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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

फिलीपींस ने GM फसलों का उत्पादन रोका

  • 04 Jun 2024
  • 18 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव (Genetically Modified Organism- GMO), DNA, पुनः संयोजक DNA प्रौद्योगिकी, आनुवंशिक रूप से संशोधित (Genetically Modified- GM) फसलें, बीटी कपास, जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (Genetic Engineering Appraisal Committee- GEAC), धारा सरसों हाइब्रिड-11 (DMH -11), 'अर्ली हीरा-2' सरसों, बैसिलस एमाइलोलिकेफेशियंस,

मेन्स के लिये:

मानव स्वास्थ्य पर आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव (GMO) का प्रभाव, सतत् विकास लक्ष्य 2: शून्य भूख लक्ष्य को प्राप्त करने में आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों का महत्त्व।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में फिलीपींस की एक न्यायालय ने देश में आनुवंशिक रूप से संशोधित (Genetically Modified- GM) फसलें गोल्डन राइस और बीटी बैंगन की व्यावसायिक खेती के लिये दिये गए परमिट को रद्द कर दिया है।

  • आलोचकों का तर्क है कि इस निर्णय से विटामिन A की कमी वाले बच्चों को नुकसान हो सकता है, लेकिन सुरक्षा उल्लंघनों के बारे में न्यायालय की चिंताओं को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।

नोट

  • वर्ष 2013 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विटामिन A की कमी को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में पहचाना था, जो 6 से 59 महीने की आयु के लगभग एक-तिहाई बच्चों को प्रभावित करती है, तथा उप-सहारा अफ्रीका (48%) और दक्षिण एशिया (44%) में इसका प्रचलन सबसे अधिक है।

GM गोल्डन राइस और बीटी बैंगन क्या है?

  • GM गोल्डन राइस: 
    • इसे पहली बार 1990 के दशक के अंत में स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान ( International Rice Research Institute- IRRI) के शोधकर्त्ताओं द्वारा विकसित किया गया था।
    • गोल्डन राइस एक प्रकार का चावल है जिसे आनुवंशिक रूप से संशोधित किया गया है ताकि इसमें अधिक मात्रा में आयरन और जिंक के साथ-साथ बीटा-कैरोटीन भी हो, जिसे शरीर विटामिन A में बदल सकता है।
    • इस राइस को यह नाम इसके विशिष्ट पीले रंग के कारण मिला है।
    • इसका विकास विटामिन A की कमी को दूर करने के लिये किया गया था, जो कई विकासशील देशों में एक महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। 
      • विटामिन A की कमी अंधेपन का एक प्रमुख कारण है और विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बचपन की सामान्य बीमारियों से मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
    • गोल्डन राइस में विटामिन A की अनुशंसित दैनिक खुराक का 50% तक प्रदान करने की क्षमता है, जिससे इस महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या का समाधान करने में मदद मिलती है।
  • बीटी बैंगन: 
    • इसे भारतीय बीज कंपनी माहिको (महाराष्ट्र हाइब्रिड सीड्स कंपनी) ने कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़ के सहयोग से विकसित किया है।
    • बीटी बैंगन, बैंगन (Brijal) की एक आनुवंशिक रूप से संशोधित किस्म है, जिसे बैसिलस थुरिंजिएंसिस (बीटी) बैक्टीरिया से प्रोटीन उत्पन्न करने के लिये तैयार किया गया है, जो कुछ कीटों के लिये विषैला होता है। 
      • इससे कीटनाशक के प्रयोग की आवश्यकता कम हो जाती है।
    • वर्ष 2013 में बांग्लादेश में इसकी कृषि को मंज़ूरी दी गई, जिससे यह दक्षिण एशिया में स्वीकृत होने वाली पहली GM खाद्य फसल बन गई।
    • भारत में पर्यावरण कार्यकर्त्ताओं और कुछ राज्य सरकारों द्वारा उठाई गई चिंताओं के कारण वर्ष 2010 में बीटी बैंगन का व्यावसायिक विमोचन रोक दिया गया था।

आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलें क्या हैं?

  • परिचय: 

GM_CROPS_IN_INDIA

  • कृषि: वैश्विक परिदृश्य और भारत:
    • कृषि-जैव प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के अधिग्रहण हेतु अंतर्राष्ट्रीय सेवा (International Service for the Acquisition of Agri-biotech Applications- ISAAA) के अनुसार, वर्ष 2020 में GM फसलों के अंतर्गत वैश्विक क्षेत्र 191.7 मिलियन हेक्टेयर तक पहुँच गया। 
    • भारत ने पहली और एकमात्र बार वर्ष 2002 में GM फसल बीटी कपास की कृषि को व्यावसायिक रूप से मंज़ूरी दी थी।
    • तब से बीटी कपास के अंतर्गत क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2020 में 11.6 मिलियन हेक्टेयर तक पहुँच  गया, जो देश के कुल कपास क्षेत्र का 94% है।
  • आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव (GMO) बनाम ट्रांसजेनिक जीव:
    • आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव (Genetically Modified Organism- GMO) और ट्रांसजेनिक जीव दो ऐसे शब्द हैं जिनका परस्पर उपयोग किया जाता है।
    • हालाँकि GMO और ट्रांसजेनिक जीव के बीच कुछ अंतर है। ट्रांसजेनिक जीव एक GMO है जिसमें DNA अनुक्रम या एक अलग प्रजाति का जीन होता है। 
      • जबकि GMO एक जीव, पौधा या सूक्ष्म जीव है, जिसका DNA जेनेटिक इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग करके बदल दिया गया है।
    • इस प्रकार सभी ट्रांसजेनिक जीव GMO हैं, लेकिन सभी GMO ट्रांसजेनिक नहीं हैं। 
  • GM फसलों के संभावित लाभ:
    • उपज में वृद्धि होना: GM फसलों को अधिक उपज, कीटों और रोगों के प्रति बेहतर प्रतिरोध तथा सूखा, लवणता या अत्यधिक तापमान जैसे पर्यावरणीय परिस्थितियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु डिज़ाइन किया जाता है।
    • पोषक तत्त्वों में वृद्धि होना: GM खाद्य पदार्थों में विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सिडेंट या अन्य लाभकारी यौगिकों की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है, जिससे संभावित रूप से खाद्य सुरक्षा और पोषण में सुधार हो सकता है।
    • कीटनाशकों पर निर्भरता में कमी: GM खाद्य पदार्थों में कीटों एवं बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित की जा सकती है, जिससे फसलों में रासायनिक पदार्थों की आवश्यकता में कमी आ सकती है।
  • संभावित चिंताएँ:
    • पर्यावरणीय जोखिम: GM फसलों के कारण अनपेक्षित पारिस्थितिक परिणाम होने की संभावना के बारे में चिंताएँ हैं, जैसे कि शाकनाशी-प्रतिरोधी खरपतवारों का विकास या गैर-लक्ष्यित जीवों पर प्रभाव।
    • मानव स्वास्थ्य जोखिम: GM खाद्य पदार्थों के सेवन से मानव स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है, तथा संभावित एलर्जी या विषाक्तता के बारे में चिंताएँ हैं।
    • गैर-लक्षित जीवों पर प्रभाव: GM फसलों के कारण पारिस्थितिकी तंत्र में लाभकारी कीटों और अन्य जीवों पर अनपेक्षित परिणामों की संभावना का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
    • नैतिक और सामाजिक-आर्थिक विचार: GM प्रौद्योगिकियों के स्वामित्व तथा नियंत्रण के संकेंद्रण के साथ-साथ छोटे पैमाने के किसानों एवं पारंपरिक कृषि पद्धतियों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर बहस चल रही है।
      • GM प्रौद्योगिकी द्वारा उत्पादित स्व-समाप्त बीज (पौधे की कटाई के बाद बंध्य बीज) किसानों के लिये अगले फसल मौसम में रोपण के लिये अपनी फसल के बीज को बचाने के अपने पारंपरिक अधिकार का उपयोग करना असंभव बना देंगे।

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फूड फोर्टिफिकेशन:

  • फूड फोर्टिफिकेशन या फूड एनरिचमेंट का आशय चावल, दूध और नमक जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों में प्रमुख विटामिन्स और खनिजों (जैसे आयरन, आयोडीन, जिंक, विटामिन A और D) को संलग्न करने की प्रक्रिया से है, ताकि पोषण सामग्री में सुधार लाया जा सके।
    • उदाहरणतः नमक में आयोडीन मिलाना थायरॉइड संबंधी विकारों की रोकथाम के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • प्रसंस्करण से पहले ये पोषक तत्त्व मूल रूप से भोजन में मौजूद हो भी सकते हैं और नहीं भी।
  • इसका उपयोग भारत में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण के उच्च स्तर की समस्या से निपटने के लिये किया जा सकता है।
    • भारत में हर दूसरी महिला एनीमिया से ग्रस्त है तथा हर तीसरा बच्चा अविकसित है।
  • राइस फोर्टिफिकेशन:
    • राइस फोर्टिफिकेशन, इसमें मौजूद विटामिन और खनिज जैसे आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन B-12 और जिंक जैसे अन्य सूक्ष्म पोषक तत्त्वों को बढ़ाने का एक लागत प्रभावी तरीका है।
  • पहल:
    • राष्ट्रव्यापी फोर्टिफिकेशन विनियम: वर्ष 2016 में, FSSAI ने गेहूँ के आटे, चावल, दूध और खाद्य तेल जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों को फोर्टिफाइड करने के लिये विनियम लागू किये। इससे आमतौर पर खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में आयरन, विटामिन B12, फोलिक एसिड, विटामिन A और D और आयोडीन जैसे आवश्यक पोषक तत्त्व शामिल हो जाते हैं।
    • पायलट कार्यक्रम: मिल्क फोर्टिफिकेशन परियोजना

 भारत में GM फसलों के लिये विनियामक ढाँचा क्या है?

आगे की राह:

  • विनियामक आच्छादन को मज़बूत करना: वर्तमान विनियामक प्रणाली को बेहतर पारदर्शिता, मज़बूत वैज्ञानिक मूल्यांकन प्रक्रियाओं एवं हितधारकों के साथ स्पष्ट संचार के साथ मज़बूत किया जाना चाहिये। इससे जनता का विश्वास में वृद्धि होगी और साथ ही जीएम प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाना सुनिश्चित होगा।
  • नवाचार के लिये स्वीकृतियों को सुव्यवस्थित करना: भारत को वैज्ञानिक अनुसंधान से समझौता किये बिना प्रौद्योगिकी अनुमोदन प्रक्रियाओं में तेज़ी लाने की ओर ध्यान देना चाहिये। मज़बूत वैज्ञानिक आँकड़ों के आधार पर समयबद्ध मूल्यांकन सुरक्षा मानकों को बनाए रखते हुए लाभकारी GM फसलों की शुरूआत में तेज़ी ला सकता है।
  • विज्ञान प्रेरित निर्णय: GM फसलों के संबंध में नीतिगत निर्णय दृढ़ता से वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित होने चाहिये। स्वतंत्र, पारदर्शी वैज्ञानिक आकलन नियामक प्रक्रियाओं एवं सार्वजनिक चर्चा के माध्यम से  मार्गदर्शन कर सकते हैं, विश्वास को बढ़ावा दे सकते हैं और निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
  • कठोर निगरानी एवं प्रवर्तन: GM फसल की कृषि के पूरे चक्र में सुरक्षा प्रोटोकॉल का कठोरता से पालन सुनिश्चित करने के लिये एक मज़बूत निगरानी प्रणाली आवश्यक है। 
    • अस्वीकृत अथवा अवैध GM फसलों के प्रसार को रोकने तथा कृषि क्षेत्र की रक्षा करने के लिये कठोर प्रवर्तन तंत्र अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।

निष्कर्ष:

GM फसलों के बारे में विमर्श अभी भी जटिल बना हुआ है, जहाँ इसके समर्थक संभावित लाभों पर प्रकाश डाल रहे हैं, वहीं आलोचक वैध चिंताएँ भी व्यक्त कर रहे हैं। निरंतर अनुसंधान, पारदर्शी विनियमन एवं समावेशी हितधारक संवाद, सतत् कृषि विकास सुनिश्चित करने के लिये इस प्रौद्योगिकी के अवसरों एवं चुनौतियों से निपटने के लिये आवश्यक होंगे।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

जी.एम. फसलों से जुड़ी चिंताओं का विश्लेषण कीजिये। भारत इस प्रौद्योगिकी को ज़िम्मेदारीपूर्वक अपनाने को सुनिश्चित करने के लिये इन चिंताओं से कैसे निपट सकता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स

प्रश्न. पीड़कों को प्रतिरोध के अतिरिक्त वे कौन-सी संभावनाएँ हैं जिनके लिये आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पादपों का निर्माण किया गया है? (2012) 

  1. सूखा सहन करने के लिये सक्षम बनाना   
  2. उत्पाद में पोषकीय मान बढ़ाना  
  3. अंतरिक्ष यानों और अंतरिक्ष स्टेशनों में उन्हें उगाने तथा प्रकाश संश्लेषण करने के लिये सक्षम बनाना 
  4. उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाना 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4 
(c) केवल 1, 2 और 4 
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. फसल विविधता के समक्ष मौजूदा चुनौतियाँ क्या हैं? उभरती प्रौद्योगिकियाँ फसल विविधता के लिये किस प्रकार अवसर प्रदान करती हैं? (2021)

प्रश्न.अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी? (2021)

प्रश्न. फसल विविधता के समक्ष मौजूदा चुनौतियाँ क्या हैं? उभरती प्रौद्योगिकियाँ फसल विविधता के लिये किस प्रकार अवसर प्रदान करती हैं? (2021)

प्रश्न. जल इंजीनियरी और कृषि-विज्ञान के क्षेत्रों में क्रमशः सर एम. विश्वेश्वरैया और डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन के योगदानों से भारत को किस प्रकार लाभ पहुँचा था? (2019)

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