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भारतीय अर्थव्यवस्था

राजनीतिक दान पर कर रियायतों में वृद्धि

  • 30 Jul 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कर रियायतें, आयकर अधिनियम, 1961, राजनीतिक दल, कंपनी अधिनियम, 2013, चुनावी बॉण्ड योजना

मेन्स के लिये:

भारत में राजनीतिक दान के लिये कर रियायतों के प्रभाव, राजनीतिक दान का विनियमन

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों ? 

नवीनतम वित्तीय डेटा राजनीतिक दलों को दिये जाने वाले दान के लिये प्रदान की जाने वाली कर रियायतों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है, जिसमें सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में लगभग 4,000 करोड़ रुपए दिये हैं।

  • यह वृद्धि कर कटौती के माध्यम से चुनावी फंडिंग की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करती है और कर रियायतों में वृद्धि राजनीतिक वित्त में व्यापक बदलाव एवं राजकोषीय नीति के लिये इसके निहितार्थों को दर्शाती है।

राजनीतिक दान पर कर रियायतें क्या हैं?

  • परिचय: कर रियायत किसी विशेष समूह या संगठन को चुकाए जाने वाले कर की राशि में कमी या कर प्रणाली में बदलाव है जो उन्हें लाभ पहुँचाता है।
    • भारत में, आयकर अधिनियम, 1961 के तहत राजनीतिक दान पर कर रियायतें प्रदान की जाती हैं। 
    • आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80GGB, भारतीय कंपनियों को राजनीतिक दलों या चुनावी ट्रस्टों को दिये गए योगदान के लिये कटौती का दावा करने की अनुमति देती है।
    • हालाँकि, नकद में किये गए दान कटौती के लिये पात्र नहीं हैं। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80GGC, व्यक्तियों, फर्मों और अन्य गैर-कॉर्पोरेट संस्थाओं पर लागू होती है।
      • चेक, खाता हस्तांतरण या चुनावी बॉण्ड के माध्यम से किये गए दान पर कटौती लागू होती है।
    • आयकर अधिनियम के अनुसार, राजनीतिक दल को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत पंजीकृत दल माना जाता है।
  • कुल कर रियायतें: वित्त वर्ष 2022-23 में, राजनीतिक दलों को दिये गए दान के लिये कुल कर रियायतें लगभग 3,967.54 करोड़ रुपए थीं।
    • सत्र 2021-22 में, कर रियायतें 3,516.47 करोड़ रुपए थीं, जो पिछले वित्त वर्ष से 13% की वृद्धि दर्शाती हैं।
  • इन कटौतियों का राजस्व प्रभाव: सत्र 2014-15 से, राजनीतिक दान पर कर रियायतों का कुल राजस्व प्रभाव लगभग 12,270.19 करोड़ रुपए तक पहुँच गया है।
    • सत्र 2022-23 में, कर रियायतों में से 2,003.43 करोड़ रुपए धारा 80GGB के तहत कॉर्पोरेट करदाताओं द्वारा दिये गए दान से आए। 
    • धारा 80GGC के तहत व्यक्तियों द्वारा दावा की गई कटौती 1,862.38 करोड़ रुपए थी।

कर रियायतों में वृद्धि के क्या निहितार्थ हैं?

  • बढ़ती चुनावी फंडिंग: राजनीतिक दान के लिये बढ़ती कर रियायतें चुनावी वित्तपोषण में बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करती हैं, जो यह सुझाव देती हैं कि राजनीतिक दल निगमों और व्यक्तियों से मिलने वाले योगदान पर अधिक निर्भर हो रहे हैं।
  • पारदर्शिता की आवश्यकता: राजनीतिक दान में वृद्धि के साथ, राजनीतिक प्रक्रिया पर जवाबदेही सुनिश्चित करने और अनुचित प्रभाव को रोकने के लिये राजनीतिक वित्तपोषण में अधिक पारदर्शिता की तत्काल आवश्यकता है।
    • रियायतों में तेज़ वृद्धि सार्वजनिक वित्त पर प्रभाव और राजनीतिक वित्तपोषण नीतियों में संभावित सुधारों की आवश्यकता के बारे में सवाल उठाती है।
  • राजस्व हानि: बढ़ी हुई कर रियायतें सरकारी राजस्व में महत्त्वपूर्ण कमी ला सकती हैं। यह सार्वजनिक सेवाओं और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को निधि देने की सरकार की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।
  • बाज़ार विकृतियाँ: अत्यधिक रियायतें बाज़ार विकृतियाँ उत्पन्न कर सकती हैं, कुछ क्षेत्रों या कंपनियों को दूसरों पर तरजीह दे सकती हैं, जिससे अक्षमताएँ हो सकती हैं।
  • सतत् विकास: जबकि कर रियायतें अल्पकालिक विकास को बढ़ावा दे सकती हैं, उन्हें दीर्घकालिक राजकोषीय स्थिरता के साथ संतुलित करने की आवश्यकता है। रियायतों पर अत्यधिक निर्भरता कर आधार और राजकोषीय स्थिति को कमज़ोर कर सकती है।

भारत में राजनीतिक दान पर क्या नियम हैं?

  • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29B राजनीतिक दलों को सरकारी कंपनियों और विदेशी स्रोतों को छोड़कर किसी भी व्यक्ति या कंपनी से स्वैच्छिक योगदान स्वीकार करने की अनुमति देती है।
  • कंपनी अधिनियम, 2013: कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 182 भारतीय कंपनियों को किसी राजनीतिक पार्टी को कोई भी राशि दान करने की अनुमति देती है, जिसके लिये बोर्ड द्वारा प्राधिकरण, गैर-नकद भुगतान एवं कंपनी के लाभ व हानि (P&L) खाते में प्रकटीकरण जैसी शर्तें हैं।
  • आयकर अधिनियम, 1961: भारतीय कंपनियाँ और व्यक्ति धारा 80GGB एवं 80GGC के तहत राजनीतिक दलों या चुनावी ट्रस्टों को दिये गए दान पर कर कटौती के लिये पात्र हैं।
  • विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (FCRA): जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और FCRA राजनीतिक दलों को 'विदेशी स्रोत' से दान स्वीकार करने से रोकते हैं, लेकिन अनुमत सीमा तक विदेशी निवेश वाली भारतीय कंपनियों को अब 'विदेशी स्रोत' नहीं माना जाता है तथा वे अब कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत राजनीतिक योगदान दे सकती हैं।
  • चुनावी बॉण्ड योजना: वर्ष 2018 में शुरू की गई चुनावी बॉण्ड योजना दानकर्त्ताओं को गुमनाम रूप से राजनीतिक दलों को दान देने की अनुमति देती है। बॉण्ड अधिकृत बैंकों के माध्यम से खरीदे जाते हैं और 15 दिनों के लिये वैध होते हैं।

आगे की राह

  • कर रियायतों की समीक्षा: राजनीतिक दान पर कर रियायतों के ढाँचे पर पुनर्विचार करने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि वे व्यापक राजकोषीय नीतियों के साथ संरेखित हों और सरकारी राजस्व पर अनुचित प्रभाव न डालें।
    • कटौतियों पर उचित सीमाएँ निर्धारित करना और राजनीतिक वित्तपोषण के लिये वैकल्पिक तंत्रों की खोज करना वित्तपोषण प्रणाली की स्थिरता को बढ़ा सकता है।
  • सार्वजनिक वित्तपोषण: यह राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनावी प्रक्रिया में उनकी भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिये सरकारी वित्तीय सहायता को संदर्भित करता है, जिससे निजी दान पर निर्भरता एवं निहित स्वार्थों के संभावित प्रभाव को कम किया जा सके।
    • कई देश पिछले चुनाव प्रदर्शन, सदस्यता शुल्क और निजी दान जैसे विभिन्न मानदंडों के आधार पर राजनीतिक दलों को सार्वजनिक वित्तपोषण प्रदान करते हैं। सिएटल जैसी कुछ जगहों ने "लोकतंत्र वाउचर" के साथ प्रयोग किया है, जहाँ पात्र मतदाताओं को अपने चुने हुए उम्मीदवारों को दान करने के लिये वाउचर मिलते हैं।
  • बढ़ी हुई पारदर्शिता:चुनावी बॉण्ड के माध्यम से दिये गए दान सहित सभी राजनीतिक दानों का व्यापक खुलासा अनिवार्य किया जाए तथा राजनीतिक वित्त पर कड़ी निगरानी के लिये एक स्वतंत्र आयोग की स्थापना की जाए।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत में राजनीतिक दान के लिये कर रियायतों के रुझानों पर चर्चा कीजिये। ये रुझान राजनीतिक वित्त परिदृश्य और राजकोषीय नीति को कैसे प्रभावित करते हैं?

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स

प्रश्न . भारत में काले धन के सृजन के निम्नलिखित प्रभावों में से कौन-सा भारत सरकार की चिंता का प्रमुख कारण है?

(a) स्थावर संपदा के व्रय और विलासितायुक्त आवास में निवेश के लिये संसाधनों का अपयोजन
(b) अनुत्पादक गतिविधियों में निवेश और जवाहरात, गहने, सोना इत्यादि का व्रय
(c) राजनीतिक दलों को बड़े चंदे एवं क्षेत्रवाद का विकास
(d) कर अपवंचन के कारण राजकोष में राजस्व की हानि

उत्तर:(d)

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