। यह ई-कचरे को गर्म करके अलग-अलग पदार्थों में विभक्त करने की प्रक्रिया है।
    • इन अलग हुए ठोस अवशेषों में 90-95% शुद्ध धातु मिश्रण और कुछ कार्बनयुक्त पदार्थ होते हैं।
    • कार्बनयुक्त पदार्थ को एयरोजेल (Aerogel) में बदला जाता है, जिसका उपयोग तेल रिसाव की सफाई, डाई हटाने, कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर करने आदि में किया जाता है।
  • यह तकनीक स्मार्ट सिटी मिशन, स्वच्छ भारत अभियान और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों की ज़रूरतों को पूरा करेगी।

स्रोत: पी.आई.बी.

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